सभी धर्म के ईश्वर को पत्र डॉ. ऋषि अग्रवाल द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ

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सभी धर्म के ईश्वर को पत्र

परम् आदरणीय प्रभु,

आप तो जानते ही है अब इस युग में आपका सर्वस्व धीरे-धीरे नष्ट होता जा रहा है और हो भी क्यों नहीं, जब इंसान स्वयं को खुदा से बेहतर समझने लगा हो। आपकी जगह तो वैसे भी अलग-अलग धर्म के ठेकेदारों ने ले ली है तो अब आपकी किसी को जरूरत महसूस होती ही नहीं। अब वो धर्म के ठेकेदार ही खुदा बन गये हैं अधिकांश के लिए। इस कलयुग में अब कोई आपको कुछ समझता ही नहीं और ना आपका डर है, ना ही आपके रुष्ट हो जाने का किसी को भय रहा। इस घोर कलयुग में सब अति ज्ञानी और समझदार हो गये हैं। पर प्रभु, आप तो ज्ञानी है फिर क्यूँ ये अज्ञानता के अंधकार को बढ़ावा दे रहे हैं?

प्रभु, पता है आपको इस युग में एक अजीब सी दुविधा हो चली है। यहाँ कुछ समय से नारी को सिर्फ और सिर्फ हवस की वस्तु बनाया जा रहा है। कहाँ जाता है कि जहाँ नारी का वास होता है वहाँ देवताओं का वास होता है। पर प्रभु, जब नारी की अस्मत लूटी जाती है तब आप कौनसी जगह चले जाते हैं? कहीं गहरी निंद्रा में तो आप नहीं रहते हैं या फिर आप भी नशे में लिप्त रहने लगे हैं। प्रभु,अब तो अबोध बालिकाओं को भी हवस का शिकार बनाया जा रहा है फिर भी आप खामोश रहते हैं? जबकि कहा जाता है कि बच्चें तो भगवान का रूप होते हैं, फिर जब उन्हें इस घोर कृत्य का शिकार बनाया जाता है तो क्या आप उस वक्त अपना रूप त्याग देते हैं? या फिर ये सब कोरी मिथ्या है? या फिर आप सब इस दुनिया में हो नहीं? 

प्रभु, जब आपने ही नारी को इस संसार को आगे बढ़ाने का वरदान दिया है तो उसी की कोख से जन्म लेने वाले पुरुषों का हाथ उस औरत के उसी अंग की तरफ क्यों बढ़ते है जहाँ से उनके जीवन काल की क्रिया शुरू हुई? क्या नारी सिर्फ हाड माँस का लोथड़ा है? या फिर सिर्फ वो हवस पूर्ति के लिए ही निर्मित की गयी है? प्रभु, मुझे मेरी बातों का आपसे जवाब जरूर चाहिये। वैसे एक बात कहूँ प्रभु, आप एक काम करो, इस युग को यहीं खत्म कर दो, क्योंकि जानता हूँ जब सतयुग था तो पापियों की संख्या बहुत कम थी और आज के युग में हर गली में दो चार पापी बैठे हैं या ये कहूँ हर घर में कहीं न कहीं एक पापी छुपा है। फिर इस युग को क्यूँ आप बढ़ावा दे रहे हैं आप। खत्म करो इस धरती को और इस तरह की सोच को अब। 
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वैसे प्रभु, एक बात जाननी थी आपसे, जब नारी को आपने बनाया तो क्या आपने एक पल भी ये नहीं सोचा की धरती पर ऐसा घोर कृत्य भी हो सकता है? क्या आप ऐसे पुरुषों को धरती पर नहीं भेज सकते थे जो नारी की इज्जत करें और नारी को जिस्म का लोथड़ा न समझे। मैं बहुत समय से आपसे जवाब माँगने का प्रयास कर रहा हूँ पर समझ नहीं आ रहा आप मेरी बातों का जवाब देंगे या नहीं। प्रभु, ये भी जानता हूँ हर धर्म में नारी को अपमानित करने का जरिया नहीं छोड़ा है, पर क्या सच में नारी का जन्म इसी के लिए हुआ है? अगर ऐसा है तो फिर बंद कर दो बेटियों को धरती पर भेजना, क्योंकि अब तो साल एक-दो साल की बच्ची को भी हवस का शिकार बनाने में ये राक्षस रूप में पैदा होने वाले पुरुष नहीं छोड़ रहे हैं। 

प्रभु, अब तो रिश्तों पर भी विश्वास उठ गया है। सगा भाई, पिता, चाचा, मामा, दादा सब की नज़रें गंदी होने लगी हैं। ये भी मानता हूँ कई स्त्रियों ने आजादी के नाम पर गंदगी फैलानी शुरू कर दी है पर इस वक्त उनकी तरफ से नज़र हटाकर आप वक्त को बदले। अब तो हर तरफ रोज यही सब कार्य होने लगे हैं। प्रभु कोई कहता है इसका जिम्मेदार शराब है, तो कोई कहता है इसका जिम्मेदार सोशल मिडिया, मोबइल और गंदी फ़िल्में है। पर प्रभु मैं तो इसका जिम्मेदार आपको ही मानता हूँ क्योंकि बनाने वाले भी आप है और बिगाड़ने वाले भी आप। जिस तरह से आपने सबकी जीवन लीला लिखी है तो क्यों उसमें ऐसी वाहियात सोच को पैदा की। बदल दो प्रभु इस वक्त को, अन्यथा सच में आप पर से विश्वास उठ जायेगा। ना ईश्वर होगा, न अल्लाह और ना ही किसी भी धर्म का कोई खुदा। सबका बोरिया बिस्तर बाँध कर एक जगह पैक कर दिया जायेगा और खत्म हो जायेगी ये इंसानियत। फिर हर तरफ नारी का नित्य बलात्कार होगा, तो हर तरफ भाई-भाई के खून का प्यासा होगा। बदल दो अभी भी वक्त रहते ये वक्त और खोलो अपना त्रि-नेत्र, मचा दो महाप्रलय धरती पर और नष्ट कर दो इस गंदगी से लिप्त धरती को या फिर गंदी सोच को। 

प्रभु, अब और तमाशा नहीं देखा जाता है, आज इस युग में हर तरफ हर कोई किसी न किसी को नीचा दिखाने के लिए नये-नये हथकंडे अपना रहा है। झूठ, जलन, भ्रष्टाचार जैसे अपराध अब चारों और फैल चुके हैं। नारी फैशन के चक्कर में खुद को नग्न कर रही है तो पुरुष तो पहले से ही नग्न हो कर गंदगी फैला रहा है। अब आप या तो वक्त को बदल दो या फिर मुझे अपने पास बुलाकर इस तरह की गंदगी देखने से छुटकारा दिलवा दो। ये भी जानता हूँ बदलाव के लिए मुहीम चलाये तो बहुत कुछ बदल सकता है पर प्रभु जब-जब कुछ बदलने की कोशिश करते हैं तो अति ज्ञानी लोग वहाँ भी नकरात्मक रूप से हावी हो जाते हैं और जो समाज में अच्छा करना चाहता है उसके कदमों को रोक देते हैं। अब आप ही कुछ करे प्रभु। आपसे मेरा करबद्ध निवेदन है, कि बदल दो ये वक्त। 

प्रभु, मेरे इस पत्र को पत्र न समझकर मेरी व्यथा और मेरा आक्रोश दोनों समझें। क्योंकि अब इस दुनिया में कहीं भी कुछ भी सुरक्षित नहीं रहा है। आप मेरा पत्र पढ़ जरूर सोचें और धरती पर लौट आयें, फिर से पाप मुक्त करने धरती को। पत्र में लिखना तो बहुत था आपको, पर आप भी कहीं न कहीं अपनी धर्म पत्नी या अपने कार्य में व्यस्त होंगे। इसी कारण अब आप के पास पाप को खत्म करने का वक्त नहीं है तो मेरा पत्र पढ़ने के लिए शायद इतना समय कहाँ होगा। इसलिए हो सके तो थोड़ा सा समय निकाल कर आप इतना ही पढ़ लीजिये और इस समस्या का हल निकाल दीजिये प्रभु।