चौकीदार चौबे चाचा Sanjay Nayka द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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चौकीदार चौबे चाचा

चौकीदार चौबे चाचा

जोरो से बारीश हो रही थी और बिजली भी गुल थी | हम सब एक दोस्त विजय के घर केरमबोर्ड

का खेल खेलके टाईम पास कर रहे थे | केरम की इतनी गेम खेलने के बाद केरम भी थक गया था

और हम भी ! बारीश इतनी तेज थी की बाहर जाना मुनकिन नहीं था | सामने से हमारे सोसायटी

के वोचमेन 'भानु चोबे' को धोती के उठाके और बडीवाला काला छाते को थामे आते देखा | हम सब

उन्हे 'चौबे चाचा' कहेते थे | उसके आते ही मानो हमारे बुझे बुझाये से चहेरे पे चमक आ गई |

क्यु ना आती ? क्युकी चौबे चाचा जहा भी जाते वहा हसी खुशी साथ हो लेती थी | चाचा के चुटकुले

और हसी मजाक वाले किस्सो से सारी सोसायटी वाले वाकिफ थे | चाचा जब भी अपनी दिमाग

की अलमारी में से किस्सा बाहर निकालते तो सब की हसी छूट जाती |

'
आईए चौबे चाचा' - मैने चाचा का वेलकम किया |


चौबे चाचा ने अपना काला छाता बंध किया और धोती को उचा करके एक टेबल बैठ गये |


विजय: चाचा आज सोए नहीं ? कल नाईट कि होगी ना ?
चाचा: हा पर बिजली के बीना कहा निंद आयेगी भला ? बिजली तो मानो ओक्सीजन हो

गई ! टी.वी पर फाईटींग वाली फिल्म और खतर-खतर आवाज कर रहा पंखे बीना निंद

कहा आती है ! मानो टी.वी और पंखा तो निंद की दवाई बन गया हो !
विजय: ‘सही है चाचा तभी तो यहा केरम खेलके टाईम पास कर रहे है | पर अब तो खेलते खेलते भी बोर

हो गये है |
चाचा: हा वो भी ! आखिरकार हम सब आदमी है कोई कम्पुटर मशिन थोडे है जो एक बटन दबाओ तो

बस चलती जाय...चलती जाय ! कम्पुटर मानो आदमी से भी आगे निकल गया |
विजय: वो बात भी सही है | पर आप इतनी बारीश मे कहा जा रहे हो ?
चाचा: अरे पान लेने निकला था मगर लगाता नहीं मिश्राजी ने अपनी दुकान खोली होगी | हमको पान

खाये बीना खाना हजम नहीं होता है | मानो पान तो हजामे की गोली हो गई हो !
विजय: अरे चाचा पान का जुगाड हो जायेगा पर इसके बदले आपको मजेदार किस्सा सूनाना पडेगा |
चाचा: हेय ? पान का जुगाड ? पर बेटा ऐसा - वैसा पान खाते नहीं |

विजय: अरे पता है चाचा ! बनाससी पान, डबल झीरो तमाकु, किमान और कच्चा टुकडा ! वही ना ?
चाचा: एकदम सही ! पर तुमको कैसे पता ? |
विजय: मुजे नहीं पता मेरे पापा को पता है ! पापा ने दो पान मंगा रखे थे | एक पापा को दे दिया है एक बाकी है | चाचा: बढिया ! बहुत बढीया ! ला ओ तो फिर |

(
विजय ने पान चाचा को पान दिया)


‘बोलो अब कौन सा किस्सा सुनना चाहते हो ? - चाचा ने मुह मे पान रखकर कहा |


विजय: चाचा आप तो चोकीदार हो तो उससे जुडा कोई किस्सा सुना दो, मतलब के अभी तक

चोकीदारी ही की कभी चोर-उचक्को के साथ पाला पडा है ?

चाचा: अब बात चोर उचक्को की बात छेड ही दी है तो सुनो !

चाचा ने बहेते पानी मे पान की पिचकारी मारी सब अपनी जिग्यासा को कान मे रख कर सुनने लगे |

चाचा: किस्सा क्या ? वो तो हमारे जीवन का हिस्सा है

चाचा ने अपने के कोई कोने मे पडी पोटली टटोली तो एक किस्सा फुदक के आ गया |
चाचा ने अपना किस्सा बयान करते हुए कहा की -

बात उन दिनो की है तब मे दिल्ली मे था वहा मे एक बंगले की चोकीदारी करता था | डिसेम्बर महीने की कातिल शर्दी हो रही थी | लोग ठंड के मारे घर से बहार भी नहीं निकल रहे थे | मेरे मालिक और उसके घरवाले 5 दिनो के लिए शादि मे गये थे | घर पुरी तरह से खाली था |
करीब रात के 2 बजे थे मानो शहेर सोया था | मे बस गेट के बहार जली हुई आग के सहारे बेठा पहेरा दे रहा था |
अचानक बंगले के पीछे से कुछ गीरने की आवाज आई ! जैसे कोई काच गीरा हो ! मेरे घ्यान उस तरफ गया और दंडा लेकर अवाज की तरफ बढा | मे घीरे घीरे कदम बढाते बंगले की पिछे की तरफ बढा तो क्या देखता हुं की दो अन्जान शख्स दिवाल फान के बंगले घुसने की कोशिश कर रहे थे |

मैने जोर से आवाज लगाई – ‘कौन है वहा ?’
तब दोनो की नजर मेरे पे गई और वो भागने लगे |
मै भी दोनो की तरफ 'चोर चोर' के भागने लगा |
चोर थोडी जाके रुक गये |
मै भी रुक गया |

(चोरो की आवाज)


चोर: कल्लु ! हम क्यु भाग रहे है ?

कल्लु: बोल बिल्ला ?

बिल्ला: हम क्यु भाग रहे है ?
कल्लु: क्यु की हम चोर है ?
बिल्ला: किसने बोला ?
कल्लु: वो वोचमेन ने !
बिल्ला: अबे लल्लु !
कल्लु: लल्लु नहीं कल्लु !
बिल्ला: साले !
कल्लु: मेरी बहन नहीं और तु मुजे साला बुला रहा है ?
बिल्ला: अबे ! वो एक है और दो फिर भी भाग रहे है !
कल्लु: हा ये तो सही है ! उसके बोलके आता हुं की दुसरा वोचमेन को बुलालो और फिर दौडो !
बिल्ला: अबे लल्लु !
कल्लु: कल्लु !
बिल्ला: तुम कैसे चोर बन गये ? तुम तो एकदम घोचु हो ! अरे वो एक है और हम दो है ना ? और उसके

पास लाठी के अलावा कोई हथीयार नहीं है और हमारे पास तो दो रामपुरी चाकु है |
कल्लु: दो नहीं एक ! मेरा रामपुरी तो आई मे आलु काटने के लिए ले लिया था |
बिल्ला: क्या ? तो फिर क्या लेके आये हो ?
कल्लु:आई ने रामपुरी के बदले ये चमचा दे दिया है |
बिल्ला: है भगवान ! चमचा ले के चोरी करने निकला है ?

कल्लु: हा... तो ये देख (चमचा दिखाते हुए)
बिल्ला: हेला: अबे रक अंदर ! तेरे साथ मेरी इमेज भी खराब हो जायेगी |
कल्लु: अरे रहने देना ! अंधेरे मे क्या फर्क पडता है ? चक्कु हो या चमचा !
बिल्ला: तेरी मरजी ! अब सुन हम भागने के जगह पर उस बुढ्ढे वोचमेन को धर ले तो ? देखो जरा

सा भागा तो हाफते हाफते रुक गया |

कल्लु: हा सही है ! उसके डपोच लेगे तो आराम से बंगले पे हाथ साफ कर सकते है |
बिल्ला: पहेली बार अकलमंदी की बात की है |
कल्लु: पर बंगले मे कोई हुआ तो ?
बिल्ला: मैने वोच रखा है ! ये बंगले वाले शादी मे गये है पांच दिन खाली है बंगला |


चौबे चाचा सोच रहे है की वो दोनो क्यु रुक गये है ? वो भी डर रहे थे की चोरो के पास भारी हथियार हुये तो ?बिल्ला रामपुरी और कल्लु चमचा ले कर पिछे घुमते है और चौबे चाचा की तरफ देखते है |
चाचा चोर के हाथ मे रामपुरी देखकर डर जाता है और थोडा सा पिछे जाता है |


कल्लु के हाथ मे चमचा देखकर सोच मे पडता जाता है और मन मे सोचता है की कितने गरीब चोर है चमचा लेकर चोरी करने आये है ? बिल्ला और कल्लु चाचा की तरफ आगे बढते है और चाचा उतना हि पिछे हटता है | दोनो चाचा की तरफ भागते है | चाचा अपनी जान बचता भागता है |


चाचा भागता-भागता बंगले के चक्कर मारता है और उसके पिछे दोनो चोर भी चक्कर मारते है पता नहीं चलता है की कौन चोकीदार है और कौन चोर ! जब चोर थक के रुक जाते है तो चाचा भी थाकान मिता लेता है |मिटा लेता है | इस तरह तीनो बंगले के चक्कर मारते है |
दो चोर एक जगह पर रुक जाते है |


बिल्ला: अबे रुक उल्लु !
कल्लु: कल्लु !
बिल्ला: हा वही ! हम क्यु चक्कर मार रहे है ?
कल्लु: क्यु के वोचमेन भाग रहा है |
बिल्ला: हा वो तो सही है पर दोनो एक साथ चक्कर मारने बदले हम तो अलग चक्कर मारे तो ?
कल्लु: हेय ?? (बाल खुजाते हुए)
बिल्ला: पता था तेरे खाली दिमाग मे ये बात आएगी नहीं ! सून तुं दाये से जा और मै बाये जाता हुं तो

वोचमेन को पकड सकते है नहीं तो ऐसे ही सुबह हो जायेगी ! समजे ?

कल्लु बस मुंडी हिला देता है | बिल्ला रामपुरी को हाथ लेकर और कल्लु चमचा लेकर दोनो

अलग-अलग दिशा मे आगे बढते है |

कल्लु आगे बढता है वहा ही सामने चाचा दिख जाते है |


कल्लु: रुक बुढ्ढे ! पहेले ओलम्पिक की रेस मे दौडता था क्या ? भगा-भगा कर पैर सुजा दिये |

अब तु नहीं बचेगा |

कल्लु चमचे को लेकर आगे बढता है |


चाचा:ये चोर है की उल्लु है ? चमचा लेकर मुजे मारने आ रहा है ! रुक आने दे उसे कैसे लाठी से उसकी

पीटाई करता हुं |(मन मे ही सोचते हुए)


कल्लु चाचा के सामने जैसे ही जाता है वैसे ही चाचा लाठी से कल्लु के उस हाथ मे वार करता है जीस हाथ मे चमचा है | कल्लु के हाथ से चमचा छुट जाता है और चाचा कल्लु को लाठी से खूब मार मारता है |
कल्लु 'बिल्ला' 'बिल्ला' करके चमचे के साथ भागता बिल्ला के पास पहोचता है |


कल्लु: बिल्ला ? बिल्ला ?
बिल्ला: क्या हुआ ? किसने की तुम्हारी ये हालत ?
कल्लु: उस चाचा ने !
बिल्ला: क्या ? और तु मार खाकर आ गया ?
कल्लु: तो क्या मै ! चमचे से करता लाठी का सामना ?
बिल्ला: किसने बोला था चमचा लाने को ? कहा मिला बुढ्ढा तुम्हे ?
कल्लु: ये इस तरफ (इशारे करते हुए)
बिल्ला: ठिक है | तुम यही रुको मे बुढ्ढे की खबर लेके आता हुं |
कल्लु: ठिक है |


बिल्ला रामपुरी चाकु को हाथ मे लेकर उस तरफ बढता है | बिल्ला यहा वहा नजर घुमाकर चाचा को ढुढता है पर चाचा नहीं दिखता है | दुसरी तरफ कल्लु अकेला बिल्ला की राह देख रहा है |


कल्लु: बिल्ला आया नहीं अभी तक ? क्या वोचमेन ने बिल्ला को मारा तो नहीं ?


वो पिछे घुमता है तो वहा चाचा लाठी लेके मारने के लिये तैयार खडे दिखते है |


कल्लु: अरे मर गये ? बुढ्ढा फिर आ गया ? चाचाजी मुजे जाने दिजिए ! मेरी मत मारी गई थी जो यहा

चोरी करने आया था ! वो तो बिल्ला मुजे लाया था | मारना है तो बिल्ला को मारो ना ! वो इस तरफ

हि गया है आपको मारने के लिए !
चाचा: उसकी खबर तो बाद लुगा पहेले तेरी खबर तो लेलु |
कल्लु: नहीं इतनी भी खबर नहीं लो की खबर देने के काबिल ना रहु | (गिरगिडते हुए)


चाचा ने उसकी बातो को ध्यान मे ना रखकर फिर से कल्लु की दे दना दन धुलाई करता है |
कल्लु 'बिल्ला' 'बिल्ला' के नाम की फुहार लगता रहता है |


बिल्ला: कल्लु क्या हुआ (दूर से आवाज आती है)


चाचा बिल्ला की आवाज सुन कर कल्लु को मारना रोक देता है और आगे भाग जाता है |
बिल्ला आता है |


बिल्ला: क्या हुआ कल्लु ?
कल्लु: तुम मुजे मार खाने के लिए इघर छोड गये थे ? वो वोचमेन फिर मार के चला गया |
बिल्ला: ओह ये बात है ! किस तरफ गया बुढ्ढा ?
कल्लु: इस तरफ (इशारा करता है)
बिल्ला: अच्छा ! तुम यही रुको मै आता हुं.|
कल्लु: नहीं नहीं तुम कही मत जाओ ! वो फिर आयेगा और मार के चला जायेगा | मुजे चोरी करने के लाये

हो या फिर मार खिलाने ?
बिल्लु: अरे यार ! वो बुढ्ढा मेरे सामने नहीं आयेगा क्युकि मेरे हाथ मे चाकु है | तु बस यहा रुक वो तुजे

मारने फिर आयेगा तब मे उसे पकड लुगा |
कल्लु: मतलब मुजे बकरा समज रखा है जिसे शेर का शिकार करने के लिए पैड से बांधा जाता है !
बिल्ला: हा बस ऐसा हि समज लो ! तुम यही रुको मे आजु बाजु हि छूपा रहुगा |
कल्लु: नहीं नहीं मुजे छोडके मत जाओ |
बिल्ला: रुक ! नहीं तो मे तुजे मारुगा |

कल्लु कुछ नहीं बोलता है और बिल्ला आगे चल के एक जगा पर छुप जाता है

अब कल्लु अकेला है | इघर उघर नजर घुमाके चाचा को देख रहा है और फिर से चाचा फिर आ घमकते है |


कल्लु: अरे बाप रे ! तु आदमी है या जीन ? जहा कही से आ घमकता है ?


चाचा बिना कुछ कहे कल्लु की पिटाई करने लगता है |


कल्लु: कोइ मुजे बचाओ ! बिल्ला मुजे बचाओ !


बिल्ला आ जाता है और चाचा को पिछे से पकड लेता है |

कल्लु: वाह बिल्ला ! वाह ! अच्छा हुआ ये खरगोस को पकड लिया ! कब से फुदक फुदक से मार रहा था |
बिल्ला: क्यु बे बुढ्ढे ? बहोत उछल रहा था ? अब उछल के बता ?
कल्लु: बिल्ला पकडके रखना उसकी लाठी छीन लेता हुं |
बिल्ला: हा सही है |


कल्लु चाचा के हाथ से लाठी छीन लेता है |


बिल्ला: कल्लु अब उसकी लाठी से उसीको मार !
कल्लु: नहीं यार ! बाप की उमर का है |
बिल्ला: यार तुं एकशन सिन को इमोशनल बना देता है | चल ठिक है | पर हम चोर है चोरी तो करेगे ही |

कल्लु उसकी तलाशी ले पहेले उसीको लूटते है |


कल्लु चाचा की तलाश लेता है | जेब से छोट्टे पैसे निकालता है |


कल्लु: ये क्या ? चिल्लर का क्या करेगे ?
बिल्ला: अरे ले ले ! बिडी का खर्चा निकल जायेगा | दुसरी जेब देख !


कल्लु दुसरी जेब मोबाईल निलकता है |


कल्लु: ये मोबाईल काम का निकला |
चाचा: अरे मोबाईल बंध है | मोबाईल मे बेटरी भी नहीं है |
बिल्ला: हम दलवा देंगे | तु दुसरी जेब देख !


कल्लु जेब से पान निकलता है |


कल्लु: मुह मे दांत नहीं है और पान चबाता है बुढ्ढा ! वो भी बनारसी पान ?
चाचा: अरे भाई उसको रहेने दो ? उसको खाये बिना हमको खाना हजम नहीं होता !
बिल्ला: तुम खाना हजम करने आते हो की चौकीदारी करने ? कल्लु तु पान खा ले और बुढ्ढे बंगले की

चाबी निकाल !
चाचा: अरे बंगले की चाबी मेरे पास कहा रहती है ! वो तो मालिक पास होती है |
बिल्ला: बुढ्ढे ज्यादा सानपत्ती मत कर ! मै तिजोरी की चाबी नहीं मांग रहा ? बंगले के दरबाजे की चाबी

मांग रहा हुं |
चाचा: नहीं ! वो चाबी भी नहीं ! बस मेरे पास तो बंगले के बाहर वाले दरवाजे की चाबी है |
बिल्ला: तु ऐसे नहीं मानेगा | उंगली टेढी करनी ही पडेगी | कल्लु बुढ्ढे के कपडे निकाल ...कही तो

छूपा रखी होगी ना !
कल्लु: अरे बाप की उमर का है !
बिल्ला: भाड मे गया तेरा बाप ! तु निकलता है की निकालु रामपुरी !
कल्लु: नहीं नहीं निकालता हुं |


कल्लु जैसे हि कपडे निकलने की कोशिश करता है तो उसे एक चाबी मिलती है |


बिल्ला: अब ये क्या बुढ्ढे ? निकली ना चाबी ?
चाचा: यही चाबी को बात कर रहा था | ये तो बंगले के बहार के गेट की चाबी है जहा मे बैठता हुं |
बिल्ला: कल्लु ! ये चाबी से बहार वाला गेट खोल ! फिर अंदर जाके अंदर का दरवाजे का जुगाड हो जायेगा |


कल्लु बहार का गेट खोलता है | बिल्ला चाकु कि नोक पर चाचा को बंदी बनाता तिनो गेट से अंदर जाते है | कल्लु गेट बंध करता है |


बिल्ला: अब ये मैन गेट की चाबी मिल जाये तो तिजोरी दूर नहीं | ये बुढढा मुह खोलता नहीं !

देख बुढ्ढे तेरी उमर का लिहाज करता हुं वरना मुज से बुरा कोई नहीं होगा |
चाचा: मैने बोला ना मेरे पास चाबी नहीं है |
बिल्ला: बस ! मैने जितना सुनना समजना था वो कर लिया ! अब देख मे क्या करता हु ! कल्लु बुढ्ढे

की धोती निकाल ! जब तक चाबी नहीं देगे तब तक एक एक करके कपडे निकालते रहेगे |
कल्लु: पर ....??
बिल्ला: पर-बर कुछ नहीं | तु खोल नहीं तो मै तेरे को खोल देगा !


कल्लु धोती निकालने के लिए आगे बढता है | वो धोती पकडता है खिचता है पर चाचा धोती पकड लेता है |


बिल्ला: तेरा रेप नहीं कर रहे है ! छोड धोती ...छोड धोती ..


कल्लु धोती निकलने को जोर जबरदस्ती पे उतर आता है और आखिर कार चाचा घुटने टेक देता है |


चाचा: उस.....उस.......कमरे मे !


कल्लु रुक जाता है |


बिल्ला: उस कमरे मे कहा ?
चाचा: कमरे मे एक पुरानी अलमारी है उसमे पहले ड्रोवर मे !
बिल्ला: अब आया बुढ्ढा लाईन पे ! कल्लु चल जा फटाफट उस कमरे मे से चाबी लेकर आ | मे यहा बुढ्ढे

को देखता हू |


कल्लु धोती को छोदकर कमरे की तरफ जाता है | धीरे-धीरे दरवाजा खोलके चला जाता है |
चाचा कल्लु को आंखे फाडके देखता रहेता है और मुह से निकल जाता है: भगवान बचाये


बिल्ला: क्या ?
चाचा: भगवान मुजे बचाए ! (बात को बदलकर)


थोडी देर के बाद उस कमरे से जोरदार कुत्ते के भौकने आवाज आती है | बिल्ला हेरान हो कर कमरे के तरफ देखता है |


बिल्ला: अंदर क्या है बुढ्ढे ?


चाचा जवाब दे पहले ही फिर से आवाज आती है | फिर कुत्ते की आवाज बढती जाता है |
बिल्ला आंखे फाड कर कमरे की तरफ नजर करता है तो कमरे मे से फटी हुई हालत मे कल्लु को आता हुए देखता है |कल्लु हालत कुत्ते ने खराब कर दी है | कपडे आधे अधुरे कपडे फाड दिये है |


कल्लु: बिल्ला बिल्ला मुजे बचाओ ! मुजे इस कुत्ते से बचाओ !
बिल्ला: साले बुढ्ढे ने हमसे गेम खेली !


बिल्ला रामपुरी देखाकर कुत्ते की तरफ बढता है | बिल्ला जैसे हि आगे बढता है वैसे ही कुत्ता शेर की तरह छ्लांग मारके उसपे झपट पडता है |कुत्ते से बचते हुए दोनो यहा से वहा भागते है, कही छुपने की कोशिश करते है तो कुत्ता वहा भी पहोच जाता है |अब चाचा को भी जोश आ जाता है और दोनो की तरफ लाठी लेकर मारने लगता है |


कल्लु और बिल्ला जैसे तैसे कुत्ते से और चाचा से अपनी जान बचा कर बंदर की तरफ उछलते हाफते भाग जाते है |


चाचा: साले बडे आये मेरी धोती निकालने वाले !

चौबे चाचा अपना किस्सा खतम करते है | सब हसने लगते है |

विजय: वाह चाचाजी ! मान गये आपकी बहादुरी को !
चाचाजी: बहादुरी कहा ? ये तो हमारी ड्युटी है |
विजय: हा ये तो सही पर आपकी जगह और कोई होता तो घुटने टेक दिया होता ! पर आपने बहादुरी

और समजदारी दोनो दिखाई |
चाचा: घन्यवाद
विजय: चाचाजी आपने इतनी बडी चोरी होने से बचाई तो मालिक ने कोई तो ईनाम दिया हि होगा ना !
चाचाजी: हा, वो तो दे रहे थे पर मैने लिया नहीं |
विजय: ओह आपका कितना बडा दिल है |
चाचाजी: आखिरकार मालिक के बडे जोर देने के बाद मैने एक चिज की डिमान्ड की |
हम सब: क्या ????
चाचा: बनारसी पान वो भी डबल झीरो तमाकु, किमान और कच्चा टुकडा ...यार हमको पान खाये बिना

खाना हजम नहीं होता ! सही है ना ?

(सब हसने लगते है )

समाप्त

संजय नायका

+91 7874987867