झूठी है महोब्बत डॉ. ऋषि अग्रवाल द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

झूठी है महोब्बत

आज कल मोहब्बत फेक हैं, क्यूंकि आज की मोहब्बत फेसबुक और व्हाट्सअप हो गई हैं l यहाँ रोज नित नए चेहरों से मुलाक़ात हो जाती हैं धीरे - धीरे दोस्ती और फिर मोहब्बत की शुरुवात हो जाती हैं l फिर नम्बरों का आदान प्रदान होता हैं और पूरी रात जाग कर मोहब्बत के पाठ पढ़े जाते हैं l वादों का सिलसिला चलने लगता हैं, साथ निभाने के की कसमें खाई जाती हैं l

फिर धीरे धीरे रिश्तो में शक और जरूरत का नाम आ जाता हैं, और रिश्ते टूट कर चकनाचूर हो जाते हैं l फिर दोनों एक दुसरे से बात करना बंद कर देते हैं लड़का या लड़की एक दुसरे को ब्लोक कर देते हैं और फिर एक दुसरे को भूल कर और नयें के साथ शुरू हो जाते हैं l वो ही कर्म चलता हैं और मोहब्बत तमाशा बन जाती हैं l

कुछ सच्ची मोहब्बत करने वाले भी होते हैं उनमें कुछ शराबी तो कुछ देवदास तो कुछ शायर बन जाते हैं और कुछ इतने निराश हो जाते हैं खुद को खत्म कर लेते हैं पर ये वो होते हैं जो सच्चे दिल से प्यार करते हैं पर आज के युग में सच्ची मोहब्बत कभी किसी को रास नहीं आती हैं और यही आज का सच्च हैं किसी को हद से ज्यादा चाहना खुद को बर्बाद करने के सिवा कुछ नहीं हैं l

मोहब्बत पहले के जमाने में होती थी l क्यूंकि उस वक्त फेसबुक, व्हाट्सअप नहीं थे l उस वक्त चिठ्ठिया लिख कर मोहब्बत का इकरार होता था और वो प्यार दिल से निभाया जाता था पर आज कल प्यार दिल से नहीं दिमाग से चलाया जाता हैं l किसी को खोने का किसी को गम नही होता क्यूंकि सबके पास न्यू ओपोर्चुनिटी जो तैयार रहती हैं l

ये कैसी मोहब्बत हैं इस युग में कुछ दिन अपने दिल में उसे शहंशाह या रानी बनाके रखते हैं और जब वो दिल से उतर जाता हैं तो उसे गाली गलोच, उसकी बुराईयाँ और उसको बर्बाद करने की वजह ढूंडते रहते हैं l जिसके लिए कभी दुआ में हाथ उठते हैं उसी के लिए बर्बादी के सपने देखने लगते हैं l यही हैं आज की मोहब्बत और आज का दर्द - ए - इश्क l

आजकल मोहब्बत मजाक हैं कर तो सभी लेते हैं निभाने के लिए वक्त किसी के पास नही हैं कोई दो पल साथ नहीं चल पाता क्यूंकि सबको मोहब्बत नहीं टाइमपास चाहिए l कोई अगर किसी से सच्चा प्यार करने तो उसकी मोहब्बत का मजाक बना दिया जाता हैं l अरे किसी से रिश्ता नहीं निभाओ तो कोई बात नहीं पर उसे घुटन भरी जिन्दगी देने की इजाजत किसने दी हैं अरे कभी उसी की ख़ुशी के लिए आप सब कुछ करने को तैयार होते हो और आज वो रोता हैं तो कोई फर्क नही पड़ता l क्या यही हैं मोहब्बत ?

पर सही मायनें में तो मोह्ब्ब्त वो शब्द हैं जिसको आज तक परिभाषित नहीं कर पाया l जिसमें किसी को नजरों में बसाते हैं सीधा दिल में उतारने के लिए l जिसमे जरूरत शब्द नहीं आता l जिसमें पैसा और हवस जैसे शब्द दूर दूर तक नजर नहीं आते हैं और शक जैसा शब्द मन में भी नहीं आता और आ भी जाएँ तो उसे दूर करने के लिए खुद को समझाया जाता हैं l मोहब्बत खुदा हैं कोई क्रिकेट या कैंडी क्रश का गेम नहीं हैं की जब तक मन किया खेला और जब उभ गए तो बंद कर दिया l

पहले दो अजनबी मिलते हैं फिर बातें होती हैं अजनबी से दोस्ती का रिश्ता शुरू होता हैं फिर एक दुसरे की पसंद ना पसंद को जाना जाता हैं फिर धीरे - धीरे मोहब्बत हो जाती हैं पर फिर क्या ? मोहब्बत के बाद क्या ? अगर मोहब्बत चली तो जिन्दगी भर साथ निभाया और मोहब्बत खत्म हुई तो फिर वही शुरुवात में आकर फिर अजनबी बन गए l क्या इसी का नाम मोहब्बत हैं ?

•√ सच्ची मोहब्बत वालों के लिए :- -------------------------------------------


किसी से मोहब्बत करों तो निभाने के लिए करों ना की मनोरंजन के लिए l शायद तुम उसे छोड़कर खुश रह सको, पर उसकी जिन्दगी में घुटन और तन्हाई और जो तड़फ होगी उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ तुम रहोगे l इसलिए अपनी ख़ुशी के लिए दूसरों की ख़ुशी तबाह करना ये इंसानियत नही हैं..

•√ टाइमपास मोहब्बत वालों के लिए :- -------------------------------------------------


जितना टाइम पास किसी के साथ करना हैं कर लो एक दिन आप खुद सबके लिए टाइमपास बन

जाओगे l और उस दिन समझ आएगा मोहब्बत क्या हैं l

•√
वाह री मोहब्बत तेरे अजब गजब खेल निराले,
जिनको मिल जाएँ मोहब्बत वो किस्मत वाले,
और जिनको मिले मोहब्बत में, दर्द ए तन्हाई,
उनके हलक से नही उतरते. , रोटी के निवालें..

•√

ढाई अक्षर से बना ये प्यार, ये इश्क, ये रिश्ते,
जिसकी विरह वेदना कोई समझ नही पाता,
जिसको मिल जाये मोहब्बत वो उसकी कद्र नहीं कर पाता,
दर्द का खमीर जब उठता हैं उसकी जुदाई में,
गिरते आंसुओ का सैलाब हर किसी को लुभा नहीं सकता..

रोज नए रिश्ते जुड़ते हैं और टूट जाते हैं,
हर किसी को अपने विचारों जैसा मिले, ये सम्भव नहीं होता,
पर ये भी सत्य हैं
एक जैसे विचार वालें किसी भी रिश्ते की
गहराई और उसकी सच्चाई का मापन नहीं कर सकता,

एक हकीकत ये भी हैं
कड़वा जो बोलता हैं वो किसी को पसंद नही आता
क्यूंकि वो आपके अंदर की कमियां आपके सामने लाता हैं,
और जो सिर्फ आपकी खामियों को छुपाये और उसपे भी मख्खन लगायें
उसे अपना मानना ये गलत हो सकता हैं

कभी कभी सुनने में आता हैं किसी रिश्ते में,
तुम मुझे समझ नही सकते, या समझना नहीं चाहते,
हकीकत ये हैं
जब अपनों की भीड़ पसरी हो चारों और तो किसी की मोहब्बत
किसी का अपनापन आपको समझ आएगा कैसे
रिश्ते तब समझ आते हैं जब अपने सपने हो जाते हैं..

झगड़ा, गुस्सा .. ये हर रिश्ते में हैं,
पर ये ही रिश्ते की असली पहचान भी कराते हैं,
जो रिश्ता शान्तिपूर्वक चलता हैं वो रिश्ता किसी ना किसी मोड़ पे
डगमगा जाता हैं पर सत्य यह हैं की
गुस्सा और झगड़ा अपनों से ही होता हैं बैगानो से तो युद्ध होता हैं

रिश्ते तो हर कोई बना लेता हैं,
पर उसको जिन्दगी भर निभाने की चाहत हर किसी की नहीं होती,
सब दम भरते हैं मोहब्बत के, पर मोहब्बत हैं क्या
ये हर किसी को समझ नहीं आ सकता
क्यूंकि ये दुनिया बनावटी चेहरों से चलती हैं मोहब्बत से नही..

आज इस दुनिया की हकीकत ये हैं,
झूठ से आप किसी से रिश्ता बना लो आपको वो बेहद प्यार देगा,
पर सच बोल कर आप किसी से अपनेपन की उम्मदी करो ये जायज नही
क्यूंकि दुनिया भ्रम में जीना पसंद करती हैं सच में नहीं..

मैं बस यही कहूँगा,
कद्र करों उनकी जो आपको अपना कहते हैं,
जो आपसे रिश्ता, प्यार निभाना चाहते हैं,
छलावें के रिश्ते तो हर कोई बना लेगा,
पर कोई आपका हाथ थामे, आपका साथ निभाएं
ऐसे इन्सान हर डगर पे मिल नहीं सकते ..

जो आपसे सच बोले, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो आपके दुःख में साथ खड़ा हो, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो आपकी कमियां आपको बताएं, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो कड़वा बोले पर आपके हक का बोले, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो आपकी विरह वेदना समझे, उससे मोहब्बत करना सीखो
जो आपसे बात करने को तरसे, उससे मोहब्बत करना सीखो..
जो आपको अपनापन दे, उसे अपनापन देना सीखो

इश्क उसी से फरमाओ जो प्यार दें,
जिल्लत का प्यार सही नहीं हैं यारों