अब तक
जब रागिनी की मां अपनी गाड़ी में बैठकर रागिनी को बचाने के लिए रवाना हो गई थी तोह वहीं दूसरी ओर जब रागिनी क्लास खत्म होने के बाद वॉशरूम के लिए जा रही थी तोह अचानक से एक आदमी उसे पीछे से दबोच लेता है और उसके बदतमीजी करने लगता है लेकिन उसी वक़्त रागिनी की मां आशा आकर उसे बचा लेती है और उस आदमी को जान से मार देती है uske बाद आशा, रागिनी को लेकर एक आनत आश्रम ले जाने लगती है।
अब आगे
कुछ दूर जाने के बाद आशा एक छोटी सी बिल्डिंग के बाहर अपनी गाड़ी अचानक से रोक कर साइड कर देती है और रागिनी को लेकर गाड़ी के बाहर निकल जाती हैं।
"रागिनी बेटी! देखो हम आनत आश्रम पहुंच चुके हैं?"...आशा ने रागिनी को कहा।
"मां, यही है क्या वह आनात आश्रम जिसके बारे में आप मुझसे कह रही थी? और क्या यह सच में बोहोत अच्छा है?"...रागिनी ने अपनी मां से पूछा।
"हां बेटा,यह आश्रम बोहोत आलीशान है और अंदर से और भी एकदम खूबसूरत! इस आश्रम में जो भी आता है ना! वह जल्दी उस आश्रम से निकलने नहीं मांगता बल्कि वह लोग खुद यहां एक - दो महीने रहने मांगते हैं! अब चलो हम चलते है अंदर"... यह कह कर आशा ने अपनी बेटी का हाथ पकड़ा और उस आश्रम के अंदर ले जाने लगी।
उस आश्रम के बाहर एक बोर्ड लगी हुई थी जिसमें साफ साफ शब्दों में लिखा हुआ था "रामकृष्ण आश्रम" और उस बोर्ड के ठीक बगल में एक पोस्टर में लगी हुई थी जिसमे बोहोत सारे बच्चों की फोटोज थी जिसमे वह सारे बच्चे लोग सभी खेल रहे थे और बोहोत खुशी में दिख रहे थे।वह आश्रम बाहर से तोह उतनी अच्छी और खास दिख नहीं रही थी लेकिन जैसे ही उन दोनों ने अपने कदम उस आश्रम के भीतर रखा, तोह रागिनी की तोह होश ही उड़ गए और वह सिर्फ खड़े की खड़े ही रह गई। उसकी मां, आशा ने जब अपनी बेटी को ऐसे हैरान होते देखा तोह उनके चेहरे पर एक खुशी की रौनक लेहर उठी। उस आश्रम के चारो ओर सिक्युरिटी गार्ड थे जो अपने-अपने पोजिशन में खड़े हुए थे।
उन सभी सिक्युरिटी गार्ड में से दो सिक्युरिटी, आशा और रागिनी के सामने आए और उन्हें हॉलरूम के अंदर ले जाने लगे।
"आइए मैडम, हम आप ही के इंतज़ार में थे! क्या आप ही वह आशा मेहरा हो जिसने अभी कुछ देर पहले फोन किया था"...उन दो सिक्युरिटी गार्ड में से एक ने आशा से पूछा।
"जी हां? हम ही है ! जिसने थोड़ी देर पहले यहां फोन किया था"....आशा ने उस सिक्युरिटी को जवाब में कहा।
"चलिए हमारे साथ! आपके इंतजार करा जा रहा है मैडम"... उस सिक्योरिटी ने कहा और आशा और रागिनी को हॉलवे में ले गया।
हॉल का मेन गेट थोड़ा छोटा था, लेकिन जब हॉल के भीतर उन लोगों को लाया गया तोह जो नज़ारा देखने को मिला वह कोई 10BHK हॉल से कम नहीं था। उस हॉल में घुसते ही 6 सोफे और 5 कांच के डायनिंग टेबल थे जिसमे कमसे कम 20 लोग आराम से कहा सकते थे। हर एक टेबल में 20 लोग आराम से खा सकते थे। उस हॉल में 3 बाथरूम अटैच किए गए थे जिसमे एक स्टाफ लोगो के लिए ,एक टीचर्स लोगो के लिए और अंत में एक बच्चों के लिए बनाई गई थी। सामने एक 40 से 45 साल का आदमी एक कुर्सी बैठा हुआ था जिसने आशा को एक इशारे दी। आशा ने उस इशारे पर अपना माथा हां में हिलाया और उन दो सिक्युरिटी से रागिनी को वहां से के जाने को कहीं।
"रागिनी बेटा! आप इन दोनों भाइयों के साथ जाओ ओके? मै अभी कुछ देर बाद तुम्हे लेने आती हूं! ठीक है"....यह कह कर आशा ने रागिनी को उन दोनों सिक्युरिटी को थमा दिया और उनको इशारा देदिया।आशा के एक इशारों पर दोनो सिक्युरिटी ने रागिनी को लिया और अपने साथ हॉल के बाहर निकल गए।
"अब बताओ आशा? आगे क्या करना है? कैसे हैंडल करोगी यह सब?"....उस 40 से 45 साल के आदमी ने पूछा।
"आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है? मै बाकी सारे काम अपने हैंडल करलूंगी? और आप प्लीज़ मेरी अधूरी काम करने की कोशिश कीजिएगा"....आशा ने उस आदमी को कहा और उस आश्रम से बाहर जाने लगी लेकिन जाने से पहले उसने पीछे मुडकर एक बार उन दोनों सिक्योरिटी को देखा जो रागिनी को खेलाने में बिजी थे। उसके बाद आशा ने अपने चेहरे पर एक मुस्कान लाई और उस आश्रम से निकल गई।
"बेटा अगर हो सके तोह,अपनी इस मां को माफ कर देना! अगर ज़िन्दगी रही तोह मै तुझे वापिस लेने ज़रूर आऊंगी! और यह में वादा करती हूं"....आशा ने खुद से कहा और आपने गाड़ी के अंदर बैठ गई। उसके बाद उसने अपनी गाड़ी स्टार्ट किया और वह से रवाना हो गई।
"आज मुझे यह खेल खत्म करना होगा? चाहे आज मै रहूंगी ज़िंदा या चाहे वह !"...आशा ने गुस्से में कहा और गाड़ी की स्पीड बढ़ाने लगी।
आशा अब हाईवे तक पहुंच चुकी थी और गाड़ी चलाने में पूरी रखी हुई थी के तभी आशा की मोबाइल एक फोन कॉल आता है और वह फोन कॉल किसी अननोन नंबर से आता है।आशा ने अपनी गाड़ी साइड पर लगाई और कॉल रिसीव किया।
उसने फोन को अपने कान से लगाया लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाती के इतने में अचानक से कर आता है और आशा को टक्कर देता हुए आगे निकल जाता लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी के गाड़ी की टक्कर सिर्फ उसके कंधों से होती है।
"आह मेरा कंधा"...आशा दर्द के मारे चिल्लाने लगी। आशा की चीख सुनकर सारे लोग उसके पास दौड़े चले जाते हैं लेकिन इससे पहले की वह आशा को हाथ भी लगाते के इतने में गोली की आवाज़ सुनाई देती हैं।
"कोई भी अपने जगह से नहीं हिलेगा वरना उसे यही खतम कर दिया जाएगा! अगर तुम सबको अपनी और अपने बच्चों की जान प्यारी तोह जैसा मै कहता हूं वैसा करते जाओ".... एक 27 या 28 साल का लड़का अपने हाथ में बंदूक लिए बोल रहा था।
"पीछे जाओ और उस लेडी को अकेला छोड़ दो"...उस लड़के ने कहा और अपनी बंदूक से निशाना सीधे आशा की ओर तान दिया।
उसने अपनी बंदूक लोड की और बिना समय गंवाए गोली चला दी।
अब आगे क्या होने वाला है? क्या लगता है आपको? क्या रागिनी की मां आशा बच पाएगी? क्या होंगे इन सारे सवालों के जवाब?
जानने के लिए पढ़ते रहे "Aapke Aa Jaane Se"