पुनर मिलन Preeti Sarnikar द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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पुनर मिलन


एक छोटे से गाँव में, एक सुखी और समृद्ध परिवार निवास कर रहा था। इस परिवार का मुखिया राम कुमार था, जिनकी पत्नी का नाम स्वरा था। इनका एक ही बेटा था जिसका नाम आदित्य था। राम और स्वरा एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे और उनका जीवन बहुत ही सुखमय था। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जो उनके परिवार को हिला देगा। 

एक दिन देवांश ने अपनी सैर के दौरान एक औरत से मिली। यह औरत बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी और उसकी बातों में कुछ अनोखा था जो राम को खिच लिया। उन दोनों के बीच में एक अन्धकार में कुछ आखिरकार तो हुआ ही जिससे देवांश को उस औरत में दिखाई देने लगा। 

उस औरत का नाम रचना था, जो एक कलाकार थी और उसकी सुंदरता और व्यक्तित्व ने राम का मनमोहन कर दिया। धीरे-धीरे राम कुमार रचना के प्रति अपनी भावनाएं बयाँ करने लगे और उनके बीच में प्रेम उभरने लगा। 

समय के साथ, देवांश ने अपनी पत्नी स्वरा को भी इस बारे में बता दिया। स्वरा ने बहुत ही धैर्य और समझ से देवांश की बात सुनी। उन्होंने अपने पति की भावनाओं को समझा और उन्हें समर्थन दिया। लेकिन इस बीच बेचैनी और कल्पनाएं राम के दिमाग में घेरने लगीं। 

देवांश के दो भावनाएं एक-दूसरे से टकराने लगीं। उनका मन एक ओर स्वरा के पक्ष में था, लेकिन उनके हृदय में रचना की छाया बसने लगी थी। राम अपने आप को समझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन अंत में उनका दिल रचना की तरफ मोड़ दिया। 

एक दिन, राम ने अपनी पत्नी स्वरा को तलाक देने का निर्णय लिया। स्वरा ने बहुत कोशिश की और उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन देवांश ने अपनी निर्णय को अंजाम देने का इरादा किया। उन्होंने तलाक के लिए आवेदन दाखिल किया और अगले ही दिन तलाक हो गया। 

तलाक के बाद, देवांश की जिंदगी में एक बड़ी खाई खुल गई। उन्होंने रचना से अपना रिश्ता मजबूत किया और उनके साथ एक नया जीवन आरंभ किया। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अपने परिवार को भूल जाने का दर्द भी महसूस किया। 

वह रोज रात को सोते समय सोचते कि क्या सही किया है। उन्होंने अपने बेटे आदित्य को भी खो दिया जिसके लिए उनके दिल में गहरा दर्द था। वह प्रतिदिन स्वरा की यादों में खोया रहता और अपनी गलतियों का पछतावा करते रहते। 

देवांश का दिल बहुत भावुक और विचलित हो गया था। उन्होंने अपने आप को समझाने की कोशिश की, लेकिन दर्द और अफसोस उनके दिल को काबू में नहीं रखने देते थे। वे बहुत ही उदास और विचलित महसूस कर रहे थे। 

एक दिन, राम ने एक अजीब सा एहसास महसूस किया। उन्होंने एक पुरानी पुस्तक खोली और उसमें एक विचित्र कहानी पढ़ी। उस कहानी में एक शख्स ने अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए अपनी पुरानी जिंदगी को बदला। इससे उन्हें दिलासा मिला कि सब ठीक होगा। 

देवांश ने एक निर्णय लिया। उन्होंने स्वरा से मिलने का निर्णय लिया और अपनी गलती को स्वीकार करने का इरादा किया। स्वरा समझने के लिए तैयार थी और वे दोनों मिलकर एक दूसरे के साथ बातचीत करने बैठे। 
देवांश ने स्वरा से आज सब कुछ कह दिया। उन्होंने अपनी गलती को स्वीकार किया और उनसे माफी मांगी। स्वरा ने भी उन्हें समझा और उन्हें माफ कर दिया। उनके बीच में समझौता हो गया और वे एक बार फिर से एक साथ खुशियों और सुख-शांति से जीने लगे। 

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर रिश्ते में संवाद और समझौता बहुत महत्वपूर्ण होता है। किसी के साथ गलती हो जाने पर उसे स्वीकार करना और माफी मांगना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे हमारे रिश्ते मजबूत बनते हैं और हमें खुशियों से भरा जीवन मिलता है। 

देवांश की इस कथा ने हमें यह भी बताया कि धैर्य और समझ से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है और हर दर्द को दूर किया जा सकता है। इसी तरह की भावना-आधारित कहानियों से हमें गहरी सीख मिलती है और हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। देवांश ने भी अपनी गलती स्वीकार करके एक नया रिश्ता बनाया और खुशियों की दोकान को दुबारा खोला। 

यह कहानी हमें ध्यान दिलाती है कि प्रेम और समझदारी ही सच्चे सुख और संतोष की कुंजी होते हैं। देवांश ने अपने परिवार को दोबारा संगठित किया और उन्हें एक साथ खुशियों की ओर ले गए। उन्होंने अपने गर्व और अहंकार को छोड़कर अपने परिवार के साथ नया जीवन आरंभ किया।