कस्तूरी अप्सरा की साधना RAVI KISHAN द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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कस्तूरी अप्सरा की साधना

कस्तूरी अप्सरा  पौराणिक कथाओं में एक प्रसिद्ध और दिव्य सुंदरी मानी जाती है। धन और समृद्धि के लिए अप्सराएँ का विशेष महत्व होता है क्योंकि वे मान्यता के अनुसार सुंदरता, प्रेम और सौंदर्य की प्रतीक होती हैं।"कस्तूरी" शब्द का अर्थ है एक विशेष प्रकार की गंध, जो कि नर मृग  से उत्पन्न होती है। यह गंध विशेष रूप से प्रेम आकर्षण और आध्यात्मिक का प्रतीक है, और इसे धर्मिक ग्रंथों में दिव्य और उन्नति के प्रतीक माना जाता है। हर पूजा पाठ में इसका उपयोग होता है।

अप्सराओं स्वर्ग की सुंदरियों में शामिल होती हैं, जो अक्सर इंद्र देव द्वारा ऋषि मनियों का तपस्या भंग करने के लिए भेजी जाती हैं। अप्सराएं नूत्य कला में माहिर होती है।यह नृत्यांगनाएं स्वर्ग लोक में अपनी कला का प्रदर्शन करती है।

कस्तूरी अप्सरा अद्भुत रूप और सौंदर्य का देवी है। उसकी शरीर से हमेशा मंत्र मुग्ध कर देने वली सुगंध आती रहती है।  बह १६ वर्षीय एक दिव्य कन्या है।अप्सरा के बारे में कहा जाता है कि वह अपने साधक यह किसी के ऊपर प्रसन्न हो जाने पर उसकी काया पलट कर देती है।

कस्तूरी अप्सरा की उपासना के लिए विशेष शुक्रवार के रात्रि से आरंभ करना चाहिए। इसकी साधना में स्पॉटिक माला का उपयोग किया जाना चाहिए।यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अप्सरा की साधना  करते समय धोती और साफ सुथरा कपड़ा का उपयोग अपने शरीर के लिए करें  ।

कस्तूरी का इत्र अपने शरीर पर छिड़काव करें और पूजा स्थल पर भी छिड़काव कर दें। अगर कस्तूरी इत्र ना मिले तो किसी भी इत्र का उपयोग कर सकते हैं।

 कस्तूरी अप्सरा साधना की विधि:

**सामग्री:**

१. एक साफ पूजा स्थान

२. एक  थाली और दीपक।

३. कस्तूरी (अगर उपलब्ध हो) या उस जैसे किसी सुगंधित वस्तु का उपयोग करें।

४. अगरबत्ती, धूप बत्ती ।

५. फूल (जैसे गुलाब या अन्य सुगंधित फूल)।

**विधि:**

. **स्थल की तैयारी:**

  जिस कक्ष पर पूजा करना है साधना करना है। सबसे पहले आसन लगाकर आराम से बैठना चाहिए ।। वहां एक सफेद वस्त्र बिछा दें और उसके ऊपर एक सुंदर कन्या की फोटो का स्थापना करें। इसके बाद फोटो के सामने अक्षत का ढेर लगाए उसके ऊपर एक सुपारी रख दे। सुपारी को थोड़ा सा सिंदूर लगाए। इसके बाद अगरबत्ती, धूप बत्ती एवं दीपक जलाएं ओर  फोटो एवं सुपारी को गणेश जी का प्रतीक मानकर पूजा करें ।

. **कस्तूरी का उपयोग:**

    कस्तूरी का अपने माथे पर तिलक करें और थाली पर दो सुगंधित माला रख दे।

. **मंत्र का जाप:**

    अब इस मंत्र का जाप करें:

 

।।ॐ क्लीं कस्तूरी अप्सरा मदमुक्ता प्रदीपता स्वाहा।।

   

. **मनन और ध्यान:**

   - मंत्र जाप करते समय अपने मन में सकारात्मक सुखद विचारों को लाएं। अपने लक्ष्य के प्रति अपने मन को साफ और सकारात्मक रखें।

. **पूजा संपूर्ण होने पर:**

   - साधना संपूर्णहने पर कस्तूरी अप्सरा प्रत्यक्ष प्रकट होगी। इस समय हाथ जोड़कर अप्सरा का अभिनंदन करें। उसके ऊपर फूलों का वर्षा करें और एक माला उसको पहना दे दूसरा माल बह स्वयं उठाकर आपके गले में डाल देगी।

. **ध्यान रखना:**

   एक शुक्रवार पर अगर सफलता न मिले तो इस क्रिया को नियमित रूप से करने की कोशिश करें, ताकि आप अधिक प्रभावी परिणाम पा सकें।

 ध्यान दें:

- किसी भी प्रकार की पूजा, मंत्र जाप या साधना करते समय आपको शुद्ध मन से और सकारात्मकता के साथ करना चाहिए साधना के समय जो भी फोटो आपके सामने रखे हैं उसी फोटो को ध्यान दे कर कस्तूरी अप्सरा की कल्पना करें।

अगर साधना सफल रही तो अप्सरा को कभी भी बुलाकर अपनी इच्छित कार्य करवा सकते हैं।

यह सिद्धि साधक के इच्छाओं की पूर्ति में सहायता करगीं । इसके बाद साधक की जीवन में उन्नति प्रेम सुख सुविधाएं मैं कमी कभी नहीं आएगी।