वेल विशर
गतांक से आगे ....
अगले दिन सोनिया ने जल्दी से काम निबटाया। अंशुम ऑफिस चले गए ..बेटे और उसके जाने का टाइम का आधे घंटे का ही फर्क था।शिवम् के स्कूल का टाइम ११.३० से २ बजे तक था ।उसके बाद वो घर २.३० बजे पहुँचता ..और सोनिया भी अपने स्कूल से २ बजे तक आ जाती थी । अब सोचने लगी की जाए न जाए ..कल तो वैसे भी कॉलेज में छुट्टी है ..बस एक बार प्रिंसिपल मैडम ने सब टीचर्स को मीटिंग के लिए बुलाया है । दो घंटे तक फ्री हो जाएगी ..जाना तो पड़ेगा ..अंशुम को बता भी चुकी है कि मीटिंग है और शायद वो मार्किट भी जाएगी उसके बाद ।हाँ, बस मीटिंग के बाद ही चली जाएगी अमित से मिलने । हाँ ,यही ठीक रहेगा ..मन ही मन अपनी प्लानिंग को सही मनते हुए कपडे बदलने लगी ! पहले बेटे को रेडी कर उसके दोनों ब्रेक्स के टिफिन बनाए ,पैक किये और अंदर रूम में आई तो याद आया ..अमित ने ब्ल्यू साड़ी पहने को कहा था । बोर हो चुकी थी इस साड़ी से ..फिर भी इस पुरानी साड़ी को निकाल कर ऐसे देखा कि उस में कोई नया ही नूर आ गया हो ..हर महँगी और डिज़ाइनर साड़ियों में एक प्लेन नीली साड़ी बेशकीमती लगी आज । हाँ ना की कश्मकश में अमित की मुनहार ही जीती आखिर ..!
'' अमित को बुरा लगेगा अगर यह साडी न पहनी तो !" सोचकर सोनिया ने जल्दी से एक रॉयल ब्ल्यू कलर की शिफॉन साड़ी निकाल कर मैचिंग स्लीवलेस ब्लैक ब्लॉउज पहना और आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी पहन ..हल्का सा मेकअप ,काजल ने मानो रूप ही आज बदल दिया हो उसका ! डीप बेक नैक ..के ब्लॉउज ने ..साड़ी के फॉलिंग पल्लू में सोनिया के बदन का हर कर्व नज़र आ रहा था ।आजकल के फैशन में नाभि दर्शाती लौ कट बंधी साड़ी ! शादी के दस सालों बाद भी सोनिया ने अपने फिगर को मेन्टेन रखा हुआ था ।सोनिया ने एक बार खुद को आईने में देखा ..आज खुद को भी साड़ी पहनना अच्छा लग रहा था ।अपने बदन अपने चेहरे को उस शख्स की नज़र से सजाना संवारना ...सिर्फ इसलिए कि और खूबसूरत दिखूं । आज अमित की ज़िद्द से खुमारी सी चढ़ती जा रही थी । कॉलेज में साउथ कॉटन की साड़ी में भी उसके फिगर को लेकर बाकी टीचर और कुछ मनचले फिकरे कसते..तो गुस्सा भी आता और मन ही मन अच्छा भी लगता । लेकिन जब अंशुम से कभी पूछती तो एक ही जवाब मिलता , '' सब कुछ जंचता है तुम पर ..नया क्या है ...?''
''अंशुम कभी तो बताया करो ढंग से ..कितने मन से पहनी है आज साड़ी तुम्हारे लिए .. !" मन ही मन कुढ़ जाती थी ठंडा सा रिस्पांस देखकर । इस इंसान के लिए कोई सेक्स अपील या कोई अदा मायने ही नहीं रखती ।" आज अमित का यह निवेदन फिर से अकारण ही तुलना करने का कारण बन गया । यूँ भी औरत तो सदियों से अपने सौंदर्य की तारीफ की भूखी रही है । सोनिया का गौर रंग नीले रंग की इस साडी में और भी खिल उठा । खुद को ..साड़ी को ..पर्स ..गॉगल्स ..सब को रिचैक किया ..।परफ्यूम लगाया । एक बार अमित को मैसेज किया कि वो आएगी बस कॉफ़ी पिने के लिए ..थोड़ी देर के लिए ।
'' सोनिया सिटी में नहीं बाहर ..सिटी के बाहर एक होटल है वहाँ मिलतें हैं । वहीँ कुछ खा पी लेंगे ।डोंट वरी ..हैव ट्रस्ट ऑन मी ...एन आई विल पिक यू अप .. ! "
''इफ यू फील कम्फ़र्टेबल..देन ओनली ..!"
''नो सिटी से बाहर नहीं ...इट्स नॉट राइट और होटल में ..? आर यू मैड ..? आई विल नोट कम प्लीज़ डोंट माइंड ! ''होटल का नाम सुनते ही गुस्सा आ गया ।
''सी डिअर ..सिटी में किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी, बातें बनेंगी । वह एक पुराना सा होटल है ..कोई खास आता जाता भी नहीं और हमें मिलने से मतलब है ..व्हाई आर यू अफ्रेड ....हैव ट्रस्ट ऑन मी ,मैं तुम्हे गलत जगह ले जाऊँगा क्या ? '' अपनी तरफ से अमित ने कनविन्स किया सोनिया को ।
सोनिया थोड़ी असहज सी हो गई सुनकर ।
'' सी ..सोनू इट्स नॉट सेफ इन सिटी ...रेस्ट योर विश..। ओके कैंसिल कर दो ..मत आओ अगर तुम्हें डर लगता है तो !" अमित ने थोड़ी बेरुखी से कहा ।
सोनिया ने कुछ सोचकर हाँ कर दी। बेटे को स्कूल ऑटो पर ही छोड़ा और खुद भी ऑटो से ही कॉलेज पहुँच गई ।अपनी कार ले जाना उसे सही नहीं लगा । एक तसल्ली थी कि मीटिंग वाले दिन सब टीचर्स अपनी मनपसंद ड्रेस में आती थी सो आज उसकी साड़ी पर सवाल नहीं उठेगा कि आज कुछ स्पेशल रीज़न है वगैरह वगैरह ।फिर भी साड़ी के पल्लू से खुद को थोडा सा कवर कर लिया मेल टीचर्स की वजह से ! पहले ही उनकी नज़रे ठीक नहीं और आज तो पूरा मुआइना कर लेंगी उसका ।फिर भी आज उसके चेहरे का ग्लो था या साड़ी के नीले रंग का कमाल कि फीमेल टीचर्स ने तो कॉम्प्लीमेंट्स दिए भी । उसके अंदर की जवान प्रेमिका जाग रही थी ।मीटिंग ख़त्म होने के बाद सोनिया ने प्रिंसिपल से परमिशन ले ली और अमित की बताई जगह पर पहुँच गई जहाँ से अमित ने उसे पिक अप करना था । खड़े खड़े घबरा भी रही थी कि कोई देख न ले ..कोई जान पहचान वाला ..कभी लगता वापिस चली जाए ...।''सही नहीं है इस तरह से जाना ..पर अब मना किया तो अमित बुरा मान जाएगा ..क्या करे ..?...उफ़ ..समझ नहीं आ रहा क्या करू ..!" कभी खुद को तसल्ली देती कि एक बार सिर्फ कॉफी पीने ही तो जा रही है अपने दोस्त के साथ ..क्या शादी से पहले सब दोस्त नहीं मिलते था कॉफ़ी पीने के लिए ..? पर अब शादी के बाद इस तरह ...? '' उधेड़बुन मैं ही लगी थी ..अच्छे बुरे सारे पॉइंट्स गिन लिए,फिर भी लौट जाने के लिए कदम उठे ही नहीं ...जब इन्सान खुद ही खड्डे में गिरना चाहे तो किसी के धक्का देने की ज़रूरत नहीं पड़ती ..। जब दिमाग सही गलत में फर्क न कर सके तो हज़ारो दलीलें भी ज़ाया हो जाती हैं । फिर तो अच्छा तो अच्छा बुरा तो बुरा ही सही कदम उठ गए तो उठ गए । अपनी घबराहट अपनी कन्फ्यूज़न को अपने चेहरे पर झलकने नहीं देना चाहती थी ..बस टाइम से वापिस घर पहुँचने की चिंता खाए जा रही थी शिवम् के आने से पहले । इतने में अमित अपनी कार में आया और कार रुकी और वो बाहर निकल कर आया । कार की दूसरी तरफ का दरवाज़ा खोल कर सोनिया को बैठने को कहा ।
''बैठिये ..सोनिया जी ...!''अमित ने हल्का सा झुक कर कहा मानो कोई ऑनर दे रहा हो ..।
'सोनिया बैठ गई ..तो अमित ने दरवाज़ा बंद किया और फिर अपनी ड्राइविंग सीट पर बैठ कर सीट बेल्ट लगाई ।कार के शीशे काले थे ...।अमित ने भी गॉगल्स लगाये हुए थे ..ब्लैक टी शर्ट न ग्रे जीन्स ..ऊपर से गॉगल्स ने उसकी स्मार्टनेस को इज़ाफ़ा दिया हुआ ।। अमित ने पानी की बोतल देते हुए अमित को कहा ..
'' थैंक्स यार ..डबल थैंक्स ..!"
''डबल थैंक्स क्यूँ .. ?" सोनिया ने अनजान बनते हुए पूछा ।
''कम ऑन यार ..यू नो ...फिर भी चलो मैं तुम्हें बता देता हूँ ...एक तो मेरा दिल रखने को और फिर ये मेरी साड़ी की हसरत पूरी करने को ..। बाई गॉड..यू र लुकिंग सो हॉट न सेक्सी ...! आई फील लाइक हग यू वन्स ...!"अमित ने सोनिया को एक बार पूरी तरह से निहारते हुए कहा।
''ओ ..हीरो ..बस रहने दो .. बातें मत बनाओ और कार चलाओ ..! चलो न जल्दी जहाँ भी कॉफ़ी पीनी है ..मुझे जल्दी घर भी जाना है ..शिवम् घर पहुँच जाएगा और मैं न मिली तो रोएगा । एक घंटा है बस मेरे पास ! सो लेट मत करो प्लीज़ ..। '' सोनिया ने जान बूझकर समय कम होने का बहाना बनया जबकि ३ घंटे थे उसके पास ।लेकिन इस झूठ के पीछे कहीं उसकी घबराहट या डर छुपा हुआ था ।
''लो ..आई हो नहीं और जाने की बाते पहले करनी लगी ।" अमित नाराज़गी दिखाने लगा ।
करीब १५ मिनट बाद एक छोटी से नहर के पास एक छोटे से ढाबे के पास कार रुकी और अमित ने कॉफ़ी न होने की वजह से चाय का ही आर्डर कर दिया ।कार को ढाबे की साइड में एक कच्ची सड़क ढलान की तरफ जाती हुई देख कर चाय के कप हाथ में लिए और सोनिया को उस कच्ची सड़क के रस्ते में पड़े दो बड़े बड़े पथरों पर बैठने का इशारा किया ।
''अब ये क्या है ..ये है तुम्हारा होटल ? यहाँ पत्थरों पर बिठाने को ले आये हो ..हद्द है...' तुम भी न ...! '' सोनिया पत्थर पर बैठने को कतरा तो रही थी पर एक अजीब सा रोमांच भी भर गया था उसके मन में ।
"होटल अभी और आगे है और तुम्हें जल्दी है जाने की जानू..सो यही थोडा वक़्त बिता लेते हैं । यहाँ भी कम लोग ही आते हैं ..डोंट वरी..!"
''लेकिन अमित ...!''
''शश..श ...बैठो न !..देखो इस नदी का पानी ..यहाँ की शांति ..हरियाली ..कितनी सुकून दे रही है ..और साथ में तुम जैसी खूबसूरत दोस्त की कम्पनी ...मेरा बस चले तो मैं यहीं एक घर बना लूँ ..!"अमित अब उसके पास आकर दूसरे पत्थर पर बैठ गया और उसकी तरफ देखने लगा ।
''योर आईज़ आर सो ब्यूटीफुल ....!'' सोनिया असहज सी होने लगी उसके इस तरह से देखने से ..! वो नज़रे चुराने लगी अमित से और यहाँ वहाँ देखने लगी ..।
चाय ख़त्म हुई ..अमित उसका हाथ पकड़ कर उसी कच्ची सड़क पर आगे चलने लगा ।पता नहीं कहाँ जा रही थी ..सड़क ..भी और उन दोनों के मन की चाहत भी ..दोनों खामोश ..कदम दर कदम बढ़ते जा रहे थे ..। अचानक साड़ी की वजह से सोनिया का पैर रास्ते में पड़ी झाडी में अटक गया और वो गिरते गिरते बची । अमित ने सोनिया को अपनी बाँह का सहारा दिया ।अब भी पूछ नहीं पा रही थी की वो कहाँ जा रहे हैं ..क्यूँ जा रहे हैं ..? कच्ची सड़क की इस कंटीली झाडी को तो हटा दिया गया पर ज़िन्दगी की इस कंटीली राह पर वो आगे बढ़ती जा रही है उसका शायद उसे इल्म ही नहीं हो रहा था ! अमित की बांहो का सहारा स्पर्श बनकर उसके बदन को छू रहा था ।अमित की बाहों का कसाव भी बढ़ता जा रहा था । वो इस कसाव में कसमसाते हुए भी एक पर पुरुष के स्पर्श के प्रलोभन को छोड़ नहीं पा रही थी ।एक ठहराव आया पर उनकी ज़िन्दगी में नहीं बल्कि उस कच्ची सड़क के रास्ते में जहाँ एक तरफ झाड़ियों के बीचो बीच कुछ खाली जगह थी, जहाँ अमित उसको ले गया । सोनिया उसको मना न कर सकी ..।शब्द खामोश थे ..कोई कुछ पूछ नहीं रहा था न कोई जवाब देने वाला था ।बस एक दूसरे की ख़ामोशी ही आँखों में एक दूसरे की हाँ में हाँ मिला रही थी ।अमित की बाहों का कसाव बढ़ा तो सोनिया छटपटाकर कर और करीब आने लगी ।वो अमित के आलिंगन में पिघलने लगी । सुधबुध खोकर एक दूसरे के आगोश में खोये रहे काफी देर यूँ ही ।लबों की अधीरता ..कम्पन को दोनों ने महसूस किया ।अमित के हाथ उसके पूरे बदन पर सरगोशी करने लगे ! विरोध न होते देख अमित ने उसके लबों से गर्दन के उस हिस्से तक चुम्बनों की बरसात कार दी जहाँ से देह का आकर्षण आरम्भ होता है । कुछ पलों तक गर्म साँसों को... धड़कनों को सुना ..दुनिया से बेखबर ..एक दूसरे के मौन को अपने प्यार की सहमति देते हुए ! अचानक मोबाइल की बैल ने दोनों के मौन संवाद को तोड़ा..धकेलते हुए खुद को ही इस अनकही ..अतृप्त प्यास से जुदा करते हुए ...बस एक दूजे के हाथ थामे खड़े रहे एक दूजे के सामने ! कुछ देर बाद मन को सँभालते ..साड़ी को सँभालते जोकि इन दो बदन की कसमसाहट में इधर उधर हो गई थी ...ठीक करते हुए वापिस एक दूसरे को चुपचाप ..अपनी कार की तरफ आने लगे ।
लौटते हुए किसी ने एक दूसरे को न ही ब्लेम किया न ही कोई सफाई दी ..ज़रूरत नहीं पड़ी ।शायद उस खुमार से दोनों ही अभी निकल ही नहीं पाए थे । घर पहुंचकर सोनिया बिना कपडे बदले ही बिस्तर पर लेट गई । अभी शिवम् के आने में कुछ वक़्त बाकि था । बार बार मन कच्ची सड़क की उन्हीं झाड़ियों में जा फंसता था । अभी भी अपने बदन से लिपटी साड़ी को दूर करने का मन ही नहीं था ..क्यूंकि उस में अमित के बदन की खुश्बू समाई हुई सी लग रही थी । लग रहा था कभी भी न इस साड़ी को हटाए खुद से लेकिन अपनी भावनाओ पर काबू रखते हुए कपडे बदले और साड़ी को लपेटकर सहेजकर ऐसे रखा अलमारी में मानो कोई परफ्यूम की बोतल बंद करके रखता है कि उसकी खुश्बू उड़ न जाए ।
उस दिन अमित का केवल एक ही मैसेज आया .. ''आर यू ओके न ?''जिसके जवाब में सिर्फ येस लिखा सोनिया ने । अमित को इस अप्रत्याशित हरकत का डर था या सोनिया को खुद पर नियंत्रण न रख पाने का कोई मलाल, इसका किसी को कोई अंदाज़ा ही नहीं था । ३ दिन ख़ामोशी से बीते कि चौथे दिन अमित ने अपनी उस हरकत के लिए सॉरी कहा ।लेकिन मर्दो की फितरत होती है न अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से सॉरी कहते कहते भी अपनी प्रेमिका या गर्ल फ्रेंड को फिर उसी राह पर लाने कि कवायद करते रहेंगे ।एक तरफ सॉरी ऊपर से औरत की ..अपनी प्रेमिका की सुंदरता की तारीफ ..कभी उसकी आँखों की कभी लबों की ...कभी उसको खुश करने के लिए उसके टैलेंट ..उसके आत्मविश्वास की ..वगैरह वगैरह करते रहेंगे जब तक कि उसको पूरी तरह शीशे में उतार न ले । अमित ने भी अपने प्यार कि छाप ऐसी छोड़ी सोनिया के तन बदन और मन पर कि अब वो आसानी से हटने वाली नहीं थी । एक हफ्ते तक इस सॉरी के बाद कोई मैसेज नहीं आया अमित का । सोनिया हैरान परेशां छटपटाने लगी ।"आखिर क्या हुआ है ...कोई गलती हो गई ..मैंने कुछ कहा ही नहीं फिर वो बात क्यों नहीं कर रहा ...क्या एक ही मीटिंग में उसका मन भर गया ? ...पता नहीं क्या क्या उलजुलूल ख्याल दस्तक देने लगे ।कभी लगता अच्छा ही हुआ ..क्या कर रही है वो..अंशुम के प्रति बेवफाई का ख्याल आते ही वो अंदर तक काँप जाती । खुद से बार बार वादा करती नहीं ,''यह सब गलत है ..इस तरह से बहकना ठीक नहीं ! वो एक पत्नी है ..माँ है ..उस पर एक टीचर भी ..क्या आदर्श दे पाएगी वो ..?" लेकिन मन सारी आदर्शवादिता को अगले पल भूल जाता ..हर रिश्ते को..! सोनिया खुद को अवॉइडेड सा महसूस करने लगी उसकी तरफ से कोई मैसेज न पाकर ... कभी सोचती खुद ही मैसेज करके पूछ ले ..लेकिन फिर खुद का इस तरह से उतावलापन कहो या अपने आप मैसेज करना ''चीप'' हरकत न लगे का विचार मन में आ जाता और रुक जाती। बेचारी फ्लर्टिंग का अहम् हिस्सा ही नहीं समझ पाई ..मर्दो का ..जाल में मछली फ़साने का फंडा ! मछली जैसी हालत कर देंगे ...कि अपने प्यार रुपी जल में पहले तैरने देंगे और फिर उसकी हालत ऐसी कर देंगे कि उस प्रेम जल से निकलोगे तो भी वो मरेगी ही तड़पकर ...सोनिया भी बेबस हो गई । सब दलीलें व्यर्थ साबित हुई ....चीप हो या बेकार ..अब वो अमित से बात किये बिना रह नहीं पा रही थी । उसने मैसेज किया अमित को तो उसने बिजी होने का रिप्लाई किया ।