मृत्युलोक की क़िताब_ भाग -४ Abhishek Chaturvedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मृत्युलोक की क़िताब_ भाग -४


चक्र का पुनः आरम्भ

विक्रम की मौत के बाद, गाँव में एक बार फिर खौफ का माहौल फ़ैल गया। गाँव वालों ने विक्रम की लाश उसके कमरे में पाई, और पास ही वह किताब खुली हुई थी। लेकिन इस बार गाँव के लोगों ने किताब को हवेली में वापस नहीं रखा। उन्होंने किताब को जलाने का फैसला किया।

लेकिन जैसे ही उन्होंने क़िताब को जलाने की कोशिश की, वह जलने से इनकार कर दी। क़िताब पर एक अदृश्य ताक़त थी जो उसे नष्ट होने से बचा रही थी। गाँव के बुजुर्गों ने फ़ैसला किया कि क़िताब को वापस उसी हवेली में छोड़ दिया जाए, ताकि यह गाँव से दूर रहे। 

क़िताब को वापस हवेली में रखा गया। वह अब भी वहाँ है, इन्तज़ार में—अपने अगले शिकार के। इस बार शायद कोई और इस पर नजर डालने की हिम्मत करेगा, और इस बार शायद कहानी का अंत कुछ और होगा। लेकिन जो भी होगा, एक बात तय है—किताब का रहस्य कभी खत्म नहीं होगा, और उसका पागलपन भरे अंतहीन चक्र को कोई रोक नहीं सकेगा।


वही अजीबो-ग़रीब दृश्य उसकी आँखों के सामने उभरने लगे—उसे अपने परिवार, विक्रम, और अमन के भयानक अंत का दृश्य बार-बार दिखाई देने लगा। किताब ने हवेली के भीतर एक राक्षसी शक्ति को जागृत कर दिया था, जो शालिनी को अपने द्वारा शापित करने की योजना बना रही थी।


"क़िताब का प्रतिशोध"


हवेली का श्राप...

विक्रम की मौत के बाद, हवेली में क़िताब के बारे में अब तक का हर कोई जानता था कि यह एक बुरी ताकत से भरी हुई है। गाँव वालों ने उस हवेली को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया, लेकिन हवेली खुद एक जीवित शाप की तरह बनी रही। किताब का रहस्य अब भी जिंदा था, और हवेली ने खुद को एक नए शिकार के लिए तैयार किया।

कुछ समय बाद, गाँव में एक नई महिला, शालिनी, आई। वह एक एंथ्रोपोलॉजिस्ट थी और अपने शोध के लिए गाँव में आई थी। उसने गाँव की पुरानी कहानियाँ सुनीं और हवेली के बारे में जानकर वह भी उस पर शोध करने का मन बना चुकी थी। उसने गाँव वालों से हवेली के बारे में पूछा, लेकिन उन्होंने उसे सावधान किया और हवेली की ओर जाने से मना कर दिया। शालिनी ने हालांकि उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और हवेली की ओर बढ़ी।


शालिनी का प्रवेश

शालिनी ने हवेली में कदम रखा और अंदर के अंधेरे और ठंडे वातावरण को महसूस किया। हवेली में जाते ही उसे पुराने खून की गंध महसूस हुई, लेकिन उसकी जिज्ञासा ने उसे हौसला दिया। उसने हवेली के हर कमरे की तलाशी ली और आख़िरकार वही कमरा पाया जहाँ क़िताब रखी हुई थी।

जब शालिनी ने किताब को देखा, तो उसने महसूस किया कि किताब का कवर पहले की तरह ही पुराना और डरावना था। उसने किताब को खोलने की कोशिश की, लेकिन किताब अपने आप खुलने लगी, जैसे किसी अदृश्य ताकत ने उसे अपने कब्जे में ले लिया हो। शालिनी ने किताब पढ़ना शुरू किया और एक बार फिर वही डरावनी पंक्तियाँ और चित्र उसके सामने उभरने लगे।


अदृश्य ताक़तों का खेल

जैसे ही शालिनी ने क़िताब पढ़ना जारी रखा, हवेली के अंदर अजीब घटनाएँ घटने लगीं। किताब की आत्मा ने उसे संकेत देना शुरू किया कि.......