बारिश की बूंदें और वो - भाग 1 ANOKHI JHA द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 1

यह कहानी है अनायास हुई मुलाकात की, जिसमें दो जीवन एक दूसरे से जुड़ जाते हैं। बारिश की बूँदें जब धरती पर गिरती हैं, तो कई यादें, एहसास और सपने भी संग लाती हैं। इस कहानी में, हम मिलेंगे आदित्य और स्नेहा से, जिनकी जिंदगी के रास्ते अचानक एक बस स्टॉप पर मिलते हैं।

{ मुलाकात }

बारिश की पहली बूँदें गिरने लगी थीं, और आदित्य अपने ऑफिस से घर लौटने के लिए बस का इंतज़ार कर रहा था। चारों ओर हल्की हलचल थी, लोग बारिश से बचने के लिए अपनी-अपनी छतरियाँ खोले खड़े थे। अचानक, कड़कती बिजली के साथ बूँदों की बौछार हुई और हर तरफ हरियाली बिखर गई। इस मौसम में जैसे सब कुछ नई ऊर्जा से भर गया हो।

इसी बीच, एक महिला दौड़ती हुई आई और उसी बस स्टॉप पर रुक गई। उसकी आँखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान थी, जो आदित्य को खींचने लगी। वह उसकी सहजता और आत्मविश्वास से भरी आँखों में खो गया।

"क्या बारिश में बस आ जाएगी?" उसने आदित्य से पूछा, हल्का सा मुस्कुराते हुए।

"शायद, लेकिन यहाँ थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा," आदित्य ने उत्तर दिया, उसका दिल तेजी से धड़कने लगा।

उन्हें बस की प्रतीक्षा करते हुए कुछ क्षणों के लिए खामोशी में बिताने पड़े। लेकिन उस खामोशी में भी कुछ खास था। बारिश की बूँदें उनकी बातें सुन रही थीं, जैसे यह मौसम भी उनकी कहानी का एक हिस्सा बनना चाहता था।

"आपका नाम क्या है?" स्नेहा ने अचानक पूछा, जैसे उसने आदित्य के मन की बातें पढ़ ली हों।

"आदित्य," उसने थोड़ा संकोच करते हुए कहा। "और आप?"

"स्नेहा।" वह एक हल्की सी मुस्कान के साथ बोली।

वे दोनों एक दूसरे की आँखों में खो गए, जैसे समय थम गया हो। बारिश ने उनके बीच एक अद्भुत रोमांच पैदा कर दिया। स्नेहा ने अपनी छतरी खोली और आदित्य से पूछा, "क्या आप मेरे साथ चलेगें? इससे हमें थोड़ी छांव मिल जाएगी।"

आदित्य ने मुस्कुराते हुए हामी भरी। वह सोचने लगा कि यह अचानक मिली दोस्ती, क्या एक नए सफर की शुरुआत हो सकती है? बारिश की बूँदों में सजे इस पहले पल ने उनके दिलों में एक नई उमंग भरी थी।

"क्या आप अक्सर यहाँ बस का इंतज़ार करती हैं?" आदित्य ने बातचीत को आगे बढ़ाने की कोशिश की।

"जी हाँ, मेरा ऑफिस पास में है। कभी-कभी बारिश में बस का इंतज़ार करना अच्छा लगता है।" स्नेहा ने अपनी बात खत्म की और उनके बीच एक हल्की सी नज़ाकत बन गई।

उन्हें एक-दूसरे के साथ बिताए गए कुछ पलों का अहसास हुआ। आदित्य ने स्नेहा की आँखों में गहराई से देखा, जैसे वह उसके जीवन की कहानी सुनना चाहता हो।

आदित्य को लगा, शायद यह एक संयोग है, जो उनकी जिंदगी में नए रंग भरने आया है। अब उन्हें केवल बारिश की बूँदों का इंतज़ार नहीं था, बल्कि उस नए रिश्ते की शुरुआत का भी।

जैसे ही बारिश की बूँदें धीमी हुईं, उन्होंने एक-दूसरे से विदा ली। लेकिन इस पहली मुलाकात ने उनके दिलों में एक नया एहसास छोड़ दिया था, जो आगे चलकर उनकी जिंदगी को बदलने वाला था।