नागेंद्र - भाग 1 anita bashal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

नागेंद्र - भाग 1

एक 16 साल की लड़की दुल्हन के लिबास में एक जंगल में बने हुए नाग मंदिर के सामने बैठी हुई थी। रंग गोरा और मासूम चेहरा लेकिन चेहरे में घबराहट। उसके सामने शादी में उपयोग होने वाली हर चीज रखी हुई थी। वह लड़की वहां पर बैठी हुई थी और कुछ दूरी पर एक आदमी और औरत एक पंडित के ऊपर गुस्सा कर रहे थे। औरत पंडित की तरफ उंगली दिखाते हुए कह रही थी।

" देख पंडित तूने जो कहा है वह सच है या फिर हमसे पैसे निकलवाने का तरीका है? इतना समझ ले अगर तेरी बात में जरा सी भी गड़बड़ हुई तो मैं तुझे एक रुपया नहीं दूंगी और पुलिस में पड़वा दूंगी वह अलग से।"

पंडित जिसके माथे पर पसीना लगा हुआ था उसने अपने गमछे से पसीने को साफ किया और हड़बडा़ते हुए कहा।

" अरे नहीं नहीं सावित्री जी यह आप कैसे बात कर रही है। मैंने आपसे जो जो कहा है उसका एक-एक शब्द सच है। आपकी बेटी की कुंडली में बहुत बड़ा सर्प दोष है। इसलिए तो हमें यह पूजा करवानी है।"

उसे औरत के बाजू में खड़ा हुआ वह आदमी चुपचाप खड़ा था जिसे देखकर सावित्री जी ने कहा।

" अब तुम क्यों चुप-चुप खड़े हो? वहां तुम्हारी बेटी कब से मंडप में बैठी हुई है और अभी तक दूल्हे का कोई नामो निशान नहीं है। तुम कुछ नहीं कहोगे?"

सावित्री जी की कड़कती हुई आवाज सुनकर उसे आदमी ने घबराते हुए कहा।

" मेरी कहां हिम्मत होती है आपके सामने बोलने की? आप ही बात कीजिए ना।"

सावित्री जी ने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा।

" इस आदमी से कुछ नहीं होने वाला। पता नहीं क्या देखकर मेरी मां ने तुम्हारे साथ मेरी शादी कर दी थी।"

इतना कहकर उस औरत ने वापस पंडित की तरफ देखा और कहा।

" अगर 5 मिनट के अंदर तुम्हारा वह आदमी नहीं आया तुमने तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगी।"

अभी वह लोग बात कर ही रहे थे उनके कानों में एक बच्ची की चिखने की आवाज सुनाई दी। सपना उसे तरफ देखा तो वह 16 साल की लड़की जो दुल्हन के लिबास से बेटी हुई थी उसके पास एक नाग आ कर बैठ गया था। वह नाग काफी बड़ा था लगभग 7 से 8 फीट का। उसकी चमकीली आंखें और चमकीली चमडी थी। उस साप के सर पर त्रिशूल का निशान था जिसे देखकर पता चल जाता था कि वह किंग कोबरा है।

" हे भगवान ये कितना डरावना साप है। ‍ अरे कोई मेरी बेटी अवनी को बचाओ।"

सांप को देखकर सब लोग डरे हुए थे और सबसे ज्यादा डरी हुई थी वह थी अवनी। वह साप बिल्कुल उसे जगह पर था जहां पर इस वक्त दूल्हे को बैठना चाहिए था। इस वक्त अवनी के अलावा सिर्फ वह तीन लोग मौजूद थे और तीनों ही काफी डरे हुए थे। सावित्री ने देखा कि उनका पति अपनी जगह से हल भी नहीं रहा है तो उसने अपने पति को कॉलर से पकड़ा और कहा।

" तुम्हारी बेटी वहां मुसीबत में है और तुम बाप होकर कुछ नहीं कर पा रहे हो। जाकर मेरी बेटी को बचाओ नहीं तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगी।"

अवनी के पिता जिनका नाम गिरधारी लाल था उन्होंने डरते हुए कहा।

" हमारी बेटी को अगर सांप ने काट लिया तो तुम तुरंत अस्पताल लेकर चली जाओगे लेकिन अगर मुझे कुछ हुआ तो मुझे करने के लिए छोड़ दोगी।"

गिरधारी लाल की यह बात सुनकर सावित्री ने अपने पति को एक थप्पड़ मारते हुए कहा।

" शर्म नहीं आती इस तरह की बात बोलते हुए?"

इससे पहले की सावित्री अपना दूसरा हाथ उठा पाती पंडित जी ने उनको रोकते हुए कहा।

" अरे मैडम जी आप क्या बोल रही हो अपने पति को मार कर कुछ नहीं होगा। जरा ध्यान से देखो वह नाग आपकी बेटी को कुछ नहीं कर रहा है वह बस अपनी जगह पर बैठा हुआ है।"

सावित्री ने देखा तो अवनी डर के मारे बर्फ की तरह अपनी जगह में बैठी हुई थी और वह नाग अवनी की तरफ देखकर चुपचाप अपनी जगह पर बैठा हुआ था। यह देखकर सावित्री ने उसे पंडित की तरफ देखकर कहा।

" अरे वह सांप अपनी जगह पर बैठा हुआ है तो क्या मैं उसकी आरती उतारू?"

" हां बिल्कुल हमें वही करना होगा।"

सावित्री और गिरधारी लाल में सवालिया नजरों से पंडित जी की तरफ देखा तो उन्होंने समझते हुए कहा।

" देखी आपकी बेटी के ऊपर जो सर्प दोष है उसका निवारण करने के लिए हमें आपकी बेटी की शादी किसी नाग से करनी है। अब हमने जिस सपेरे को बुलाया था उसका फोन लग नहीं रहा है और वह ना अभी तक आया है। हमें बस 5 मिनट के अंदर अंदर मुहूर्त के समय पर यह शादी करनी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर 7 साल के बाद इस शादी का मुहूर्त आएगा। जब तक यह शादी नहीं होगी तब तक आपकी बेटी के ऊपर मां रहा था वह साया कभी नहीं हटेगा।"

पंडित जी की बात सुनकर सावित्री नाम अपनी बेटी की तरफ देखा जो काफी डरी सही में हुई वहीं पर बैठी हुई थी। अवनी के कुंडली में सर्प दोष था इसके निवारण के रूप में एक बहुत बड़े पंडित जी ने यह कहा था कि अवनी की शादी किसी नाग से करनी होगी। अवनी की कुंडली में सर्प विवाह लिखा हुआ था।

जब उन्होंने यह सब सुना था तो उन्हें यकीन नहीं हुआ था लेकिन अवनी को सपने में हमेशा बड़े-बड़े नाग दिखाई दिया करते थे। उसे पूरा नागलोक दिखता था जहां पर हर जगह पर सर सांप ही सांप थे। एक काला भयानक नाग अवनी को अपने साथ पकड़ कर ले जाता था। अवनी डर के मारे चिल्ला कर उठ जाया करते थी।

एक बार की बात होती तो ठीक होता लेकिन यह अब हर रोज होने लगा था। इसकी वजह से अवनी सो भी नहीं पाती थी उसे सोने को भी डर लगता था। इसी वजह से उसकी तबीयत खराब होने लगी थी और आखिरकार सावित्री की अवनी की शादी किसी नाग से करने के लिए मान गई थी।

इस वक्त वह लोग 25 जंगल में मौजूद है उसके अंदर एक बहुत बड़ा नाग देवता का मंदिर है। इस मंदिर के रास्ते से नागलोक का द्वार खुलता है। हालांकि उसे जगह तक आज तक कोई भी पहुंच नहीं पाया लेकिन यह मान्यता बहुत सालों से इस जंगल में फैली हुई थी। इसीलिए उसे महान पंडित ने इसी जंगल में आकर अवनी की शादी किसी नाग से कराने को कहा था।

इस वक्त उनके साथ जो पंडित मौजूद था यह इस महान पंडित का शिष्य हैं। उन लोगों ने एक सपेरे से नाग को लाने को कहा था। अवनी को दुल्हन की तरह तैयार करके मंडप में बिठा दिया गया था और वह लोग मिलकर अवनी की शादी उसी नाग से करने वाले थे। लेकिन वह सपेरा अभी तक आया नहीं था और यह नाग यहां पर अचानक से आ गया था।

" देखिए हमारे पास समय काफी कम है इसलिए मुझे लगता है कि हमें इन दोनों की शादी करवा देनी चाहिए। एक बार इन दोनों की शादी हो गई फिर आपकी बेटी को कोई भी सांप कुछ नहीं कर पाएगा। जल्दी जवाब दीजिए हम इन दोनों की शादी करवानी है या नहीं?"

सावित्री जी क्या फैसला लेगी? अवनी को कि कल विशाल भयानक सांप का सपना हमेशा क्यों आता था? आखिर यह नाग कहां से आ गया था?