नागेंद्र - भाग 7 anita bashal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नागेंद्र - भाग 7

गायत्री जी से हमें पता चलता है कि किस तरह से वर्धा ने उसकी पत्नी और बेटी को शराब के नशे में एक कमरे में बंद कर दिया था और न जाने किस तरह से वहां पर आग लग गई और वहां दोनों की मौत हो गई। गायत्री जी का कहना था कि यह सब वर्धा ने वह सब कुछ जानबूझकर किया था वही वर्धा का कहना था कि वह सब कुछ एक हादसा था। तभी वर्धा को हार्ट अटैक आ गया और वहां दूसरी तरफ पार्वती अपने परिवार वालों से मिलकर नागेंद्र को किस तरह से काबू में लाना चाहिए वह सोच रहे थे जहां उसके दामाद देवा ने उसकी चचेरी बहन कामिनी के बारे में बताया।

दिपाली ने देवा की बातों पर सोचते हुए कहा।

" बात तो एकदम सही है। मैंने देखा है उसे गजब की खूबसूरत है वह। मैंने तो कई लोगों को उसके पीछे लट्टू होते हुए देखा है। जवान तो जवान बच्चे और बूढ़े भी उसे देखते रह जाते हैं। अगर उसने नागेंद्र को फंसा लिया तो हमारा काम आसान हो जाएगा।"

नितिन कामिनी को याद करने लगा जब उसने उसकी बहन की शादी में उसको देखा था। पतली कमर में लहराते हुए चलती हुई कामिनी किसी अप्सरा से कम नहीं थी। नितिन नेवी उसे पटाने की बहुत कोशिश की थी उसने तो उसकी तरफ देखा तक नहीं था। मुझे सोच कर खुश हो गया कि अगर फोन यहां आती है तो वह इस बार अपना चांस ले सकता था।

पार्वती ने भी कामिनी को याद किया और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा।

" वह सारी बातें तो ठीक है लेकिन अगर उसने वक्त आने पर धोखा दे दिया तो?"

फिर उसने अपनी नज़रें आसपास घूमाते हुए कहा।

" मैंने इन सबके लिए काफी कुछ किया है और एक पल के लिए मैं उसे अपने से दूर जाते हुए नहीं देख सकती। वह लड़की इस काम के लिए परफेक्ट है लेकिन भरोसे के लिए बिल्कुल भी नहीं।"

" अरे सासू मां आप टेंशन क्यों लेती हो, हम लोग पहले ही इन सारी बातों पर सोच विचार कर लेंगे उससे बात कर लेंगे और मेरा तो मानना यह है कि हम लोग उससे कोंट्रेक्ट भी साइन करवा लेंगे कि उसे शादी के बाद जो कुछ भी मिलेगा उसमें से 80% हमको देना होगा। इस जायदाद में का 20% भी उसके लिए बहुत ज्यादा है।"

दीपाली ने देवा की तरफ देखकर पूछा।

" अरे यह सारी बातें तो हम लोग कर रहे हैं लेकिन क्या वह इस बात के लिए मानेगी? उसका कोई बॉयफ्रेंड हुआ तो?"

देवा ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

" अरे तो हम कौन सा उसको प्यार करने के लिए कह रहे हैं सिर्फ शादी करने के लिए तो कह रहे हैं। प्यार और शादी दोनों अलग-अलग चीज होते हैं प्यार दिल से किया जाता है और शादी दिमाग से।"

देवा की इस बात पर दीपाली उसे घूर-घूर कर देखने लगी और नितिन चुपचाप खाना खाने लगा वहीं दूसरी तरफ पार्वती ने गहरी सांस ली और अपना खाना खत्म करने लगी। देवा को समझ आया कि अभी-अभी उसने क्या कहा इसलिए उसने उसे बात को ठीक करते हुए कहा।

" अरे डार्लिंग मैं तो मजाक कर रहा था और यहां पर मैं मेरी बात तो बिल्कुल भी नहीं कर रहा था। मेरा तो दिल और दिमाग दोनों ही तुम्हारे बस में है।"

लेकिन दीपाली ने अपना खाना छोड़ और तेज कदमों से कमरे की तरफ चली गई और फिर देवा को भी गहरी सांस लेते हुए अपना खाना छोड़कर उसके पीछे जाना पड़ा। उन दोनों के वहां से चले जाने के बाद नितिन ने अपना खाना खत्म करते हुए कहा।

" वैसे मां इसकी बात में तो दम है अगर हमें वह कर दिया तो हमारे पास पैसा भी आ जाएगा और बाद में हमनागेंद्र को किसी तरह से मरवा देंगे और फिर पूरी प्रॉपर्टी उसके नाम पर हो जाएगी बुढ्ढा तो पहले ही खबर में लटका हुआ है।"

नितिन भी तब तक वहां से चला गया और फिर पार्वती उसकी बात पर सोचने लगी क्योंकि उसे भी इस बात पर दम तो लग रहा था। वही कमरा के अंदर नागेंद्र प्रीतम को किसी प्रॉपर्टी को खरीदने की बात कह रहा था।

" लेकिन सर यह हमारे लिए थोड़ा नया काम है और मुझे नहीं लगता कि आपको वहां जाने की जरूरत है वह सब में संभाल लूंगा।"

नागेंद्र के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी और उसने इस मुस्कान के साथ कहा।

" नहीं यह काम तुम्हें खुद ही देखूंगा और खुद वहां पर जाकर रहूंगा भी। मेरे लिए काम इस दुनिया में सबसे ज्यादा जरूरी है।"

प्रीतम को उसके बाद समझ नहीं आई लेकिन जिस तरह से नागेंद्र उसे पेपर को देख रहा था वह काम सच में उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी था। तभी प्रीतम का फोन बचाने लगा जिसे उसने उठाया और फिर कुछ देर तक बात करने लगा। नगेंद्र ने उसे पेपर को देखा और मुस्कुराने लगा।

" सर कंग्रॅजुलेशन हम उसे प्रॉपर्टी को खरीद सकते हैं और या तो आप उसे करवा लो या फिर उसी से हम अपना काम चला सकते हैं। मैंने उसे देखा है वह काफी वेल कंस्ट्रक्ट है।"

" याह आई नो। हम कब जा सकते हैं वहां पर?"

प्रीतम ने अपना फोन अपनी जेब में वापस रखते हुए कहा।

" सर कल हमें कुछ साइन वगैरा करना है फिर हम परसों यहां से निकाल सकते हैं।"

यह सुनकर नागेंद्र ने अपनी आंखें बंद की और सोफा पर ही अपना सर टिक कर बैठ गया और कुछ गहरी सोच में डूब गया। प्रीतम नागेंद्र को इस तरह से पहली बार देख रहा था तो उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

आज दूसरी तरफ अवनी की हवेली में डॉक्टर शर्मा आए हुए थे। कुछ गिने-चुने ऐसे लोग थे जो नागेंद्र को अच्छे से जानते थे और उसके जाने के बाद भी अवनी और गायत्री जी की हमेशा मदद करते थे, डॉक्टर शर्मा भी उनमें से एक थे।

" कुछ समझ में नहीं आ रहा गायत्री जी। हार्ट अटैक के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं। ऐसा हो सकता है की टेंशन के मारे बेहोशी आ गई हो लेकिन बीपी नार्मल दिख रहा है।"

डॉक्टर शर्मा ने कमरे के बाहर खड़ी हुई गायत्री जी से कहा। वर्धा अंदर कमरे में लेटा हुआ था और उसके बगल में अवनी बैठी हुई थी और कुछ दूरी पर रसीली खड़ी हुई उन दोनों को देख रही थी। वर्धा अपनी अधूरी आंखों से अवनी को देख रहा था और अवनी उन्हें शांत करने की कोशिश कर रही थी।

" मैं इस इंसान को अच्छे से जानती हूं शर्मा जी। यह सब नाटक है इस आदमी का। लेकिन कुछ कर नहीं सकती ना क्योंकि मेरी बेटी मानने नहीं वाली।"

डॉक्टर शर्मा ज्यादा समय से तो नहीं लेकिन पिछले 6 महीने से इस परिवार को अच्छे से जान चुके थे इसलिए उन्होंने ज्यादा कुछ कहना सही नहीं समझा लेकिन फिर भी उन्होंने कहा।

" गायत्री जी अगर कोई प्रॉब्लम की बात हो तो वकील किशोरी लाल को आप कांटेक्ट कर सकती है वरनामेरे एक दोस्त यही नजदीक में रहते हैं मैं उनको बता दूंगा कि अगर आपको कोई मदद की जरूरत पड़े तो वह सबसे नजदीक रहेंगे।"

गायत्री जी ने हल्की मुस्कुराहट के साथ डॉक्टर शर्मा को हां कहा और उनकी तसल्ली के लिए कुछ नंबर भी ले लिए जो उन्होंने बताए थे। डॉक्टर शर्मा वहां से जा चुके थे। रात के 10:00 बजे भी अवनी वर्धा का ध्यान रख रही थी। वह खुद प्रेग्नेंट थी लेकिन अपना ध्यान रखने के बजाय वह उसे इंसान का ध्यान रख रही थी जो झूठ बोलकर यहां पर आया हुआ था।

इन सब से दूर मुंबई में एक हाई प्रोफाइल पार्टी चल रही थी। सब आदमी लोग अपने हाथों में शराब के गिलास लिए हुए एक जगह पर घेरा बनाए हुए खड़े थे। बीयर बार में एक लड़की सबको मॉकटेल सर्व कर रही थी और जो उन्हें चाहिए वह दे रही थी। सारे लोग जो वहां पर बैठे हुए थे या फिर खड़े हुए थे उसे लड़की की तारीफ पर तारीफ किये जा रहे थे। 

वह लड़की भी उन सब की बातों पर मुस्कुरा रही थी कि तभी उसका फोन बजने लगा। उस लड़की ने नंबर देखा और फिर सबको एक्सक्यूज में बोलकर काउंटर के पीछे चली गई जहां पर उसने एक रात के सास ली और फोन उठाया।

" क्या है? क्यों परेशान कर रहे हो? अभी मैं काम कर रही थी।"

सामने कोई और नहीं देवा था जो अपने कमरे में खड़े हो कर फोन पर बात कर रहा था और सामने दीपाली गुस्से में बैठी हुई थी।

" कामिनी एक बहुत जरूरी काम है क्या तुम यहां आ सकती हो?"

वर्धा किस काम से उसे हवेली में गया है और क्या वह उसका हमको पूरा कर पाएगा? किस काम को लेकर नागेंद्र इतना खुश था? क्या कमीनी का जादू नागेंद्र पर चढ़ जाएगा? नागेंद्र और अवनी अपने ही रिश्तेदारों से धोखा खाने

जा रहे हैं तो क्या वह उससे बच पाएंगे?