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प्रेम सितारे

लघु प्रेम कथा - 1

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मरखड गैया की तरह वो लड़की एल-शेप वाले मोड़ पर हेलमेट के साइड से लहराते बालों के साथ जूं से स्कूटर पर आई ...


और, शांत ट्रैफिक वाले रास्ते पर धीमे चलाते उस अंकल टाइप के लड़के के अंकल-अंकल जैसे दिखते मारुती आल्टो के ड्राइवर सीट वाले दरवाजे पर ढपाक से टकराई ! ;)


कार की स्पीड इतनी कम थी कि कार का ब्रेक चर्र से लगा व एक मीटर भी नहीं घिसटा, पर वो स्कूटर, लड़की और उसका हेलमेट तीनो समकोण त्रिभुज के शीर्ष बिंदु की तरह चौक पर छितर गए थे!! निर्जीव हेलमेट शांत था, निर्जीव स्कूटर का पहिया घूमते हुए बता रहा था की अब भी उसमे दम है, पर सजीव लड़की दर्द से दस गुना ज्यादा चिल्ला कर बता रही थी, वो कितनी निरीह है, और उसकी गलती असंभव है !


बेचारा लड़का, गुस्से में तिलमिलाता हुआ, दरवाजा खोलना चाहा तो गैया यानी लड़की के स्कूटर ने इतना स्पीड से टक्कर मारा था की दरवाजा खुला ही नहीं ! कुनमुनाता हुआ लड़का दुसरे ओर से उतर कर नीचे आया, कुछ बोलता उससे पहले ही अलग सीन क्रियेट हो चुका है !


'मारो साले को'- देख कर नहीं चलते ये चार पहिये वाले, इन्होने सड़क को बाप का समझ रखा है................उफ़ बेचारी को देखो, कित्ती प्यारी सी है, इसको भी नहीं छोड़ा ! जरुर जानबूझ कर मारा होगा !


लड़का भी सहम गया

कभी कभी परिस्थितियां आपको मजबूर कर देती है, फिर आप खुद-बखुद ऐसे सोचने लगते हो, जरुर गलती मेरी ही रही होगी!


लड़की की खूबसूरती और उसके चेहरे पर दर्द का कोकटेल बियर के ग्लास से ढभकते बुलबुले की तरह लड़के पर प्यार का फुहार कर चुका था !


लड़के ने हाथ बढ़ा कर लड़की को उठाया,

लड़की ने भी हलके से व्हिस्पर किया - सॉरी, ताकि भीड़ को सुनाई न पड़े ! :)

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कुछ देर बाद दोनों पास के गैरेज से कार और स्कूटर ठीक करवा रहे थे,

बिल मध्यम आय वर्गीय लड़के ने अपने क्रेडिट कार्ड से पे किया ! :P


कुशल कारीगरों ने डेंट-पेंट से स्कूटर और कार के जख्मों के निशान तो मिटा दिए थे पर दिलों पर पडे निशान नहीं छिपाये जा सके! दो लम्बे स्टील के ग्लास में लस्सी पीते हुए लड़का-लड़की एक दुसरे के वाहन को देख रहे थे, शायद प्यार या साथ की वजह वो स्कूटर या कार जो थी :)

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लघु प्रेम कथा – 2

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चरर्र की आवाज के साथ बाइक रुकी, कॉलेज गेट से थोडा आगे !

लड़की इधर-उधर देख रही थी, किसी की नजर उस पर तो नहीं, और

जैसे ही बाइक पर बैठते हुए कंधे पर हल्का हाथ रखा,

फुर्र से दो फ़ाख़्ते उड़ पड़े


भागते समय ऐसा उन्हें लगा, जैसे कुछ तो एकाएक थम गया था

कुछ तो ढूंढ़ रहे थे, शायद !


चलो आज 'लैला-मजनू' या 'प्रेमरोग' दिखाओ - लड़की ने हलकी आवाज में लड़के के हेलमेट के पास कहा !!


दौड़ती बाइक जिस सिनेमा हॉल के सामने लगी उसमे 'जानी दुश्मन' लगा था

लड़की ने चिहुँकते हुए कहा - ये क्या, मुझे नहीं देखनी ये डरावनी मूवी, चलो यहाँ से !


तुम मेरे प्रेमी हो या मेरी जान लेना चाहते हो

हर बार हॉरर मूवी, हद है !


कभी 'खुनी दरवाजा' तो कभी 'रेडरोज' तो कभी 'डरना मना है' !! उफ़! पागल कर दिया तुमने !


लड़का - ये लास्ट है, प्लीज देख लो न !!


मूवी के दौडान लड़की डर से लड़के के कंधे पर सर रख कर उसके हाथो को जोड़ से पकड़ लेती है !

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लड़के ने हलके से प्रेम सिक्त आवाज में कहा - यही एकमात्र वजह है, साथ में हॉरर मूवी देखने की, समझी न :) :)


तुम्हारा मेरे साथ चिपके रहना, 'जानी दुश्मन' में भी प्रेम ढूंढने कहता है , समझी मेरी लैला!

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लघु प्रेम कथा - 3

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हाई स्कूल के दिनों में कितना प्यारा लगता था प्रेम का प्रतीक ड्राइंग करना !!

प्रेम से भी प्यारा होता था प्रेम प्रतीक, पान का पत्ता :D !!

फिर ड्राइंग कॉपी के बदले डेस्क पर पेन चलाना भी खूब भाता था , वही लीड वाला कलम :) नीला और लाल, काला नहीं यूज करते, नजर लग जाने का खतरा कौन मोल ले !!

पुरे पुरे एक क्या दो क्लास लग जाते थे, सिर्फ उल्टा तीन लिख कर उसको फिर नीचे से मिलाने में !! चाहे सर-मैडम पता नहीं कितना इतिहास-भूगोल पढ़ा लें, मुंडी उठती नहीं .......डेस्क से !

अंततः चलो पूरा हुआ प्रेम का प्रतीक, अब इसमें एक तीर भी चलाना होता था, ताकि लगे कि सच्चे वाला प्यार है !! हलकी तिरछे तीर ...... सीधा दिल को चीरती हुई !!

अंतिम पडाव बड़ा रिस्की होता था, नूर जहाँ / सुल्ताना बानो / लैला / सीरी का नाम कैसे डालें :)

उस समय, उँगलियों में कंपन स्टार्ट हो जाती :) ऐसे लगता जैसे सच्चे वाला प्यार बस हो ही गया :)

चलो कंपकंपाते उँगलियों से नाम भी डल गया :)

अब मजनू बनने की तैयारी शुरू हो जाती !!

एक से एक फाइटर तब पैदा हो जाते, .......... :) प्रेम के दुश्मन कमीने :D

साले !! तेरी हिम्मत कैसे हुई उसका नाम लिखने की !! :) अबकी बार किया ऐसा तो काट डालूँगा :P

धूम धडाम !! दिल घुम्म घुम्म करें ........... :D

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प्रेम कहानी ऐसे ही शुरू होती होगी न ??

लघु प्रेम कथा - 4

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सिगरेट के हल्के- हल्के कश लेकर धुएँ के छोटे-छोटे छल्ले हवा में उड़ाते हुए एक विदूषक जैसी सोच के साथ, लंबी पतली पगडण्डी सी सड़क पर सधे कदमो के साथ आगे बढ़ता जा रहा था। ऐसा लगा धुएं के छल्ले में उभरती तुम्हारी आकृति कह रही हो - क्यों पीते हो, मारोगे क्या ?

तभी एक पुलिया आ गई, लोहे के पूल पर अटक कर अब नीचे बहते नीले जल धारा को निहार रहा था, बहुत सारे सीन टेक रीटेक के साथ आंखो के सामने से गुजर रहे थे। आह! सिगरेट के अंतिम कश के साथ एक तृप्ति थी, जलता टोंटा उड़ता हुआ पानी मे गिरा, “गड़प” की आवाज के साथ, चारों और लगातार छोटे से बड़ा नामालूम सा वृत बनता चला गया !

इस्स ! उन वृतों में भी था आभासी खूबसूरत चेहरा ......... पर अब कहाँ, कुछ पलों में पानी में शांति आ चुकी थी ....... गोले, वृत सब गडमगड !!

शांत कलकल जल धारा अब भी बेमतलब की बहती चली जा रही थी

चलो धुएं में कभी दिखी तो कभी पानी में !!

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अगले बार आकाश में चमकते लोड स्टार में देखूंगा समझी न बेवकूफ ;)

बस दिखते रहना ^_^

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