ठाकर करे ई ठीक HASMUKH M DHOLA द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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ठाकर करे ई ठीक

ठाकर करे ई ठीक

Dhola Hasmukh M.

पात्रो

सुधीर बासु :ये २५ साल का सीधासादा बेंगाली लड़का है ,जो गुजरात आया है काम करने के लिए
ये कुर्ता और पज़ामा पहनता है ,उस पर कोटि पहनता है, चहेरे पे काले रंग का चश्मा पहनता हैं और थोडा सावला है, और ऊंचा भी है, स्वाभाव से ये थोडा गम्भीर और शांत है

मधुर तिवारी : ये वाराणसी से आया हुआ ब्राह्मण का २५ साल का लड़का है, ये अपने बाल कि बड़ी चोटी रखता है ,ये ये जींस पेंट और कुर्ता पहनता है ये सदा बाते सतरंगे मिजाज में ही करता है ,बड़ा ही सुन्दर ऊपर रमूजी लड़का है और हट्टा-कट्टा भी है

राजीव रोड़ी :ये गोआ से आया हुआ क्रिस्चियन लड़का है ये बहोत ही क्रीटिव और जोशीला लड़का है
ये पेंट और शर्ट ,और सर पे डिरेक्टर कैप पहनता है ,उसके बाल करली है ,और गले में स्कार्फ़ रखता है, इसकी उम्र २६ साल कि है

अफ़ज़ल खान: ये गुजरात में ही रहता है, और इसका अंदाज़ गुजरात के शेर के जैसा है, ये बड़ा ही ड्रामेबाज़ लड़का है, गोरा ,हैंडसम ,और प्यारासा है,ये वसपा रखता है ,किन्तु इसकी स्कूटर के हर इक स्पार्ट्स अलग-अलग रंग के है ,इस के ऊपर एक्टिंग का भूत सवार है, ये हमेशा स्टाइल में ही रहता है और ये मॉडर्न कपडे ही ज्यादातर पहेनता है

डॉली आंटी: ये उन चारो के घर कि मालकीन है ,इसके नाम कि तरह ही वो है, इसकी आवाज़ बहोत भारी है ,और इसका शरीर भी बहोत भारी है, ये किराए कि बात में बड़ी सख्त है किन्तु दिल से बहोत ही अच्छी है ,इसकी उम्र करीब ४० साल के आसपास कि होगी

डैनी :ये डॉली आंटी कि बेटी है ,बहोत ही सुन्दर है ,इसे डांसिंग का बहोत ही शौख है ,ये हर तरह के कपडे पहनना पसंद करती है,और बहोत ही बोलती है


मानिकचंद :ये ४० साल के आसपास का इंसान है जो शेर-ब्रोकर का काम करता है, ये ज्यादातर डील्स कि ही बाते किया करता रहता है ये पेंट-शर्ट पहनता है ,और उसके सर में बहोत बाल नहीं है,और इसकेकरण थोडा दुखी भी रहता है
मुकुला भाभी : ये मानिकचंद कि पत्नी है ,बहोत ही सुन्दर है , धार्मिक है ,ये ज्यादातर पूजामे ही लगी रहतीहै, ये थोड़ी पैसो कि बाबतमे कंजूस है ,और इसे सजना-धजना बहोत पसंद है

मौसमी :ये मानिकचंद कि बेटी है करीब २५ साल कि है ,ये बहोत ही सुन्दर है इसे गाने का बड़ा ही शौख है, ये थोड़ी शर्मीले स्वाभाव कि ही ,

भोजलराम: ये ३२ साल का बड़ा ही रमूज इंसान है ,ये होटल में काम करता है ,इसे दूसरोंको किस्से सुनना बहोत ही पसंद है ,ये पेंट-शर्ट पहनता है ,ये अकेला वहा रहता है ,

मंगल महेता :ये करीब 45-50 साल का इंसान है, ये अपने आप को भूमि पुत्र कहलाता है इसलिए इसने अपना नाम मंगल रखा है ,ये जमीन-ब्रोकर का काम करता है, ये धोती, कुर्ता और काली बंदी और सिरपे काली टोपी पहनता है ,ये बिलकुल वानिया व्यापारी कि तरह दिखता है ,और ये बाते बहोत मीठी-मीठी करता है

दकुभाभी:ये प्योर गुजराती नारी ही ,जोसड़ा रंगीले अंदाज़ में ही रहती है ,इसका पति दूसरे बड़े शहर में काम करता है ,इसीलिए ये अपनी बेटी के साथ अकेली रहती है ,ये पुराणी बातो में ज्यादा मानती है

रेवती : ये दकु भाभी कि बेटी है जो १३ साल कि है ,बहोत ही क्यूट और सुन्दर है

Location

ये बहोत ही प्यारी सोसाइटी है जिसका नाम महावीर सोसायटी है ,यहाँ सभी टेनामेंट के डुप्लेक्स हॉउसीस है, इसके आगे छोटा सा प्यारा मैदान है ,और पास में ही बहोत ही सुन्दर गार्डन है , यहाँ सभी लोग जिलमिल कर रहते है और बड़े प्यार से अपना जीवन जीते है ,और सभी इक दुसरो कि मदद करते है
यहाँ सभी मकान आमने-सामने है,

पहेले नंबर में डॉली आंटी और इसकी बेटी रहती है ,और उसके सामने ही मंगल महेता रहता है
उसके बाद के घर में भोजलराम रहता है और उसके सामने, के घर में दकु भाभी और उसकी बेटी रहती है उसके बाद के घर में वे चारो लडके रहते है और उसके सामने मानिकचंद और उसका परिवार रहता है , और आखरी घर में भावेश भोजानी रहता है

सुबह का समय है ,सूर्यनारायण अपने प्रकाशसे धरतीको धीरे-धीरे प्रकाशित कर रहे है , बड़ा ही शांत

वातावरण है और मधुर संगीत बज रहा है ,इतनेमे सोसायटी के गेट की ओर से अफ़ज़ल, मधुर, और

राजीव सुबह -सुबह की वॉकिंग करके वापस आ रहे है , तीनो वॉकिंग के ड्रेस में है, थोड़े थके हुए है

और उसे प्यास लगी है

अफ़ज़ल: अरे यार आज प्यास बहोत जल्दी लग गयी , क्यु…?
राजीव: तो पहेले जनाब को धीरे-धीरे लगती थी क्या …?
(ये सुन कर मधुर लटका लगाके बोलता है की)
मधुर: ना … ना... तब जो उसे आहिस्ता… आहिस्ता … लगती थी
(ये सुनकर सब हँसने लगते है और गेट में प्रवेश करते है तो वो देखते है की मंगल महेता सुबह-सुबह धोती और बनियान पहने हाथ में जल का लोटा लिए हुए बाहर सूर्यनमस्कार करने आ रहा है ,ये देख कर राजीव उन दोनों को कहता है की, )

राजीव: अरे ,दोस्तों ,तुम्हारी समस्या का समाधान मिल गया है,
अफ़ज़ल: वो कैसे, ?
राजीव: तुमको तो सिर्फ पानी ही पीना है ना, !!!
अफ़ज़ल: हां यार , बहोत प्यास लगी है , पानी तो पीना ही पड़ेगा अब ,

वरना इक कदम भी आगे नहीं चला जाएगा

(बहोत ही थका हुआ है ऐसी एक्टिंग करता है )
राजीव: तो जैसा मै कहेता हु वैसा करना
मधुर: वैसा करने से पानी हमारे सामने आएगा …?
राजीव: अरे बुद्धू पानी हमारे सामने नहीं , बल्कि हम पानी के सामने जायेंगे ,तू सिर्फ देखताजा ,और पानी

पीताजा,

(अब राजीव उन दोनों को उनके कान में कुछ छुपी बात कहेता है ,और बाद में मंगल महेता कि तरफ

चलने लगते है, यहाँ मंगल महेता सूर्य नारायणके सामने खड़े हो कर हाथ में जल का लोटा लिए हुए

,अपनी आँखे बंध करके सूर्य-वन्दना कर रहे है, इतने मे वे तीनो उसके पास आते है और)

मंगल महेता : सुर्यवन्दना का श्लोक बोल रहे है

(अब जैसे ही मंगल महेता ,अपने हाथ के लोटे में रखे हुए जल को सूर्यदेव को अर्पण करने के लिए
लोटे में से धरती पर गीराते है, कि तुरंत अफ़ज़ल ,उसके सामने अपने घुटने पर बेठ कर वो

पानी पिने लगता है , जैसे ही उसकी प्यास बुज गयी , तो तुरंत खड़ा हो गया और बाद में मधुर

उसकी जगह ,उसीकी तरह पानी पिने लगता है , और अंत में राजीव भी ऐसा ही करता है , जब ये

पानी पीते है तो बाकीके दोनों खड़े-खड़े मनही-मन हसते है..)

पानी पिने के बाद राजीव उन दोनों को कहता है कि,
राजीव: चलो-चलो , जल्दी यहाँ से निकले , यदि मेहताजी ने हमको देखलियाना तो ,ये पीया हुआ पानी सब

यही ही निकालना पडेगा, .
मधुर: हां … हां … यहाँ से अब हमें जल्द ही प्रस्थान करना चाहिए , वरना बड़ी भारी समस्याका सामना

करना पड़ेगा
अफ़ज़ल: तो फिर खड़े क्यों हो , ?
उनकी आँख खुलने कि राह देख रहे हो क्या …?
दोडो जल्दी

और वे तीनो वहासे चलने लगते है ,चलते -चलते वे पीछे मुड़कर भी देखते जाते है , इतने में मंगल

महेता कि सुर्यवन्दना पूरी होती है और ,भगवान् सूर्यनारायण को प्रणाम करके जैसे ही उसकी नजर

धरती पर पड़ती है तो वो दंग हो जाता है , और इक कदम पीछे कूद जाता है, और अपने हाथ में रखे

हुए लोटे में देखता है , और उसे ऊपर-निचे घुमाता है ,

मंगल महेता : अयीईईईईईईईई...... इस लोटे में से पानी कहा गायब हो गया , इक बूंद भी नहीं धरती पर गिरी ,

और नाही इक बूंद इस लोटे में बची है ,
तो फिर ये सारा पानी गया कहा..........?

वो ये देखकर हेरना सा हो जाता है और वो सोसायटी में इधर-उधर देखने लगता है लेकिन कोई उसे

दिखाय भी नहीं देता ,तो वो मन ही मन सोचमे पड़ जाता है कि

आखिर इन लोटे में से पानी गया कहा....?

लगता है कि आज कोई बड़ा ही अनर्थ होने वाला है ,
आज मा को मै पानी भी नहीं पिला सका
(उतनेमें भोजलराम तैयार हो कर जॉब पर जाने के लिये अपने घरसे बाहर आता है ,और वो

देखता है कि मंगल महेता आज थोडा व्याकुलसे है और इधर-उधर हाथमे लोटा लिए हुए टहल रहे है

,और साथ में चिंतित भी दिखाय दे रहे है तो भोजल राम बोलता है कि,)...

भोजलराम: अरे!!!! आज ये मेहताजी को क्या हो गया ,सुबह-सुबह में ?
बड़े चिंतित मालुम पड़ते है , लगता ही कि कोई समस्या जरूर है , चलो चल के देखता हु, (वो मंगल

महेता के पास आता है,मंगल महेता के पास आकर )
भोजलराम: गुड मॉर्निंग , मेहताजी

मंगल महेता : (भोजलराम को देख कर )अरे!!! आओ भोजलराम, अच्छा हुआ कि तुम आ गए
भोजलराम: क्यों क्या हुआ ?,
कोई समस्या है मेहताजी ?
मंगल महेता : अरे भैया समस्या नहीं , महासमस्या कहो,
भोजलराम : क्यों ऐसेतो सुबह-सुबह आपके साथ क्या हुआ ?

मंगल महेता : अरे भाई क्या बताये आपको , मै भला सूर्यभगवान को जल अर्पण करा रहा था......

(तो भोजलराम बिचमेंही बोलता है)
भोजलराम: तो जल अर्पण करना आपकी समस्या है ?
अच्छा …अच्छा... पानी कि समस्या है ?
मंगल महेता : हां ,भाई ,पानी कि ही तो समस्या है

भोजलराम: तभी , आप खाली लोटा लिए हुए इधर-उधर टहल रहे हो ,
कोई बात नहीं मेहताजी , इक काम करो . लोटा मुझे दो मै आपको उसमे पानी भरके ला देता हु

(ये सुनकर मेहताजी थोड़े गुस्से में आ जाते है और बोलते है)
मंगल महेता: (थोड़ी जोर आवाज में )अरे!!!! चापलू ,
पानी भरने कि समस्या नहीं है
ये सुनकर भोजलराम थोडा घबरा जाता है कि सुबह सुबह मेहताजी ये क्या कह रहे है
भोजलराम : किन्तु मेहताजी अभी-अभी तो आप यही कह रहे थे कि पानी नहीं है
मंगल महेता : अरे!!!!! मै ये कह रहाथा की पानी यहाँ लोटेमे भी नहीं है ,और इस धरती पर भी नहीं है, तो पानी

गया कहा ?
भोजलराम : किन्तु कौनसा पानी, ?
आप तो खाली लोटा लिए हुए इधर-उधर टहल रहे हो ,तो फिर पानी आपके पास आया कहा-और

गया कहा ...?
(ये सुनकर मेहताजी को और गुस्सा आता है ,किन्तु इसबार वो गुस्से को थोडा कंट्रोल करते है और धीरे से

भोजलराम को बताते है)

मंगलमहता : भोजू ,बात जरासर ये है कि मैंने पानी से भरे हुए लोटे से भगवान सूर्यनारायण को जल अर्पण किया

था,
भोजलराम: तो जब जल अर्पण हो गया है तो , फिर अब समस्या क्या है ?
मंगल महेता : समस्या यह है कि , जब मैंने देखातो उस जलकी इक बूंद भी इस धरती पर नहीं पड़ी और नहीं इस

लोटेमे रही , ,तो वो पानी गया कहा ?
(ये सुनकर भोजलराम हेरान सा रह जाता है और बोलता है )

भोजलराम: अरे!!! देवा, क्या कह रहे हो ,मेहताजी, ?
पानी गायब हो गया .....?
मंगलमहेता: हा , यही तो समस्या है

(इतनेमे भोजलराम मानिकचंद को बुलाता है)
भोजलराम: अरे ओ मानिकचंद भाई ,बहार आओ तो
(भोजलराम कि आवाज सुनकर मानिकचंद बाहर आता है ,उसने अभी कुर्ता, पज़ामा ,पहना है और

हाथ में उसका बड़ावाला मोबाइल है ,मानिकचंद बाहर आकर )
मानिकचंद: क्या बात है ,भोजलराम ?
क्यों इतनी सुबह सुबह शोर कर रहे हो , क्या हुआ ?
भोजलराम : अरे ,मानिकभाई, क्या बताऊ आपको , ?
मानिकचंद: अरे जब , तुजे ही पता नहीं है कि क्या बताना है , तो फिर मुझे क्यों पूछ रहा है ?
भोजलराम : अरे , ऐसा नहीं है ,
मानिकचंद : तो फिर कैसा है.......?
भोजलराम : अरे ,मेहताजी का पानी गायब हो गया है
मानिकचंद: (बड़े आश्चर्य के साथ ), क्या ,,, मेहताजी का पानी गायब हो गया ?
कहा, कब , और कैसे ?

(इतने में मुकुलाभाभी भी बहार आती है , हाथमे आरती की थाली है)

मुकुलाभाभी : क्या हुआ ,भोजलरामभाई ?
भोजलराम ; अरे भाभी क्या बताऊ आपको ?
कि मेहताजी का पानी गायब हो गया
मुकुलाभाभी : मेहताजी का पानी गायब हो गया (हैरानी से )
(तीनो मेहताजी के पास आते है , इतने में सामने से डोली आंटी बहार आती है )
डॉली आंटी : अरे ओ भोजलराम ,क्या हुआ ,सुबह,सुबह इतना शोर क्यों मचा रहे हो ?...

भोजलराम : नहीं ,नहीं , शोर मैंने नहीं मचाया ,,शोर तो आज मेहताजी के पानी ने मचाया है
(ये चारो मेहताजी के पास आते है)

सब साथमे महेताजीको पूछते है
सब: क्या हुआ मेहताजी, ,सुबह, सुबह इतने परेशान क्यों है आप ?
और हम ये भोजलराम से क्या सुन रहे है कि आप का पानी गायब हो गया ?
मंगल महेता : जी हा भोजलराम सही कह रहा है , मेरा पानी गायब हो गया है

डॉली आंटी : किन्तु पानी कैसे गायब हो सकता है
मानिकचंद: हा, सही बात है, पानी गायब कैसे हो सकता है

मंगल महेता : यही तो समस्या है , कि पानी गया कहा, ?
मुकुलाभाभी: अच्छा ,मंगलचाचा आप पहेले ये बताओ कि आखिर में हुआ था क्या ,आपके साथ
(मंगल महेता सबको वो कहानी बताता है जो उसके साथ घटित हुयी है , ये सुन कर सब )
सब: क्या......?

मंगल महेता : हा,

मानिकचंद : तब तो ये वाक़ेय में समस्या है
डॉली आंटी : किन्तु अब करना क्या है , ये जरा सोचो ,
अब तो पानी को जहा जाना था ,वहा जा चूका है ,फिर हम सब उसके पीछे क्यों शोर मचा रहे है ?

मंगल महेता ; डोलीजी, ये शोर मचानेकी बात नहीं है, ये समजने कि और सोचनेकी बात है कि आखिर ये पानी

गया है तो गया कहा ?

भोजलराम: हा मेहताजी सही कह रहे है

(ये सब चल रहा होता है , तो इतनेमे पीछे से वे तीनो फ्रेश हो कर तैयार हो कर आते है , )

अफ़ज़ल: क्या हुआ मंगल चाचाको ?
(इतनेमे मधुर और राजीव दोनों साथमे बोलते है )
मधुर और राजीव : हा, हा , क्या हुआ चाचाजीको ?

(तभी मुकुलाभाभी ने कहा की )
मुकुलाभाभी: चाचाजी का पानी उसके लोटे मे से गायब हो गया है
(ये सुनकर वे तीनो हंसने लगते है और अफ़ज़ल बोलता है)

अफ़ज़ल: पानी , और लोटे में से गायब हो गया, ऐसा भला कभी हो सकता है क्या, ?
राजीव: सही कह रहा है , अफ़ज़ल, पानी कभी लोटे में से गायब हो सकता है क्या ?

(ये सुनकर मंगल महेता को ओर गुस्सा आया और वो बोले )
मंगल महेता : अरे बदमाशो . हो नहीं सकता किन्तु आज हो गया है
(ये सुनकर मधुर को बड़ी हसी आयी , और वो हसने लगता है , ,तो सब उसकी तरफ देखते है)

मधुर : अरे , चाचाजी , आज तक ऐसा ही सुना था की किसीकी जेब में से पैसे गायब हो गए है,
किसीकी बैग में से उसका सामान गायब हो गया है , और आज ये पहेली बार सुना है कि चाचाजी के

लोटे में से पानी गायब हो गया है ...,हा,....हा...,हा...

भोजलराम: अरे , मधुर , तूने सही ही सुना है, आज ऐसा ही हुआ है , चाचाजी के लोटे में से पानी गायब हो गया

है , वरना तुम ही बताओ कि वो सूर्य नमस्कार का पानी जाए कहा.....?

(अब तो शोर बकोर और भी ज्यादा हो गया है तो अब दकुभाभी बहार आती है , और सामने से मौसमी

आती है , और साथ में डॉली आंटी कि बेटी डैनी भी आती है, दकुभाभी जोर से अंदर घुसजाती है ,और

सबको पूछने लगाती है )
दकुभाभी : क्या हुआ , मंगल चाचा को ?,हा भोजलराम भाई, क्या हुआ ?
भोजलराम : अरे दकुभाभी , अब, तो ये बात बताते , बताते तो मै थक गया हु ,
दकुभाभी: अच्छा , तो मानिकचंद भाई , अब आप ही बता दीजिये , क्या हुआ मंगल चाचा को ?
मानिकचंद : मंगलचाचा का पानी गायब हो गया है , और कुछ नहीं है

दकुभाभी: (बड़ी हैरानी के साथ )पानी गायब हो गया है ?

मंगल महेता : हा दकुड़ी, मेरे लोटे में से पानी गायब हो गया है, पता नहीं कहा गया है ,
दकुभाभी: पर, ये कैसे हो सकता है ?
भरे हुए लोटे में से पानी कैसे गायब हो सकता है ?
मंगल महेता : तुही देखले दकुडी (दकुभाभी को वो जगह दिखाते हुए )
ये है वो जगह जहा में खड़ा-खड़ा सूर्यनमस्कार करा रहा था , और ये है वो लोटा, अब इस लोटे में भी

नहीं है पानी कि इक बूंद और इस धरती पर भी नहीं है इक भी बूंद ,
दकुभाभी : बात तो आप कि सही है चाचाजी , किन्तु , यदि आपके लोटे में पानी था , तो वो पानी जमीं पर

गिरनेसे पहेले गया कहा,?

(ये सुनकर अब , मधुरसे रहा नहीं गया , और वो और जोर जोर से हसने लगा , उसको इस प्रकार हसते

हुए देख कर चाचाजी को बड़ा गुस्सा आया ,और वो बोले,)

मंगल महेता ; अरे चाप्लुडीना !!!!!! यहाँ सब परेशान हो रहे है , और तुजे वहा खड़े खड़े हँसी आ रही है
मधुर ; चाचाजी , हसु नहीं तो मै और क्या करू ,?
आप सभी इक लोटे पानी के लिए इतने परेशान हो रहे है , की जितना कोई अपना कीमती सामान

गायब होने पर परेशान होता है
मानिकचंद : इसका मतलब कि तुजको पता है कि पानी कहा गायब हुआ है ?

मधुर; इसमे पता कि क्या बात है , अंकल ,
ये बात तो हम सभी जानते है कि पानी कहा जाता है ?
डॉली आंटी : (तुरंत पूछती है ), हां तो बताओ पानी कहा जाता है ,
( ये सुन कर डैनी बोलती है) ,
डैनी : जहा प्यास होती है , पानी वहा जाता है (मधुर के सामने देखती है और थोडा मुस्कुराती है फिर शर्माती

है , मधुर उसके सामने देखकर मारक हास्य करता है )
मधुर : इक दम सही जवाब , हम सब, जानते है कि जहा प्यास होती है पानी उसीके पास ही जाता है ,
सही है कि नहीं ?

मुकुलाभाभी : बात तो सही है , किन्तु उसका मतलब क्या ?

(ये सुनकर राजीव बोलता है )
राजीव: मतलब ये है आंटी कि , जो प्यासा होता है ,उसे प्यास लगती है ,
लगती है कि नहीं ?