मेरा जीवन का पहला धूमावती साधना और अनुभव Ravi Kishan द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मेरा जीवन का पहला धूमावती साधना और अनुभव

नमस्कार दोस्तों मेरा कहानी पर आप सभी का स्वागत है। मैं जब दसवीं पास किया और इसके बाद मैं कुछ छोटा-मोटा नौकरी करना चाहता था। जिससे मेरा छोटा-मोटा खर्च का जुगाड़ हो जाए। इसी सोच  मैं हाथ पैर मारने लगा पर कहीं पर भी मुझको नौकरी नहीं मिल रहा था। जब मैंने देखा कि नौकरी पाने में असफल हो रहा हूं तब मेरे मन में एक ख्याल आया क्यों ना मैं एक ऐसा साधना करूं जिससे मेरा छोटा-मोटा नौकरी लग जाए ।इसी सोच में मैंने गूगल बाबा के पास गया और सर्च करने लगा कहीं पर तो मेरे मन मुताबिक साधना मिल जाए ।उस समय  यूट्यूब का प्रचलन कम ही था। एक दिन सर्च करते करते  मुझको एक वेबसाइट मिला जिसमें १ दिन का धूमावती साधना था जब मैंने इस साधना को पढ़ा जैसे लगा यह मेरे लिए ही लिखा गया हो ।क्योंकि यह साधना सरल था १ दिन का था और इसमें ज्यादा पूजा के सामान की जरूरत नहीं थी तीन समान का जरूरत था वह था एक कढ़ाई दूसरा सुखा हुआ गोबर तीसरा लोबान। इतना सरल विधि देखकर मेरा मन ललचा गया और मैंने सोचा इसको तो में आसानी से कर लूंगा। मैंने विधि विधान जो वेबसाइट में लिखा था अच्छी तारीके से पढ़कर याद कर लिया और मैंने एक सुभ दिन का इंतजार करने लगा और वह समय भी आ गया। हमारे एक कच्चा मकान था उसमें सारे तैयारी कर रखी थी जैसे ही रात हो उस मकान में मुझको साधना करना था यह सारी तैयारी मैं दिन में ही कर रखा था। जब रात हुआ तो मैं नहा धोकर उस कच्चे मकान में गया और धोती पहनकर आसन लगाकर बैठ गया। इसके बाद कढ़ाई मैं कुछ सुखा गोबर डाला और उसमें घी डालकर आग लगा दी थोड़ी ही देर में गोबर में आग लग गई। इसके बाद और थोड़ा सुखा गोबर डाल दिया। फिर मैंने गणेश जी का नाम लिया और साधना आरंभ किया मंत्र जाप करता और थोड़ा-थोडा लोबान आग में डाले जा रहा था। इस तरह कुछ घंटे के बाद मेरा साधना पूर्ण हुआ और मंत्र जाप भी संपूर्ण हुआ। मैं खुश था सुबह होते ही इसका प्रयोग करूंगा और मुझ को नौकरी मिल जाएगा। साधना खत्म होने के बाद मैं हाथ पैर धोकर अपने पक्की मकान पर जाकर सो गया। सुबह हुआ और मैंने धूमावती देवी का नौकरी देने के लिए कहा और सोचा एक-दो दिन में देवी मेरा मन का इच्छा पूर्ण कर देगी पर क्या हुआ १ सप्ताह २ सप्ताह हो गया पर मेरा इच्छा पूर्ण नहीं हुआ। मैं सोचने लगा क्या गलती कर दिया मैंने जो मेरा इच्छा पूर्ण नहीं हो रहा है। इसी तरह मेरा एक महीना पार हो गया पर  नौकरी तो दूर -कुछ मिल ही नहीं रहा था। इसके बाद एक दिन मैंने ठान लिया जब तक इस मंत्र को मै सिद्ध नहीं करूंगा तब तक मैं इस मंत्र का जाप करते रहूंगा और इसी सोच के साथ एक ऐसा स्थान चुना जहां पर हमारे गांव के लड़के नहाने जा रहे थे उसके बगल में एक नीम का पेड़ था मुझको लगा यह बह स्थान है जहां पर मैं बिना ही विघ्न के मंत्र जाप कर सकता हूं। दूसरे दिन दोस्तों के साथ तालाब में नहाने गया मेरे सारे दोस्त तालाब में नहाने चले गए पर मैं नीम के पेड़ के नीचे आसन लगाकर बैठ गया और मंत्र जाप करने लगा यह सब देख कर मेरे सारे दोस्त कहने लगे क्या रवि पागल हो गया है क्या? क्या कर रहा है। मैंने कुछ नहीं कहा और मंत्र जाप करने में लगा रहा ।मेरे सारे दोस्त नहाने के बाद चले गए पर मैं वहां पर मंत्र जाप करता रहा। ऐसा प्रतिदिन वहां पर जाता और नीम के पेड़ के नीचे बैठ जाता मेरे सारे दोस्त पहले पहले तो रोकते टोकते थे पर धीरे-धीरे वह लोग कुछ भी बोलना बंद कर दिये जैसे कि उनको लगने लगा मैं अपना काम कर रहा हूं और बह नहाते और अपना काम करके चले जाते । मुझको कुछ भी परेशान नहीं करते। इस तरह मैं बिना परेशानी के मैं मंत्र जाप कर पता था। पहले पहले मैं १ घंटा मंत्र जाप करता था फिर मैंने इसको २ घंटा कर दिया ।कभी-कभी मैं ४ घंटा तक साधना करता। कभी-कभी मैं १० मिनट तक साधना करता। मैं कभी १२:00 नीम के पेड़ के नीचे साधना करता  ।कभी-कभी १०:00 से १:00 बजे तक साधना करता कभी-कभी ३ से ४ वजे तक साधना करता। मुझको जब भी समय मिलता तभी नीम के पेड़ के नीचे जाकर साधना करता । मैंने कभी भी एक समय पर साधना नहीं किया इस तरह मेरा साधना चलता रहा और ३ महीने बीत गया फिर भी मुझको कुछ अनुभव नहीं हो रहा था। एक दिन नीम के पेड़ के नीचे साधना करने के बाद आंख खोलकर मैंने धूमावती देवी को १ मिनट में मेरा इच्छा पूर्ण करने के लिए कहा। १ मिनट बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ ।तो मैं सोचा  यह सब-सब कुछ झूठ है समय बर्बाद हुआ कुछ नहीं मिला। और मैंने ठान लिया कल से मैं साधना बदना नहीं करूंगा। ऐसा ही कुछ सोच रहा था वहां पर बैठकर उस दिन ।एक घंटा बीतने के बाद मेरे मन मे किसी ने कहा मंत्र तो कब से सिद्धि हो गया है पर उसका इस्तेमाल करना तुमको नहीं आ रहा है ऐसा करो मंत्र जाप करते समय बीच-बीच में अपना इच्छा बोलते जाओ और फिर मंत्र जाप करते जाओ। मेरा मन की बात को मैं  मान लिया जब ३ महीने में कुछ नहीं हुआ तो एक घंटा और। एक बार मन के बताए हुए दिशानिर्देश से मंत्र जाप करूं क्या होता है यह भी आजमा लू यह सोच कर मंत्र जाप किया। मंत्र जाप करते समय बीच-बीच में मैं अपना इच्छा प्रकट करता फिर मंत्र जाप करता कभी एक माला मंत्र जाप करता और अपना इच्छा बताता कभी १० माला जाप करता फिर मैं अपना इच्छा बोलता कभी एक बार मंत्र जाप करता और अपना इच्छा बोलता इस तरह एक घंटा के जगह मैंने कितने घंटे वहां पर बैठकर बिताया और उठ खड़ा होकर घर चला आया। उस के दूसरे दिन नीम के पेड़ के नीचे बैठकर १० बार मंत्र जाप किया अपना इच्छा प्रकट किया फिर मैंने १०० बार मंत्र जाप किया और अपना इच्छा प्रकट किया इस बार जो मैंने इच्छा किया था वह सच हो गया। यह देख कर मैं सोचा यह गलती से हो गया होगा फिर से मैंने और एक बार मंत्र को अजमाने के लिए दूसरा इच्छा बोला और जो दूसरा इच्छा मांगा था वह भी सच हो गया। यह देख कर मैं जान गया मेरा इच्छा सच हो रहा है और यह सब जानकर मंत्र का उपयोग करने का जानकारी हासिल करने के बाद मैं साधना स्थान से उठा और घर चला आया। मैं उस दिन इतना खुश था कि पूछो मत। उस के दूसरे दिन मैं एक और इच्छा प्रकट करने के लिए सोचा पर इस बार मैं नौकरी के जगह ऐसा इच्छा मांगा जो मैं बोल नहीं सकता पर यह इच्छा भी मेरा सच हुआ। इससे मेरा छाती ३६ इंच का हो गया अब मैं सोचने लगा मैं जो चाहूं वह कर सकता हूं। इस सोच के साथ उसके अगले दिन मैंने ₹५००० मुझको मिले कहीं से भी -यह सोच कर इच्छा प्रकट किया पर इस बार मुझको चूना लग गया तुरंत ही मेरे पास एक फोन कॉल आया मेरा दूर का भाई बोला मेरे भाभी को हॉस्पिटल में भर्ती किया है उसके लिए उसको ₹१०००० चाहिए मैंने तुरंत ही एटीएम से पैसा निकाल कर उसको दे दिया। फिर से मैंने ₹५०० कहीं से भी मिले यह इच्छा प्रकट की पर इस बार भी मुझ को चुना लगा और एक फोन कॉल आया वह मुझको ₹२००० मांगा मैंने फिर से एटीएम गया और उसको ₹२००० निकाल कर दिया। मैंने सोचने लगा पैसा मांगने पर यह क्या हो रहा है उसका उल्टा ही हो रहा है फिर से मैंने गूगल बाबा के पास गया और इसका समाधान ढूंढा तो एक वेबसाइट ने बोला धूमावती देवी सब कुछ देगी पर धन कभी नहीं देगी। क्योंकि वो अलक्ष्मी है। यह पढ़कर मेरा मन ठनक गया मैंने तो गलत मंत्र सिद्धि कर ली है। यह जानकर में और कुछ इच्छा करने का विचार छोड़ दिया। ऐसे ही कुछ दिन मैंने चुप रहा और अपने काम में लगा रहा। एक दिन मेरे साथ मेरे -मेरे दोस्त के साथ झगड़ा हो गया मैंने तुरंत ही मन ही मन धूमावती को मेरे दोस्त को मार देने के लिए कहा और वहां से मैं चला गया।। कुछ दिन के बाद मुझको पता चला मेरे दोस्त का  एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई है।। यह बात जब मुझकोपता चला और मैं बहुत उदासी में चला गया। मेरे दिल में गहरीचोट लगा था। मैं सदमे में था और मैं अपने आपको गुनाहगार मानने लगा। कुछ दिन के बाद मैं तय कर लिया मैं इस सिद्धि को नष्ट कर दूंगा वरना मेरे हाथों से मेरे परिवार की सदस्यों का भी जान खतरे में आ सकता है। इसलिए मैं इसका उपाय खोजा और उपाय भी मिल गया। इस उपाय के सहारे मैंने अपने इतनी मेहनत से पीई सिद्धि को एक पल में नष्ट कर दिया। सिद्धि नष्ट होने से जितना खुशी मिला उतना दुख भी है।। सिद्धि नष्ट होने से मैं किसी के लिए खातरा नहीं हु। दुख इसलिए है कि मेरे शत्रु बढ़ गए हैं उनको दंड देने के लिए मेरे पास कोई उपाय नहीं है। धन्यवाद मेरे जीवन कहानी पढ़ने के लिए आप सबको शक्रिया।।