मोटापा कम करने का धंधा sunita suman द्वारा स्वास्थ्य में हिंदी पीडीएफ

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मोटापा कम करने का धंधा

मोटापा कम करने का धंधा

डाक्टर, फिटनेस एक्सपर्ट और योगाचार्यों की मानें तो बदले हुए खान-पान और रहन-सहन से मोटापा कई बीमारियों की जड़ बन चुका है। महिलाएं और युवतियों से लेकर पैंतीस प्लस वाले पुरुष इनसे निजात पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं, जबकि देश में वजन घटाने से संबंधित करीब 8000 करोड़ रुपये का कारोबार महानगरों से लेकर गांव-कस्बों तक फैल चुका है। कोई जिम जा रहा है, तो कोई सुबह-सुबह पार्क में नियमित व्यायाम के साथ-साथ स्लीमिंग ट्रीटमेंट का मंहगा खर्च भी उठा रहें हंै।

दिल्ली की रहने वाली श्वेता शादी के मात्र दो साल बाद ही बढ़े वजन के कारण बेडौल फीगर से चिंतित रहने लगी थी। एक दिन उसकी नजर अखबार में स्लिमिंग ट्रीटमेंट देने वाले विज्ञापन पर गई, जिसमें एक माह में स्लिम बनने का दावा किया गया था। एक माह में पांच किलोग्राम वजन घटाने के दावे के साथ तुरंत ज्वाइन करने पर पचास फीसदी की छूट का लालच भी दिया गया था। श्वेता चंद दिनों में ही छरहरी काया देने वाली उस आकर्षक विज्ञापन के आगे खुद को रोक नहीं पाई, जिसकी देश के अमूमन हर बड़े शहरों एवं दिल्ली के कई पाॅश इलाके में शाखाएं हैं। उसने कनाॅट प्लेस स्थित शाखा से संपर्क किया, जहां के डाॅक्टर ने उसकी पहली सामान्य जांच में बताया कि वह ओवरवेट है, लेकिन एक माह के भीतर पांच किलोग्राम तक वजन घटा सकती हैं। डाॅक्टर ने इस पर आने वाले खर्च में छूट के बारे में भी बताया। श्वेता को डाॅक्टर का प्रस्ताव पंसद आया। उसने पाया कि स्लिमिंग ट्रीटमेंट के इस क्लिनिक में कई तरह की सुविधाएं है। विभिन्न तरह के स्लिमिंग क्रीम से लेकर फैट जलाने के उपकरण, मसाज के विशेष कमरे और सफेद कोट में कई डाॅक्टर को देखकर श्वेता को बेहतर लाभ की उम्मीद बंधी।

श्वेता की शारीरिक जांच और विश्लेषण करने वाली डाॅक्टर ने बताया कि उसका वजन उम्र और लंबाई के मुताबिक साढ़े छह किलोग्राम अधिक है। इसे खत्म करने के लिए स्लिमिंग प्लान के अनुसार प्रतिदिन आधा घंटा टहलना होगा। उसके बाद अगले आधे घंटे में दूसरे तरह के एक्सरसाइज करने होंगे। इसी के साथ सप्ताह में तीन बार स्लिमिंग सेंटर में आना होगा, जहां पूरे एक घंटे का समय देना पड़ेगा। इस दौरान विशेषकर जांघों, पेट और बांहों के ऊपरी हिस्से पर जमा हो चुके अतिरिक्त फैट को कम करने के लिए पूरे शरीर का सावधानी से मसाज किया जाएगा। मसाज करने वाले एक्सपर्ट काफी सावधानी से चर्बी की झलक वाले शरीर के हिस्से से चार इंच तक फैट को कम कर देंगे, लेकिन इन सब के लिए 30,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। यह खर्च श्वेता के लिए अधिक था। फिर भी श्वेता ने जब कंपनी द्वारा किये गए मोटापा कम नहीं होने की स्थिति में पैसा वापसी के दावे के बारे में पूछा, लेकिन इस बारे में उसे सिर्फ इतना आश्वसन दिया गया कि उसके वजन कम करने की गारंटी है, न कि शरीर की मांशलता कम होने की। श्वेता को यह बात पसंद नहीं आई और उसने स्लिमिंग ट्रीटमेंट का विचार छोड़ दिया।

वैसे बहुत सारी वैसी महिलाएं श्वेता की तरह नहीं हैं, जिनकी पर्स भारी है और आकर्षक दिखने के लिए कुछ भी करने को तत्पर रहती हैं। यही वजह है कि इन दिनों भारत में वजन घटाने का कारोबार काफी तेजी से फैला है। इसने करीब 8000 करोड़ रुपये के एक उद्योग का रूप अख्तियार कर लिया है। इस धंधे में चमक तब से आई है जबसे जीरो-फीगर की चाहत बढ़ी है और शहरी लोगों में किसी भी कीमत पर आकर्षक दिखने की ललक समा गई है। खर्च की परवाह किये बगैर मध्यम वर्गीय परिवार के सदस्य फिटनेस, लुक और छरहरा दिखना चाहते हैं। बढ़ी हुई आय का एक हिस्सा इन सब पर खर्च करने में अधिकतर मध्यम वर्गीय परिवार नहीं हिचकता है। वे दिन गए जब संतुलित आहार और संयमित रहन-सहन ही स्वस्थ शरीर की पहचान हुआ करते थे। अब जब खान-पान में विविधता आ गई है। काम-धंधे के तौर-तरीके बदल गए हैं। फिल्मों के ग्लैमर ने छोटे पर्दे के जरिये घर के कोने-कोने में स्थायी जगह बना ली है। इनका घर के सदस्यों पर काफी असर हुआ है। इसी के साथ जीवन शैली में आए बदलाव और जीवनयापन का नजरिया भी बदला है।

जबसे मोटापा एक समस्या बनकर सामने आया है तब से सामान्य सोच वजन घटाने जैसे उपायों पर केंद्रित हो गई है। मोटापा से प्रभावित अधिकतर लोग हेल्दी डाइट और पर्याप्त व्यायाम की तुलना में वजन घटाने वाले उत्पादों के प्रति ज्यादा आर्किर्षत होेने लगे हैं। इस तरह के बने स्लिमिंग सेंटर में उपलब्ध अल्ट्रासाउंड ट्रीटमेंट, स्लिमिंग कैप्सूल, तेल, क्रीम, भिन्न तरह के आहार की खुराक लोगों को लुभाते हैं, तो इनकी फैंसी चमक-दमक, विशेष उपकरण विशेषज्ञ, डाॅक्टर और डायटिशियन द्वारा दी जाने वाली चिकित्सा के साथ फायदा नहीं होने पर पैसा वापसी की गारंटी से दुबले और आकर्षक दिखने के प्रति भरोसा बढ़ना स्वाभाविक है। इसके अलावा तुरंत वजन घटाने के लिए दवाइयों में गोलियां और कैप्सूल, क्रीम, तेल, पाउडर और विशेष व्यायाम के आसान उपकरणों से बाजार भरे पड़े हैं। सभी किसी भी तरह के दुष्प्रभाव नहीं होने का दावा भी करते हैं। इन्हें इस्तेमाल करने वालों से पूछें तो उनका कहना होता है कि दवाएं खाते-खाते महीनों गुजर जाते हैं और जब कोई फायदा होता नजर नहीं आता है, तब उन्हें महसूस होता है कि वे धोखे के शिकार हो चुके हैं।

श्वेता की तरह मुबईं की रहने वाली एमबीए की छात्रा अंजली भी दुबली और स्लिम काया का आकर्षक विज्ञापन देखकर अकर्षित हो गई थी, लेकिन वह श्वेता की तरह समझदार नहीं निकली और उसे करीब 10,000 रुपये गंवा कर सबक मिला। साढ़े तिरपन किलोग्राम और पांच फीट दो इंच की अंजली ओवरवेट नहीं है। फिर भी उसे विज्ञापन ने लुभाया, जिसमें वजन कम होने पर लंबाई बढ़ाने का दावा किया गया था। वह बताती है , ‘‘मुझे महसूूस हुआ कि मेरी कमर और पेट पर स्थूलता बढ़ रही है। इसे दखते हुए ही मैंने ट्रीटमेंट की योजना बनाई, जिसके लिए स्लिमिंग संेटर के डाॅक्टर ने छह सत्र का सुझाव दिया और बताया कि तीन से चार सेंटीमीटर तक स्थूलता में कमी आ जाएगी। इसके लिए मैंने 10,000 रुपये खर्च किये।’’ अब सेंटर के प्रति नाराजगी व्यक्त करती हुई अंजली बताती है, मोटापा कम करने के सभी सेशन खत्म हो गए, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा, उल्टे शरीर में खुजलाहट होने लगी और जगह-जगह लाल धब्बे उभर आए।’’

सोमा बनर्जी ने नौएडा स्थित मोटाप घटाने की एक चर्चित सेंटर में वजन घटाने के पैकेज के लिए 45 हजार रुपये खर्च किये। उनका वजन तो नहीं घटा, लेकिन उनकी पर्स जरूर हल्की हो गई। इस बावत वे उपभोक्ता फोरम में शिकायत भी कर चुकी हैं। उन्होंने बताया, ‘‘मैंने अक्टूबर 2007 में सेंटर ज्वाइन किया था। वहां मुझसे वादा किया गया था कि तीन माह के भीतर 20 किलोग्राम वजन कम हो जाएगा। मैंने उनके बताए गए हर निर्देश का पालन किया, लेकिन वजन में एक किलो की भी कमी नहीं आई।’’ अब सोमा स्लिमिंग की बात तक करना पसंद नहीं करती है।

मलयालम सिनेमा की एक स्टार प्रवीणा अपनी किसी फिल्म की वजह से नहीं, बल्कि कोच्ची स्थित स्लिम सेंटर के मैनेजिंग डायरेक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के कारण आ गई थी। इस सेंटर से अल्ट्रासाउंड ट्रीटमेंट के जरिये एक घंटे के दौरान वजन कम करने का दावा किया था। प्रवीणा के अनुसार उसे सेंटर में बताया गया था कि उसके यहां से कई नामी सिने स्टार ने स्लिमिंग ट्रीटमेंट का फायदा उठाया है। उनसे वादा किया गया था कि बाहों के ऊपर की मांशलता को स्लिमिंग मशीन के द्वारा जला दिया जाएगा, जो बगैर किसी व्यायाम और खुराक में बदलाव के चंद दिनों में ही पूरा हो जाएगा।

प्रवीणा बताती हैं, ‘‘इसके लिए उन्होंने डेढ़ लाख रुपये सेंटर को दिये, लेकिन फैट एक इंच की कमी का भी फर्क नहीं आया।’’ जबकि खुद को डाॅक्टर के रूप में पेश आने वाली डायरेक्टर ने प्रवीणा से तुरंत फायदा होने का वादा किया था। प्रवीणा को तब और जोर का झटका लगा, जब उन्हें मालूम हुआ कि दवाइयां खिलाने वाली डायरेक्टर के पास डाक्टर की डिग्री नहीं है। प्रवीणा की शिकायत पर पुलिस ने सेंटर की छापेमारी की और दो लैपटाॅप समेत एक डिजिटल कैमरा बरामद किया।

जानकारी के अनुसार अधिकतर वजन घटाने का दावा करने वाले सेंटर मनी बैक की गारंटी देते हैं, लेकिन इसके साथ छिपे रूप में कोई न कोई शर्त भी जोड़ देते हैं। अधिकतर इलाज नाकाम होने की स्थिति में पैसा वापस शायद ही किसी को मिल पाता है। पैसे वापस लेने की प्रक्रिया इतनी थका देने वाली होती है कि लोग हार मान लेते हैं। इस बारे में प्रवीणा बताती हैं, ‘‘मुझे सहमति पत्र देखकर हैरानी हुई, जिसके साथ एक और पत्र नत्थी था। उस पर साफ शब्दों में लिखा हुआ था कि इलाज असफल होने की स्थिति में पैसे वापस नहीं मिलेंगे।’’ प्रवीणा ने जब सेंटर की कथित डाक्टर से संपर्क किया और इलाज में कोई लाभ नहीं होने की शिकायत की तब उन्हें एक बार फिर आश्वासन दिया गया कि अच्छे नतीजे के लिए करीब छह बार फिर से ट्रीटमेंट करवाएं। हालांकि अपनी शिकायत उपभोक्ता फोरम में करने वाली सोमा बैनर्जी खुशनसीब निकलीं, क्योंकि उन्हें पूरी रकम 12 फीसदी ब्याज के साथ वापस मिल गई।

पिछले कुछ सालों से थुलथुल पेट को कम करने के लिए सोना बेल्ट का प्रचार टेली-बिजनेस के जरिये धड़ल्ले से किया जा रहा है। अहमदाबाद के एक 32 वर्षीय बिजनेसमैन रामाशंकर गुप्ता अपने 135 किलोग्राम वजन को लेकर परेशान रहते थे। इससे निजात पाने के लिए उन्होंने क्या-क्या नहीं किया। एक साल पहले उन्होंने टेलीब्रांड विज्ञापन देखकर 1400 रुपये में सोना बेल्ट खरीदा। गुप्ता के अनुसार उन्होंने बाताए गए नियम के अनुसार करीब डेढ़ माह तक बेल्ट का नियमित इस्तेमाल किया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। बाद में उन्होंने वीएलसीसी ज्वाइन किया, जहां उसके द्वारा दिए गए सभी तरह के ट्रीटमेंट करवाये। विशेषकर आहार के खुराक और नियमित व्यायाम का सख्ती से पालन किया। इसक आंशिक असर हुआ। वजन में थोड़ी कमी आई, लेकिन इसके छोड़ते ही खोया वजन दोबारा वापस आ गया। अंततः उसने बैरिएट्रिक सर्जरी का सहारा लिया।

29 वर्षीय निशा सिंह गर्भावस्था के दौरान बढ़े वजन को लेकर चिंतित हो गई थी। इसे कम करने के लिए उन्होंने मुंबई स्थित डाॅ. निगम के क्लीनिक से संपर्क किया। उन्हें आहार विशेषज्ञों द्वारा चार माह के उपाय बताए गए, जिसके अनुसार काफी नपे-तुले तरीके से आहार की खुराक लेने की सलाह दी गई। इस सुझाव के बदले में निशा ने 10 हजार रुपए का भुगतान किया। निशा बताती है कि डाॅक्टर द्वारा बताए गए आहार के मुताबिक मुझे एक तरह से भूखा रहना पड़ा जबकि मेरी बच्ची को मां के दूध की जरूरत थी। इसका असर मेरे शरीर पर खतरनाक तरीके से पड़ा न केवल मेरी सेहत बिगड़ गई, बल्कि मेरे चेहरे पर अचानक मुंहासे और चकत्ते निकल आए। मेरी त्वचा काफी निष्क्रय हो गई। इस बारे में त्वाचा विशेषज्ञ ने बताया कि ऐसा कम कैलोरी की वजह से हुआ है। उसके बाद मैंने डायटिशियन से संपर्क किया तब उन्होंने मुझे दवाई लेने को कहा। इससे और अधिक परेशानी बढ़ गई। उल्टियां, सिरदर्द और ब्लड प्रेशर की शिकायत आ गई। इस बारे में निशा ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की है। इस बारे में निशा ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की है। इस बारे में डाक्टर निगम सफाई देते हैं कि उनके पास डाक्टरों और आहार विशेषज्ञों की टीम है उन्होंने कई लोगों कोे अपने इलाज से संतुष्ट किया है।

वजन घटाना मुनाफे का धंधा बन चुका है, जिसका कारोबार छोटे-बड़े शहरो में धड़ल्ले से चल रहा है, तो कई कंपनियां घर बैठे लोगों को दवाइयां, क्रीम, तेल और उपकरण बेचने में लगे हैं। इनसे जुड़े धंधेबाजों का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है, जो लोगों में ओवरवेट और मोटापे की कमजोरी को बड़ी चतुराई से भुना ले रहे हैं। जबकि ड्रग एंड मैज्मि रेमिडीज के 1954 कानून के तहत चपरासी और भ्रमित करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कानून भी है।

बहरहाल, अगर आप मोटापे से परेशान हैं, तो वजन घटाने के लिए वेट मैनेजमेंट अपनाकर अपना वजन कम करें, वरना इसके घातक नतीजे भी हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोटापे को बीमारी करार दिया है। अमरीकन इंश्योरेंस कंपनियां 45 बिलियन अमरीकी डाॅलर मोटापा जनित बीमारियों पर प्रतिवर्ष खर्च कर रही है। मोटापे से बीमारियों के साथ वर्क लाॅस भी होता है। दुनियाभर के डाॅक्टर लोगों को वजन कम करने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि मोटापा जनित बीमारियां में डायबिटीज ही नहीं, ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, कैंसर, अनिद्रा, जोड़ों एवं घुटनों की बीमारियां होती हैं। अक्सर लोग वजन कम करने के लिए ब्यूटी क्लिनिक में जाते हैं। इस तरह के क्लिनिक चलाने वाले लोगों को वेट मैनेजमेंट का कोई अनुभव नहीं होता। अनाडि़यों की देखरेख में वजन कम करने की कोशिशें आपको शारीरिक, मान।िसक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं।

प्रस्तुतिः सुनीता सुमन

255/4 मुनिरका, नई दिल्ली-67