अखण्ड प्रताप गुस्से से,,,,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत कहां है ,,,,,
वो तो अभी घर नहीं आया बताइये हुआ क्या है ,,,,,,,,,, अखण्ड प्रताप सिंह गुस्से से ,, कुछ नहीं अनिकेत जैसे ही आए उसे हमारे कमरे में भेजिएगा,,,,,,,,,,,
ठीक है पिता जी हम भेज देंगे,,,,,,,,...................
रात 12बजे
अनिकेत नशे की हालत में हवेली के अन्दर जैसे ही पैर रखता है वैसे एक जोरदार आवाज उसके कान में पड़ती है ,,,,,,,,,, कहां थे आप वक्त देखा है आपने ,,,,,,,,अखण्ड प्रताप गुस्से से अनिकेत को ना जाने क्या क्या कह रहे थे पर उसको तो कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था नशे के हाल में अनिकेत के कदम लड़खड़ा रहे थे वो बस नशे की हालत में भी सर नीचे करके जमीन देखें जा रहा था ,,,,,,,,,,,ये सब देख कर अखण्ड प्रताप को अनिकेत को अभी कुछ भी कहना बेवजह सा लग रहा था ,,,,,,, अखण्ड प्रताप गुस्से से अनिकेत को एक बार देखते हैं फिर अपने कमरे में चले जाते हैं,,,,,, यूं तो अनिकेत को कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन अपने दादू का गुस्सा पूरी तरह समझ रहा था तो जैसे ही अखण्ड प्रताप अपने कमरे में गए अनिकेत भी देर ना करते हुए तुरन्त अपने कमरे में चला गया,,,,,,,,,,,,,,,,,, चूंकि रात का समय था तो सभी अपने अपने कमरों में सो रहे थे तो जो भी हुआ उसका किसी को भी पता नहीं चला,,,,,,,,,,
रात 1बजे
अखण्ड प्रताप अपने कमरे में इधर से उधर चक्कर लगा रहे थे आज जो हुआ उसकी वजह से उन्हें नींद नहीं आ रही थी ,,,,,,,,,, कुछ सोचते सोचते वो अचानक से रूकते हैं और फिर आकर बेड पर लेट जाते हैं जल्द ही उन्हें नींद आ जाती है
सुबह 6बजे
रोज की तरह आज भी सावित्री जी सुबह 6 बजे मंदिर में भगवान की पूजा कर रही थीं थोड़ी देर में उन्होंने आरती गाई .....आज उनका मन बहुत घबरा रहा था क्योंकि कल जब अखण्ड प्रताप गुस्से से घर आए और आते ही अनिकेत के बारे में पूछा तो यही सोचकर थोडा परेशान थी तो काफी देर तक वो मन्दिर में समय बिताती रहीं
अनिकेत का कमरा
सुबह जैसे ही अनिकेत की नींद खुली तो उसका सर बहुत भारी हो रहा था थोड़ी देर वो सर पकड़ कर बेड पर बैठा रहा जब थोड़ा नॉर्मल हुआ तो उसके दिमाग में कल रात की कुछ धुंधली सी तस्वीर सामने आने लगी उसने फिर से अपने सिर पर जोर डालते हुए अपनी आंखें कसकर बंद की फिर अचानक खोल दी अब उसे डर लग रहा था कि आज कैसे वो अपने दादू से नजरें मिलाएगा यही सब सोचते हुए वो सर को झटककर वाशरुम में चला गया थोड़ी देर बाद वो फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आते हुए सीधा सीढ़ियों से नीचे उतरता है लेकिन उसे क्या पता था कि आज उसके दादू बेसबरी से अपने पोते का इन्तजार कर रहे थे ,,,,,,,,,,,,,, अखण्ड प्रताप ताना कसते हुए,,,,,,,,,,,,,,,,,,आइये आप ही का इन्तजार हो रहा था तो कल कितने बजे आप घर आए हैं,,,,,,,,,,,,, अनिकेत सिर को झुकाए खड़ा था तभी एक बार फिर अखण्ड प्रताप थोड़ा सा तेज आवाज में पूछते हैं,,,,क्या हुआ सांप सूंघ गया क्या
अनिकेत थोड़ा झिझकते हुए और अपने दादू का गुस्सा देखते हुए अपनी डरती हूई आवाज में बोलता है ,,,,,,,,,,,,,,
वो दादू कल वो मेरा दोस्त है ना उसने ही फोर्स किया मैंने मना किया पर वो नहीं माना तो हम बस उसके घर पर ही पार्टी कर रहे थे ,,,,,,,,,,,,,,,,जैसे ही अखण्ड प्रताप ने अपने ग्रैंड सन के मुंह से झूठ सुना उनको तो यकीन ही नहीं हुआ कि जो उनके सामने हाथ बांधे खड़ा है वो उनका ही पोता है और ऐसे उनके सामने झूठ बोल रहा है उन्होंने अपने गुस्से को पीते हुए एक नजर फिर से अनिकेत को देखा फिर अपनी तेज आवाज में श्यामू काका को बुलाया,,,,,,,,,,,, श्यामू,, श्यामू,,,,,,,,,,,,, श्यामू काका आते हुए जी मालिक,,,
नाश्ता लगवाइये हमें आज जल्दी ऑफिस के लिए निकलना है ,,,,,,,,,जी मालिक
दूसरी तरफ अनिकेत गहरी सोच में डूबा यही नहीं समझ पा रहा था कि आखिर दादू ने उससे कुछ और क्यों नहीं कहा थोड़ी देर में डाइनिंग टेबल पर सभी ब्रेकफास्ट के लिए इकट्ठे हुए और ब्रेकफास्ट खत्म करके सभी अपने अपने काम पर लग गए और कुछ अपने कमरे में चले गए,, सावित्री भी यही सोच रही थी कि आखिर ऐसी क्या बात थी कल जो उनके ससुर उनके बेटे को इतने गुस्से से पूछ रहे थे वहीं उन्हें एक सुकून भी था और अपने मन में सोच रही थी,,,,,,,,,,,,चलो अच्छा हुआ कि आज पापा शान्त थे वरना पता नहीं क्या होता
थोडी देर में अनिकेत के कमरे में अनिकेत अपने दोस्त से कल रात के बारे में बता ही रहा था कि दरवाजे पर खटखट हुआ ,,,,,,,,,,,,,,,, आजाएं,,,,,,,,,,, छोटे मालिक, बड़े मालिक ने आपको अपने ऑफिस बुलाया है ,,,,,,, अनिकेत चौकते हुए,,,,,, क्या दादू ने हमें ऑफिस बुलाया है,,,,,,,,,,,,नौकर सिर नीचे कर हाथ बांधे हुए,,,,,,,,,जी छोटे मालिक आपको ऑफिस बुलाया है ,,,,,,,,,,,, अनिकेत कुछ सोचते हुए ठीक है मैं पहुंच जाऊंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,, इतना कहते ही नौकर चला गया और अनिकेत कुछ सोचने लगता है कि उसे याद आता है कि उसने कॉल तो कट ही नहीं की ,,,,,,,,,,,,,, हेल्लो,,, हेल्लो,,,,,,,, हां यार सॉरी यार मैं भूल ही गया कि तू अभी लाइन पर है ,,,,,,,,,,,,फोन के दूसरी तरफ से हंसते हुए ,,,,, हां मैं तो लाइन पर हूं पर लगता है तेरे दादू तुझे भी लाइन पर लाकर ही छोड़ेंगे,,,,,,,,,,,,,,, हां यार मुझे तो समझ नहीं आ रहा कहीं कल रात के बारे में बात की तो मैं क्या कहूंगा ,,,,,,,,,,,, हम्ममम,,,,,,चल अच्छा तू देख कि क्यों बुलाया है तेरे दादू ने ,,,,,,,,,,,मुझे भी थोड़ा काम है फिर बाद में बात करता हूं,,,,,,,ओके बाय
अनिकेत फोन रखते हुए बेमन ही खुद से कहता है चल देखते हैं कि क्यों बुलाया है दादू ने तुझे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अखणड प्रताप सिंह के ऑफिस में
अखण्ड प्रताप सिंह मीटिंग रूम में बड़े बिजनेसमैन के साथ बैठे कुछ चर्चा कर रहे थे कि तभी मीटिंग रूम के दरवाजे पर दस्तक होती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सर, अनिकेत सर आ गए हैं,,,,,,,,,,,,,, ठीक हैं उन्हें हमारे ऑफिस में वेट करने को कहिए ,,,,,,,,,,,,,,ओके सर
असिस्टेंट अनिकेत के पास आता हुआ,,,,,,,,,,,,,,सर नें आपसे उनके आफिस में वेट करने को बोला है ,,,,,,,,,,,,ओके ....................
आखिर क्या होने वाला है आगे देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में ...........