"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"""शुभम -( पार्ट -१९)
शुभम अपनी बेटी से बातचीत करने के बाद युक्ति की डायरी पढ़ने लग गया।
पढ़ते पढ़ते युक्ति फिर से याद आ गई।
अब आगे....
डॉक्टर शुभम ने डायरी बंद कर दी.
उसे वह दिन याद आ गया। युक्ति ने डॉ. शुभम को एक चिट्ठी दी थी। चिठ्ठी के साथ उसके भाई का नाम और पता भी था।
डॉक्टर शुभम ने पता देखा, एक शहर है लेकिन यहां से ज्यादा दूर नहीं, मैं एक दिन में पहुंच जाऊंगा। लेकिन डॉक्टर तनेजा रविवार को नहीं आने वाले थे इसलिए वह चिट्ठी देने नहीं जा सके।
मैंने सोचा कि एक दिन के लिए बाहर चला जाऊं और युक्ति के भाई को चिट्ठी दे दूं। मुझे थोड़ा आराम भी मिल जायेगा।
सोमवार सुबह डॉक्टर तनेजा आने वाले थे।
अगले दिन सोमवार को छुट्टी ले ली गयी और डॉ. तनेजा को अस्पताल का प्रभार सौंप कर चला गया।
मुझे यह भी जानना था कि युक्ति की मानसिक स्थिति क्यों खराब हो गई था । एक जासूस की तरह काम करना पड़ेगा, तभी मैं सही कारण ख़ोज सकूंगा।और युक्ति की दवाई सही तरीके से कर पाऊंगा।
क्या उसने सचमुच अपने पिता को मार डाला था? मैं भी कुछ सवालों के जवाब जानना चाहता था।
मैंने ठान ली कि सही कारण खोजकर आऊंगा।
वैसे ऐसा काम करना डॉक्टर का नहीं है। मैं जानता था फिर भी मैं कई सवालों का जवाब ढूंढ़ना चाहता था।
सोमवार सुबह मैं कार लेकर युक्ति के भाई को चिट्ठी देने के लिए निकला।
वैसे मैं अपने कर्मचारी के द्वारा चिठ्ठी भेज सकता था।
लेकिन किसी मरीज की चिठ्ठी पोस्ट कर दी जाती थी।
यह राजमार्ग पर एक छोटा सा शहर था,
लगभग डेढ़ घंटे का रास्ता था।
वैसे रास्ता खराब नहीं था और अच्छा भी नहीं था।
मैंने शांति से कार चलाई ।
कस्बा हाईवे टच था। वैसे शहर या नगर भी कहा नहीं जाता, फिर भी लोग उसे नगर ही कहते थे।
उस कस्बे के हाईवे पर कई होटल थे।
मुझे नाश्ता करने का मन हुआ तो मैं एक होटल में चाय पीने चला गया।
होटल में चाय के साथ थोड़ा सा नास्ता किया।
होटल मालिक से बातचीत में युक्ति के पिता के बारे में पूछा।
लेकिन कुछ पता नहीं मिला।
होटल मालिक ने बोला कि मैं नगर में कम जाता हूं।
धंधे से टाइम मिलता नहीं। जरूरी चीजें होटल का वफादार नौकर ही लाता है और उसे दो टाइम का खाना भी खिलाता हूं। लेकिन सर ,आप क्यूं पूछते हो? आप पुलिस हो?
आखिर में मुझे बताना पड़ा कि मैं डाक्टर हूं और कुछ काम है इसलिए पूछताछ कर रहा हूं। इस नगर से अनजान हूं।
आखिर में होटल मालिक ने कहा कि पास में पंचर की दुकान है, उसे पता होगा। पंक्चर लगाने वाला गाँव में रहता है, इसलिए उसे गाँव की सारी बातें पता होनी चाहिए।
एक बार खाना खाने के लिए आया था तब नगर की बातें बोलता था, लेकिन मुझे उस बातें में इन्ट्रेस्ट नहीं था।
नजदीक ही पंचर करने वाले की दुकान है, उसे ही पूछ लो।
आखिर में पेमेंट कर के होटल से निकल गया।
मेरे मुख पर थोड़ा स्माइल आ गया।
अब सही पता चल सकता है।
कार में हवा कम थी, इसलिए कार में हवा भराने के बहाने पंक्चर वाले के पास गया।
पंचर वाले को बहुत पूछने के बाद उसे याद आ गया कि उस लड़की का एक भाई है।
युक्ति के भाई का नाम तो बताया गया लेकिन उसे उसके असली नाम से नहीं जानता था।
फिर पंचर वाले को कुछ साल पहले हुई एक हत्या के बारे में पूछा।
और उसे थोड़े रुपए दिए
फिर उसने बताया कि ओह, मैं उसे जानता हूं।एक चाचा की हत्या हुई थी।उसका लड़का हर हफ्ते एक बार यहां आता है। जिस लड़के के चाचा की हत्या हुई है, उसे हम मुन्ना के नाम से जानते हैं। वह शायद घर पर होगा। मैं गांव में ही रहता हूं लेकिन मुन्ना जहां रहता है वहां मैं जाता नहीं। गांव में सिर्फ खाने पीने और सोने के लिए ही जाता हूं। बहुत याद नहीं है लेकिन पड़ोसी से कुछ सुना था।बाप की हत्या के बाद उसका कुटुंब बर्बाद हो गया।उसकी बहन थी,जो पागल हो गई थी।
मुन्ना भी उसी सिलसिले में गिरफ्तार हुआ था, लेकिन पुलिस को ज्यादा सबूत मिले या नहीं मिले लेकिन मुन्नो रिहा हो गया था। मुझे लगता है कि मुन्ना ऐसा लड़का नहीं है जो अपने बाप की हत्या कर सकें। उसके परिवार पर भी विपदा आ गई। थोड़े दिनों में उसकी माता चल बसी।
मुझे ज्यादा याद नहीं है। जितना याद था उतना बता दिया। फिर से कोई पुलिस का मामला नहीं है?
आखिर मैंने उसे समझाया कि यह पुलिस की तरह पूछताछ नहीं की है। मैंने उसको थेक्स किया।
युक्ति के भाई का नाम क्या था? याद नहीं आ रहा उस वक्त चिठ्ठी में उसके भाई का नाम लिखा था।
मैंने फिर से चिठ्ठी पर का नाम और पता पढ़ा।
शुभम को युक्ति की याद आती थी।
यादों के बाद युक्ति की डायरी पढ़ता था।
फिलहाल युक्ति के भाई का नाम याद नहीं था।
एक डॉक्टर कितना याद रख सकता है।
( डॉक्टर शुभम युक्ति के भाई को ख़ोज सकेगा? क्या युक्ति का भाई मुन्ना सही बात बतायेगा? युक्ति ने क्यूं हत्या की थी? जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे