टूटे हुए दिलों का अश्पताल - 17 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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टूटे हुए दिलों का अश्पताल - 17

एपिसोड 17 – विश्वासघात का साया

अस्पताल की घड़ी रात के तीन बजा रही थी, लेकिन ICU के अंदर तनाव बना हुआ था। स्नेहा अभी भी होश में नहीं थी, लेकिन उसके शरीर पर जलने के गहरे निशान उसकी दर्दनाक कहानी बयां कर रहे थे। डॉक्टरों ने उसे बचाने के लिए पूरी कोशिश की थी, लेकिन मानसिक और शारीरिक रूप से वह अब भी गंभीर स्थिति में थी।

आदित्य ऑपरेशन थिएटर से बाहर आया और सीधे भावेश के पास गया, जो वेटिंग एरिया में सिर झुकाए बैठा था।

"भावेश, स्नेहा के बारे में कुछ और बता सकते हो?" आदित्य ने सीधे सवाल किया।

भावेश ने गहरी सांस ली। "स्नेहा और मैं कॉलेज में मिले थे। हम एक-दूसरे से प्यार करने लगे और फिर सगाई हो गई। लेकिन कुछ महीने पहले, उसने अचानक मुझसे रिश्ता तोड़ दिया। उसने कहा कि वह अब आगे बढ़ना चाहती है। मैं समझ नहीं पाया कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो उसने इतनी बड़ी बात कह दी। और अब, वह इस हाल में यहाँ है..."

आदित्य ने गौर से उसकी आँखों में देखा। वहाँ एक दर्द था, लेकिन कहीं न कहीं कुछ छुपा हुआ भी लग रहा था।

"तुम्हें नहीं लगता कि उसने कोई खतरा महसूस किया होगा? कोई और वजह हो सकती है?"

भावेश चुप रहा।


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स्नेहा की टूटी हुई आवाज

सुबह की पहली किरणें ICU के शीशों से अंदर आ रही थीं। स्नेहा की आँखों ने हलचल की, उसकी उंगलियाँ कांपीं। आदित्य तुरंत उसके पास पहुँचा।

"स्नेहा, क्या तुम सुन सकती हो?"

उसकी आँखें धीरे-धीरे खुलीं, और एक दर्द भरी आवाज में उसने फुसफुसाया—"बचाओ... मुझे... वह... मुझे मारना चाहता है..."

"कौन, स्नेहा? कौन तुम्हें मारना चाहता है?" आदित्य ने पूछा।

स्नेहा की आँखों में डर था। उसके होंठ काँपे, लेकिन वह ज्यादा कुछ नहीं कह सकी। उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद हो गईं, और वह फिर से बेहोश हो गई।

लेकिन अब आदित्य के पास एक सुराग था—कोई था जिसने स्नेहा की जान लेने की कोशिश की थी।


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पुलिस की एंट्री और शक की सुई

इंस्पेक्टर राजवीर इस केस को लेकर गंभीर थे। उन्होंने भावेश से सख्ती से पूछताछ की।

"भावेश, क्या तुम्हें यकीन है कि स्नेहा का तुम्हारे साथ ब्रेकअप करना अचानक हुआ था? या फिर कोई और वजह थी?"

भावेश ने सिर झुका लिया। "मुझे नहीं पता, सर... लेकिन अगर वह किसी मुसीबत में थी, तो उसने मुझे बताया क्यों नहीं?"

राजवीर ने एक ठंडी मुस्कान दी। "शायद वह जानती थी कि खतरा तुम्हारे बहुत करीब था।"

यह सुनते ही भावेश के चेहरे का रंग उड़ गया।

आदित्य यह सब देख रहा था। कहीं न कहीं, उसे भी शक होने लगा था कि स्नेहा का अतीत और उसका दर्द, दोनों ही किसी गहरे राज से जुड़े हुए थे।


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अस्पताल में छाया डर का साया

उसी रात, जब पूरा अस्पताल शांति में डूबा हुआ था, एक नर्स स्नेहा के कमरे में गई। लेकिन जैसे ही उसने बेड के पास कदम रखा, उसे लगा जैसे कोई साया वहाँ पहले से मौजूद था।

"कौन है वहाँ?" नर्स ने डरते हुए पूछा।

कोई जवाब नहीं आया।

नर्स ने लाइट जलाई, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। पर बेड के पास रखी पानी की बोतल नीचे गिरी हुई थी, मानो किसी ने उसे गिराया हो।

अचानक, ICU के बाहर बैठे एक गार्ड ने कुछ हलचल सुनी और जब उसने अंदर झाँका, तो नर्स बेहोश पड़ी थी।

आदित्य और राजवीर को तुरंत बुलाया गया।

"यह कोई साधारण केस नहीं है। यहाँ कुछ ऐसा हो रहा है जो हमें दिखाई नहीं दे रहा।" आदित्य ने गंभीर स्वर में कहा।

राजवीर ने हामी भरी, "हमें जल्द ही स्नेहा से सच उगलवाना होगा, वरना अगला हमला शायद और बड़ा हो सकता है।"

अब अस्पताल का माहौल बदल चुका था। एक अनजान डर हर किसी के दिल में घर कर रहा था। सवाल यह था—आखिर वह रहस्यमयी शख्स कौन था, जो स्नेहा की जान का दुश्मन बन चुका था?

(जारी रहेगा...)