मीरा प्रेम का अर्थ - 4 - साईन लैंगवेज sunita maurya द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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मीरा प्रेम का अर्थ - 4 - साईन लैंगवेज

अगले दिन माधव फिर से उसी टाइम कॉलेज में गया मीरा को ढूंढने के लिए.... वो कॉलेज के कोरिडोर में घूम रहा था.....तभी उसकी नजर सामने से आ रही सुधा पर पड़ी। सुधा सामने से आ रही थी लेकिन उसका ध्यान अपने फोन पर था....उसने अभी भी माधव को देखा नहीं था उसका फ़ायदा उठाते हुए माधव एक कमरे में चला गया. वो सुधा के जाने का इंतजार करने लगा... जब सुधा के कमरे के आगे से होते हुए चली गई तो माधव ने चेन की सांस ली। माधव ने धीरे से अपना सर कमरे से बाहर निकाला और कॉरिडोर में देखने लगा.....तब तक सुधा वहां से चली गई थी... कॉरिडोर काफी लड़के लड़कियां घूम रहे थे.... कॉलेज बहुत बड़ा था। माधव को समझ नहीं आ रहा था....कि वो मीरा को कहां ढूंढे....लेकिन उसने सोचा कि जो कुछ भी होआज तो वो मीरा से बात करके ही जाएगा...उसने एक गहरी सांस छोड़ी और आगे बढ़ गया....कुछ आधे घंटे तक ढूंढने के बाद माधव थक हार कर कॉरिडोर में अपने कंधे लटकाये चल रहा था...तभी उसके कानों में घुंघरू की आवाज पड़ी। जो धीरे-धीरे बज रही थी...ये सुनके माधव की आंखें बड़ी हो गई।उसने सोचा शायद उसका ये कोई वेहम है लेकिन वो आवाज लगातार आ रही थी तो और वो मन ही मन सोचने लगा की कही इस कॉलेज में भूत तो नहीं। क्योंकि उसने सुना था कि जहां चुड़ैल होती है वहां घुंघरू की आवाज आती थी .....ये सोच कर उसके माथे से पसीना पानी की तरह बहना लगा...फिर उसको याद आया कि वो तो आर्मी ऑफिसर है. वो ऐसे किसी भी मुसीबत डर नहीं सकता...अगर वो ऐसे ही डरेगा तो आगे चलकर देश के दुश्मनों का सामना कैसे करेगा।. उसने मन ही मन बोला....मुझे इसका सामना करना ही होगा.... माधव कॉलेज के जिस हिस्से में था, वहा पर एक भी बच्चा नहीं था .... और ना ही कोई टीचर .....ये सोच कर माधव की टेंशन और बढ़ रही थी। लेकिन माधव को उस चुड़ैल का सामना तो करना ही था ......

थोड़ी हिम्मत करते हुए माधव दबे पाव घुंघरू की आवाज का पिछा करने लगा .....पिछा करते हुए माधव कॉरिडोर के एक कमरे के बाहर जा रुका। घुंघरू की आवाज उसी कमरे से आ रही थी.... ये सोच के उसके हाथ पाव कान्पने लगे .......तभी उसके कानो में एक और आवाज पड़ी.... वो गाने की आवाज थी.... जैसे ही वो गाने की आवाज माधव के कानो पर पड़ी। माधव ने कन्फ्यूज होके उस कमरे के अंदर देखने के लिए अपना सर अंदर डाला ......उसने अंदर जो देखा वो देखकर उसकी आंखें बड़ी हो गई......कमरे अंदर ज्यादा समान नहीं था.... एक दम खाली जिस की दीवारो पर सफेद पैंट हो रखा था ....बड़ी बड़ी खिड़कियो से सूरज की रोशनी आ रही थी ....जिससे उस कमरे में काफी उजाला आ रहा था ....वहा एक लड़की जिसने ऑरेंज और पीले रंग का मिक्स अनारकली सूट पहना था। उसने चुन्नी को साइड से लेकर कमर पर बांधा हुआ था.... बाल लंबे और खुले थे ....उसने अपने पेरो में घुंघरू पहने थे.....और वही साइड में रखा ब्लूटूथ स्पीकर पर गाना चलता हुआ था .....जिसकी रिदम पर वो अपने शरीर को मूव कर रही थी...... उसको देख एक बार तो माधव ने मन ही मन सोचाऔर कन्फ्यूज होकर अपने आप से ही बोला........." अरे आज कल चुड़ैले भी स्पीकर पर डांस करती है वो भी वायरलेस स्पीकर से.फिर कुछ सोचते हुए बोला.. हो भी सकता है तो चुड़ैल ही ना .... ये सोच कर माधव ने फिर से उस लड़की की तरफ अपनी नज़र उठाई .....वो उसको ध्यान से देखने लगा.... तभी वो लड़की एक मूव करते हुए पीछे पलटी .....और माधव की नज़र उस लड़की पर पड़ी... जिसे देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और साथ ही हेरानी भी ....वो और कोई नहीं बाल्की मीरा थी...मीरा वहा अपने मगन में थी डांस कर रही थी...मीरा के साथ उसके बाल और उसकी ड्रेस भी जैसे नाच रही हो। नाचते वक्त उसके चेहरे पर पसीने के बुंदे उसकी ख़ूबसूरती पर चार चाँद लगा रही थी... उसकी आँखों के इशारे। जब वो घूमती उसके साथ उसके बाल भी हवा में लहराते . माधव को उसको देखते हुए उसकी खूबसुरती में गुम गया। उसको अपने आस-पास सब कुछ गुलाबी और सफ़ेद नज़र आने लगा.... उसको पता ही नहीं चला वो कब चलकर कमरे में अंदर आ जाएगा। और चलते चलते और मीरा के पास जा पहुंचा ......मीरा जो अभी भी अपने डांस में खोई थी.... और माधव उसके अंदर .......



थोड़ी देर बाद मीरा का डांस ख़तम हुआ और उसने अपने दोनों हाथ बड़ी ही नजाकत के साथ ऊपर लिए और खुद नीचे देखते हुए एक पोज़ दिया .....उसकी सांसे तेज हो रखी थी.. आंखें बंद थी...चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान। उसके माथे से बेहता पसीना जो सूरज की रोशनी में चमक रहा था .....ये देख माधव को पता ही नहीं चला कि कब उसके हाथ उठे और वो कब थाली भी बजाने लगा .......ताली की आवाज सुनके मीरा ने अपनी आंखें खोली और चेहरे उठा के सामने देखा। उसने देखा कि उसके सामने माधव खड़ा है। ये देख वो झटके से सीधी हुई और हेरान होकर माधव को देखने लगी ......माधव जो अभी तक मुस्कुरा रहा था। उसकी मुस्कान और भी ज्यादा बड़ी हो गई थी..उसने मुस्कुराते हुए मीरा की तरफ अपना एक हाथ बढ़ाया और बोला

....हाय मीरा !.....कैसी हो?.... पता है मैं कब से तुम्हें ढूंढ रहा था ....मुझे तुमसे मिलना चाहता था। बात करना चाहता था... मैंने फ्रेशर पार्टी वाले दिन तुम्हें देखा था तब से मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता था, लेकिन हमारी बात नहीं हो रही थी... तुम्हारी दोस्त जो भी नाम हो उसका। वो बात ही नहीं करने दे रही थी....माधव एक ही सांस में बोले जा रहा था....उसको ऐसा देख मीरा उसको हेरान होकर देख रही थी... जब माधव को ये एहसास हुआ कि माधव ही सब कुछ बोले जा रहा था। तब उस ने अपने अपको रोका और अपने सर के पीछे खुजाते हुए कहा...अरे कब से मैं ही बोले जा रहा हूं। तुम्हें बोलने का मौका ही नहीं मिला होगा....चलो अब मैं चुप हो जाता हूं...तुम बोलो....

माधव के मुँह से ये सुन मीरा ने कुछ रिएक्ट नहीं किया। और ना ही कुछ बोली... बस वो एक टक माधव को देख रही थी.......उसको ऐसे घुरता देख माधव ने कहा...लगता है शायद तुम डर गई मैं ऐसे तुम्हारे सामने आ गया...बट चिल मैं ऐसा वैसा लड़का नहीं हू। मैं काफी डीसेंट हूं....पता है मैं यहां पास ही आर्मी इंस्टिट्यूट है ना. वहां ट्रेनिंग ले रहा हूँ ... अभी हमारा रेस्टिंग पीरियड होता है मैं यहाँ आया सिर्फ और सिर्फ तुमसे मिलने .....सच में तुम बहुत अच्छा डांस करती हो .....मैं तो तुम्हारा फैन हो गया .....हां यू समझो कि प्यार हो गया है .......माधव के मुँह से ये बात निकलते हुए मीरा चोंककर उसको देखने लगी .......तभी दोनों के कानो में एक जानी पहचानी आवाज पड़ी... ...

तुम!....वो सुधा थी.....सुधा चलती हुई माधव और मीरा के पास आ रही थी...माधव ने घबराते हुए सुधा को देखा...इस से पहले की माधव कुछ बोलता है। सुधा ने बोलना शुरू कर दिया... तुम यहां क्या कर रहे हो . और कैसे पता चला मीरा यहां है .. स्टॉक कर रहे हो इसको ...ए मिस्टर तुम दूर रहो मीरा से समझे .....यहाँ से निकलो...... माधव भी हडबडाते हुए सुधा को समझाने की कोशिश करने लगा.......देखो!.... मैं मीरा का पिछा नहीं कर रहा था मैं तो बस मीरा से मिलना चाहता था उससे बात करना चाहता था......

माधव की बात को अनसुना करके सुधा ने आगे कहा...मिलना चाहते थे दोस्ती करना चाहते थे..ओ मिस्टर बहुत देखे हैं तुम्हारे जैसे मैंने... मिलने मिलाने की बात बोलके क्या करना चाहते हो मैं जानती हूं... तुम लड़कों की नियत ही ऐसी होती है। सुंदर लड़की देखी नहीं बस लार टपकने लगती है... चल देते हो दुम हिलाते पीछे पीछे.......तुम जैसे छिछोरे बहुत हैं इस कॉलेज में तुम कहीं और जाओ .... सुधा बोले जा रही थी. और माधव उसको समझने की कोशिश का रहा था ...... तबी सुधा ने कहा .... और क्या कह रहे थे तुम तुमको प्यार हो गया है मीरा से .... प्यार.... ये आज कल के लड़कों को चलते फिरते उठते बैठते. खाते-पीते प्यार हो जाता है.... पता नहीं प्यार है या बिमारी रिजन पता नहीं बस हो जा रहा है.....

सुधा की अपने लिए ऐसी बात सुनके माधव को भी गुस्सा आ गया... जबकी वो कबसे बस यही समझने की कोशिश कर रही थी कि वो मीरा से बात करना चाह रही था... गुस्से में माधव ने सुधा से कहा......अरे कैसी लड़की हो. बोले जा रही हो. अरे सुन तो लो अगला इंसान क्या कहना चाहता है। अगर तुमने उस दिन हमारी दोस्ती करवा दी होती तो आज मुझे चोरी चुपके आना नहीं पड़ता। मैंने कुछ किया भी नहीं और तुम मुझे इतना उल्टा सीधा बोल रही हो......माधव की बात को बीच में काटते हुए सुधा ने कहा.... अच्छा तो मैं क्या तुम्हारे कुछ उल्टा सीधा करने का वेट करु ........

सुधा के मुँह से ये बात सुनते ही माधव ने अपनी आँखे जोर से बंद कर ली और अपनी मुट्ठी बंद की और एक लंबी सांस छोड़ते हुए माधव बोला....देखो प्लिज़ मुझे इससे बात करने दो ...मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं करने वाला। मेरी नियत साफ है. सच्ची....चाहो तो मीरा से पूछ लो अगर मैंने उसके कुछ साथ गलत किया हो मैंने तो मीरा को छुआ भी नहीं .......ये सुनके सुधा ने मीरा की तरफ देखा.. सुधा को अपनी तरफ देखते हुए देखकर मीरा ने ना में सर हिला दिया.....



मीरा का ये जेस्चर देखकर माधव मीरा को देखकर मुस्कुराया....लेकिन सुधा ने फिर भी अपने एटीट्यूड माधव से बोली......तुम जाओ यहाँ से और मीरा से दूर रहना समझे.... सुधा की बात सुन माधव भी अब गुस्सा होकर बोला....... देखो मैं अभी तक बहुत शांति से बात कर रहा था... तुमने मेरी बात नहीं मानी अब तो मैं बात करके ही रहूंगा .......ये बोलकर माधव ने सुधा का हाथ पकड़ा और कमरे के बाहर ले जाने लगा... ये देख सुधा उसपर और ज्यादा गुस्सा होने लगी.... और मीरा भी माधव के हाथ से सुधा को छुड़ाने की कोशिश करने लगी...लेकिन माधव अब जिद्द पर आ गया था.... उसने सुधा को कमरे के बाहर करने वाला था कि सुधा ने कहा....पागल हो क्या कर रहे हो क्या बात करोगे मीरा से तुम मुझसे बोलो......

माधव सुधा को खिंचते हुए बोलने लगा .....मुझे जो भी बात करनी होगी मीरा से करुंगा समझी। ....तभी सुधा ने अपना झटकते हुए जोर से माधव से कहा ...... तुम मीरा से बात नहीं कर सकते!... उसकी बात सुनके माधव ने दांत कचकचाते हुए कहा.... क्यू? नहीं कर सकता आज मैं बात करके रहूंगा ......ये कहते हुए माधव ने मीरा को देखा...मीरा कुछ कहना चाहती थी .....लेकिन शब्द जैसे गले में अटक गए हो .....माधव ने मीरा के चेहरे पर परेशानी देखी और प्यार से बोला...मीरा तुम्हें जो भी बोलना हो मुझसे बोलो...

माधव की बात सुन मीरा ने सुधा की तरफ देखा ..... तभी माधव ने फिर से मीरा से कहा ...... बोलो ना मीरा में सुनना चाहता हु तुम्हें......तभी सुधा ने कहा....मीरा कुछ नहीं बोलेगी!......सुधा की बात से चिढ़ते हुए माधव ने कहा...क्यू नहीं बोलेगी?.......

वो इसलिए क्योंकि मीरा बोल नहीं सकती ......सुधा की बात सुनके माधव ने हेरान होकर सुधा को देखने लगा...माधव को ऐसे देखते हुए सुधा ने कहा...मीरा बचपन से ही बोल नहीं सकती। वो हर चीज में अच्छी है पढाई में डांस में। खुबसूरत भी है. लेकिन भगवान ने बस इसे जुबान ही नहीं दी इसको। ये सुन माधव सन्न्न रह गया। वो हेरान होकर मीरा की तरफ देखने लगा.... जैसी वो आँखो ही आँखो में पूछ रहा हूँ क्या ये सच है?......उसकी आंख में ये सवाल पढ़ते हुए मीरा ने इशारे में बताया कि एक हाथ से अपनी जुबान की तरफ उंगली की और अपने सर ना में हिला दिया......उसने ये बात इशारे में कही थी .......मीरा का इशारा देख कर माधव सोच में पड़ गया....तभी सुधा ने गुस्से से कहा......बस सुन लिया सच ,हो गई बात तुम्हारी.... अगर इससे बात करनी है तो इसकी बोली तुम्हें भी बोलनी होगी......माधव के कानो में सुधा की बात पड़ रही थी लेकिन वो कोई रिएक्शन नहीं दे रहा था .....उसको ऐसे देख सुधा ने भी बड़े ही एटीट्यूड से कहा... ह...बड़े आये मीरा से बात करनी है उससे प्यार हो गया है......

माधव अपनी सोच से बाहर आया और सुधा से बोला... ये नहीं हो सकता तुम झूठ बोल रही हो ना ताकी मैं मीरा से बात ना करू और दोबारा वापस ना आउ......माधव की इस बार पर सुधा को काफी गुस्सा आ गया उसने झल्लाते हुए कहा... पागल है क्या मैं अपनी बहन जैसी दोस्त के बारे में मैं ऐसा झूठ क्यों बोलूंगी... और एक बात बताओ तुम. अभी यहां इतना कुछ हो गया. उसने अपने मुंह से कुछ बोला...तुमने एक भी शब्द इसके मुँह से सुना .....नही ना!.... मान लो अगर ये झूठ भी है तो क्या इतना सब कुछ होने के बाद वो क्या कुछ बोलती नहीं, चिल्लाती नहीं गुस्सा नहीं करती क्या.....ये सुन माधव फिर से मीरा को देखकर सोच में पड़ गया .....



ये कहकर सुधा ने मीरा का हाथ पकड़ा और बोली.... चलो अब !... सुधा मीरा का हाथ पकड़ कर उसको कमरे से बाहर ले जाने लगी......सुधा मीरा को लेकर जा रही थी तब मीरा ने सुधा से हाथ छुड़ाया और अपनी साइन लैंगवेज में सुधा से बोली...तुमने ये क्या किया बेचारा कितना उदास हो गया .....

मीरा की इस बात पर सुधा ने अपने कमर पर दोनो हाथ रखे और बोली मीरा से बोली....चुप करो तुम बहुत बुरा लग रहा है उसके लिए.... ऐसे लड़कों को मैं खूब जानती हूं। देखा तुमने. पहले तो बड़ा आगे पीछे घूम रहा था अब जब तुम्हारा सच पता चल गया तो देखो जरा शक्ल देखो इसकी12 बज गए। देखो मीरा मैं तुम्हारे आस पास ऐसा कोई लड़का भटकने नहीं दूंगी। जो तुम्हारा गलत फायदा उठा सके......इतना कहकर सुधा ने मीरा का हाथ फिर से पकड़ लिया और आगे चलने लगी ......मीरा भी पीछे-पीछे चलने लगी.... उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा... माधव अभी भी सोच में पड़ा था.... माधव परेशान होकर इधर उधर देखते हुए उसने मीरा की तरफ देखा... एक पल के लिए मीरा और माधव की नजरें एक दूसरे से मिलीं....थोड़ी देर बाद मीरा ने अपनी नजरें माधव से हटा ली और वो सुधा के पीछे कमरे से बाहर निकल गयी .......माधव अब भी वही खड़ा था अपनी ही सोच में गुम ............



एक महिने बाद.......

मीरा और सुधा कॉलेज के गार्डन में एक पेड़ के नीचे बैठे थे ........ दोनो अपनी स्टडी से रिलेटेड बाते कर रही थी.....मीरा और माधव के बात को 1 महीना हो चुका था पिछली बार माधव की साथ हुई बातों को दोनों भूल चुकी थी...क्यूंकि मीरा और सुधा के साथ ऐसा कई बार हो चुका था ....मीरा की ख़ूबसूरती देखकर बहुत से लड़के उसके पास आते लेकिन जब पता चलता की मीरा बोल नहीं सकती तो वो लड़का कभी मीरा के पास नहीं आता.... उल्टा उसका मज़ाक बनता है... और इसी बात से सुधा को बहुत बुरा लगता था। वो नहीं छठी थी कि कोई भी मीरा के बारे में उल्टा सीधा बोले,....और अब ये बात कॉलेज में धीरे फेल हो चुकी थी... लेकिन मीरा के दूसरे टैलेंट्स की वजह से काफी लोग उसके ना बोलने पर ध्यान नहीं देते थे .......पढ़ते पढ़ते मीरा ने अपना सर पेड़ से टिकाया....और इशारे में बोली......अरे ये तो कुछ ज्यादा ही टफ है मुझसे तो ना पा रहा है...मीरा का ऐसा रिएक्शन देख सुधा ने अपना माथा पकड़ लिया और बोली......अरे बहन ऐसे मत बोल अगर तुझसे नहीं हो पा रहा है तो मुझे तो भूल ही जाओ कि मुझसे होगा भी... ये बोलकर सुधा सिधा आला घास पर लेट गई .....उसको ऐसे देख मीरा की हंसी निकल गई .........सुधा और मीरा अपनी हंसी मजाक कर रही थी...इस बात से अंजान की उन की तरफ किसी के कदम बढ़ रहे थे ......सुधा और मीरा हंस रही थी अचानक दोनों की सामने नजर पड़ी.... वो ये देख कर हेरान थी.... कि सामने जो शख्स आ रहा था। वो और कोई नहीं माधव था ...माधव चलता हुआ अचानक मीरा के बिलकुल चेहरे के सामने आ गया... दोनों की नज़र मिली... माधव के चेहरे पर एक मुस्कान थी। और दूसरी तरफ मीरा के चेहरे पर हेरानी .......कुछ देर के लिए मीरा माधव की आंखें में खो गईं.... माधव की आंखों में एक अलग ही चमक नजर आ रही थी .....जिसे मीरा समझ नहीं पा रही थी..

वहीं माधव फ़िर से मीरा की आँखे में खो गया। मीरा की आंखें, होठ, उसके प्यारे से चेहरे पर लहराते बाल....तभी दोनों के बीच सुधा ने एक किताब रख दी जिसे दोनों का ध्यान टूटा......और दोनो ने हडबडाते हुए इधर उधर देखने लगे.........माधव ने इरिटेट होते हुए सुधा को देखा....सुधा ने कहना शुरू किया......बड़े ढिट हो तुम तो...इतना सब कुछ सुनने के बाद भी तुम यहा वापस आये हो...... सुधा आगे और कुछ बोलती उसने पहले ही माधव ने उसको अपने हाथ के इशारों से रोक दिया और सुधा से बोला.... मैं यहां तुम्हारी बकवास सुनने नहीं आया हूं मैं मीरा से बात करने आया हूं ......

माधव की बात सुनकर मीरा और सुधा ने हेरान होकर एक दूसरे को देखा.. उनदोनो के मन में यही बात चल रही थी कि मीरा के बारे में जाने के बाद भी माधव ये जिद लेके बैठा था की उसको मीरा से बात करनी थी ......

तभी माधव ने मीरा को कंधों से पकड़ा और बोला...मीरा मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ......मीरा बस हेरान होकर माधव को देख रही थी.........






हेलो दोस्तो .... मीरा प्रेम का अर्थ . ये मेरी बुक पॉकेट नॉवेल पर भी है... सेम नेम से मेने ही लिखी.. आप वहां पढ़ सकते हैं.... और मेरी ही एक और कहानी "श्री"... ये fantasy नॉवेल है आप इसको भी पढ़ सकते हो .......