बन्धन प्यार का - 30 Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बन्धन प्यार का - 30

"हां।"
"भारत और पाकिस्तान में तो दुश्मनी है।"
"वो सब सियासी बाते है।अवाम में कोई दुश्मनी नही है।लोग एक दूसरे देश मे आते जाते हैं।"
"पश्चिम में तो जाति धर्म नही देखा जाता।पर आप दोनों में प्यार।"
"प्यार तो औरत और मर्द में होता है।जाति और धर्म देखकर प्यार नही होता।कोई नही जानता कब किसको किस्से प्यार हो जाय।"
"आप बिलकुल सही कह रहे हैं।"गाइड ने नरेश की बात का समर्थन किया था।
और गाइड ने उन्हें हर एक चीज दिखाई थी।उन्होंने एक होटल में लंच भी किया था।
"अब कुछ रह गया है क्या?"शाम होने पर हिना ने गाइड से पूछा था
"नही।बस अब चलते हैं।"
और होटल आते आते रात के आठ बज गये थे।
रूम में अंदर आते ही नरेश गुनगुनाने लगा
"दो सितारों का जमी पर मिलन है आजकी रात
"बड़े रोमांटिक हो रहे हो"हिना, नरेश को गाते हुए देखकर बोली थी।
"इस रूम में आज दो दुश्मन में दोस्ती होने वाली है
"दुश्मन कौन है?"
"नरेश और हिना
"कैसे।"मैं हिंदुस्तानी, तुम पाकिस्तानी"
"मैने तुम्हे कब दुश्मन माना?
"डार्लिंग मजाक कर रहा हूँ,"नरेश ने हिना को बाहों मे भरकर चुम लिया था
"क्या कर रहे हो
"प्यार
"यह अधिकार किसने दिया।"
"मेरी प्यारी बेगम ने
और नरेश ने हिना को गोद मे उठा लिया और रूम में चक्कर लगाने लगा।हिना हंसते हुए बोली
मुझे गिरोगे क्या
"यह लो गिरा दिया
नरेश ने हिना को पलँग पर गिरा दिया
"यार कपड़े चेंज तो कर लेने दो
"एक बात कहूँ
"कहो
"कान में
"कान में क्यो
"सीक्रेट है
"तो यहाँ हम दोनों के सिवाय कौन है
"तुम्हे नही बतानी
"सारे कपड़े जब उतरने है। तुम्हे नंगी होना है तो चेंज करके क्या करोगी
"बेशर्म
औऱ दोनों हंसी मजाक करते हुए प्यार की दुनिया मे खो गये
हिना बोली,"मुँह दिखाई नही दोगे
"जरूर।"और नरेश ने जेब से निकालकर सोने के कंगन हिना को पहना दिय थे।
रात धीरे धीरे सरकती rhi।दो जिस्म वासना के समुद्र में गोते लगाते रहे।औऱ न जाने कब वह थककर सो गए थे
सुबह हिना उठकर वाश रूम में चली गयी।फिर नरेश को जगाते हुए बोली
उठो सुबह हो गयी है
"सोने दो यार।तुम भी सो जाओ
"सो जाऊ।क्या आज घूमने नही चलोगे?"
"चलेंगे
"तो उठो।आठ बजे गये है
"बीबी आ जाय तो यह मुशीबत हैं।वह सोने भी नही देती।"
"सोना ही था और बीबी सोने नही देती तो शादी मत करते।"
"फिर तुम्हारा क्या होता।कुंवारी रह जाती
"और तुम
"मुझे भी रहना पड़ता
"थक
वे चुहलबाजी कर रहे थे तबी दरवाजे पर दस्तक हुई थी
"लो चाय आ गयी

हिना दरवाजा खोलने चली गयी।नरेश उठाकर वास रूम में चला गया वेटर चाय की ट्रे रखकर चला गया था।नरेश फ्रेश होकर आ गया था।हिना चाय बनाते हुए बोली,"चीनी कितनी डालू
"तुम जितनी पिलाओगी
"मैं तो बिल्कुल नहीं डालूंगी
"मत डालो हम तुम्हारे रसीले होठो से काम चला लेगे
नरेश और हिना चाय पीने लगे।नरेश उससे उसके बचपन की बाते पूछता रहा।पाकिस्तान के बारे में।हिना बोली,"कुछ अपने देश के बारे मे भी बताओ
"बताऊ क्या।मैं तम्हे भारत घुंमने ही ले चलूंगा।वहाँ का जनजीवन और शहर दिखकर लाऊंगा
"कभी मौका लगा तो पाकिस्तान भी चलेंगे हिना बोली थी
"ससुराल देखने का मन तो हमारा भी है।सके
सलियो से मिलने की तमन्ना है।
"डोंट वरी।मेरे कौई बहन नही है।फिर साली कहा से आई"
"मैने पाकिस्तान की लड़की से शादी की है।अब पाकिस्तान की लड़कियों मेरी साली ही हुई
"सौतन नही लाने दूंगी
"हमारे धर्म मे चार का प्रावधान नही है।अब तो बीबी भी तुम हो।साली भी तुम हो।महबूबा भी तुम हो