( बदले की भावना और अनजानी यादें )
अंश अपने ऑफिस में अपने सबसे करीबी आदमियों, कबीर और आदित्य के साथ बैठा था। उस रात उस पर हुए हमले का बदला लेना उसकी पहली ख्वाहिश बन गई थी। उसके चेहरे पर वही गुस्सा था, जो उसे पहले भी कई बार खतरनाक फैसले लेने पर मजबूर कर चुका था।
"राघव ने अपनी हदें पार कर दी हैं," अंश ने गुस्से से कहा। "मुझे इस बात का पता करना है कि उस हमले में और कौन-कौन शामिल था।"
कबीर ने कहा, "भाई, हमने कुछ लोगों का पता लगाया है। राघव ने कुछ और छोटे-मोटे माफिया से भी हाथ मिला लिया है। वो हर हाल में आपको खत्म करना चाहता है।"
अंश की आँखों में चिंगारी जल उठी। "तय करो," उसने ठंडे स्वर में कहा, "कि राघव और उसके साथियों का नाम अब किसी भी हालत में इस शहर में न रहे।"
आदित्य ने सिर हिलाते हुए कहा, "भाई, हम हर चीज़ की तैयारी कर रहे हैं। अगले हफ्ते उनकी मीटिंग है। वहीं पर सब कुछ खत्म कर देंगे।"
अंश ने एक शांत भरी नज़र से अपने आदमियों को देखा। उसे पता था कि उसकी टीम उसके भरोसेमंद लोगों से भरी थी और किसी भी हाल में उसके साथ थी। लेकिन उसके मन में एक बात बार-बार घूम रही थी – वो मासूम सी लड़की, सिया शर्मा। कॉलेज के उस इवेंट हुई छोटी सी मुलाकात और सिया का डरता चेहरा बार-बार उसके दिमाग में आ रहा था।
दूसरी ओर, सिया अपनी पढ़ाई में बिजी हो चुकी थी। उस दिन की अंश के साथ हुई मुलाकात को वो भूलने की कोशिश कर रही थी। लेकिन वो मुलाकात उसके दिमाग से जाने का नाम ही नहीं ले रही थी । फिर भी वो अपने मन को शांत करती है। और एक इत्तेफ़ाक समझ कर जाने देती है। वो अपने कॉलेज के शोरगुल, लेक्चर्स, और असाइनमेंट्स में उलझकर सिया ने अपने दिमाग से उस अजीब से इंसान और उसके गुस्से को निकालने की कोशिश की।
निधि ने उसे समझाते हुए कहा, "सिया, वो बस एक अनजान इंसान था। शायद उसे बस गुस्सा आ गया था। वैसे भी हमें अपने एग्ज़ाम्स की फिक्र करनी चाहिए।" अब वो आने वाले है। और मेरी तो अभी कुछ यूनिट्स रहे भी गई हैं। यार तुम मेरी हेल्प कर देगी यार मुझे वो समझ नहीं आ रही है।
सिया ने हल्के से मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, जिसपर निधि थैंक्स बोलती है । और अंश को भूल जाने के लिए बोलती है जिसपर सिया कहती है । "हाँ, शायद तुम सही कह रही हो। मुझे उसे भूल जाना चाहिए।"
सिया ने धीरे-धीरे उस रात की बातों को भुलाना शुरू कर दिया और फिर से अपनी पढ़ाई में ध्यान देने लगी। उसके रोज़मर्रा की दुनिया में वही नॉर्मल चीजें लौट आईं – दोस्तों के साथ हंसी-मज़ाक, कॉलेज के टेस्ट्स, और अपने माँ-बाप के सपनों को पूरा करने का जुनून।
अंश का ऑफिस
अंश अपने केबिन मैं बैठ था उसके मन में एक ही ख्याल बार-बार घूम रहा था – राघव और उसके आदमियों को मार गिराने का। उसने अपनी प्लानिंग को अंजाम देने का काम कबीर और आदित्य को दिया था
क्योंकि उसके अंदर का गुस्सा अब भी सुलग रहा था।
लेकिन एक अजीब बात थी कि जब भी वो उस रात के बारे में सोचता, उसकी आँखों में सिया का चेहरा आ जाता। वो मासूम सा चेहरा और वो डरती हुई आँखें उसे न जाने क्यों उससे परेशान कर रही थीं। उसने खुद से वादा किया था कि वो उस लड़की का कोई नुकसान नहीं करेगा, लेकिन फिर भी, उस चेहरे को भूलना उसके लिए मुश्किल हो रहा था।
कुछ दिन बीत गए, और सिया कॉलेज के कैंटीन में अपनी किताबें खोलकर पढ़ाई कर रही थी। उसकी नज़र किताब पर थी, लेकिन ध्यान कहीं और था। उसके मन में अजीब सी बेचैनी थी।
तभी एक तेज़ गाड़ी की आवाज़ कैंटीन के बाहर सुनाई दी। एक काली एसयूवी गेट के पास जाकर रुकी। सिया का ध्यान अचानक उस ओर गया। उसी वक्त उसे अंश की वो गुस्से से भरी आँखें याद आ गईं। उसके मन में अजीब सा डर और घबराहट फिर से लौट आई।
“नहीं, ये सिर्फ इत्तेफाक है,” उसने खुद को समझाने की कोशिश की। लेकिन अंश का चेहरा उसके दिमाग में बार-बार आ रहा था। वो सोचने लगी, “क्यों मैं उस आदमी के बारे में सोच रही हूँ? शायद वो मेरी जिंदगी में सिर्फ एक पल के लिए था।”
पर सिया के दिल में एक सवाल बार-बार उभर रहा था – वो कौन था? और उसकी दुनिया इतनी खतरनाक क्यों थी?
आगे जाने के लिए पड़ते रहिए Venom Mafiya मिलते हैं। Next part मैं।