जंगल - भाग 5 Neeraj Sharma द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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जंगल - भाग 5

                       ------(जंगल )-------

               कया सोचा था कया हो गया। वक़्त ऐसे कयो करता है। जिसे तुम आपना मान लेते हो दिल से मन से, वो सदमा कयो देता है, माधुरी के लिए कोट का फैसला "अचनचेत मौत थी " बशर्ते सब कुछ उसका भीड़ मे गुम हो चूका था।


राहुल एक ऐसा शक्श था, जिसे बस उसका दादा ही जानता था। और खुद राहुल।

परवार और बिजनेस।

माधुरी की जितनी शादी प्रति उच्च तम प्रतिकिर्या थी।

साहरणीय थी... वो पहली रात से आज तक यही समझ नहीं सकी थी। कि घर की दुल्हन है या नौकर।

वो रात इंतज़ार नहीं था। एक सदमा ही कह लो। "तुम दुल्हन हो।"दादा ने कहा था "बेटी पर तुमने राहुल के दिल मे घर करना है,, मेहनत कर। " दादा ने उसे इशारा दें दिया था। जी जान तोड़ दिया। 

राहुल बोला "माधुरी एक रात से आज तक तेरी मेरे साथ पचिस राते है, पी  हुई है मैंने जब से तुम इस घर मे हो, मुझे आकाश तक कोई ---------!"कहता हुआ राहुल उसकी बगल मे लुढ़क गया था। वो सहलाने लगी.... वाले को उगलिया थी।

ये रात बीती।

दादा से पता चला, कि वो कलकते बिजनेस के लिए सुबह निकल गया।

तीन सौ करोड़....

का प्रजेकट मानव कलल्याण का। 

रोटी दाल चावल का टिफिन..... घर घर कि सप्लाई।

बिजनेस कोई भी हो, खूबी चाहिए।

राहुल और साथ मिंटू दा।

अख़बार के पहले पेज  पे। बैंक से हिसाब किताब चलता था। प्रजेक्ट नया था "टिफिन " 

रोटी भात, दाल का खर्च बनाने वाला।

कुल एक सौ का क़र्ज़।

हाई फ्लाई काम। चल निकला।

शहरो मे गांवो मे, कहा कहा नहीं चला बिजनेस।

चोपडा जी की मेहरबानी। सारा लोन उनकी ही देन था।

कितने मंत्री  मोके के अफसर संतुष्ट किये गए। राहुल ने।

फिर एक दिन लापता हो गए चोपडा जी।

किधर गए। कोई नहीं जानता। घर का नीलाम होना आम बात थी। घपला था।

या पैसा एयर शिप पर लगा दिया।

गया।

जो गवाह था। वो भी लापता  था। किसी जहाज पर देखा गया। 

शतरंज की चाल। कुल मिला कर क़र्ज़ दो करोड़ के पास पहुंच गया था। करने वाला कोई, खर्चोने वाला कोई। ऐसा होता है, लक्की चांस।

बैंक ने खबर दी। दोनों लापता होने से इनकी भरपाई राहुल ऐड कपनी से करे। 

पर कैसे।

वक़ील थे, जज थे। और उनकी खरीद राहुल की थी।

केस जीत गए।

पर माधुरी को उसके बाबा समान चचा का बहुत दुख था, और वो ये धोखा धड़ी बरदाश्त न कर सकी।

उसके मन को समझाये, कोई ऐसा नहीं था।

जगल मे सब कुछ चलता है। कमजोर पर वार होता आया था। जगल का  क़ानून.......

माधुरी को समझने मे कुछ समय चाहिए था।

इसी दौरान वो गर्भवती हो गयी थी। फिर उसने आने वाले कल के लिए सब भूल जाना मुनासिब समझा।

पहली किलकारी गुजी...

राहुल का वंश बढ़ने को एक मुठी आसमान माग रहा था।

तभी शेयर मार्किट बड़ी....

चमत्कार से कम नहीं था। शिप के काम मे हाथ आजमाने का पहला अवसर -------

"माधुरी जीत गए हम।"राहुल ने बाहो मे भरते कहा।

"हुँ "मुकराहट थी।

"एक शिप होगा, नाम होगा..... दोनों ने कहा "वो तो हमने रखा ही नहीं।" दोनों हसने लगे।

माधुरी चुप कर गयी। सोच रही थी। एक कमजोर कैसे 

चीते का शिकार हो जाता है.... भाग भी नहीं सकता।

जो ऊंचे लोग मीठे होते है, खतरनाक होते है।

उनके हथेयार दिखते नहीं, बस मार करते है।

                            ----------- चलदा 🙏