जादुई पंख ANOKHI JHA द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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जादुई पंख

 

गाँव के किनारे बसे एक छोटे से घर में दस साल का अर्जुन अपनी माँ के साथ रहता था। अर्जुन बहुत ही जिज्ञासु और स्वप्निल लड़का था। उसे प्रकृति और पक्षियों से बेहद लगाव था। वह अक्सर सोचता कि पक्षियों को उड़ने की ताकत कैसे मिली होगी? क्या उनके पास कोई जादुई पंख होते हैं? उसकी माँ जब उसे कहानी सुनाती, तो वह कहता, “माँ, एक दिन मैं भी आसमान में उड़ूँगा!”

एक दिन, स्कूल से लौटते वक्त अर्जुन को झाड़ियों से एक अजीब सी चमकती रोशनी दिखाई दी। जब वह करीब गया, तो देखा कि एक छोटी चिड़िया घायल होकर पड़ी थी। लेकिन यह कोई साधारण चिड़िया नहीं थी! उसके पंख सुनहरी थे और उनमें से हल्की-हल्की चमक निकल रही थी। अर्जुन ने अपनी किताबें नीचे रखीं और चिड़िया को धीरे से उठाया। जैसे ही उसने चिड़िया को छुआ, उसे ऐसा लगा जैसे उसके हाथों में गर्माहट और एक हल्का सा कंपन हो रहा हो।

चिड़िया ने अपनी छोटी-सी आँखें खोलीं और अर्जुन की ओर देखा। उसने एक धीमी आवाज में कहा, “मुझे बचा लो। मैं तुम्हें एक ऐसा तोहफा दूँगी, जो तुम्हारी जिंदगी बदल देगा।” अर्जुन हैरान था। “तुम बोल सकती हो?” उसने चौंककर पूछा। चिड़िया ने धीरे-से कहा, “मैं कोई साधारण चिड़िया नहीं हूँ। मैं जादुई पक्षियों की रानी हूँ। लेकिन मैंने एक गलती कर दी और अब मैं यहाँ फँस गई हूँ। क्या तुम मेरी मदद करोगे?”

अर्जुन ने बिना सोचे-समझे हाँ कर दी। वह चिड़िया को अपने घर ले आया। उसकी माँ ने चिड़िया के सुनहरे पंखों को देखकर कहा, “बेटा, यह कोई आम चिड़िया नहीं लगती। इसे संभालना मुश्किल होगा।” लेकिन अर्जुन ने कहा, “माँ, मैं इसे ठीक किए बिना हार नहीं मानूँगा। यह मुझसे मदद माँग रही है।”

अर्जुन ने अपनी गुल्लक तोड़ी और चिड़िया के लिए दवाइयाँ खरीदीं। उसने अपने पुराने खिलौनों से एक छोटा सा घोंसला बनाया। हर दिन वह चिड़िया की देखभाल करता और उसके पंखों पर हल्का सा जादुई मरहम लगाता। चिड़िया धीरे-धीरे ठीक होने लगी।

एक रात, जब अर्जुन सो रहा था, उसने एक अजीब सपना देखा। सपने में चिड़िया उसके पास आई और कहा, “अर्जुन, तुम्हारे अच्छे दिल और मेहनत के लिए मैं तुम्हें एक जादुई पंख दूँगी। यह पंख तुम्हें हर मुश्किल से बाहर निकालने में मदद करेगा। लेकिन याद रखना, इसका इस्तेमाल केवल नेक कामों के लिए करना।”

सुबह उठते ही अर्जुन को लगा कि वह सपना सच था। उसने चिड़िया के पास जाकर देखा। चिड़िया पूरी तरह ठीक हो चुकी थी। उसने अपनी चोंच से अपने सुनहरे पंखों में से एक पंख तोड़ा और अर्जुन को दिया। “यह लो, अर्जुन। यह पंख तुम्हारे हर सपने को सच करने की ताकत रखता है। लेकिन अब मुझे जाना होगा। मेरे परिवार को मेरी ज़रूरत है।”

अर्जुन ने भारी दिल से चिड़िया को आसमान में उड़ते देखा। चिड़िया जाते-जाते एक चमकदार रोशनी में बदल गई और आसमान में गायब हो गई। अर्जुन के पास अब जादुई पंख था। उसने सबसे पहले उसका इस्तेमाल अपने गाँव के घायल पक्षियों और जानवरों की मदद करने के लिए किया। पंख से छूते ही वे जल्दी ठीक हो जाते।

धीरे-धीरे अर्जुन का नाम पूरे गाँव में फैल गया। बच्चे उसे ‘जादुई डॉक्टर’ कहने लगे। लेकिन अर्जुन ने कभी उस पंख का गलत इस्तेमाल नहीं किया। उसने हमेशा जरूरतमंदों की मदद की। एक दिन, जब गाँव पर भयंकर तूफान आया और सभी पक्षी अपने घोंसले से गिरने लगे, अर्जुन ने अपने जादुई पंख की मदद से उन्हें बचाया।

उस दिन गाँव के लोग अर्जुन को देखकर बोले, “तुम सच में हमारे गाँव के हीरो हो।” अर्जुन मुस्कुराया और मन ही मन चिड़िया को धन्यवाद दिया। उसने समझ लिया था कि सच्चा जादू नेकदिल इंसान बनने में है।

अब अर्जुन का सपना था कि वह बड़े होकर जानवरों और पक्षियों के लिए एक बड़ा अस्पताल बनाए। और उसका जादुई पंख हमेशा उसकी मदद करता रहा। बच्चों ने उसकी कहानी सुनकर सीखा कि जब तक हमारा दिल सच्चा और इरादे नेक हों, तब तक जादू हमेशा हमारे साथ रहता है।

अर्जुन की कहानी पूरे गाँव में प्रेरणा बन गई। लोग उसे 'सपनों का पंख' कहते थे, क्योंकि उसने न केवल चिड़िया को उड़ने का पंख दिया, बल्कि अपने सपनों को भी सच कर दिखाया। बच्चों ने उससे सीखा कि सच्चे इरादे और कड़ी मेहनत से हर सपना पूरा हो सकता है।