टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 45 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 45

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 45 

पिछले एपिसोड में:

भावेश ने करण को धोखा दे दिया!

भावेश ने बंदूक तान दी थी, लेकिन आदित्य सही वक्त पर पहुँच गया।

सिया को आखिरकार करण की सच्चाई पता चल गई।


अब आगे…


---

आदित्य बनाम भावेश – आमना-सामना!

भावेश की उंगलियाँ ट्रिगर पर थीं।

"आदित्य! आज मैं तुझे खत्म कर दूँगा!"

आदित्य एक कदम आगे बढ़ा, "भावेश, अगर इतनी हिम्मत है, तो बिना बंदूक के लड़ो!"

भावेश हँस पड़ा, "मुझे तुझसे ताकत की लड़ाई नहीं करनी, आदित्य। मुझे बस तेरा खात्मा चाहिए!"

और तभी… गोलियाँ चल गईं!

लेकिन…

आदित्य को कुछ नहीं हुआ!

करण ने ऐन वक्त पर भावेश की बंदूक झटक दी थी।

"मैंने बहुत गलत किया, लेकिन अब और नहीं!" करण चिल्लाया।

भावेश बौखला गया, "तुने मेरी गेम बिगाड़ दी, करण!"

और अगले ही पल, उसने करण को जोर से धक्का दे दिया।

करण पीछे की ओर गिरा, उसका सिर पत्थर से टकराया, और खून बहने लगा।

सिया घबरा गई, "करण!!"

आदित्य ने झट से भावेश को पकड़ लिया, और उसे एक घूंसा मारा।


---

भावेश का अंत?

भावेश ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन आदित्य इस बार उसे छोड़ने वाला नहीं था।

"तूने बहुत गंदा खेल खेला है, अब पुलिस तुझे छोड़ेगी नहीं!"

भावेश तिलमिला गया, "पुलिस? क्या तू सच में समझता है कि मैं जेल जाऊँगा?"

और तभी…

भावेश ने अपने कोट के अंदर से चाकू निकाला और आदित्य पर वार कर दिया!

लेकिन…

इस बार सिया बीच में आ गई!

चाकू सिया के कंधे में घुस गया!

आदित्य और करण दोनों चौंक गए, "सिया!!"

सिया ने दर्द में कराहते हुए कहा, "आदित्य… अब और खून खराबा मत होने देना…"

तभी पुलिस की गाड़ियाँ वहाँ आ पहुँचीं।

भावेश पकड़ा गया!


---

करण की आखिरी साँस?

करण बुरी तरह घायल था।

सिया उसके पास गई, "करण, प्लीज़, कुछ मत बोलो!"

करण दर्द से मुस्कुराया, "सिया… मैंने तुझसे बहुत प्यार किया, लेकिन गलत रास्ता चुन लिया…"

आदित्य ने तुरंत डॉक्टर को फोन किया।

"करण, तुझे कुछ नहीं होगा!"

करण ने आदित्य की ओर देखा, "आदित्य, सिया का ख्याल रखना…"

और फिर…

करण की आँखें धीरे-धीरे बंद होने लगीं।


---

अस्पताल का ऑपरेशन रूम – जिंदगी और मौत की जंग

करण को तुरंत इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया।

डॉक्टरों की टीम ऑपरेशन के लिए तैयार थी।

सिया ऑपरेशन थियेटर के बाहर बैठकर रो रही थी, "करण, तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकते!"

आदित्य ने सिया के कंधे पर हाथ रखा, "डॉक्टर अपना काम कर रहे हैं। हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।"


---

भावेश की सच्चाई सबके सामने!

पुलिस ने अस्पताल में ही भावेश से पूछताछ शुरू कर दी।

"क्यों किया तूने ये सब?" इंस्पेक्टर ने गुस्से से पूछा।

भावेश हँस पड़ा, "मैंने जो किया, बहुत सोच-समझकर किया। आदित्य ने मुझसे सब कुछ छीना था!"

आदित्य ने आगे बढ़कर कहा, "तूने खुद अपनी बर्बादी चुनी है, भावेश!"

भावेश ने ठंडी आवाज़ में कहा, "खेल अभी खत्म नहीं हुआ, आदित्य!"

इंस्पेक्टर ने उसे घसीटते हुए बाहर ले जाने का इशारा किया, "तेरा खेल अब जेल में खत्म होगा!"


---

क्या करण बच पाएगा?

क्या आदित्य और सिया अब अपनी जिंदगी शांति से जी पाएँगे?

आगे क्या होगा?

- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -



अगले एपिसोड में – कहानी का क्लाइमैक्स!