किराये की कोख bhagirath द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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किराये की कोख

किराए की कोख

‘रंजन तुम्हें संतान चाहिए ?’

‘हाँ, क्या तुम्हें नहीं चाहिए ?’

‘चाहिए क्यों नहीं, लेकिन—‘

‘लेकिन क्या ?’

‘मैं सोचती हूँ थोडा ठहरा जाय”

‘बत्तीस की हो रही हो, फिर कंसीव करना मुश्किल हो जायगा ‘

‘इसका भी हल है, चाहे तो अभी कर लो ‘ रंजना ने कहा .

‘सच कह रही हो, दिल से ‘

‘हाँ हाँ लेकिन यह तो पूछो कि हल क्या है ‘

‘हाँ हाँ जल्दी बताओ ‘

‘हम किराए पर कोख ले लेंगे, रज मेरा और वीर्य तुम्हारा होगा.टेस्ट ट्यूब में गर्भाधान हो जायगा और फिर एम्ब्रियो (भ्रूण ) को किराए की कोख में इम्प्लांट किया जायगा ‘रंजना ने पूरा प्लान रंजन के समक्ष रखा .

‘पर यह सब क्यों! जब तुम कंसीव कर सकती हो ‘

‘करियर पर ध्यान देना है, प्रसव पीड़ा,सिजेरियन और नाना प्रकार की हैल्थ प्रोबलम फिर डिस फिगर होने का अंदेशा भी तो है ‘

‘मुझे नहीं लगता कि ऐसी संतान मुझे अपनी लगेगी .फिर किराए की माँ तो असली माँ हो जायगी.

जन्मना माँ की समस्या? उसके ममत्व का क्या करोगे ? फिर बच्चा भी तो जानेगा कि उसकी तथाकथित माँ उसकी असली माँ नहीं है ,

“तब तुम्हें कैसा लगेगा ‘

‘हाँ तुम कह तो सही रहे हो ------‘

‘माँ बनने की प्रक्रिया में ही ममत्व और पितृत्व जगता है प्रकृति का ऐसा ही आयोजन है ‘

‘जब संतान चाहिए तो माँ बनने में कोई प्रोब्लम नहीं ‘रंजना ने निर्णय सुना दिया.

‘हुर्रे यही हुई न बात” और रंजन ने उसे बड़े प्यार से अपनी बाँहों में समेट लिया वह कुनमनाती उसके सीने में धंस गई ‘

चीखें

इतिहास का एक पन्ना

मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़गढ़ ] रानी पद्मिनि का रंगमहल ] रंगमहल में तहखाना ] यही है जौहर स्थल] युद्ध में खेत रहे वीरों की वीरांगनाओं का जौहर] महल के अन्दर -बाहर उत्साह और उमंग भरे बजते ढोल -नगाड़े । हवा में लहराती नंगी तलवारें । मेवाड़ अमर रहे ! सती मैया की जै! जै-जैकार करती उमड़ती भीड़ । लाल चूनर ओढ़े जौहर स्थल की ओर बढ़ती वीरांगनाए¡ ] मंगल आरती व बरसते फूलों के बीच ] भय आकांक्षा से ग्रस्त ] पूर्णाहुति के लिए तैयार चार-पांच सीढि़या¡ नीचे उतर कर तहखाने से उठ रहीं आग की लपटों को समर्पित होती वीरांगनाएW ,मेवाड़ की आन -बान- शान के लिए इस परम बलिदान को याद रखेगा इतिहास ।

वीरांगनाओं का जौहर इतिहास में दर्ज है ] लेकिन उनकी भयानक चीखें ] उस उन्मादी शोर - शराबे में कहीं खो गई । इतिहास उन चीखों को दर्ज नहीं कर पाया ] आज इन चीखों की गूWt ]उस तहखाने से आती साफ सुनाई दे रही हैं ।

इतिहास का दूसरा पन्ना

प्रज्जवलित चिता पर अपने भाई की मृत देह के साथ धू-धू कर जलती अपनी जिन्दा भाभी की भयानक चीखें राजाराममोहन राय को ‘होंट’ करती रही। उनकी आत्मा इस अमानवीय कृत्य को देख बैचेन हो उठी ] विधवाओं को जिन्दा जला डालने का सामाजिक -धार्मिक समारोह । पंडितों के घोर विरोध के बावजूद राजाराम मोहन राय की मुहिम पर ब्रिटिश शासन ने इस पर रोक लगायी] लेकिन विश्वासों और आस्थाओं का कारवां चलता रहा।

इतिहास का तीसरा पन्ना

बीसवीं सदी का उत्तरार्द्ध राजस्थान के दिवराला गावॅं में अठारह वर्षीय रूपकंवर का आत्मोत्सर्ग ] दुल्हन की तरह सज -सवंर कर सुहागिन मरने का स्वप्न साकार करती रूपकवंर बैंडबाजों के साथ शोभायात्रा । मंगल गीत गाती सुहागिनें भय और आशंका से रोमांचित हैं ] लोग सतीमैया को साष्टांग कर रहे हैं । नंगी तलवारें लिए नौजवान पहरे पर हैं । एक उन्मादी भीड़ महा बलिदान की गवाह बन रही है । पुलिस हरकत में आये तब तक सब स्वाहा हो जाता है । अन्त्येष्टि स्थल पुण्यस्थल ओर पूजास्थल हो जाता है।

रूपकवंर की चीखें संसद में भी गूंजी ] सती रोकथाम अधिनियम फिर पास हुआ ] लेकिन.......*^कब तक यह कलंक महिमा मंडित होता रहेगा ** !

फेस बुक की एक पोस्ट

फेसबुक की न्यूजफ़ीड पर एक फ़्रेंड ने एक युवती का फोटो पोस्ट किया। जींस और टांप पहने,

एक हाथ में सुलगती सिगरेट और दूसरे हाथ में थमी बोतल ओठों से लगाकर सुरापान कर ती हुई।कुछ ही मिनटों मे 312बार लाइक बटन दब गया,पचास लोगों ने शेयर किया चालीस लोगों ने कमेंट किया।कमेंट सभी पुरुष मित्रों के थे। कमेंट कुछ इस प्रकार थे-

-नाइस पिक्चर

-वाह! क्या बात है

-नौटी गर्ल

-दो घूंट पिला दे साकिया

-क्या मस्त लौंडिया है!

-बिंदास बिल्लोरानी

-पी पी के बोतल खतम कर दित्ति

-खाली हो गई अब रख दे

-दो घूंट जिन्दगी की

-नाईस बट्स

-अब हमें भी साथ लेलो डार्लिंग

-मेरे नाल भी तो थोडी पी लो

-कौन है यह कमीनी

-ओ भेन दी---देसी दारू दा मोटा पेग और नाले सुट्टे

-वाह मेरे उस्ताद बेवडे

-एक घूंट तो बचा दे कम से कम

-गुड जौब एंजोय एवरी मोमेंट ओफ़ लाइफ

-जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,पीओ पिलाओ लाइफ बनाओ, कैरी औन बेबी

-गो अहेड ओफ बोइज

-किसके गम में पीना शुरू किया

-मैं हूं ना, गम दी कोई लोड नहीं, लव यू बेबी

-अरे मामू क्यों बना रही है,बोतल खाली है

-खाली क्यों भरी हुई पियो

-इस तरह की लडकियों ने सारी लडकियों का नाम खराब कर दिया है

-भारतीय संस्कृति और परिवार का क्या बनेगा कीमा या भुर्ता

-जहां मिले मुंह काला करो

-यार एक पेग मेरे लिये भी

-हम भी जोईन कर लें

-अकेले अकेले डार्लिंग हम भी तो है

-ज्यादा ना पी।धुम्रपान करना गलत बात है

-देखो लडकियों सुधर जाओ

-अकेले अकेले पी रहे हो मेरे साथ भी पिओ कभी

-बीवेयर ओफ सच गर्ल्स

-सुधर जा बेवडी

-मेरी गोदी मे आ जाओ डार्लिंग फिर पिओ पिलाओ

-चलो चांद के पार चलो

-खतरनाक लडकियां

आखिर में फोटो पेस्ट करने वाली दोस्त का मोटे अक्षरों में कमेंट था-

-दारू पीती और सुट्टे लगाती लडकी क्या सडक पर पडा माल है जो उठा लोगे ,और उससे मनचाहा व्यवहार करोगे। हमें सुधारोगे ?पहले तुम लोग सुधर जाओ।

इन बॉक्स

फेस बुक की पोस्ट के कमेन्ट बॉक्स में कई लोग व्यक्तिगत टिपण्णी करने लगते है .

‘व्यक्तिगत बात करनी हो तो इन –बॉक्स में आइए.’

‘थेंक्स कि आपने मुझे इन –बॉक्स में इनवाईट किया ‘

‘कहिए क्या कहना चाहते थे ‘

‘मेम आप बहुत स्वीट और क्यूट है ‘

‘इस तरह के दसियों मैसेज इन –बॉक्स में रोज ही आते रहते है ‘

‘मैं आपकी प्रत्येक पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़ता हूँ, मैं आपका फैन हूँ ‘

‘थेंक्स, गुड नाइट’ और वह फेस बुक पेज से आउट हो गई.

दूसरी शाम उसे ओनलाईन देखते ही –

‘गुड इवनिंग मेम’

‘जनाब अब क्या कहना है ?’

मेम आप बहुत ब्यूटीफुल है –‘

‘तो --?’

आई लाईक यू वेरी मच मैं आप से बात करना चाहता हूँ. प्लीज गिव योर सेल नंबर ‘

‘आई डोन्टगिव सेल नंबर तो अननॉन’

‘लेकिन हम दोस्त है मेम’

‘नोट रीअल फ्रेंड ‘

‘’मैं आपसे बात करना चाहता हूँ और आपसे मिलना चाहता हूँ ताकि हम एक दूसरे को जान सकें

‘आप अपनी वकालात पर ध्यान दे ‘

‘प्लीज मेम कमसे कम अपना सेल नंबर तो दे दें ‘

‘डोन्टवेस्ट माई टाइम ‘

‘तो इन बॉक्स में ही मेरे साथ एन्जॉय करिए.’

‘वाट डू यू मीन !’

‘डोन्ट गेट एंग्री बेबी ,एन्जॉय बेबी एन्जॉय ‘

‘ यू बास्टर्ड ‘

गुड नाइट सी यू अगेन ‘ और वह फेस बुक से आउट हो गया.

सुनीता

सुनीता अभी राजकीय कन्या पाठशाला की नौवीं कक्षा में पढ़ रही थी, उम्र कोई पन्द्रह वर्ष .वह एक मेधावी लडकी थी उसके सपने थे कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर एस डी ऍम बनेगी .तब एस डी ऍम की तरह उसका भी सम्मान और रुआब रहेगा .

सुनीता के परिवार में कुछ और ही चल रहा था .माँ चिंतित कि लडकी बड़ी हों गई है ,अब उसके विवाह के बारे में सोचना चाहिए .वैसे भी सुनीता हष्टपुष्ट थी सो वह अपनी उम्र से कुछ अधिक लगती थी .सारी ऊँच-नीच युवा होती लडकी के बारे में ही क्यों होती है ?पिता ने कुछ रिश्तेदारों से बात चलाई .एक दिन एक व्यक्ति सुनीता को देखने उनके घर आया .माँ ने चाय नाश्ते की ट्रे लेकर सुनीता को बैठक खाने में भेज दिया .पिता ने अतिथि से कहा ,”राधेश्यामजी यह हमारी बिटिया सुनीता ,नौवीं कक्षा में पढ़ती है और हमेशा अव्वल आती है.”एक नजर में ही राधेश्यामजी को सुनीता भा गई .

लडकियां सूंघ ही लेती है कि उसके परिवार में उसे लेकर कुछ और ही पक रहा है सो उसने माँ से पूछा-ये महाशय यहाँ क्यों आए हैं ?

“यूँ ही मिलने आए है ,किसी ने इन्हें हमारे घर भेजा है .ये अपने बेटे के लिए लडकी देख रहे हैं .” माँ ने जबाब दिया .

सुनीता का अंदाजा सही निकला .इन्हें मेरे पढाई –लिखाई की चिंता नहीं ,बस इन्हें तो मुझे विदा करने की पड़ी है ,

माँ से कहा ,” माँ मैं पढ़ रही हूँ .मैं किसी सूरत में पढाई नहीं छोडूंगी ,पापा से कह दीजिए कि अभी पांच साल तक शादी –ब्याह की बात नहीं करें .”

राधेश्यामजी को सुनीता इतनी पसंद आ गई कि वे अभी रिश्ता तय करने के पक्ष में थे . सुनीता के पिता ने उनसे हफ्ते –पन्द्रह दिन का समय माँगा .राधेश्यामजी ने उन्हें अपने यहाँ आमंत्रित किया .

राधेश्यामजी ने उनकी ख़ूब आवाभगत की .अपने खेत दिखलाए ,ट्यूबवेल,ट्रेक्टर और ट्रक दिखाए .गाँव में किराने और कपडे कि दुकानों पर कुछ देर बैठाया .वहीँ उन्होंनें अपने बेटे से भी मिलवाया .

सुनीता के पिता जब घर लौटे तो बहुत खुश थे .उन्होंनें अपनी पत्नी से बात की ,’लड़का पढ़ा –लिखा है है और दुकानदारी करता है माल –पत्ते वाला घर है मुझे तो लगता है कि रिश्ता अभी तय कर लूँ .”

“सुनीता मना कर रही थी कि वह अपनी पढाई किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी .वह अभी विवाह के लिये तैयार नहीं है “

“बच्चे हैं ये क्या जाने जिम्मेदारियां !तुम बताओ यह संबंध कैसा रहेगा ?”

“मैं तो तैयार हूँ पर आप सुनीता को तैयार कर लो तो बहुत अच्छा रहेगा .’

सुनीता की नहीं सुनी जानी थी ,नहीं सुनी गई .दबाब में सगाई कर दी गई .सगाई के बाद उसने अपना रास्ता चुन लिया .घर में इस बाबत बात करना व्यर्थ था .उसने अपने उम्र का प्रूफ देकर पुलिस और प्रशासन से मदद मांगी .

एस डी ऍम और थानेदार सुनीता के घर पहुँच गए .उन्होंनें सुनीता के माता –पिता को बुलाकर समझाइश की .कानून और पुलिश कार्यवाही का डर दिखाया . उन्होंनें सुनीता के होनेवाले ससुर से बात की. नाबालिग लडकी से विवाह अपराध है बेहतर होगा कि आप इस विवाह को उसके बालिग होने तक टाल दें वरना प्रशासन कार्यवाही करेगा .

किसी तरह विवाह टल गया .माता-पिता नाराज हुए.बहुत नाराज हुए लेकिन सुनीता करती भी तो क्या करती !उसका अपना जीवन दांव पर लगा था .माँ –पिता कि नाराजगी आज नहीं कल खत्म हो जायगी .

आदमखोर

आखिर तंग आकर लोग उस कलंकिनी को अपने मुहल्ले से खदेड़ते -खदेड़ते जंगल की ओर ले गए । वह हांफते -हाफंते जमीन पर पसर गर्इ । भीड़ के नायक ने उसे पेड़ से बांधने का आदेश दिया ताकि जंगली जानवर उसे नोंच - नोंच कर खा सके ।

जब उसे होश आया तो चिल्लायी - बचाओ ! बचाओ ! उसकी आवाज सुनकर भेडि़या ] तेंदुआ ] चीता आदि हिंसक पशु दौड़ कर आये । वे खुश थे कि एक सुन्दरी उनका भोज्य बनने जा रही है । बहुत ही कोमल मांस होगा ]मक्खन की तरह और रक्त जमीं से निकलते सोते - सा गर्म ] उनकी लार टपक रही थी ] वे गुर्रा रहे थे । और झपटने की तैयारी कर रहे थे । वह और जोर से चीखी ] वे झपटना ही चाहते थे कि तभी एक धमाका हुआ और भेडि़या धूल में लोट गया बाकी जानवर भाग खड़े हुए ।

तभी एक राजपुरूष कंधे पर राइफल थामे उस ओर आया वह अति सुन्दर कोमलांगी को देखकर दंग रह गया विश्व सुन्दरी का यह हाल उसने अपने सेवकों को रस्सी काटने का आदेश दिया । रस्सी काटते हुए एक सेवक बोला - हजूर गुस्ताखी माफ हो जरूर यह कोर्इ कुल्टा स्त्री होगी इसे अपनी सजा भुगतने दीजिए ।

-तुम अपना काम करो ] कड़क आवाज में राजपुरूष बोला . वह उसके पास गया, उसके माथे को सहलाया. वह नीम बेहोशी की हालत में थी ।

भेडि़या अब भी छटपटा रहा था

राजपुरूष ने कोमलांगी को अपनी गोद में लिटाकर पानी छिटका, मुंह खोल कर दो - चार घूंट हलक में डाली वह होश में आखें खोल देख रही है कि कोर्इ उसे सहला रहा है । वह सुरक्षित महसूस कर उसकी छाती से चिपक गर्इ । राजपुरूष धन्य हो गया ।

अब तुम हमारे महल की शान बनोगी हमारे हृदय के सिंहासन पर बैठोगी अब कोर्इ आदमखोर तुम्हें नौंच नहीं सकेगा ।

भेडि़या अंतिम सांसे गिन रहा था । राजपुरुष के शब्द सुनकर बोला अरे हम तो एक ही बार में नौंच डालते लेकिन तुम तो इसे रोज - रोज नौंचेंगे।

राजपुरूष का अटटहास गूंजा - अगर ऐसा है तो हर पुरूष हिंसक पशु है लेकिन र्इश्वर की कृपा है ऐसा नहीं है ] यह प्रेम है - प्रकृति की अनुपम देन और राजपुरूष ने कोमलांगी को चूम लिया ।