रिश्तों की कहानी ( पार्ट -२ ) Kaushik Dave द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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रिश्तों की कहानी ( पार्ट -२ )

"रिश्तों की कहानी"
( पार्ट -२)

रितिका की माता अपनी बेटी के लिए चिंतित होती है।
और अपनी सहेली के लड़के की बातें करती है, जिसका नाबालिग लड़की के साथ सगाई हुई थी।

अब आगे 

तुम्हारी बातें सही हैं, लेकिन वो लोग किसीकी नहीं सुनते। तुम तो समझाने से रहें। तुम भी प्रतीक के पिताजी को पहचानते हो। 

लेकिन तुम समझा सकती हों। तुम्हारी सहेली है, तुम उनके घर जाकर समझाओं।

नहीं नहीं.. मैं नहीं जाऊंगी। मेरा अपमान कर देंगे।

अपने माता-पिता की बातें रितिका सुनती है 

उसने सोचा कि प्रतीक क्यूं नाबालिग से सगाई के लिए तैयार हुआ था।
मैंने उसे समझाया था लेकिन वह अपने दादाजी और पिताजी को नाराज़ नहीं करना चाहता।

अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।

प्रतीक से मिल कर मैं पता लगाउंगी कि लड़की कौन है और कहां रहती है।
हां प्रतीक के प्रति मैं आकर्षित हुई हूं लेकिन मन की बातें कह नहीं पाई।

तभी रितिका को फिर से अपनी माता की आवाज सुनाई दी।

तुम काम नहीं करोगे लेकिन हमारी लड़की के लिए एक अच्छा रिश्ता ढूंढने लग जाओ। मैं अपने तरीके से काम करुंगी। 


रितिका को फिर से अपनी माता की आवाज सुनाई दी।

तुम काम नहीं करोगे लेकिन हमारी लड़की के लिए एक अच्छा रिश्ता ढूंढने लग जाओ। मैं अपने तरीके से काम करुंगी। 

रितिका सोचतीं है कि मम्मी अपने तरीके से काम करें, लेकिन मैं प्रतीक को मिलूंगी।

प्रतीक से पहली मुलाकात हुई थी तब मैं उससे आकर्षित हुई थी। एक दूसरे से मिलते थे लेकिन मन की बातें बता नहीं पाये।
एक फ्रेंड की हैसियत से उसे समझना पड़ेगा।

एक बार रात को घर आ रही थी तब दो आवारा लड़के मेरे पीछे पड़ गए थे। मैं घबरा गई थी। मैंने देखा कोई दिखाई नहीं दे रहा। एक लड़का दारू के नशे में था।
न्यूज़ पेपर में पढ़ा था कि अकेली लड़की के पीछे आवारागर्दी करने वाले उसकी इज्जत लुटते हैं।
यह सोचकर घबरा गई थी।
मैंने आवाज़ दी लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था।
दारूवाला लड़का मुझे पकड़ने आया था, लेकिन मैं भागने वाली थी और मेरा दुपट्टा उस लड़के के हाथ में आ गया।
तभी प्रतीक वहां से गुजर रहा था, उसने देखा।और दोनों लड़के को मार कर भगा दिया।
और तभी से जान पहचान बढ़ने लगी थी। मेरे घर के पास रहता था।
बाद में पता चला कि प्रतीक की मम्मी मेरी मम्मी की सहेली है।
मैं प्रतीक को समझाऊंगी कि नाबालिग से शादी करना जूर्म है।

तभी रितिका के फोन पर प्रतीक का मैसेज आया।
मैं तुमसे मिलना चाहता हूं, मेरी सगाई के बारे में।

ओह अब मिलने का मौका इश्वर ने दे दिया।
मैं उसे समझाऊंगी कि तीन चार साल बाद शादी करना वर्ना कानून के चुंगल में फंस जाओगे।

दूसरे दिन शाम को रितिका और प्रतीक मिले।

रितिका:-' प्रतीक,यह मैंने क्या सुना है? तुम्हारी शादी नाबालिग लड़की से होने वाली है?'

प्रतीक:-' दादीजी के पसंद की थी इसलिए मना नहीं कर पाया। लेकिन अभी सगाई हुई है। लेकिन मैं उसके साथ शादी करना नहीं चाहता।'

रितिका:-' अब सगाई हो गई है तो तुम्हारे दादाजी थोड़े दिनों में शादी कर देंगे। तुम्हें मालूम है कि नाबालिग से शादी करना जूर्म है?'

प्रतीक:-' मुझे मालूम है। लेकिन किसीने मेरी नहीं सुनी। मैं दादाजी के इच्छा विरूद्ध बोल नहीं सकता।'

रितिका:-' तुम मेरे अच्छे दोस्त हो। तुम्हें हिम्मत जुटानी पड़ेगी और बता देना होगा तुम्हारी पसंद और ना पसंद। तुम नहीं बोलें तो तुम दोनों की जिंदगी ख़राब हो जाएगी।'
- कौशिक दवे