अपराध ही अपराध - भाग 15 S Bhagyam Sharma द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अपराध ही अपराध - भाग 15

 अध्याय 15 

 

पिछला सारांश -

कार्तिका इंडस्ट्रीज के संस्थापक कृष्णा राज के दिए पहले असाइनमेंट को सफलतापूर्वक धनराजन ने खत्म किया। उसके कौशल की कृष्णराज ने सराहना की। उसकी नौकरी का ऑर्डर और मकान, कार की चाबी धनंजयन को सौंपा, एच.आर., श्यामंशिवम ने।

नई अपार्टमेंट को देखने के लिए अपनी बहनों के साथ धनंजयन आया। इस समय उसने देखा खिड़की के रास्ते से देखने पर पता चला सामने वाले बिल्डिंग के छत से एक आदमी बिनोक्युलर से उसे ही देख रहा था देख कर धनंजयन हकबकाया।

सामने के बिनोक्युलर से अपने को ही देख रहे आदमी को धनंजयन ने देखा तो वह चेन्नई नगर की सुंदरता को देखना शुरू कर दिया।

धनंजयन के चेहरे पर बहुत से बदलाव आए। इसके बीच में दोनों छोटी बहनों ने पूरे घर का निरीक्षण कर “अन्ना, अन्ना यह तो बहुत ही बढ़िया है….” बोले।

‘सब कमरों में ‘ए.सी’सभी बाथरूम में ‘शावर्स’ सभी जगह पर आईना, समुद्र की हवा चलने वाली बालकनी। सचमुच में अन्ना अपन इस घर में रहने आएंगे क्या?’ बिना विश्वास के उन लोगों ने पूछा।

बहनों की खुशी एक तरफ, दूसरी तरफ सामने आफत खड़ी है तत्कालीन रूप से वह हंसकर संभालना चाहा धनराजन ने।

“यह घर अपनी अम्मा का है ।शांति अक्का को भी बहुत अच्छा लगेगा। अपने यहां आ जाएं तो अक्का की शादी में जैसे वह इच्छा करती है वैसे ही हो जाएगी” ऐसा कहकर शांति की शादी की याद श्रुति ने दिलाई।

एक अच्छा रिश्ता वर वालों का शांति के लिए आया था। लड़के को शांति बहुत पसंद आ गई थी। परंतु 10 तोला सोना नहीं डाल सकते थे तो वह शादी रुक गई अब उसमें जीवन आ गया जैसे श्रुति ने बात की।

उन सब के बारे में सोचते हुए, “बाद में अम्मा और अक्का को लाकर दिखाएंगे। अभी मुझे बहुत जरूरी काम है तुम लोग निकलों।”धनंजयन बोला।

फिर से सामने देखा वह बिनोक्युलर का आदमी वहीं खड़ा हुआ था।

पहली बार अपनी गाड़ी में टाई बांधकर शर्ट को इन किया हुआ बड़ी अच्छी तरह से कृष्णराज के बंगले के अंदर धनंजयन ने प्रवेश किया। दाढ़ी मूंछों के साथ देखे हुए को नए ढंग से उसे देखा कार्तिका ने, “हीरो जैसे लग रहे हो धना” बोली।

उसके पास अपने हैं नौकरी के आर्डर को दिखाकर “आशीर्वाद दीजिए” धनंजय बोला।

“मैं, नो नो…” थोड़ी परेशान हुई “इस संप्रदाय की जरूरत नहीं है धना। अपार्टमेंट पसंद आया। आपकी बहनों ने क्या कहा?” वह बोली।

“उन लोगों को अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है मैडम।’सिनेमा के एक गाने में नायक को एक करोड़पति जैसे दिखाते हैं।

ऐसा है अन्ना। यह हमेशा के लिए होगा क्या ऐसा भी उन्होंने पूछा” धनंजयन ने बोला।

“फिर भी इतनी दूर तक बिना विश्वास के रहीं है। ऐसा ही है ना?”

“हां सिर्फ एक चूड़ीदार ही है। कोई एक फंक्शन हो तो सिर्फ एक ही उसे पहन सकता है। उसे ही वें बारी-बारी से पहनकर संभाल लेती हैं। रोजाना 10 ब्लाउज सिंती है शांति अक्का। परंतु उसके पास दो या तीन ही है। हमारी मां का हाथ बहुत ही गोरा गोरा है। इसका कारण नींबू को काट- काट कर नींबू का रस लगने से कारण…. भावुक होकर धनंजयन ने बोला।

“अभी ही मुझे अच्छी तरह समझ में आ रहा है, मिस्टर धना। आप किसी के बारे में भी फिक्र ना करके इस काम के लिए क्यों राजी हुए” कार्तिका बोली।

“सिर्फ हमारी गरीबी ही निश्चित कारण नहीं है मैडम।”

“फिर कौन सा कारण?”

“गलती किए एक व्यक्ति अपने को सुधारने की सोच रहा है। इसके लिए मैं मदद करने वाला हूं। यह एक अच्छी बात है ना?” उसके बोलते ही उसे बड़ी गंभीरता से कार्तिका ने देखा।

“मैडम वह दूसरा असाइनमेंट?” धीरे से उसे धनराज ने विनती की।

“कहती हूं धना। उसे विवेक ने फिर फोन किया क्या?”

“नहीं मैडम। परंतु एक जने ने मुझे फॉलो करना शुरू कर दिया। “

“ऐसा क्या, वह अपने कैसे मालूम किया?” पूछी।

“अपार्टमेंट के खिड़की के द्वारा देखा बिनोक्युलर आदमी के बारे में धना ने बताया। अगले एक्शन ही कार्तिका ने सोचना शुरू कर दिया।

“क्या मैडम। वे अब क्या करेंगे यही सोच रहे हो क्या?”

“हां। तिरुपति के विषय में वह हार गए थे इसलिए दूसरे विषयों पर वे बहुत ही आक्रोशित होंगे।”

“वह क्या है आप बात ही नहीं रहे हो?”

“बोलने से ज्यादा, दिखाना है अच्छा है। थोड़ा मेरे साथ आईए” कहकर धनंजयन को एक कमरे के अंदर लेकर गई कार्तिका।

फर्श पर कश्मीरी कारपेट बिछीं हुई थी, कमरे में बीच में नटराज की नर्तन करते हुए मूर्ति थी। उसके दोनों तरफ लाइट जल रही थी।

“धना, मैं यहीं पर भरतनाट्यम सीखती हूं। इस बंगले में ही यह बहुत ही पवित्र स्थान है,” बोली, उसी कमरे में दीवार पर चिपकी हुई एक लकड़ी का अलमारी थी । जिसको चाबी डालकर उसने खोला।

उसके खुलते ही उसके अंदर दीवार के सहारे दीवार के साथ एक दरवाजा था। वहां पर एक रिमोट का बटन था उसको दबाते ही दरवाजा खुला उसके पीछे एक कमरा दिखाई दे रहा था!

उसके अंदर घुसी कार्तिका, पैर रखते ही एकदम से बिजली अपने आप जल गई। उसे देखने पर धनंजय को आश्चर्य हुआ। उसके पीछे धनंजय के जाते हैं दूसरे ही क्षण पर दरवाजा बंद हो गया।

अंदर म्यूजिक जैसा एक सिस्टम था। दीवार से सटी हुई मेजें, उनके ऊपर भगवान की मूर्तियां रखी थी। नटराज, नर्तन करते हुए कृष्ण, मरगद लिंगम, दुर्गा इसके अलावा गणेश जी कैसे कई पूरे कमरे के अंदर मूर्तियां थीं।

“क्या है मैडम यह सब?” धनंजयन ने पूछा।

“यह सभी पांच स्वर्ण की मूर्तियां हैं। यह सब हजारों साल पुरानी है” कार्तिका बोली।

“फिर यह सब?”

“मेरे अप्पा और उसे विवेक के अप्पा दामोदरन दोनों ने परियोजना बनाकर चोरी की हुई मूर्तियां हैं।”

“माय गॉड इतनी मूर्तियां?”

“यह तो थोड़ी है। इससे कई गुना ज्यादा दामोदरन के पास है। जो देश से ज्यादा विदेश में बेच दिया गया।”

आगे पढें…