रोजनामचा - 1 Atul Arora द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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रोजनामचा - 1

भाग - १

कॉपीलेफ्ट 2016 अतुल अरोरा

Published by Atul Arora at Smashwords

Smashwords Edition License Notes

यह पुस्तक आपके मनोरंजनार्थ प्रस्तुत है। इसे आप जिसे चाहें , जितना बार चाहें अपने मित्रों , पड़ोसियों , सहकर्मियों में वितरित कर सकते हैं। धन्यवाद मेरी पुस्तक में रूचि लेने के लिए।

विषय - सूची

भूमिका

शराफत अली को शराफत ने मारा

बलम अटके बीच बजरिया

कैसे झेलेंगे हम पाकिस्तान का हमला

आदर्श अनिवासी भारतीय (एनआरआई) होने का लिटमस टेस्ट

आज आपने फील गुड किया या नही?

गोविंदा, सलमू और अक्की को चुनौती देने आया मेंबले

फिलाडेल्फिया के सिटी हाल मे शोले का सजीव प्रदर्शन

अब तक छप्पन

मुन्ना कबाड़ी और पत्थर से टक्कर

चेतावनी गीत

संपर्क


भूमिका

पेशे से एक कंप्यूटर प्रोग्रामर , कानपुर की गलियों मे एलएमएल-वेस्पा चलाते चलाते एक दिन खुद को अमेरिका में तेज ट्रैफिक में पाया। अभी तक तेजरफ्ता रही इस जिंदगी में, जो अभी तक गुजरा है, उसमें से जो कुछ खट्टा - मीठा या गुदगुदाता सा है उन रोचक संस्मरणों , समाज के मुद्दों को एक ब्लॉग पर वर्ष २००४ में लिखना शुरू कर दिया। उस समय ब्लॉग का नाम भी महज चुहलबाज़ दिमाग की उपज से पैदा हुआ था "रोजनामचा" । वर्ष २००८ आते आते जिदंगी की जद्दोजहद या फिर Writer block के चलते लेखन स्थगित हो गया। तमाम मित्रों के कोंचने , और भाई अनूप शुक्ल के लगातार उकसाने (प्रोत्साहन ) के बावजूद लेखकीय खुजली दुबारा न जागी। कुछ हिंदी ब्लागर्स का उल्लेख जरूरी समझता हूँ जिन्होंने हिंदी ब्लॉगिंग का सफर २००४ के आस पास शुरू किया और सह ब्लागर्स से मित्र बन गए। जिनका जिक्र छूट गया वे मुझे संपर्क पेज पर दिए पते पर लतिया सकते हैं।

फ़ुरसतिया

मेरा पन्ना

छींटे और बौछारें

नुक्ताचीनी

इधर उधर की

उड़न तश्तरी ....

आओ कि कोई ख़्वाब बुनें

अब कालेज में पड़ने वाली बिटिया के उकसावे पर अपने लेखों को झाड़ पोंछ के दो भागो में विभाजित कर पुस्तक रूप में पेश कर रहा हूँ ।पुस्तक पसंद आएगी ऐसी आशा है। आपके विचारो सुझावों का इंतजार रहेगा।

शराफत अली को शराफत ने मारा!

हमारे एक मित्र हैं मियाँ शराफत अली। बहुत दिन से अकुला रहे थे कि हिंदुस्तान में उनकी हुनरमंदी की बेकदरी हो रही है और इसी के चलते वहाँ कोई तरक्की नही हो रही । शराफत अली की हमने भी मदद की बहुत कोशिश की कि उन्हें भी अमेरिका में कुछ काम मिल जाये। अभी पिछले हफ्ते एक मित्र की मदद से शराफत अली का इंटरव्यू कराया गया। अब नौकरी के लिये जो प्रश्न पूछे जाते हैं उन सबके स्टैंडर्ड,रेडिमेड जवाब दुनिया भर के जालस्थलों मे मिल जाते हैं। पर जनाब शराफत अली की सोच अलहदा ही है, जो जवाब उन्होंने दिये, दिल की गहराई से सच्चाई से दिये। अब आप, शराफत अली के टेलिफोनिक इंटरव्यू का मुलाहिजा फरमायें।

प्रश्नकर्ताः आपने इस नौकरी के लिये आवेदन क्यों किया?

शराफत अलीः वैसे तो हमने बहुतेरी नौकरियों के लिये अप्लाई किया था, खुशकिस्मती हमारी कि कॉल आपने ही किया।

प्रश्नकर्ताः आप इस कंपनी में काम क्यों करना चाहते हैं?

शराफत अलीः अब किसी न किसी कंपनी में काम तो करना ही है, जो भी काम दे दे। कोई खास कंपनी का नाम दिमाग में रखकरके ठलुआ तो बैठै नही रहेंगे?

प्रश्नकर्ताः बताईये, आपको ही क्यों चुना जाये इस नौकरी के लिये?

शराफत अलीः आपको किसी न किसी को चुनना ही है, हमको भी आजमा के देख लीजिये।

प्रश्नकर्ताः अगर आपको नौकरी मिल जाये तो क्या करेंगे?

शराफत अलीः अब यह मूड और समय के हिसाब से तय होगा कि हम क्या करेंगे।

प्रश्नकर्ताः आपकी सबसे बड़ी ताकत क्या है?

शराफत अलीः साहब, किसी ऐसी कंपनी को ज्वाईन करना ही हमारी सबसे बड़ी हिम्मत का सबूत है जिस कंपनी की तकदीर का हमें ओर छोर न दिखता हो।

प्रश्नकर्ताः और आपकी सबसे बड़ी कमजोरी?

शराफत अलीः जी, लड़कियाँ।

प्रश्नकर्ताः आपकी सबसे गँभीर गलती क्या रही है और आपने उससे क्या सीखा?

शराफत अलीः पिछली कंपनी को ज्वाईन करना। उससे मैने यह सीखा कि ज्यादा तनख्वाह के लिये नौकरी बदलते रहना चाहिये, तभी तो मैं आपसे मुखातिब हूँ।

प्रश्नकर्ताः आपकी पिछली नौकरी में आपकी सबसे बड़ी कौन सी उपलब्धि थी जिस पर आप गर्व कर सकते हैं?

शराफत अलीः जनाब, पिछली नौकरी में मैने कोई तीर मारा ही होता तो उनसे तरक्की की माँग के वहीं न टिक गया होता, काहे को खामखाँ आपके सवालो का जवाब देकर अपना और आपका वक्त जाया कर रहा होता?

प्रश्नकर्ताः एक चुनौतीपूर्ण स्थिति का उदाहरण देकर बताईये उससे कैसे निपटेंगे?

शराफत अलीः सबसे ज्यादा मुश्किल है इस सवाल का जवाब देना कि "आप नौकरी क्यों बदलना चाहते हैं?" और इससे निपटने को मुझे हजार तरह के झूठ बोलने पड़ते हैं।

प्रश्नकर्ताः आपने पिछली नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं?

शराफत अलीः उसी वजह से, जिस वजह से आपने अपनी पिछली नौकरी छोड़ी होगी।

प्रश्नकर्ताः आप इस नौकरी से क्या अपेक्षा रखते हैं?

शराफत अलीः अगर ज्यादा काम न दिया जाये पर तरक्की मिलती रहे।

प्रश्नकर्ताः आपके क्या लक्ष्य हैं और उन्हें पाने को क्या तैयारी कर रहे हैं?

शराफत अलीः ज्यादा पैसा बनाना और उसके लिये हर दो साल में कंपनी बदलना।

प्रश्नकर्ताः आपको हमारी कंपनी के बारे में कैसे पता चला और आप इसके बारे में क्या जानते हैं?

शराफत अलीः मुझे पता था आप यही पूछेंगे, मैं आपकी कंपनी की बेबसाईट सत्ताईस मर्तबा देख चुका हूँ।

प्रश्नकर्ताः आप कितनी तनख्वाह की उम्मीद रखते हैं?

शराफत अलीः जनाब बिना बढ़ोत्तरी के कौन नौकरी बदलता है? आप तो जो जमाने का दस्तूर है उसके हिसाब से मेरी हालिया तनख्वाह से २० फीसदी ज्यादा दे दीजिये मैं कल से काम पे हाजिर हो जाऊँगा।

शराफत अली इस आखिरी सवाल पर मन में सोच रहे थे कि "भैंस जब पूछ उठायेगी तो गाना नही जायेगी, गोबर ही करेगी, मुझे पता था कि तू यही सवाल करेगा इसलिये मैने अपने बायोडेटा में पिछली तनख्वाह ३० फीसदी ज्यादा बयाँ की है!"

शराफत अली को इंटरव्यू लेने वाले ने जमाने के दस्तूर के हिसाब से, नतीजा जानने को बाद में संपर्क करने को कहा। अब शराफत अली बाट जोह रहे हैं। और जगहों पर भी अप्लाई कर रहे हैं। अगर आप लोगो की कंपनी में ऐसे साफगोई से बोलने वाले बँदो की कदर हो तो जरूर बताईयेगा।

बलम अटके बीच बजरिया

दो देशों मे दो बिल्कुल भिन्न दृश्य हो सकते हैं जब कोई ऐन सिगनल पर अटक जाये। अब हुआ यह कि इस सोमवार को जो कि श्रावण का अंतिम सोमवार था, गृहमंत्रालय द्वारा मंदिर जाने का हुक्म सुनाया गया। क्या है कि सारे श्रद्धालु मंदिर में घँटे घड़ियाल बजाकर भगवान शंकर के चैन में खलल डालने का पुण्य काम इसी माह ज्यादा करते हैं। इसमें अपना गृह मंत्रालय भी शामिल है।वैसे भारत में खासकर कानपुर के परमट मंदिर में बड़ा सुंदर दृश्य होता है। एक से एक विकट भक्तो के दर्शन होते हैं। कोई करतल कर रहा है , कोई शिवलिंग से चिपटा जा रहा है, कोई मत्था रगड़ रहा है तो कोई शिवलिंग यो दबा रहा है जैसे टीवी प्रोग्राम सारेगामा में इस्माइल दरबार हिमेश रेशमिया का कँधा दबाते हैं ( एक एपिसोड में हिमेश के पास कुछ प्रतिभागियो को वापस बुलाने का चान्स था, और इस्माईल जम के उनकी मक्खन पालिश में लगे थे।)| आपधापी ऐसी कि अगर आप बैठ के पूजा में लगे हो तो कुछ जल्दबाज भक्त आपके ही सर पर गंगा जल अर्पण कर डालते है|अब इसे हमारी काहिली कह लीजिये, लापरवाही या फिर शंकर जी का क्रोध कि मँदिर से बाहर निकलने के बाद ऐन रेड सिगनल पर अपनी कार ने धरना दे दिया। कार में गैस खत्म हो गई थी। जनाब यह अमेरिका है, और हियाँ पेट्रोल को गैस कहते हैं। खैर, सिगनल जब तक रेड रहा, अपनी खैर थी, पीछे वालो को कोई फर्क नही पड़ता। पर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती। उधर सिगनल ग्रीन हुआ नही कि पीछे वालो को कौतुहूल, आश्चर्य, झल्लाहट और न जाने क्या क्या होने लगा आगे ग्रीन सिग्नल पर हमें बिलावजह रास्ता रोको आंदोलन करते देख।दिमाग ने तुरंत काम किया, और कार में मौजूद दोनो सेल फोन एकसाथ उपयोग में लाये गये। एक तो यहाँ रोडसाइड असिसटेंस यानि कि आपातकालीन सहायता तुरंत उपलब्ध हो जाती है। आपातकालीन सेवा वालो को बताया गया कि हम कैसे , कहाँ और क्यों अटके हैं। दूसरे नँबर पर श्रीमती जी ९११ डायल कर बता रही थी अपने अटकने की दास्तान। ९११ पुलिस का आपातकालीन नँबर है, उन्हें बताना जरूरी था क्यों था वह भी आपको जल्द पता चल जायेगा।

अब आगे का दृश्यः कार की हैजार्ड सिग्नल हमने चला दिया था, हैजार्ड सिग्नल कार के दोनो ब्लिंकर एक साथ चालूकर देता है, झिलमिल मोड में। इससे बाकी राहगीरों को यह अहसास हो जाता है कि इस कार में कुछ लफड़ा है। फोन पर कार को आपातकालीन सेवा देने वालो से हम उलझे थे, उन्होंने पूछा कि कृपया कार का विन नँ बताओ। यह कार का कोड है , कार की जन्म कुँडली इससे निकल आती है। हमने कहा नही बता सकते, क्योंकि सिगनल पर पीछे से आने वाले दनादन हमारे बगल से निकल रहे हैं, बाहर निकल कर विन नँबर देखा तो कोई उड़ा देगा। फिर भाई ने नाम पता पूछा , आखिरी मे कार का रँग। हम झल्ला गये कि , कया रँग का आचार डालोगे, दूसरी तरफ से फोन पर विनम्रता से बताया गया कि भईये सड़क पर हम आपकी गाड़ी चीन्हेंगे कैसे? जब यह सुनिश्चित हो गया कि कुछ मिनटो में आपातकालीन सेवा वाले आकर हमारी कार में एकाध गैलन तेल उड़ेल देंगे ताकि हम चलने काबिल हो सकें, तब लेक्चर का दौर शुरू हुआ। लेक्चर, अरे समझे नही । वही चिरपरिचित वाक्य जो आप रोज सुनते हैं और सुनकर अनसुना कर देते हैं और फिर मेरी तरह झलते हैं कभी न कभी यानि कि "मैं न कहती थी कि गैस भरवा लो ..., पर मेरी सुनता ही कौन है... वगैरह वगैरह।"अब इस लेक्चर को चुपचाप सुनने के अलावा कोई और चारा भी तो नही, क्योंकि बाहर निकल नही सकते, जैसे ही ग्रीन सिग्नल होता है, पीछे की गाड़िया कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़ रहने के उपरांत हम पर तिर्यक दृष्तिपात करते हुये दाये , बायें से दनानदन निकल जाती हैं। अचानक शँकर जी प्रसन्न हो गये और पीछे लाल नीली बत्ती जलाते मामू यानि कि कॉप यानि कि पुलिसवाले अंकिल आ गये। यह तसल्ली कर लेने के बाद कि हमने ही कुछ देर पहले ९११ घुमाया था और यह कि हमने जुगाड़सेवा को भी दरयाफ्त कर दी है, उसने हुक्म दिया कि गड्डी नयूट्रल में डालो। भाई ने एक हाथ से धक्का दिया और गाड़ी सड़क किनारे। उसके बाद पुलिस वाले मामू , अपनी कार की फ्लैश लाइट जलाये हमारी कार के पीछे तैनात हो गये। अब यह ठहरा अमरीक्का का कायदा। जब तक हम सुरक्षित वहाँ से रवाना नही हो जाते पुलिस वाले अँकल हमारी कार के बाडीगार्ड बन कर रहेंगे।

“बाँके बिहारी हमारे पुत्र का हमारे द्वारा जबरन रखा नाम है जिसे घर में और कोई नहीं इस्तेमाल करता (old fashioned लगता है)। किस्सा तब का है जब बाँके चार साल के रहे होंगे “

बाय द वे, कार में लेक्चर फिर चालू हो गया था, साथ में बाँके बिहारी का आलाप भी। अब बाँके जी थोड़े बड़े हो गये है चुनाँचे हमें हैरान भी कुछ जुदा अँदाज में करते हैं अब। बाँके जी को जाहिर है, गर्मी तो सता ही रही थी साथ ही अब तक परफेक्ट रहे हमारे बाप वाले रोल की परफेक्टता पर कछु कछु संदेह हो रहा था कि बीच बजरिया हमें अटकाया क्यों और साथ ही यह लेक्चर भी कि तुम मम्मी कि क्यों नही सुनते। बाँके जी पानी की बोतलिया माँग रहे थे जो कार में थी नही, और बाँके की बहना का था यह कहना कि क्यो नही पुलिस बाले अँकल से पूछा जाये कि उनके पास एकाध पानी की बोतल एक्सट्रा है ( अगर कोक मिल जाये तो क्या कहना। आगे क्या हुआ, पुलिस वाले मामू का सब्र छूटने लगा और बोले कि अगर तुम्हारी आपातकालीन सेवा दो मिनट में न आयी तो मुझे तुम्हें निकटस्थ गैस स्टेशन तक ले जाकर गैस दिलानी होगी। तभी, आपातकालीन सेवा वाला ट्रक आया, उसने हमारी गाड़ी में एक गैलन तेल डाला, हमने पुलिस वाले मामू को थैक्यूं बोला और चल दिये अपने रास्ते।

कथा का निष्कर्षः अब यह भी कोई समझाने की बात है कि आप लोग कृपया अपनी अपनी गृहमंत्री यानि कि पत्नियों की बात सुनने की आदत डालें, अगर उनकी हर बात पर कान में तेल डालकर बैठेंगे तो कभी न कभी गाड़ी बिना तेल के अटक जायेगी। और हाँ ये याद रखियेगा कि हमारी अटकन जैसे अमेरिका में सुलझी वैसे हर कहीं नही सुलझती। अगर किसी के साथ भारत में ऐसा हुआ हो जरूर बताया जाये कि वहाँ पुलिस वाले मामू और रहागीरों के सहयोगात्मक रवैये के बारे में।

कैसे झेलेंगे हम पाकिस्तान का हमला

तो जनाब हर बार की तरह इस बार फिर कोई दिल्ली , मुंबई में कोई लंकाकांड हुआ और जांच में फिर पकिस्तान का नाम आया और हमेशा की तरह, इस बार भी भारत सरकार को पाकिस्तान की हरकतों पर बहुत गुस्सा आया और हमारी सरकार कड़े शब्दों में कड़ी चेतावनी जारी करके बलपूर्वक अपना विरोध कोफी अन्नान और जार्ज बुश के दरबार में दर्ज कराकर सो गई। पर किसी किसी नामाकूल शरारती दिलजले तत्व ने मियाँ मुशर्रफ के कान भर दिये कि भारत चुपचाप रात में हमला करने वाला है। यह सुनते ही मियाँ मुशर्रफ ने तुरंत पाकिस्तान की मिसाइल कमांड को हमले का हुक्म तामील कर दिया। आगे का घटनाक्रम समयानुसार प्रस्तुत है।

1. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयः 8:00 रात

गतिविधिः पहली मिसाइल दागने की तैयारी चल रही है।

२. स्थानः दिल्ली का नेशनल सेक्योरिटी कमाँड सेंटर || समयः 8:10 रात

गतिविधिः रक्षा मंत्री, रक्षा सचिव, सहयोगी पार्टियों के नेता , प्रधानमँत्री सब आ चुके हैं और सुपर प्राईम मिनिस्टर का इंतजार हो रहा है।

३. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयः8:12 रात

गतिविधिः पहली मिसाइल दाग दी गई, मिसाईल दस मिनट में भारत में गिरेगी।

४. स्थानः दिल्ली का नेशनल सेक्योरिटी कमाँड सेंटर || समयः 8:13 रात

गतिविधिः रक्षा मंत्री बार बार जवाबी आक्रमण के लिये अनुमति माँग रहे हैं पर रेलमँत्री और वामपँथी एकस्वर में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुये मामले को इंटरनेशनल इस्लामिक काऊँसिल में ले जाने की सलाह दे रहे हैं।

५. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयः8:15 रात

गतिविधिः पहली मिसाइल बीच हवा में दग गई। कारण इंजन फेल होना। दूसरी मिसाईल दागने के लिये लगाई जा रही है।

६.स्थानः दिल्ली का नेशनल सेक्योरिटी कमाँड सेंटर || समयः8:17 रात

गतिविधिः जवाबी आक्रमण के लिये बुलाई गई बहस धर्मनिरपेक्षता से बढ़ते बढ़ते पिछले चुनाव में गुप्त रुप से कट्टरपँथी पार्टियों को दिये लिये समर्थन पर जा पहुँची है। रक्षा मंत्री बेबस होकर प्रधानमँत्री को ताक रहे हैं जो पूरी तन्मयता से सुपर प्रधानमँत्री को सारी बहस का तजुर्मा कर रहे हैं। मीटिंग में सारे समाचार चैनल भी घुस आये हैं, पूरी बहस का सजीव प्रसारण हो रहा है।

७. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयः8:23 रात

गतिविधिः मियाँ मुशर्रफ का काफिला मिसाइल कमाँड जा धमका है खुद सारी कार्यवाही अपने सामने अँजाम देने के लिये और पहली मिसाइल गिरने पर समूचा कमाँड सेंटर मियाँ मुशर्रफ की झाड़ खा रहा है।

८. स्थानः दिल्ली का नेशनल सेक्योरिटी कमाँड सेंटर || समयः 8:30 रात

गतिविधिः प्रधानमँत्री दूसरी पाकिस्तानी मिसाईल की तैयारी के लिये खुद मुशर्रफ के जाने की खबर सुन तुरँत रक्षामँत्री को जवाबी हमले का हुक्म दे देते हैं। रेलमँत्री और वामपँथी पक्ष इसे कामन मिनिमम प्रोग्राम का सरासर अपमान मानकर सरकार से समर्थन वापस ले लेते हैं। अब लोकसभा का विशेष अधिवेशन बुलाये जाने की माँग हो रही है।

७. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयः8:32 रात

गतिविधिः मुशर्रफ की निगरानी में दूसरी मिसाईल दाग दी जाती है।

८. स्थानः सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली || समयः 8:35 रात

गतिविधिः सरकार में शामिल सारी पार्टियों ने अल्पमत सरकार के पाकिस्तान पर प्रत्याक्रमण के फैसले की वैधता को चुनौती देने के लिये आपात याचिका दायर कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय के बाहर राम विलास पासवान इसे धर्मनिरपेक्ष ताकतों की जीत बता रहे हैं।

९. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयः 8:40 रात

गतिविधिः मुशर्रफ की निगरानी में दूसरी मिसाईल का लाँच भी फेल हो गया है। अब पाकिस्तान की फौज के पास उत्तर कोरिया की बनी मिसाईल पड़ी है जिसके मैनुअल का अब तक उर्दू में अनुवाद नही हुआ है। आगबबूला मुशर्रफ ने अपने नकारा कमाँडरो को वही मिसाईल बिना मैनुअल के चित्र देखे दाग देने का हुक्म तामील कर दिया है।

१०. स्थानः सर्वोच्च न्यायालय || समयः रात नौ बजे

गतिविधिः सर्वोच्च न्यायालय ने अल्पमत सरकार की वैधता पर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। मामले की गँभीरता को देख कर आडवाणी ने काँग्रेस सरकार के समर्थन का ऐलान किया है। अब आडवाणी के घर के बाहर शिवसेना और बजरँग दल वाले छद्मनिरपेक्षियों के हाथ खेलने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और उधर प्रधानमँत्री के घर के बाहर तीस्तासीतलवाड़, शबाना, कुलदीप नैयर और सीतराम येचुरी कट्टरपँथियो के हाथ खेलने का आरोप लगाते हुये घेराव डाले हैं।

११. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयःरात नौ बजकर आठ मिनट

गतिविधिः मुशर्रफ की निगरानी में तीसरी मिसाईल दाग दी गई है। इसका सँचालन पथ पहले से फीड किया गया था। इसलिये यह पूरे वेग से आसमान में उड़ गयी। पर कमाँड सेंटर के होश तब फाख्ता हो गये जब इसने बजाये दिल्ली के पूर्व की ओर का रूख अख्तियार कर लिया। मुशर्रफ बैचैन होकर प्योडोंग फोन लगा रहे हैं।

१२. स्थानः प्रधानमँत्री आवास || समयः रात नौ बजकर अठ्ठारह मिनट

गतिविधिः प्रधानमँत्री घेराव की वजह से बाहर नही निकल पा रहे हैं। ऐसी आपातकालीन स्थिति में रक्षामँत्री को कार में छुपाकर खुद अरूण जेटली सर्वोच्च न्यायालय ले गये हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने आपातकालिन स्थिति की गँभीरता देखकर लोकसभा का आपातकालीन अधिवेशन बुलाने का आदेश दिया है।

१३. स्थानः पाकिस्तान की मिसाइल कमाँड || समयःरात नौ बजकर बाईस मिनट

गतिविधिः प्योडोंग से खबर मिली की उस मिसाईल में शँघाई का रुट फीड था। मिसाईल शँघाई पर गिर भी गई और तिलमिलाये चीन ने दन्न से अपनी मिसाईल इस्लामाबाद की ओर रवाना कर दी है। मुशर्रफ मियाँ एकसाथ दो दो बुरी खबर न झेल पाने से बेहोश हो गये हैं।

१४. स्थानः लोकसभा || समयः रात नौ बजकर चालीस मिनट

गतिविधिःआपातकालीन अधिवेशन चल रहा है। शिवसेना के सदस्यों की चप्पलो से बचने को भाजपा के सदस्य काँग्रेस की सीट के पीछे का चुपे हैं। येचुरी, लालू और दयानिधि मारन समवेत स्वर में प्रधानमँत्री की धर्मनिरपेक्षता को धोखा देने के आरोप लगाते हुये इस्तीफे की माँग कर रहे हैं। तभी सूचना एवं प्रसारण मँत्री की उदघोषणा से सन्नाटा छा जा है कि अभी अभी इस्लामाबाद में एक चीनी मिसाईल ने भारी तबाही मचाई है। लोकसभा इस्लामाबाद की तबाही पर दुःखी होकर सर्वसम्मत शोक प्रस्ताव पारित करती है और सँभव सहायता का वचन देती है।

१५.स्थानः वाघा बार्डरः || समयः अगले दिन सुबह पाँच बजे

गतिविधिः राहत सामग्री से लदे ट्रकों को कुलदीप नैयर और आडवाणी मिलकर इस्लामबाद की ओर रवाना कर रहे हैं।

उक्त चुटकुला पूर्णतः कल्पना की उपज है। वैसे यह क़िस्सा , कांग्रेस सरकार जिसे हम UPA -१ के नाम से जानते है , तब के दौर का है। खिचड़ी सरकार की खींचतान और विभिन्न पार्टीलाइन जुमलेबाजी से उत्पन्न परिस्थितयां आज के दौर में भी कमोबेश वही है सिर्फ नाम बदल जाते हैं। पढ़ें व मज़े लें।


आदर्श अनिवासी भारतीय (एनआरआई) होने का लिटमस टेस्ट

हर प्रश्न से एक विकल्प चुनिए और देखिए आप कितने परफेक्ट एनआरआई बन चुके हैं|

प्रश्न १ : आपका प्रिय दोस्त भारत से अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ वापस आया है और उसने आपको मित्रदल सहित रात्रिभोज पर बुलाया है| आपको अच्छी तरह पता है कि भोजन के साथ आपको उसका शादी का तीन घंटे का वीडियो कैसेट भी झेलना पड़ेगा| सुस्वादु भोजन के लालच एवं महाबोर कैसेट की पीड़ा के अतंर्द्वद के बीच फंसे आप क्या करेंगे?

क) मित्र के घर जायेंगे और मौका पाकर शादी का कैसेट वीसीआर से निकाल कर चुपके से खिड़की के बाहर उछाल देंगे|

ख) डिनर के बाद लेकिन कैसेट चलने से पहले असह्य पेट दर्द का बहाना बनाकर फूट लेंगे|

ग) पूरी तनमयता से वीडियो कैसेट देखेंगे, यहाँ तक कि शादी में आयी दोस्त की बीबी की चचेरी ननद की खाला की सास का नाम भी आपको याद रहेगा|

प्रश्न २ : आप, डा. गुप्ता जो कि स्थानीय भारतीय समाज मंच के महासचिव हैं, उनके घर पर निमंत्रित हैं, और भोजन के बाद उनका भारतीय संस्कारो पर निरर्थक प्रलाप सुन रहे हैं| तभी उनका चार साल का बेटा प्लास्टिक के बेसबाल बैट से खेल खेल में आपको मारना शुरू कर देता है| नाकाबिले बर्दाश्त हो जाने पर आप क्या करेंगे?

क) बच्चे से बेसबाल बैट छीनकर आप उसी बैट से बच्चे एवं डा. गुप्ता दोनो की धुनाई कर डालेंगे|

ख) रसोई से मिसेज गुप्ता को बुलाकर उन्हें लेक्चर पिला देंगे कि उनका बेटा महाशैतान है और बच्चा पालने की अकल गुप्ता दंपत्ति को कतई नहीं है|

ग) बच्चे की हरकत प्यार से झेलते रहेंगे और ऐसी हरकतो को पारिवारिक संस्कार समझ कर गुप्ता जी के यहाँ यदा कदा जाते रहेंगे|

प्रश्न ३: आपको अगले हफ्ते भारत जाना हैं और आप रिश्तेदारों के लिए क्या लेजाऊँकी दुविधा से ग्रस्त हैं| आप क्या करेंगे?

क) डालरस्टोर से हर माल एक डालर वाली चीजें खरीदेंगे पर भारत जाकर लम्बी हाँकेंगे कि यह बड़े महँगे तोहफे हैं|

ख) सब कुछ भारत जाकर किसी फुटपाथिया मार्केट जहाँ कस्टम में जब्त माल मिलता हो वहाँ से खरीदेंगे|

ग) बाय वन गेट टू फ्री सेल का ईंतजार करेंगे|

प्रश्न ४ : पहले कभी आपने अपने दोस्त को अपने शास्त्रीय संगीत का प्रेमी होने की शेखी मारी थी| आज वह आपको अपनी कार में उस्ताद शाहरूख अली खान के कंसर्ट में ले आया है जो पाँच घंटे बाद भी गाना बंद करने का नाम नही ले रहे| वापस आपको दोस्त की ही गाड़ी में जाना है जो उस्ताद के गायन में इतना खोया हुआ है कि उसे गुमान नहीं कि आपका धैर्य चुक चुका है| अब आप क्या करेंगे?

क) मंच पर जाकर तबलची के एक झापड़ रसीद करेंगे और तबला फाड़ कर सुनिश्चित कर लेंगे कि गाना दुबारा न शुरू हो जाये|

ख) अँधेरे का फायदा उठा कर उस्ताद पर आधा खाया केला उछाल देंगे|

ग) ताली बजा बजा कर "वाह, कमाल कर दिया" की दाद उछालते रहेंगे और वापस जाते हुए हाल के बाहर लगे स्टाल से उस्ताद के दो साल पुराने कंसर्ट की सीडी ले जाना नहीं भूलेंगे|

प्रश्न ५ : आप भारत समाज (या कोई भी ब्राह्मण समाज,तमिल समाज या गुजराती समाज) के सम्मिलन समारोह में दोस्तो से बैठे गप्प लड़ा रहे हैं| अचानक आपको अध्यक्ष महोदय वार्षिक चंदा एकत्र करते हुए अपनी तरफ आते दिखते हैं| आप क्या करेंगे?

क) "आग, आग" चिल्लाते हुए भाग जायेंगे|

ख) सफेद झूठ बोल देंगे कि आप संस्था के आजीवन सदस्य हैं|

ग) अपनेआप को पाकिस्तानी बताकर पीछा छुड़ा लेंगे|

प्रश्न ६ : आप जानते हैं हर दोस्त भारत दौरे से या तो शादी करके लौटता है या सगाई करके| पर आपके परिवार वालों के कान पर आपकी मिन्नतों से भी जूँ नहीं रेंगी| वापस लौटने पर मित्रमंडली में होने वाली फजीहत से कैसे बचेंगे?

क) सबको सफेद झूठ कह देंगे कि आपकी शिल्पा शेट्टी से सगाई हो गई है और उसकी सारी अधूरी पिक्चरों की शूटिंग पूरी होने के बाद आप दोनो परिणय सूत्र में बँधने वाले हैं|

ख) सबको सफेद झूठ कह देंगे कि सारे आने वाले रिश्तों में दहेज मिलने की शर्त थी, और आप जैसा आदर्शवादी उन्हें ठुकराकर आ गया|

ग) सबको सफेद झूठ कह देंगे कि आपने ईस्कान की सदस्यता के साथ साथ आजन्म ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया है, ताकि आप निर्बाध रूप से समाज सेवा कर सकें|

प्रश्न ७ : शब्द "मल्टी" का उच्चारण कैसे करेंगे?

क) कार्यस्थल पर और अंग्रेजो के बीच "मल्टाई", देशियों के बीच "मल्टी"|

ख) ठीक उल्टा, यानि कि देशियों खासतौर पर बिहारियों,यूपी वाले और दक्षिण भारतीयों के सामने "मल्टाई" जब्कि अंग्रेजो के बीच "मल्टी"|

ग) "मल्टी" और इसके जैसे अन्य विवादास्पद शब्दों जैसे एन्टी,रूट और सेमी के प्रयोग से यथासंभव बचेंगे|

प्रश्न ८ : आखिरकार आप एक हिंदुस्तानी स्वपनसुंदरी को व्यक्तिगत रात्रिभोज पर महँगे भारतीय रेस्टोरेंट में लेजाने में कामयाब हो जाते हैं| आपके अनुरोध पर वह खासा महँगा डिनर और मैंगो लस्सी आर्डर करती है| आपके पर्स को और चूना लगाते हुए वह केसर कुल्फी भी मँगा लेती है और बातो के दरम्यान आपसे पीछा छुड़ाने के लिए वह आपने एक ब्वायफ्रेंड का जिक्र करती है जो भारत में है| उस वक्त आप क्या करेंगे?

क) हँगामा करते हुए तमाशा खड़ा कर देंगे| उसे कह देंगे यह सरासर खुदगर्जी है| उसे कम से कम बिल चुकाने के लिए राजी करेंगे| उसके न मानने पर उसकी केसर कुल्फी झपट लेंगे|

ख) एक अभिजात्य की तरह पेश आयेंगे, और बाथरूम जाने के बहाने बिना बिल चुकाये फूट लेंगे और फिर कभी उसके सामने नहीं पड़ेगे|

ग) उसको चुनौती देंगे| उसे अपने ब्वायफ्रेंड की वास्तविकता साबित करने को मजबूर कर रक्षात्मक रूख अपनाने पर मजबूर करेंगे| अपने को विकल्प के रूप में पेश करेंगे|

परिणाम विश्लेषण

१) अगर आपके सारे जवाब (क) हैं तो

शत शत बधाई| आप अप्रवासी भारतीयों के पद्म विभूषण हैं| आपको एनआरआई श्रेणी में उच्च स्थान प्राप्त होने के कारण कोई भी ऊलजलूल हरकत करके साफ बच निकलने की पूरी लाईसेंसी छूट हासिल है|

२) अगर आपके कुछ जवाब (ख) मगर ज्यादातर जवाब (क) हैं तो

आप काफी प्रगति कर चुके हैं| कुछेक साल डालरलैंड में रहने और दोचार सुपरबाऊल टूर्नामेंट देखने के बाद आप अप्रवासी भारतीय पद्म विभूषण पदक पर अपना दावा ठोंक सकते हैं|

३) अगर आपके कुछेक जवाब (ग) हैं तो

आप प्रगतिपथ पर हैं, भारतीय वेबसाईट एवं मैसेजबोर्ड देखना बंद कर बेएरिया में मूव हो जाईये, अच्छे एनआरआई बन जायेंगे|

४) अगर आपके सारे जवाब (ग) हैं तो

आप यहाँ खामखाँ झक मार रहे हैं, इससे तो आप भारत में ही भले थे|आप यहाँ खामखाँ झक मार रहे हैं, आपकी कूपमंडूकता शिकागो में रहने से भी नहीं जायेगी चाहे आप इससे तो आप शिकोहाबाद में ही भले थे|


आज आपने फील गुड किया या नही?

सवेरे उठती हैलो हाय छोड़िये जय माता की बोलिए की चीत्कार

साथ में गुरुद्वारा और मस्जिद और काँटा लगा का मिला जुला शोर

बोर्ड परीक्षार्थीयों एवं उनींदे बच्चों को जबरन फील गुड कराता है

आज आपने फील गुड किया या नही? मैं तो कर रहा हूँ

नलों की टोटियाँ तीन दिन से सिसक रही हैं जल संस्थान का टैंकर भी नदारद है

शायद कार्पोरेटर महोदय की भतीजी के विवाह समारोह में लगा है

ईडियट बाक्स बताता है जल सँकट भूगर्भजलस्तर के रूठने से छाया है

कोक पेप्सी जैसी फैक्ट्रीयाँ दिनप्रतिदिन पातालतोड़ जलदोहन करती हैं

और भूगर्भजलस्तर फिल्मी हिरोईन के मानिंद शर्मा गया

पर आप ईससे फीलबैड की खता न करिए

और कीटनाशकों से भलीभाँति स्वच्छ किए गये मिरांडा का स्वाद लिजिए

सरकार ने क्लीन चिट दी है इसलिए नाहक चिंता न कीजिए

आपने अभी तक फील गुड किया या नही? मैं तो कर रहा हूँ

हमें दिल जीतना आता है और सिर्फ दिल ही जीतना आता है

बगल से कुछ सिरफिरे हमारे सिर पर चड़ कर बंदूक दाग जायें

जम्मू में मासूम बच्चें गोलियों से छलनी कर दिये जायें

या अनगिनत कश्मीरी अपने अपने घरौंदे से बेदखल होकर टेंट में रहें

पर हम मासूम खाड़कुओं के घावों पर हीलिंग टच देते रहेंगे

ऐसा नही कि हम बेगैरत हैं दब्बू हैं या साफ्ट स्टेट हैं

भाई अलबर्ट पिंटो की तरह हमें भी गुस्सा आता है

हम भी कभी कभी जबानी गोलीबारी कर लेते हैं

लेकिन पावेल साहब या टोनी अंकल की डपट से हमारी पैंट ढीली हो जाती है

अब कहीं वो हमारा राशन पानी बंद कर दें तो आप सब फील बैड ही करेंगे

भाई नेताजी खुद मिनरल वाटर पीकर पब्लिक को एक टाईम भूखा रहने की सीख नही दे सकते

तभी तो हमारी क्रिकेट टीम भी नटखट पड़ोसियों को फील गुड करा रही है

लगता है आपको हर बात में मीन मेख निकालने की आदत है

अरे भाई आपको तो स्वर्णिम चतुर्भज से भी शिकायत है

क्या हुआ जो वह आपके शहर से दूर से निकल जाता है

आपके शहर में तंग सड़के ही सही पर बेंज और टोयोटा की डीलरशिप तो है

मर्सिडीज चलाईये डीवीडी देखिये दोसौ का बरगर खाकर फील गुड करिए

नौकरी न मिलने की रट छोड़िए , एमवे के प्रोडक्ट बेचिए चाहे घर घर रूमाल की फेरी लगाईये

कुछ न मिले तो किडनैपिंग का धंधा जाम लीजिए , फिल्में सब सिखा देंगी

कुछ भी करिए पर फील गुड जरूर करिए

नहीं तो पड़ोस का लड़का जो अब तक लंपट बन के घूमता था

कल त्रिशूल थामे आयेगा और आप जैसे नास्तिक दुकनदारों से चंदा वसूली करेगा

दिन भर आप के पैसे से आप ही को कानफोड़ू लाउडस्पीकर पर धार्मिक शोर सुनाएगा

और रात में मंदिर के बाहर चबूतरे पर काँटा लगा चिल्ला चिल्ला कर लौडाँ डाँस दिखाएगा

ईसलिए कहता हूँ कि शाँति व्यवस्था में सहयोग दीजिए और पेट्रोल गैस के दाम बड़ने दीजीए

अब तक नपुंसक रहे हैं तो अब भी अपने दड़बे में घुसे रहिए,

बेवाच देखिए चाहे फैशन चैनल देखिए, पर फील गुड करिए और ईंडिया को शाईन करने दीजिए|

वाजपेयी सरकार का कार्यकाल पूरा होते होते पूरे राष्ट्र को इंडिया शाइनिंग का सब्जबाग दिखाया गया था। आपको फील गुड का नारा याद होगा। लगता था हम सुपर पावर अब बने तब बने। यह तुकबंदी उन्ही दिनों की राजनीती पर उपजी खिसियाहट है।

गोविंदा, सल्लू और प्रभु देवा को चुनौती देने आया मेंबले !

पिछले सप्ताहांत पर बाँके बिहारी हैप्पी फीट देखने को पसड़ गये। आमतौर पर अपनी कोशिश यह रहती है कि ऐसे मौको पर बालगोपालमँडली को उनकी माँ के कार्टून देखने छोड़कर हम ऐसी कोई फिल्म देखना पसंद करते हो जिसे देखने में घर में बाकी सबकी फूँक सरकती है यानि कि हारर या जबरदस्त एक्शन। मल्टीप्लेक्स में पिक्चर देखने के यह फायदे है। पर इस बार कोई धाँसू विकल्प न होने से हैप्पी फीट देखनी पड़ी।

पर अपनी राय यह बनी कि मौका लगे तो जरूर देखी जाये यह फिल्म। कहानी शुरू होती है इस फिल्म के नायक श्रीमान मेंबले के माता पिता मेम्फिस और नोर्मा जीन नाम के पेंग्विन्स के संगीतमय मिलन से। चौंकिये मत, गा बजाकर प्रेमियों को रिझाने की कला पर सिर्फ बॉलीवुड का पेटेंट नही है। हर पेंगविन्स के लिये दिल से गाना आना जरूरी है। अब नोर्मा जीन तो चल देती है मछली के शिकार पर और रात भर अँडा सेंकने की ड्यूटी लगती है मेम्फिस साहब की। यह भी अँटार्कटिका के पेंगविन्स की जीवनशैली का अटूट नियम है। इनके चूजे अपनी माँ को तड़ से पहचान भी लेते हैं। पर लोचा यह हो जाता है कि मेम्फिस मियाँ जो रात्रिकाल में बाकी सब पेंग्विन्स के साथ भैरवी आलाप रहे थे अँडा कुछ देर के लिये खो बैठते हैं। शायद उसका असर था या कुछ और कि उनकी संतान मेंबले नाचते हुये अँडे से बाहर आती है।

अब इस कहानी में ट्रैजेडी भी है, ड्रामा भी और इमोशन भी। बेचारा मेंबले नीली आँखो वाला खूबसूरत पेंग्विन है पर सबसे सुरीले माँ बाप की निहायत ही बेसुरी संतान। बेचारे को ग्रेजुऐशन डे पर डिग्री नही मिलती। वह बात अलग है कि वह गजब का नचैया है , यार अपने गोविंदा को भी मात करता है । मेंबले का दिल भी आना था तो सबसे सुरीली ग्लोरिया पर। मेंबले को कुछ हिप हाप गाने वाले दोस्तों की टोली मिल जाती है। हिप हाप गायक एडले एमिगो और मेंबले की ताल मचा देती है पेंगविन्स की महफिल में धमाल। पर जैसा हर हिंदी पिक्चर में होता है , समूह के मुखिया नोहा को मेंबले की टोली के यह तौर तरीके सीधे सीधे संस्कृति पर हमला लगते हैं और वह उन्हे पंचायत के साथ मिलकर समूह निकाल दे देता है।

बेचारा मेंबले वहाँ से निकलकर टकराता है एडले एमिगो के धर्मगुरू लवलेस से। अब लवलेस ऐसा इकलौता पेंग्विन है जिसने साक्षात एलियन्स यानि की दूसरी दुनिया के लोगो को देखा है। यह धर्मगुरू भी भारतीय धर्मगुरूओ की तरह बिना दक्षिणा के कुछ नही बताता। उसका ब्रह्मवाक्य है "एक पेबल दो, एक सवाल का जवाब पाओ।" पेबल संगमरमरी पत्थर को कहते हैं जिस पर बैठना लवलेस को पसंद है।

यही सारा वितंडा शुरू होता है, मेंबले को लगता है कि उसके पेंग्विन समूह की इकलौती परेशानी यानि की भोजन सामग्री में होती कमी के पीछे एलियन्स ही जिम्मेदार हैं। मेंबले पूछता है लवलेस से कि क्या एलियन्स समझाने से मान जायेंगे? लेकिन लवलेस मियाँ की एलियन्स के दिये उपहार में अटकी गर्दन से आवाज ही नही निकलती। दरअसल यह एलियन्स कोई मँगल गृह के प्राणी नही आप और हम यानि कि मानव हैं, और लवलेस के गले में अटका दुलर्भ हार वस्तुतः कोक के केन को फँसाये रखने वाला प्लास्टिकनुमा छल्ला है। अब मेंबले, लवलेस और एडले एमिगो की टीम निकल पड़ती है एलियन्स से मिलने के जीवट अभियान पर। रास्ते में कुछ सील मछलियाँ और व्हेल से हुई भिड़ंत पूरा आईमैक्स थियेटर हिला देने को काफी थी।

जुझारू मेंबले एलियन्स के पानी के जहाज के पीछे तैरता अकेला ही पहुँच जाता है न्यूयार्क सिटी। पर परिस्थितियाँ उसे एक चिड़ियाघर में पहुँचा देती है। अपने पेंगविन कुल के लिये परेशान मेंबले चिड़ियाघर आने वाले हर एलियन्स यानि की मानव से गुजारिश करता है कि हमारे भोजन को हमसे मत छीनो हम मिट जायेंगे पर उसकी भाषा कोई नही समझता। इकोसिस्टम को बिगाड़ने पर अमादा इंसान शायद ऐसी मर्मस्पर्शी तरीके से कुछ समझ सके।

यही एक छोटी लड़की को मेंबले मियाँ अपना टैप डाँस क्या दिखाते है कि पूरे न्यूयार्क में चिहाड़ मच जाती है। विज्ञानीजन मेंबले की पीठ में सेंसर बाँध कर उसे वापस अँटार्कटिका भैज देते हैं। वह अपने परिवार से मिलकर बहुत खुश होता है और सब मिलकर डाँस करते है बिल्कुल दिलीप कुमार वाले "कोई मेरे पैरो में घुँघरू बँधा दे .." जैसा। नोहा फिर खरीखोटी सुना ही रहा होता है कि एलिय्नस यानि कि मानव टपक पड़ते हैं । नोहा कोई और चारा न देख मेंबले को टैप डाँस करने को बोलता है। सारे पेंग्विन नाचते हैं और विज्ञानीजन अँदाज लगाते है कि पेंग्विन कुछ कहना चाहते हैं। बात बढ़कर यूनाईटेड नेशन पहुँची और अँटार्कटिका में मछिलयो के शिकार पर प्रतिबँध लग जाता है।

वार्नर ब्रदर्स की इस अजीमोशान पेशकश की समाप्ति के बाद देखा कि हाल में पिक्चर देखने आये दर्शक बच्चे ही नही साठ साठ साल के बूढ़े भी थे। हॉल के बाहर मजाल है कि कोई भी बच्चा बिना टैप डांस करते न निकला हो। यह सब देखकर सोच रहा था कि अब वार्नर ब्रद्रस हॉल के अलावा बच्चो के टीशर्ट , कप प्लेट , खिलौने यहाँ तक कि चढ्ढी बनियान पर मेंबले की तस्वीर छाप-छाप कर नोट बनायेगी जब्कि बॉलीवुड के निर्माता सरकार के सामने कटोरे फैलायेंगे कि सबसिडी दो अगर बच्चो की फिल्म बनवानी है तो। यार यहाँ जार्ज मिलर ने खेल खेल में सामाजिक महत्व का संदेश भी दे दिया और अपने बॉलीवुड के नकलटिप्पुओं को सत्तर के दशक की कहानियों की मय्यत निकालने से फुर्सत नही। चालीस पचास साल में कितनी बाल फिल्में बनायी हैं हमने ? सफेद हाथी, शिवा का इंसाफ,छोटा चेतन और मकड़ी। इसमें से सफेद हाथी को छोड़कर अपन को तो मनोरंजन में लपेटकर संदेश देती और कोई फिल्म नही लगती।

हैप्पी फीट के एनिमेशन गजब के हैं और व्हेल से पिंड छुड़ाते मेंबले और लवलेस के सीन में ध्वन्यात्मक प्रभाव हैरतअँगेज। धरती के इस कोने में हर क्षण अंगहिलाते रहना पेंग्विन की मजबूरी है क्योंकि ऐसा नही करने पर खून जम जाता है, पर इस गहन बात को एक सुरीली रात के दृश्य से समझाया गया है और नन्हे मुन्ने यह आसानी से समझ जाते है कि पेंग्विन्स के रात भर गा गाकर मनाने से ही अँधियारे मे छुपा सूरज निकलता है। हिपहाप गायक एडले एमिगो की अलग बस्ती और उनके नाच पर नोहा का नाक भौं सिकोड़ना सूक्षम्ता से दर्शाता है कि गोरो के दिमाग से रंगभेद अभी गया नही।

फिलाडेल्फिया के सिटी हाल मे शोले का सजीव प्रदर्शन!

कल फिलाडेल्फिया के सिटी हाल पर एक वीरू चढ गया और सारा गाँव इकठ्ठा हो गया। बिल्कुल शोले की तरह। फर्क सिर्फ इतना था कि गाँव वालो की जगह दमकल,पुलिस, डाक्टर,नागरिक और नगर पालिका के तमाशबीन थे, मौसी की भूमिका थी एफबीआई की,वीरू थे एक नगर पार्षद श्री रिक मैरियानो और जय की भूमिका मे थे मेयर जान स्ट्रीट। यहाँ के नेताओ ने वाकई शोले की स्टोरी से प्रेरणा लेकर तमाशा खड़ा किया था। ट्विस्ट सिर्फ इतना था कि श्रीयुत मैरियानो जो एक बिजली कारीगर की हैसियत से नगर पार्षद तक का सफर तय कर चुके हैं अपने ऊपर एफबीआई द्वारा भ्रष्टाचार, कदाचार, अनाचार,व्यभिचार और न जाने कौन कौन से आचार जैसे असंख्य आरोपो की जाँच से त्रस्त होकर सिटी हाल के टावर पर चढ गये। जिस टावर से वह कूदने की धमकी देते रहे वहाँ ऐसा सुरक्षा घेरा बना है कि मैरियानो के फरिश्ते भी नही कूद सकते। कूद भी जाते तो दस पँद्रह फुट नीचे प्लेटफार्म पर गिरकर ज्यादा से ज्यादा हाथपैर की हड्डी तुड़ा बैठते। पर जब दमकल वालो ने उन्हे जबरन नीचे उतारने के लिए सीढीयाँ लगाई तो जय भैया, यानि कि मेयर जान स्ट्रीट जिनकी गरदन पर खुद एफबीआई वालो का शिकँजा है, नमूदार हुए। जाने क्या उन्होनें वीरू को समझाया कि वीरू भाई नीचे आ गये।

हाल-फिलहाल अपने वीरू भाई फिलाडेल्फिया के मानसिक चिकित्सालय मे अवसाद का ईलाज करा रहे हैं। जिस तरह से बालीवुड वाले हालीवुड से प्रेरणा लेते रहते हैं, उसी तरह से फिलाडेल्फिया के नेताओं ने हमारे बालीवुड की फिल्म शोले से स्टंट की प्रेरणा ले डाली है। अगर यह प्रेरणाचक्र आगे घूम कर कहीं भारत पहुँच गया तब तो हर शाख (इमारत) पे उल्लू (नेता) बैठ जायेगा। क्योकिं अपने यहाँ सारे नेता तो रिक मैरियानो के भी उस्ताद है। ऐसे में ऊँची अट्टालिकाओ की कमी पड़ सकती है और नेताओ में जाँच से बचने के लिए ऐसी ईमारतों पर चढने के लिए मारामारी भी हो सकती है। भारत सरकार को अब शाँति भँग होने से बचाने के लिए सभी ऊँची इमारतों की छते सील कर देनी चाहिए।

अब तक छप्पन

शीर्षक से अगर नाना पाटेकर की तस्वीर दिमाग मे आ रही हो तो उसे झटक कर कुछ मजेदार तथ्यों से अवगत हो लीजिये-

क्या आप जानते हैं कि

1.मादा प्रजाति से भेदभाव छींक जुकाम का कारण है।

2.भारतीय छींकने के माले में निहायत ही बदतमीज होते हैं।

3.जुकाम , खाँसी वगैरह का सबसे ज्यादा प्रकोप अप्रैल मई में होता है।

4.बिना आँखे बंद किए छींकना असंभव है, ऐसा न करने पर आँख की पुतलियाँ बाहर टपक कर गिर सकती है।

अब आप इन तथ्यों को बकवास करार ही करार देंगे, क्योंकि जुकाम वगैरह तो सर्दी में होता है, और फिर छींकने और शराफत का क्या मेल और उस पर तुर्रा यह कि महिलाओं से भेदभाव का जुकाम का कारण है?

दिल्ली या मुंबई जैसे किसी शहर में बैठकर ऐसे किसी भी नतीजे पर पहुँचने से पहले जरा अपनी सोच को आठ हज़ार मील खिसकाइए और उत्तरी अमेरिका के किसी भी शहर में चार पाँच साल रहकर देख लीजिए ऊपर की कोई बात दूर की कौड़ी नही लगेगी।

दरअसल उत्तरी अमेरिका में बसंत का आगमन अमूमन अप्रैल के मध्य तक होता है। यही समय होता है जब विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों वंशवृद्धि के लिए सक्रिय होते हैं। उनकी वंशवृद्धि पराग-कणों के प्रसार पर निर्भर होती है। अब कुछ प्रजातियाँ निर्भर करती है कीट पतंगों पर जो कहलाती है एन्ट्रोमोफिलस और कुछ प्रजातियाँ निर्भर करती हैं वायु द्वारा पराग-कणों के विस्तार पर जो कहलाती हैं एनिमोफिलस। यही एनिमोफिलस उत्तरी अमेरिका के लिए बवालेजान बन जाता है। यही नारी प्रजाति से भेदभाव का दुष्परिणाम भी है। दरअसल पराग-कण या पोलन एलर्जी का मुख्य कारण है। यह अति-सूक्ष्म पराग-कण श्वसन तंत्र में जाकर श्वास नलियों की सूजन , छींक या जुकाम का कारण बनते हैं। कुछ अन्य दुष्प्रभावों में ज्वर आना, आँखे लाल होना भी शामिल है। इनसे लाखों करोड़ों लोग प्रभावित होते हैं और और यह पोलन प्रतिवर्ष इस तरह कामकाजी आबादी को बीमार कर अर्थव्यवस्था को करोड़ों का नुकसान पहुँचाता है।

अब मूल कारण तो पता लग गया छींक का , पर भला इसमें नारियों से भेदभाव की बात कहाँ से आई? बात नारियों की नही मादा प्रजाति की हो रही है। दरअसल शहरी इलाकों में लोगों को अपने घरेलू बगिया में पेड़ पौधे लगाने का शौक तो बहुत है पर फूल, फल का कचरा उठाना , कीट पतंगों का आना जाना पसंद नही। अब उदाहरण के लिए मान लीजिए आपके घर के सामने बेरी का झाड़ है, इतनी बेरियाँ उगती हैं पेड़ पर कि पूरा घर खाकर अघा जाए। अब पड़ोसियों को कहाँ तक बाँटे और फिर रोज रोज कौन चुने,काँटा लगने का खतरा भी है। नतीजा यह कि फालतू बेरी आपके लॉन में गिरेंगी और सड़कर गंध पैदा करेंगी और कीट पतंग, कीड़े मकोड़ों को न्योता देंगी सो अलग। ध्यान देने की बात है कि फल तो हमेशा मादा प्रजाति के पेड़ पौधे ही देते हैं। अतः सफाई पसंद शहरी आबादी अक्सर नर प्रजाति के सिर्फ फूल पत्ती वाले नर प्रजाति के पेड़ पौधे लगा डालते हैं। नतीजा पराग कणों की अधिकता और बसंत आते ही दनादन छींके।

अब बात करें अमरीकियों की शराफत और हिंदुस्तानियों की तथाकथित बदतमीज़ी की। यह भी एक मजेदार तथ्य हैं। जरा सोचिए , अपने हिंदुस्तान में जब कोई छींकता है तो लोग क्या कहते हैं? "धत्त-तेरे-की!" दरअसल बहुतों को अंधविश्वास हैं किसी शुभ काम से बाहर जाने से पहले छींकना अपशकुन की निशानी है। अमेरिका में आने के बाद आप देखेंगे कि लोग कहते हैं "गॉड ब्लेस यू" यानी भगवान आपका भला करे। दरअसल ईसाइयों मे ऐसा माना जाना है कि छींकते वक्त आपका दिल क्षण भर को रुकता है और आपकी आत्मा मुँह के रास्ते बाहर आ जाती है। आपकी आत्मा को शैतान न लपक ले, अतः गॉड ब्लेस यू कहा जाता है ताकि आत्मा वापस शरीर में लौट जाए। वहीं जर्मन और यहूदी किसी के छींकने पर कहते है "जिसनडाईट " इसका भी मतलब यही है कि भगवान आपका भला करे। पुराने समय में यूरोप में ब्योबोनिक प्लेग के फैलने पर लोगों ने जिसनडाईट कहना शुरू किया , ऐसा वे रोगी की स्वास्थ्य कामना हेतु कहते थे। आधुनिक काल में भी जर्मन स्वास्थ्य शुभकामना जिसनडाईट कहकर व्यक्त करते हैं। इस जिसनडाईट ने एक बार बात का बतंगड़ भी बनाया है। एक कंपनी है शार्पर ईमेज। इस कंपनी ने एक वायु शुद्धिकरण यंत्र यानि कि एयर प्यूरीफायर बनाया और उसके विज्ञापन में लिख दिया अपनी जिंदगी से जिसनडाईट को निकाल दो। अब इसका अर्थ तो यही निकला न कि अगर हमारा उत्पाद उपभोग करोगे तो न तो जिंदगी भर एलर्जी न होगी न आप छींकोगे न किसी को आपको जिसनडाईट कहने की जहमत उठानी पड़ेगी। पर अर्थ का अनर्थ यह निकलता है कि जिंदगी से अच्छे स्वास्थ्य की ही छुट्टी। अब अपनी संस्कृति को ठेस लगने पर बमचक मचाने का ठेका खाली हिंदुस्तानियों ने थोड़े ही ले रखा है । अमेरिका में रहने वाले जर्मन वशंजियों ने भी शार्पर ईमेज के नाको चने चबवा दिये थे।

अब सोचिए किसी के छींकने पर क्या अब भी आप धत्त-तेरे-की बोलना पसंद करेंगे। बताता चलूँ कि छींकते छींकते, छींके गिनते ही इस लेख का शीर्षक सूझा है।

मुन्ना कबाड़ी और पत्थर से टक्कर!

मेरे उस दोस्त मुन्ना का असली नाम शायद ही किसी को मालुम हो| यहाँ तक कि घर के लोग भी उसका असली नाम भूल चुके थे| हाँ कबाड़ी उपनाम हम सबने सिर्फ स्नेहवश ही नहीं जोड़ा था| दरअसल मुन्ना कबाड़ी को स्कूली दिनों मे इलेक्ट्रानिक का शौक चर्राया था और वह अक्सर विद्युतचालित घंटियाँ, रिमोट और न जाने क्या क्या शगूफे ईजाद करने के फेर में कबाड़ से स्प्रिंग, लोहा ईत्यादि ढूड़ा करता था|

हम सब गर्मी की छुट्टियों में फुटबाल खेलते थे| क्रिकेट के खेल में तो कभी कभी बड़े लोग भी घुसपैठ बना लेते थे| पर फुटबाल का खेल ज्यादा दमखम माँगता है, अतः कोई व्यस्क सींग कटाकर हम बछड़ो की टोली में शामिल नहीं होता था| कुछ दिन बाद न जाने कहाँ से एक हट्टा कट्टा युवक हम लोगो की फुटबाल टीम में खेलने आ गया| पता चला कि वह कोई फौजी था और छुट्टियों मे घर आया था| लड़को को फुटबाल खेलते देख वह भी शामिल हो गया| हम सब भी खुश कि कोई एक्सपर्ट मिल गया| लेकिन खुशी जल्द ही जलन में बदल गयी| फौजी भाई पेशेवर खिलाड़ी थे और उनके साथ फुटबाल खेलने में हमारे नाको चने चब जाते थे| विपक्षी टीम हमेशा दस पंद्रह गोल से हारती थी|

एकदिन हम लोग डट कर खेले और खेल खत्म होने से कुछ देर पहले मामला बराबरी पर चल रहा था| हमारी तरफ से मुन्ना कबाड़ी गोलची बने थे| मुन्ना भाई ज्यादा कवायद से बचने को हमेशा गोलची ही बनते थे| अचानक आखिरी क्षणों में फौजी भाई की टीम को पेनाल्टी किक मिल गई| अब रोमांच चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया| मुन्ना भाई गोल के एक कोने से दूसरे कोने तक दीवारघड़ी के पेंडुलम की तरह डोल रहे थे| सामने फौजी भाई पेनाल्टी किक के लिए तैयार थे और हम सब समवेत स्वर में चीख रहे थे "मुन्ना ईज्जत का सवाल है गोल मत होने देना"| मुन्ना कबाड़ी के डोलने की आवृति छण प्रतिक्षण बढ़ती जा रही थी और साथ साथ हम सबकी उसको चने के झाड़ पर चढाती चीखें भी| हल्ला गुल्ला समझ कर मोहल्ले वाले भी खिड़की दरवाजों से झाँकने लगे कि लड़को में मारपीट तो नहीं हो गई| पर मैदान का महौल देख कर सब साँस थामें देखने लगे| तभी मुन्ना भाई की नजर उनके इकतरफा ईश्क पर पड़ी जो ईमली वाले के ठेले के पास खड़ी चूरन लगी इमली खा रही थी और टकटकी बाँधे मुन्ना भाई पर अपनी सखियों के साथ नजरे गड़ाये थी| अब वाकई मुन्ना भाई की ईज्जत का सवाल था| फौजी भाई को भी ताव आ गया और उन्होने एक दनदनाती पेनाल्टी शाट मारी| हम सब चीखें "मुन्ना बाल गोल के बीच में जा रही रही है"| मुन्ना कबाड़ी गोल के कार्नर से बीच में कूदे | उधर फुटबाल तोप के गोले की तरह उनके सिर से टकरा कर नब्बे डिग्री के कोण पर ऊपर की उछल गयी और ईधर हम सब हिप हिप हुर्रे करते हुए मुन्ना भाई की ओर दौड़ पड़े| गोल पर जाकर देखा तो मुन्ना भाई चित्त पड़े थे और उनकी आँखे लट्टू की तरह घूम रहीं थी| उनको होश में लाने पर जब बधाई दी गयी तो उन्होनें कबूला कि वास्तव में उन्हे फुटबाल दिखी तक नहीं थी| वह तो न जाने कैसे गोलपोस्ट और फुटबाल के बीच में आ गये थे और उन्हे ऐसा लगा था कि किसी ने उनके सर पर आलू से भरा बोरा घसीट के दे मारा हो| खैर हमने उनकी ईज्जत की खातिर यह राज किसी को नहीं बताया और आप भी किसी से मत कहियेगा| 


चेतावनी गीत

एक मर्तबा हमारे एक मित्र को अपने साले की शादी में शुभकामना गीत गाने की जबरन जिम्मेदारी दी गई। मित्रमंडली में एकमात्र उनका ही साहित्य से दूर का नाता ठहरा। अब, “कविता रचना कुछ मुश्किल सा काम है। बहरहाल, जो भी तुकबंदी लिखी उन्हें पसंद आ गयी और वह ले गये मेरी कविता।” अब उनके मित्र का साले की शादी में क्या हश्र हुआ वह तो पता नही पर निरंतर पत्रिका में पूर्व प्रकाशित यह हमारी इकलौती कविता यहाँ प्रस्तुत है।

प्यारे साले साहब, आप बड़े खुश दिख रहे हैं!

आप ही नहीं, ससुर जी और बाराती भी हँस रहें हैं!

पर जनाब! ये इसलिए खुश दिख रहें है क्योंकि आप फँस रहे हैं।

इनकी हँसी पर मत जाइये,

अभी भी वक्त है, सँभल जाईये।

तुर्शीदार मूँछो वाले यह सब क्या बबर शेर हैं?

जी नहीं! यह तो सर्कस वाले कागजी शेर हैं।

इनका उठना-बैठना, खाना-पीना, हँसना-बोलना, सब रिमोट से चलता है।

गर यह न सुने तो इनकी होममिनिस्टर का कोड़ा चलता है।

बाहर यह सब भले ही इतरा के चलते हैं,

पर क्या आपको पता है कि घर से घोड़े का चश्मा लगा के निकलते हैं?

आपके फँसने की खबर सुन हम भागे-भागे आये हैं।

आप किसी की कातिलाना मुस्कान के, झाँसे में न फँसे यह बताने आये हैं।

और हम खाली हाथ नहीं आये है।

बाहर हमारी मारूति वैन खड़ी है।

जिसमें आपके लिए होनोलूलू की टिकट पड़ी है।

अभी भी वक्त है संभल जाईये।

किसी की नाज़नीन मुस्कुराहट पर मत जाईये।

मौका मिलते ही पतली गली से निकल जाईये।

पर कहते हैं, पाँचो अंगुलियाँ एक सी नही होती,

हरेक की तकदीर आप सी बुलंद नही होती।

हो सकता है आप कुछ कर-गुजर जायें।

सर्कस के शेर बनते बनते बबर शेर ही बन जायें।

अगर आप ओखली में सर देने को तैयार हैं,

तो हम भी आपके साथ बिल्ली के गले में घंटी बाँधने को तैयार हैं।

आप संघर्ष करिए, हम आपके साथ हैं।

वैसे चिंता न करिए, समधी जी आपके सालों की फौज के साथ दरवाजे पर तैनात हैं।

हम दुआ करते हैं कि भले ही आपके सारे बाल गिर जायें।

पर आप अपनी शादी की पचासवीं सालगिरह अपनी छत पर चाँदनी रात में मनायें।

उस मुबारक रात के लिए हम अपना शुभकामना संदेश अभी से लिख अपने पास रखे हैं।

जिसके बोल यह कहते हैं,

आज रात तीन चाँद खिले हैं।

एक आसमां में, एक घूँघट में और एक…

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