Venom Mafiya - 2 Frost RE द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Venom Mafiya - 2

( टकराव और डर )
अंश कॉलेज के बाहर खड़ा, सिया को देख रहा था। उसकी आँखों में वो गुस्सा अब भी ताज़ा था जो कुछ देर पहले राघव के लोगों पर गोलीबारी के बाद से जल रहा था। लेकिन सिया के मासूम चेहरे ने उसे पल भर के लिए ठहरने पर मजबूर कर दिया था।



अंश के लिए ये बहुत अजीब था कि वो ऐसे किसी अजनबी के बारे में सोच रहा था, लेकिन इससे पहले कि वो खुद को संभाल पाता, उसके कदम अनजाने में कॉलेज के गेट की ओर बढ़ने लगे।



सिया अपने दोस्तों के साथ गेट के पास खड़ी थी। तभी उसकी नज़र अंश पर पड़ी, जो सीधे उसकी ओर आ रहा था। सिया को उसका गुस्से से भरा चेहरा और वो तीखी नजरें देखकर अनजाना सा डर महसूस हुआ।





 उसने पहली बार किसी को इतनी तेज़ चाल में और ऐसी निगाहों से अपनी ओर बढ़ते हुए देखा था।



अंश उसके करीब आकर रुका और गहरी आवाज़ में बोला, "तुम कौन हो?"



सिया कुछ भी समझ नहीं पा रही थी। उसके मन में डर बैठ गया था। उसने धीरे से जवाब दिया, "म..मैं... सिया शर्मा।" उसकी आवाज़ हल्की और काँपती हुई थी।



अंश ने उसे देखा, जैसे किसी राज़ को ढूंढ रहा हो, लेकिन उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि वो आखिर क्या जानना चाहता है। सिया ने उसके हाथ में गन की झलक देखी और पीछे हटने की कोशिश की। वो अनजाने में डरते हुए कुछ कदम पीछे हटी, और उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ झलक रही थी।



"तुम मुझसे डर रही हो?" अंश ने थोड़े से हैरानी में, लेकिन हल्के गुस्से के साथ पूछा।



सिया की धड़कनें तेज हो गईं। उसने हिम्मत जुटाकर कहा, "आ आप तुम कौन हो? और यहाँ क्या कर रहे हो?"



अंश की आँखों में हल्का सा गुस्सा फिर से दिखने लगता है। , "मेरे बारे में सवाल पूछने की ज़रूरत नहीं है। तुम बस इतना जान लो कि मैं अंश दीक्षित हूँ, और मेरे रास्ते में आना किसी के लिए भी ठीक नहीं है।" उसकी आवाज़ में ठंडापन और दबदबा साफ महसूस हो रहा था।



सिया ने अपने दिल को संभालते हुए कहा, तुम्हारे जैसे लोग यहाँ कॉलेज के पास आकर क्या कर रहे हैं? ये जगह तुम्हारे जैसे लोगों के लिए नहीं है।"



अंश को ये सुनकर गुस्सा आया, उसने थोड़ा करीब आकर कहा, "मेरे जैसे लोग? तुम क्या समझती हो कि तुम मुझसे इस तरह बात कर सकती हो?" उसकी आवाज़ और तेवर इतने कड़े थे कि सिया की रूह काँप गई। उसकी साँसे थम सी गई थीं, और वो चाहकर भी अपने पैरों को वहाँ से हिला नहीं पा रही थी।



अंश का गुस्सा बढ़ता जा रहा था, लेकिन उसके अंदर एक अजीब सी कशमकश भी थी। उसने अपने पूरे लाइफ में कभी किसी से नर्मी से पेश नहीं आया था, लेकिन इस मासूम सी दिखने वाली लड़की पर हाथ उठाने का ख्याल भी उसे अजीब सा लग रहा था।



सिया की आँखों में डर को देखकर, अंश ने खुद को संभाला और एक गहरी सांस ली। उसने गुस्से को काबू में करने की कोशिश की और बिना कुछ कहे वापस मुड़ गया।



जैसे ही वो जाने लगा, सिया की आँखों में आँसू आ गए। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये आदमी कौन है और क्यों उसे डर के मारे काँपने पर मजबूर कर गया। उसकी दोस्त निधि ने पास आकर कहा, "सिया, क्या हुआ? ये आदमी कौन था? उसने तुम्हें कुछ कहा तो नहीं?"



सिया ने काँपते हुए कहा, "नहीं, वो... कुछ नहीं। बस यूँ ही।"



लेकिन अंश के गुस्से से भरे चेहरे और उसकी बातें उसके मन में गूंजती रहीं। वो उस रात सो नहीं पाती, और उसके मन में एक अजीब सा डर और अनजाना खिंचाव बैठ गया था। उसे ऐसा लगा जैसे उसकी ज़िंदगी में कुछ बदलने वाला है।





तो देखते है आगे क्या होता हैं। जाने के लिए पड़ते रहिए Venom Mafiya मिलते हैं। Next part मैं।