जंगल - भाग 7 Neeraj Sharma द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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जंगल - भाग 7

      कुछ जंगली पन साथ पुख्ता होता है, जो कर्म किये जाते है। पुराना लेनदेन समझ सकते हो।

माधुरी चुप थी, बहुत दिनों से.... उसे बेहद अफ़सोस था, शादी मे राहुल आया, पर उसका बेटा जॉन नहीं।

कयो उसके साथ ही ऐसा हुआ??? ----"कितनी बदनसीब हुँ " कहा उसने।

राहुल साथ मे बैठा कोल्ड ड्रिंक पी रहा था... उसने पूछा "जॉन को ले कर कयो नहीं आये।"राहुल को कुछ अच्छा नहीं लगा।"उसने उसकी सहेली को कहा "बत्तमीजी अगर करनी ही थी, तो इस कदर घर बुला के नहीं करते।" ------"मैं समजी नहीं। "उसने माधुरी से परिचत होकर कहा।

तभी गोली चलने की आवाज़... हड़ कप मच गया।

या गोली माधुरी को लग गयी। खून लथपथ था। कैसे हुआ। कोई जान नहीं सका। माधुरी राहुल के आगे आ गयी थी... उसके ऊपर ही वो लुढ़क गयी। राहुल को बचा लिया था शायद उसने। गोली चलाने वाला पता नहीं कहा भाग गया जा कहा चला गया इतनी भीड़ मे 

कोई नहीं समझ सका। कहने को जो मर्जी हो...

दुबई हो या भारत... ऊपर वाले ने सब तेह करके रखा था। मौत एक दर्दनाक माधुरी की, आपने पती को बचाते या कुछ भी कह लो -------

अगले पल पूलिस... दुबई की.... सब कुछ लॉक हो गया था। जो यही था पूर्णता उसका बयान लिया गया।

राहुल बताये गए अनुसार, वो मुझे बचाने खातिर.... आँखे भीग गयी थी उसकी। रीना की शादी मातम मे चली गयी।

"बच के नहीं जा सकता " दुबई की भाषा मे हिंदी अनुवाद था।

"कोई दुश्मनी "

"पता नहीं,सर।"राहुल ने कहा। राहुल को और कुछ उसके नजदीकी साथ ले गए, पुलिस स्टेशन।

वहा दो घंटे बाद फार्ग हुए। कोई सकून नहीं था। राहुल को लगा, सब को ससमझने वाला, आपनी बीवी को नहीं समझ सका। ऐसे शातिर दिमाग़ का कया करना था।

"एक छत के नीचे बच्चा, मैं, पत्नी माधुरी -----" सोच ही रहा था। तभी घंटी फोन की वजी, या टुन गीत की लगी हुई थी।

लाश भारत जा सकती थी। फारफेलटी बहुत जयादा थी।इसलिए सोचा, जागते हुए, राहुल को नींद नहीं थी , सोच रहा था, जॉन को आघात लगे गा... कयो की परेशान था खुद इतना, दादा जी को कितना लगे गा।

सोच खत्म थी राहुल की, सोच खत्म बंदा खत्म।

यही दफना दिया गया। पता नहीं कयो रजामंद हो गया था, हिन्दू थी, दफन मुस्लिम को किया जाता है, पर उसने क्रिस्चिन कार्ड पे लिखा दिया था.... महजब की फिर टकर थी.. बेहिसाब आंसू थे, जो गिर रहे थे। 

छोड़ देना चाहता था दुबई... राहुल... पर रीना भी उसके साथ जाना चाहती थी, मगर उसका हस्बैंड नहीं... कारण जो कल उसको  वर्क परमिट ट्रक का मिला था, वो केसील हो जाना  था।इस लिए कल टिकट बुक हुई, और वो दुपहर को भारत थे। उसका बहुत कुछ गुम गया था, मगर उसने कभी उसको बीवी का रुतबा न दिया था, कयो????

यही सोच उस पर भारी हो रही थी, अंदर ही अंदर पासिचा जा रहा था। मर रहा था, खत्म हो रहा था, दो दिन मे ही भार घट गया था, तकरीबन बिना बीमारी के।

                 मरना आसान नहीं होता किसी के लिए।

पर वो यही सोच कर बहुत छोटा महसूस कर रहा था।

"मासी "जॉन ने उच्ची आवज़ मे कहा। मासी मे इधर हुँ।

वो सीड़ीओ के ऊपर चढ़ा हुआ था।"मासी के आँखो मे पानी था।

--------------------------*------------------(चलता )