प्यार की परीक्षा
आदित्य ने कई रातें बिना सोए बिताई थीं, अपनी पत्नी प्रिया को यह सच बताने के विचार में। आखिरकार, एक दिन उसने निर्णय लिया कि उसे ईमानदारी से अपनी भावनाएँ साझा करनी चाहिए। बारिश की एक शाम, जब घर में सन्नाटा था, आदित्य ने प्रिया को अपने पास बुलाया।
"प्रिया, क्या हम थोड़ी देर बात कर सकते हैं?" उसने हिचकिचाते हुए कहा।
प्रिया ने उसकी गंभीरता को समझा और हाँ में सिर हिलाया। "क्या हुआ, आदित्य? तुम बहुत चिंतित लग रहे हो।"
आदित्य ने गहरी साँस ली। "मुझे तुम्हें कुछ बताना है। मैं... मैं अब इस रिश्ते में खुश नहीं हूँ।"
प्रिया के चेहरे पर हल्की धुंधलाहट आई। "क्या तुम सच में ऐसा सोचते हो? हमने एक साथ बहुत कुछ किया है। क्या यह सिर्फ एक अस्थायी समस्या है?"
आदित्य ने सिर झुकाया। "मैं जानता हूँ कि हमने बहुत कुछ साथ बिताया है, लेकिन मेरा दिल कहीं और है। मैं स्नेहा को पसंद करने लगा हूँ।"
"स्नेहा?" प्रिया ने चौंकते हुए कहा। "क्या तुम मुझे यह बता रहे हो कि तुम उससे प्यार करते हो?"
"मैं नहीं जानता कि यह प्यार है या कुछ और, लेकिन मैं उसे जानने के बाद अपने आप को खोता हुआ महसूस करता हूँ।" आदित्य ने कहा, "मैंने तुम्हारे साथ कई अच्छे पल बिताए हैं, लेकिन मैं अब स्नेहा के बिना जी नहीं पा रहा।"
प्रिया की आँखों में आंसू थे। "तो, क्या तुम मुझे छोड़ना चाहते हो? क्या तुमने मेरे बारे में नहीं सोचा?"
"मैं जानता हूँ कि यह तुम्हारे लिए कठिन होगा, और मुझे भी यह करना कठिन लग रहा है," आदित्य ने कहा। "लेकिन मुझे ईमानदार रहना होगा। मैं तुम्हें दुखी नहीं देखना चाहता, और मैं खुद को भी नहीं।"
प्रिया ने अपनी आँखें पोंछी और गहरी साँस ली। "मैंने तुमसे हमेशा उम्मीद की थी कि तुम मुझसे ईमानदार रहोगे। लेकिन क्या तुम नहीं सोचते कि हमारे रिश्ते को एक और मौका दिया जाना चाहिए?"
"मैंने कोशिश की, लेकिन मैं खुद को खोता जा रहा हूँ," आदित्य ने कहा। "मैं तुम्हें कभी दुख नहीं पहुँचाना चाहता था, लेकिन अब यह सच बताने का समय है।"
स्नेहा ने आदित्य के साथ खड़े रहने का निर्णय लिया। उसने आदित्य को बताया कि वह उसके साथ है और उसे सही निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया। "तुम्हें अपने दिल की सुननी चाहिए, आदित्य। यह कठिन है, लेकिन तुम इस रिश्ते के लिए सच्चे रहो।"
आदित्य ने प्रिया से अपनी भावनाएँ साझा करने के बाद एक भारी मन से सोचा। उसने स्नेहा के प्रति अपने प्यार को स्वीकार किया था, लेकिन प्रिया के प्रति उसके मन में भी एक अजीब सा दर्द था।
"यह आसान नहीं होगा," प्रिया ने कहा। "लेकिन अगर तुम सच में खुश रहना चाहते हो, तो मैं तुम्हें वो रास्ता चुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकती।"
आदित्य ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "मुझे पता है कि यह मुश्किल है। मैं हमेशा तुम्हारे लिए यहाँ रहूँगा, और मुझे खेद है कि यह तुम पर गिरा।"
प्रिया ने उसे समझाया, "तुम्हें अपने दिल की सुननी चाहिए। यह तुम्हारा जीवन है, और तुम्हें अपनी खुशियों के लिए लड़ना चाहिए।"
आदित्य ने महसूस किया कि उसके मन में स्नेहा के प्रति एक गहरा प्रेम था, लेकिन उसे यह भी समझ में आया कि प्रिया को दुःख पहुँचाना ठीक नहीं था। प्यार की परीक्षा उसके सामने थी, और उसे यह तय करना था कि उसे किस दिशा में जाना है।
वह स्नेहा के साथ अपने रिश्ते को सच्चाई के साथ आगे बढ़ाना चाहता था, लेकिन यह उसके और प्रिया के लिए एक कठिन सफर था। क्या वह स्नेहा के साथ एक नया जीवन शुरू कर सकेगा? क्या उसे प्रिया को छोड़ने का साहस जुटाना होगा? यह सब उसके लिए एक कठिन परीक्षा थी।