नागेंद्र - भाग 8 anita bashal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नागेंद्र - भाग 8

राजश्री अवनी को यह समझ रही थी कि केस जीतने के लिए उसे फेमस वकील चाहिए और इसके लिए उसे बलराज सोलंकी की मदद लेनी होगी। अवनीश बाद से राजी तो नहीं थी लेकिन वह इस बात के बारे में सोच रही थी। होटल महफिल इन में अवनी सारी तैयारी को अच्छे से देख रही थी। न्यू ईयर पार्टी के लिए अब सिर्फ 15 दिन बचे थे और उसके आदि तैयारी हो गई थी।

होटल महफिल इन में होने वाली पार्टी के होर्डिंग जगह-जगह पर लगा चुके थे और होटल को रॉयल पैलेस में बदलने के लिए भी पूरी तैयारी हो रही थी। अवनी के सब कुछ काम देख भी रही थी लेकिन उसके दिमाग में अभी भी राजश्री के कहीं बात घूम रही थी। वह यह तेरी नहीं कर पा रही थी कि उसे बलराज सोलंकी से बात करनी चाहिए या नहीं।

" हेलो मिस अवनी हाउ आर यू?"

अवनी के पीछे से ही आवाज आई और जैसे ही उसने देखा पीछे बलराज खड़ा था। अवनी उसी के बारे में सोच रही थी और उसे अपने सामने देखकर वह थोड़ी नर्वस हो गई और उसने उन तैयारीयों की तरफ दिखाते हुए कहा।

" सर काम बराबर हो रहा है मैं बस यही देखने आई थी।"

बलराज ने एक नजर तैयारी की तरफ देखा और फिर अवनी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा।

" अवनी आपको यह सारे कम देखने की क्या जरूरत है? आप यहां की मैनेजर है यह काम आप दूसरों को भी दे सकती है। वैसे आप आपकी फैमिली वालों को पार्टी में बुला रही है ना?"

होटल की न्यू ईयर पार्टी में गेस्ट के साथ-साथ एंप्लॉय के फैमिली वालों को भी बुलाया जाता था। अवनी कभी अपने घरवालों को यहां नहीं बुलाती थी क्योंकि गजेंद्र और उसका बेटा दिलावर सिंह भी हमेशा ही पार्टी में आता था। अवनी नहीं चाहती थी कि उन दोनों के बीच में झगड़ा हो और होटल में सब कुछ पता चले। वहां तो किसी को यह भी नहीं पता था कि अवनी एक रॉयल फैमिली से बिलॉन्ग करती है।

" क्या हुआ आप कोई जवाब नहीं दे रही? आप कभी भी अपने फैमिली वालों को नहीं बुलाती है मैं चाहता हूं कि इस बार आप जरूर बुलाएं। आखिर हम भी तो आपके हस्बैंड से मिले।"

अवनी ने एक लट को अपने कान के पीछे करते हुए कहा।

" वह मेरे फैमिली मेंबर को इस तरह की पार्टी पसंद नहीं है। सच कहूं तो मुझे खुद को भी यह सब कुछ पसंद नहीं है लेकिन मेरा तो यह काम है।"

बलराज ने अवनी के कंधे में हाथ रखा और कहा।

" कम ऑन ऑन आज के जमाने में भी तुम किस तरह की बातें कर रही हो? मैं बॉस होने के नाते तुम्हें यह ऑर्डर देता हूं कि इस बार तो तुम्हें तो अपनी फैमिली मेंबर को बुलाना ही होगा।"

अवनी ने उसे हाथ की तरफ देखा जो बलराज ने उसके कंधे में रखा था। उसको यह बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था और वह अपने आसपास देखने लगी कि उसे इस तरह से देखकर लोग उनके बारे में क्या कहेंगे। उसने हल्के से अपना कंधे को नीचे किया जिससे बलराज समझ गया की अवनी को उसका इस तरह से हाथ रखना अच्छा नहीं लगा। उसने तुरंत अपना हाथ वापस खींच लिया। 

अवनी ने अपने आसपास देखा तो कुछ लोग उन दोनों को देखकर कानाफूसी कर रहे थे। अवनी समझ गई कि वह लोग उन दोनों के बारे में ही बात कर रहे हैं। यह देखकर अवनी नर्वस होने लगी थी। अवनी ज्यादा लोगों से बात नहीं करती थी और लोगों के बीच में रहना उसे ज्यादा पसंद नहीं था। ऐसे में जब उसे लगता था कि लोग उसे देख रहे हैं तो वह नर्वस हो जाया करती थी।

अवनी को इस तरह से नर्वस देखकर बलराज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह ऐसा ही चाहता था कि लोग उन दोनों के बारे में बात करें। लेकिन फिर भी उसने अवनी को कहा।

" अवनी लगता है तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है तुम जा सकती हो अपने घर। और हां पार्टी में सबको लेकर आना है और खासकर के अपने हस्बैंड को।"

अवनी सच में काफी नर्वस फील कर रही थी उसने गर्दन हिलाई और तेजी से अपने केबिन की तरफ चली गई। जब वह अपने केबिन की तरफ जा रही थी तो उसके कानों में कुछ आवाजें आ रही थी।

" तूने देखा ना बलराज सर ने किस तरह से अपनी मैम को हाथ लगाया?"

" मुझे तो लगता था कि अवनी मैडम काफी अच्छी औरत है लेकिन मुझे तो कुछ और ही लग रहा है।"

" अभी 1 साल पहले तो शादी हुई है उनकी और अभी से यह तो दूसरों के डोरे डाल रही है। क्या उनका आदमी अच्छा नहीं दिखता?"

अवनी के कानों में ही सारी बातें गुंज रही थी लेकिन इन सब को इग्नोर करके जल्दी से अपने केबिन के अंदर चली गई। कुर्सी में बैठते ही उसने वापस अपना सर पकड़ लिया। उसका आधा सर वापस दर्द करने लगा था। अवनी बेहद खूबसूरत थी लेकिन वह दूसरों से ज्यादा बात नहीं करती थी और नहीं किसी के साथ दोस्ती कर पाती थी। जो बात करने के कारण लोगों से घमंडी समझते थे। 

तभी उसके केबिन का दरवाजा खुला और बलराज अंदर आ गया। बलराज को देखकर अपनी अपनी जगह से खड़ी हुई और कहने लगी।

" सॉरी सर मेरा सर दर्द कर रहा था इसलिए मैं आ गई।"

बलराज ने सामने की कुर्सी में बैठते हुए अवनी को भी बैठने का इशारा किया। अवनी उसकी बात मानकर चुपचाप अपनी जगह पर बैठ गई। बलराज ने अवनी को कहा।

" अवनी तुम्हें टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है। मैं बाहर सबको बोल दिया है कि वह लोग जिस तरह की बातें कर रहे थे उसे तरह की बातें अब दोबारा नहीं होनी चाहिए। मेरी तो समझ में नहीं आता कि लोग इस तरह की बातें कर कैसे लेते हैं। मिनी कड़क शब्दों में कह दिया है क्या अगर किसी ने दोबारा इस तरह की बात की तो वह उनकी नौकरी का आखिरी दिन होगा।"

अवनी ने बलराज की तरफ देखते हुए कहा।

" सर आपको इस तरह की बातें नहीं कहनी चाहिए थी वरना वह लोग जो सोच रहे हैं उस पर विश्वास भी करने लगेंगे।"

बलराज ने अवनी के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा और कहा।

" अवनी तुम लोगों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। लोग सिर्फ उनको ही बोलते हैं जिनसे वह जलते हैं। कोई भी किसी को आगे बढ़ते हुए नहीं देख सकता।"

अवनी तेजी से अपना हाथ खींच लिया जिससे बलराज ने भी वापस अपना खींच लिया। अवनी नोटिस किया था तब तो आपके साथ बात कर रहा था लेकिन अब वह तुम और डायरेक्ट अवनी को अवनी का कर बुला रहा था नहीं तो वह मिस अवनी कहकर ही बुलाता था। लेकिन यह बातें वह बलराज से नहीं पूछ सकती थी क्योंकि वह आखिर इसका बॉस था।

बलराज अवनी के चेहरे की तरफ देख रहा था और अवनी यह देखकर और भी ज्यादा नर्वस हो रही थी। उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे दिख रही थी। उसे उसके बिन में नर्वस फील हो रहा था इसलिए उसने अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा।

" सर मुझे लगता है मेरी तबीयत खराब है क्या मैं घर जा सकती हूं?"

बलराज ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा।

" बिलकुल, इसमें पूछने वाली क्या बात है? तुम यहां की मैनेजर हो तुम अपने हिसाब से अपना काम कर सकती हो। वैसे अगर तुम रहती हो तो मैं तुम्हें घर पर ड्रॉप कर सकता हूं।"

अवनी ने अपने पर्स को उठाते हुए कहा।

" थैंक यू सो मच सर लेकिन इसकी कोई जरूरत नहीं है।"

इतना कहकर तेजी के साथ वहां से चली गई। फ्रेश होकर वहां से बाहर की तरफ जा रही थी तो सब लोग उसे ही देख रहे थे। उसके ऊपर आई हुई निगाहे उसे और भी ज्यादा नर्वस कर रही थी। होटल के बाहर निकाल कर वह कुछ कदम आगे चले क्योंकि वहां से कोई ऑटो नहीं मिलती थी।

उसने अपनी घड़ी में देखा तो रात के 8:00 बज रहे थे। वैसे तो उसका छूटने का टाइम 10:00 बजे का था लेकिन आज वह जल्दी घर जा रही थी। बाहर खुली हवा में उसे काफी अच्छा फील हो रहा था। वह ऑटो स्टैंड में पहुंच गई थी जहां पर पहुंचकर उसने एक राहत की सांस ली। 

" कहीं पहुंचा दूं अवनी रानी?"

अवनी ने अभी राहत की सांस ली ही थी की इस आवाज ने उसे डरा दिया। आवाज सुनकर उसके माथे से पसीना नीचे टपकने लगा। वो इस आवाज को अच्छे से जानती थी। अगर वह नींद में भी रही फिर भी इस आवाज को पहचान सकती थी। उसने डरते हुए अपने पीछे की तरफ देखा जहां पर एक काले रंग की कार खड़ी थी और उसकी खिड़की में से एक चेहरा बाहर की तरफ झांक रहा था। उसकी आंखें अवनी के तरफ ही थी जिसमें से वहसीपन झलक रहा था।

आखिर कौन था उस कार में जिससे अवनी इतना डर गई थी? क्या अवनी मुसीबत में है? बलराज अवनी के घर वालों को और खासकर के नागेंद्र को

पार्टी में इनवाइट क्यों करना चाहता है?