Hindi Filmo me Deshbhakti ka Tadka Prabhu Jhingran द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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Hindi Filmo me Deshbhakti ka Tadka

हिन्दी फिल्मों में देशभक्ति का तड़का

मायानगरी में भावनाओं का कारोबार होता है। देशभक्ति की भावना फिल्मकारों का प्रिय विषय रहा है क्योंकि यह जनमानस को सहज आकर्षित कर लेती है। दीवाली और ईद की तरह स्वतंत्रता दिवस को भी भुनाने का चलन बॉलीवुड में है।

नई फिल्म

इसीलिए 22 जनवरी को राजाकृष्ण मेनन निर्देशित फिल्म 'एयरलिफ्ट' जोरशोर के साथ आगाज करने वाली है। यह फिल्म इरान, कुबैत युद्ध के दौरान कुबैत में फंसे भारतीयों की वहां से सकुशल भारत वापसी की सच्ची घटना पर आधारित है। इसी क्रम में आने वाले दिनों में 'सरबजीत' फिल्म भी रिलीज होने जा रही है जो पाकिस्तान में लंबे समय तक कैद में रहने और वहीं दम तोड़ देने वाले भारतीय कैदी सरबजीत की जिंदगी पर आधारित है।

ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ आवाज

भारतीय फिल्मों के एकदम शुरूआती दौर में धार्मिक विषयों पर आधारित फिल्में इसलिए ज्यादा बनीं क्योंकि धर्म आसानी से बिक जाता था लेकिन ब्रितानी हुकूमत की दमनकारी नीतियों के चलते 1940 के आसपास देशभक्ति पर आधारित फिल्मों का क्रम शुरू हो गया था। 1940 में बनी फिल्म बंधन में कवि प्रदीप लिखित और प्रथम महिला संगीतकार सरस्वती देवी द्वारा स्वरबद्ध गीत 'चल चल रे नौजवान' गांधी जी के सुझाव पर कांग्रेस की पार्टी का प्रभात फेरियों में गाया जाने लगा।

इस गीत को अंग्रेज सरकार ने सेंसर कर दिया था। 1943 में कवि प्रदीप के एक और देशभक्तिपूर्ण गीत ने भारतीय जनमानस को हिलाया। फिल्म 'किस्मत' का गीत 'आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है' भी अंगेज हुकूमत को नागवार लगा, प्रदीप की गिरफ्तारी के आदेश के चलते वे भूमिगत हो गये।

बॉक्स आइटम — 1

भुला दिये गये आजादी के तराने

समय के साथ भुला दिये गये आजादी के कुछ फिल्मी तरानों में 'इतिहास अगर लिखना चाहे आजादी के मजमून से (फिल्म—रानी रूपमती) उठा है तूफान जागा है हिंदुस्तान (चंद्रशेखर आजाद) ऐ मेरे प्यारे वतन (काबुली वाला) एक है अपनी जमीं एक है अपना वतन (हम एक हैं) जगा रहे घनघोर नगाडे़ बुला रही रणभेरी (वीर छत्रपाल) दुश्मन फिर सर पर आ पहुंचा (गंगा मांग रही बलिदान) ये मेरा वतन, ये मेरा वतन (लड़की) और सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है (शहीद) प्रमुख हैं। शुक्र है 'यूट्‌यूब' का, जहां आज ये सारे गाने उपलब्ध हैं।

1954 में बनी फिल्म 'जागृति' में तो कवि प्रदीप ने जैसे आग ही लगा दी। फिल्म के तीन गाने 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की', 'दे दी हमें आजादी' और 'हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकाल के' घर—घर में गाये जाने लगे।

राष्ट्रीय स्वर : ऐ मेरे वतन के लोगों

1962 में चीनी हमले के वक्त कवि प्रदीप ने करूणामय गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' लिखा। सी0 रामचन्द द्वारा संगीत से संजोया गया यह गीत राष्ट्रीय स्वर बन गया। लताजी द्वारा गाये गये इस गीत के लाखों रिकॉर्ड हाथों हाथ बिक गये। इस गाने की रिकॉर्डिंग के लिए किसी ने एक भी पैसा नहीं लिया और एच.एम.वी. ने इसकी सारी कमाई शहीद परिवारों के सहायतार्थ भेंट कर दी।

बॉक्स आइटम — 2

10 देशभक्ति के 10 सदाबहार तराने

1.मेरा रंग दे बसंती चोला (भगत सिंह दी लीजेंड)

2.कर चले हम फिदा जानों तन साथियों (हकीकत)

3.ऐ मेरे वतन के लोगों (गैर फिल्मी)

4.दिल दिया है जां भी देंगे (कर्मा)

5.संदेशे आते हैं (बॉर्डर)

6.जिंदगी मौत न बन जाए (सरफरोश)

7.देश मेरे देश (भगत सिंह दी लीजेंड)

8.मां तुझे सलाम (गैर फिल्मी)

9.ऐसा देश है मेरा (वीरजारा)

10.सरफरोशी की तमन्ना (भगत सिंह)

देशभक्ति : बदलते मानदंड

बॉलीवुड में 1990 के बाद के दो दशकों में देश भक्ति की परिभाषा बदलती नजर आती है। सामाजिक सरोकार जैसे आतंकवाद ड्रग तस्करी, धार्मिक अंधविश्वास और विदेशी एजेंसियों की जासूसी देशभक्ति का स्वरूप अपना लेते हैं। प्रसिद्ध निर्माता महेश भट्‌ट का कहना है कि देशभक्ति को वर्णित करने के तरीकों में बदलाव आना लाजिमी है।

राजनैतिक भ्रष्टाचार और आतंकवाद जैसे विषयों पर हॉलीवुड ने बिल्कुल अलग अवधारण के साथ फिल्में बनाई हैं इस सूची में 'फना', 'न्युयार्क', 'माई नेम इज खान', 'ए वेडनसडे', 'स्पेशल 26', 'ए सोल्जर नेवर ऑफ हिज ड्‌यूटी' और 'बेबी' जैसी फिल्मों का जिक्र किया जा सकता है।

आतंकवाद : नया विषय

फिल्म 'बेबी' में प्रमुख भूमिका निभाने वाले अनुपम खेर का कहना है — हर फिल्म देशभक्ति पर आधारित हो, ऐसा जरूरी नहीं है। हम किसी दूसरे देश को कोसने वाली देशभक्ति पर आधारित फिल्म नहीं बना सकते। बेशक उस समय देशभक्ति की भावना आती है। लेकिन 'बेबी' में आतंकवाद जैसे विषय पर बात की गई है जो पूरे देश को प्रभावित कर रहा है। और हाल ही में पेशावर 'पेरिस' और सिडनी में भी आतंकवादी हमले हुए हैं।

अभिनेत्री और फिल्म निर्मात्री शिल्पा शेट्‌टी का कहना है, ''ऐसा नहीं है कि अब देशभक्ति पर फिल्में नहीं बनाई जा रही हैं। जब मैंने 'मेरीकॉम' फिल्म देखी तो मेरी आंखों में आंसू थे। जब आपके देश का झंडा फहराया जाता है और राष्ट्रगान बजता है तो बेहद रोमांचक पल होते हैं।

समय के साथ विषय भले ही बदलते रहे हों पर देशभक्ति से जुडे़ विषयों पर फिल्में बनाने का सिलसिला भारतीय फिल्म उद्योग में चलता रहा है और चलता रहेगा।

प्रभु झिंगरन

वरिष्ठ मीडिया समीक्षक