क्रांति ज्योति माँ सावित्री बाई फुले krick द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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क्रांति ज्योति माँ सावित्री बाई फुले

सावित्रीबाई फुले जयंती""

"जरूरी नहीं कि हर समय जुबान पर भगवान का नाम आए वह वक्त भी भक्ति का होता है जब इंसान इंसान के काम आए । "

"सबसे पहले बालिका शिक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाली नारी जाती के लिये मिसाल 18 वीं सदी की महान नारी सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन पर मे क्रिक आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ । "

"इस अवसर पर उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि महोदय, आदरणीय गुरुजन बहनों और मेरे नौजवान साथियों का मे स्वागत करता हूं। सावित्री बाई फुले जयंती और बेटियों के सम्मान को समर्पित इस भव्य कार्यक्रम के लिए एक बार जोरदार तालिया चाहूंगा ।

 भारतभूमि हमेशा महान आत्माओं का वास रही है। समय-समय पर समाज के उद्धार के लिए ऐसी ऐसी विभूतियों ने जन्म लिया। जिन्होंने जन्म लेकर समाज को महानता का रास्ता दिखलाया है। 3 जनवरी यानी आज ही के दिन सन 1831 में एक ऐसी महान स्त्री ने जन्म लिया, जिसको सावित्रीबाई फुले के नाम से जाना जाता है। इस नाम को शायद आज कोई न जानता, मगर सावित्रीबाई फुले ने बालिकाओं की शिक्षा के लिए एक वीरांगना की तरह समाज से लोहा लिया अपने उद्देश्य में सफल हुई और भारत में स्त्री शिक्षा के द्वार खोलें। आज हम सावित्री बाई फुले के अमूल्य योगदान के बारे मे जानेगे सावित्री बाई फुले का बाल विवाह 9 वर्ष की आयु मे महात्मा जियोति राव फुले के साथ हुआ था । महात्मा ज्योति राव महारास्ट्रा और भारत मे सामाजिक सुधार आंदोलनों मे एक महत्व पूर्ण वयक्ति के रूप मे माने जाते थे। सावित्री बाई को किताबे पढ़ने का बहुत ही शोख़ था जिस समय मे स्त्री शिक्षा पाप माना जाता था उस समय मे सबसे छुपके छुपाके ज्योति राव ने सावित्री बाई को पढ़ने की स्वतंत्रता दी उन्हे खूब पढाया लिखाया। लेकिन जब ये बात उनके पिता को पता चली तो उन्हे घर से निकाल दिया । खुद पढाई करने के बाद उन्हे शिक्षा का महत्व समझ आया उन्होंने ये प्रण लिया की बालिकाओं को वे पढायेगी ये प्रण लेकर महान पती - पत्नी का जोड़ा निकल पड़ा स्त्रियों को पढ़ाने के लिये। लेकिन ये कार्य लोहे के चने चबाने जितना मुश्किल कार्य था उन्होंने बालिकाओ को पढ़ाने के लिये सर्व प्रथम ज्योति राव और सावित्री बाई फुले ने पेड के नीचे ही पढाई देने की शरुआत की जिसे हम प्रथम पढाई की प्रथम प्रयोगशाला भी हम कह शकते है । " लेकिन तब समाज के लोको ने विरोध किया और कहा की धर्म विरोध काम करना बंध कर दो लड़कियों को पढ़ना बंध करो शिक्षा सभी को नही दी जा सकती है, " लेकिन ज्योतिराव फुले मानते थे की कोई भी धर्म किसी भी वयक्ति को शिक्षित होने या ज्ञान पाने के अधिकार से उसे वंचित नही कर सकता , सत्य तो ये है की शास्त्रो का हवाला देने वाले ये लोग किसी विशेष वर्ग तक ही शिक्षा सीमित करने की कोशिस कर रहे है ताकि कोई और पढ़ ना पाये । " लेकिन फिर भी उन्होंने हार नही मानी वो घर घर जाके लोगो को स्त्री शिक्षा का महत्व समझाने लगे आज कल ये युग की तरह ऐसा नही था की वो अपना गुजराना चलाने के लिये घर घर जा कर पढाई के लिये बचियों को प्रेरित कर रहे थे बल्कि उन्हे बालिका शिक्षा का महत्व पता था, 
"क्युकी एक पुरुष शिक्षित होता है तो परिवार सुखी होता है लेकिन एक स्त्री शिक्षित होती है तो पूरा समाज सुखी होता है स्त्री अपनी पवित्रा से ऐसे ऐसे महान चरित्रों का निर्माण कर सकती है जिससे हमारा देश दुनिया मे विश्व गुरु बन सकता है किसी भी समाज के विकसितता का आधार उस समाज की स्त्री यो की शिक्षा से नापा जाता है । इस लिये स्त्रियों को बाल्य अवस्था से ही अच्छे संस्कार और शिक्षा देनी अति अवस्यक है । "

"सामाजिक कुरीतियों के काल बन गई, बालिका शिक्षा के लिये मशाल बन गई, नमन करे महान नारी सावित्री बाई फुले को जो नारी जगत के लिये अनोखी मिशाल बन गई। "

एक पुरानी कहावत है की एक सफल पुरुष के पीछे एक सफल स्त्री का हाथ होता है लेकिन एक यहाँ एक स्त्री के पीछे एक सफल पुरुष का हाथ था । " अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले से प्रेरणा पाकर सावित्रीबाई फुले ने अपने स्वाभिमान और साहस के बल पर रूढ़िवादी समाज का मुंहतोड जवाब दिया।समाज की रूढ़ियों और बेड़ियों को तोड़ने के लिए जिगर में वीरता और फौलाद की जरूरत होती है। धारणाओं और अंधविश्वासों में जकड़े हुए समाज को महान बदलाव कभी रास नहीं आते।आज से लगभग दो - सो वर्ष पहले जहां बालिका शिक्षा को पाप माना जाता था। हालांकि उस समय स्त्री दमित थी। मगर समाज के इस अंधविश्वास को धाराशाई करने वाली एक महिला थी।

"कभी दासी तो कभी रानी बन गई कहीं समर्पण कहीं मर्दानी बन गई हर क़िरदार निभाने में कुशल है स्त्री जो दुनियां में घर घर की कहानी बन गई "

आप सोचिये सिर्फ  उन्होंने नौ छात्रों के साथ सर्व प्रथम विद्यालय पुणे मे शरू किया था आज के युग मे पंद्रह बीस बच्चे हो फिर भी टूयुशन क्लास खोल ने भी लोग विचार करते है की ये चलेगा या पैसा डूबेगा उस समय के गुरु ,विद्या और शिष्यो को समज पाना आज के युग के लोगो के बस की बात नही है इस लिये तो वो हमारे आदर्श है  । नया विद्यालय खोल ने के बाद सावित्रि बाई फुले बालिका ओ को पढाने के लिये जाती थी लेकिन ये इतना भी सरल नही था क्युकी जब वो पढाने के लिये विद्यालय जाती थी तब लोग अपने घर की गंदगी, कचरा आदि सावित्रि बाई पर डालते ते थे जिसकी वजसे उनके कपड़े गन्दे हो जायां करते थे इस लिये वो अपने साथ एक थेलि मे दूसरी साडी भी लेकर चलती थी जो विद्यालय जा कर बदल लेती थी और बालिका औ को पढ़ाती थी, "वो मानती थी की सामाज मे फेलि हुई ये छुआ- छुत, बालिका ओ शिक्षा से वंचित जैसी प्रथा के आगे ये गंदकी कुछ भी नही है और समाज मे बालिका शिक्षा से मे ये सारी गंदकी साफ कर दूंगी,

" वो ये भी कहती थी की कलम मे वो ताकत है जो तलवार को भी झुका सकती है हम किसी राजा का मुकाबला तलवार से नही किंतु शिक्षा से कर सकते है । "

उसके बाद अनेक विद्यालय खोले और समाज मे एक क्रांति की शुरुवात की सावित्रीबाई फुले ने अपने कर्मों से पूरे विश्व को भारतीय नारी की शक्ति और स्वाभिमान से परिचित करवाया।  आज इस अवसर पर मैं इतना ही कहूंगा की बहन बेटियों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित हों। सावित्रीबाई फुले ने कहा है कि

"शिक्षा ही स्त्री का वास्तविक गहना है, शिक्षा सुंदरता और जवानी को भी मात देने की क्षमता रखती है । "

"समाज में कुछ घटनाएं देखकर मुझे बड़ी हैरानी होती है। कुछ लोग बेटियों की शादी में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं मगर उनको शिक्षा दीक्षा के लिए खर्चा तो दूर आजादी तक नहीं देते।आज भी अनपढ़ता के कारण नारी पर अत्याचार हो रहे हैं। इसलिए मैं तो कहूंगा की बहन बेटियों को शिक्षित करके स्वावलंबी बनाएं ताकि वह समाज में स्वाभिमान से जी सकें।सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन मनाने का सही अर्थ यही होगा कि हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं। मुझे आशा है हम सभी अपने महापुरुषों के विचारों पर मनन करके अपने जीवन में अपनाएंगे और मानवता के लिए कार्य करेंगे।

"ये महान पति पत्नी के जोड़े ने अपने जीवन का एक एक पल समाज के नाम कर दिया उन्होंने ही शिक्षा की लडाई शुरू की थी अगर आप एक स्त्री हो और मेरी ये स्पीच पढ़ रहे हो इसकी भी स्वतंत्रता नही थी आज आप जीतने भी सफल हो  जीतने भीस्वतंत्र हो इसका इतिहास भी हम याद रखे ये भी हमारा कर्तव्य है । लड़कियों क्या नही कर सकती लड़किया कुछ भी कर सकती है, जो लोग ऐसा सोचते है की लड़कीया कुछ भी नही कर सकती वो गलत है उन्हे सावित्रि बाई फुले के बारे मे पता होना चाहिए, इस लिये हमारी बेटियां कुछ भी कर सकती है कोन कहा पोहोचता है ये तो कर्म तय करेगा लेकिन हर एक लड़की मे सावित्री बाई जेसी ताकत होती है । मेरी सभी माता और बहेन - बेटियों से बस यही निवेदन है की अपने नारित्व की असलियत का ज्ञान हो नारी को अपने दिव्य गुणों की पहचान हो आओ संकल्प ले बेटियों के सम्मान का ताकि हर बेटी सावित्री बाई फुले जेसी महान हो । "

"हमारी सनातन संस्कृति के अनुसार स्त्री को देवी माँ का रूप माना गया है उन्हे पूजा जाता है इस लिये मे यहाँ उपस्थित सभी माता और बहनो को प्रणाम करता हूँ । "

मे आप सभी का एक बार फिर से तहे दिल से आभार वयक्त करता हूँ कि महान नारी ज्योतिबाई फुले के जन्मदिन पर मुझे अपने भाव प्रगट करने का अवसर मिला इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आपको सावित्रीबाई फुले जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

धन्यवाद
जय श्री राम