माधव मीरा से बात करना चाहता था ये बात सुनके मीरा और सुधा दोनों ही हेरान होकर माधव को देख रही थी....अपनी चूप्पी तोड़ते हुए हुए सुधा ने कहा......ओए तुम पागल हो गए मैंने कहा तुम्हें जो भी बात करनी......इस पहले की सुधा आगे कुछ बोलती है माधव ने सुधा को अपने हाथ के इशारों से चुप रहने का इशारा किया और तेज नजरों से देखते हुए सुधा से कहा... मैंने कहा ना मैं आज मीरा से बात करूंगा .....ये कहते हुए माधव ने मीरा की तरफ देखा... मीरा को देखते हुए माधव का एक्सप्रेशन चेंज हो गया वो उसको बहुत ही प्यार से देख रहा था .....वही मीरा अब माधव को बहुत ध्यान से देख रही थी...
माधव मन में कुछ सोचते हुए बोला... हा उसके बाद उसने अपने हाथों से कुछ साईन बनाया....जिसे वो कहना चाह रहा था कि" मीरा कैसी है?".....माधव का स्वाल देख कर मीरा ने कन्फ्यूज होकर पहले माधव को देखा और अपने हाथों से कुछ साईन बनाईं जिसका मतलब था कि मीरा ठीक है और उस ने माधव से पूछा...की वो कैसा है....ये बात मीरा ने साईन लैंगवेज में कही थी.......
माधव ने मीरा का साइन देखा और कुछ सोचते हुए। उसने भी साईन बनाया जिसका मतलब था कि माधव भी ठीक है ........तभी मीरा ने अपनी साइन लैंगवेज में काफी लंबी बात कही... जिसे माधव समझ नहीं पाया.. क्योंकि वो बात मीरा ने काफी जल्दी कही थी.... जिसको वो समझने की कोशिश कर रहा था.... वो कुछ सोच ही रहा था कि माधव के कानो में सुधा की आवाज़ पड़ी ......मीरा बेहरी नहीं है. उसको सुनायी देता है। बस वो बोल नहीं पाती.... तुम जो बोलोगे उसको सब समझ आएगा। लेकिन उसकी बातें समझने के लिये साइन लैंगवेज की जरूरत पड़ती हैं....सुधा के मुँह से ये बात सुनते ही माधव कंफ्यूज होकर मीरा की तरफ देखने लगा। मीरा ने अपना सर हा में हिलाया....
मीरा का ऐसा रिएक्शन देख कर माधव को एहसास हुआ..कि उसको कितनी बड़ी गलती हो गयी. उसके दिमाग में ये बात क्यों नहीं आई...वो पिछले एक महीने से परेशान हो रहा था। उसको इस बात का जब एहसास हुआ तो उसके कान और गाल दोनों शर्म के मारे लाल हो गए। और शर्माते हुए मीरा से बोला...सोरी मीरा मेरे दिमाग में ये बात बिल्कुल नहीं आई.. और मैं पिछले एक महीने से इतना परेशान था कि मैं तुमसे कैसे बात करू.तुम्हे पता है मैं तुमसे बात कर ना चाहता हूं उसके लिए मैंने साइन लैंगवेज की कुछ क्लासेज ली जितना मेरे पास टाइम था...इसलिये तो यहां नहीं आया था मैंने सोचा था कि मैं तुमसे बात करूंगा लेकिन....
तभी मीरा ने उसको अपने हाथ के इशारे से रोका और फिर साईन लैंगवेज में कहा....... इस बार उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था.... तो सुधा ने रिपिट किया .....तुम तो आर्मी की ट्रेनिंग ले रहे हो लेकिन दिमाग जरा भी यूज नहीं किया.......मीरा की बात सुनते ही माधव निराश हो गया और बोला... मैं जानता हूं लेकिन सच में मेरे दिमाग ये बात बिल्कुल नहीं आई कि मैं तुमसे बोलकर बात कर सकता हूं .......तभी मीरा ने माधव से इशारे में कहा... अच्छा चलो छोरो। तुम मुझसे दोस्ती करना चाहते थे ना और अपना एक हाथ बढ़ाया.....इस बार सुधा मीरा की बात रिपिट करती , उसे पहले ही माधव ने मीरा से हाथ मिला लिया। मीरा से हाथ मिलाते ही माधव के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई.......और वही मीरा भी मुस्कुरा दी .......
दोनो एक दूसरे को देख रहे थे तभी दोनो के कानो में आवाज पड़ी.....मीरा तू पागल है इसको जानती भी नहीं है और इससे दोस्ती कर रही है ......
तभी माधव ने मुस्कुराते हुए कहा .... अगर दोस्ती नहीं करेंगे तो जान पहचान कैसे होगी .....माधव ने सुधा का हाथ पकड़ा और हाथ मिलाते हुए बोला.... हेलो मेरा नाम माधव है तुम्हारा नाम सुधा हेना !.....
सुधा ने चौंकते हुए कहा....तुम्हें कैसे पता मेरा नाम?.....माधव ने उसकी नोटबुक पर इशारा करते हुए कहा...इतना बड़े-बड़े शब्दों में लिखा कोई अंधा ही होगा जिसे ये नहीं दिखेगा ........सुधा ने अपनी नोटबुक की तरफ देखा और बोली.... हा हा ठीक है और अपना हाथ छुड़ा लिया ......
तुम इंडियन आर्मी में ट्रेनिंग ले रहे हो और तुम बाहर भी आ जा सकते हो कोई रुल नहीं है क्या एकेडमी में........मीरा ने ये बात अपनी साईन लैंगवेज मैं कही थी ....जिसे माधव ने थोड़ा-थोड़ा समझ लिया था...और मीरा की बात का जवाब देते हुए कहा...हा रुलस तो है है लेकिन 1 से 3 का रेस्टिंग टाइम होता है तो मैं इसी समय में थोड़ा बाहर निकल जाता हूं। और पता है सिर्फ वो लेंगवेज सीखने के लिए मैं एक महीने का तुमसे मिला नहीं और ना ही तुम्हे देखा ......तुम्हें पता है मैंने तुम्हें बहुत मिस किया ......ये बात बोलते हुए माधव काफी इमोशनल हो गया था .....मीरा इस बात को समझ रही थी लेकिन उसने कोई रीएक्शन नहीं दीया .....और आगे पुछा......तुम पढ़ते नहीं हो ?...... मीरा ने नोटबुक का इशारा लेके माधव से पूछा ......माधव भी मीरा की बात समझ गया और उसने कहा......अरे वो क्या है ना कि मुझसे ज्यादा पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं है इसलिए ज्यादा नहीं पढ़ा बस इतना पढ़ा ताकी मैं इंडियन आर्मी में शामिल हो सकु........और पता है मुझे लड़कियों में भी दिलचस्पी नहीं है लेकिन जब तुम्हें देखा तो सच में दिल और दिमाग की घंटी एक साथ बजी........ये बात सुनते ही मीरा की हंसी छूट गई .......उसको हंसता देख माधव भी मुस्कुराने लगा....
दोनो एक दूसरे से बात कर रहे थे...वहीं पास बैठी सुधा बड़ी ही हेरानी से दोनो को देख रही थी खास कर के मीरा को उसके चेहरे की मुस्कान को ......सुधा को जलन हो रही थी कि उसकी बेस्ट फ़्रेंड अब किसी और से बात कर रही थी... वो मीरा को खुश देखकर ख़ुश थी लेकिन सुधा को अब ये डर लग रहा था कि मीरा को अब कोई नया दोस्त मिल गया था अब मीरा उससे दोस्ती नहीं रखेगी.... वो इनसेक्योर हो रही थी और साथ ही मीरा की फिकर भी हो रही थी.... उसको डर था कि बहुत लोग मीरा का फ़ायदा उठा सकते हैं जो मीठा बोल बोल के उसके पास आना चाहते है .....लेकिन उसने कुछ कहा नहीं......बातें करते करते कब 2 घंटे बीत गए दोनों को पता ही नहीं चला...इसलिये सुधा ने दोनों को रोकते हुए कहा....अरे बस हो गया अब. माधव तुम्हारा टाइम अप होने वाला है...जाओ वरना तुमको देर हो जाएगी। अब जो भी बात है कल करना .......जब सुधा ने ये बात कही तो माधव ने उसको छोटी आंखे करके घूरा....उसे ऐसा घूरता देख सुधा ने कहा....ऐसे क्या देख रहे हो..चलो अब जाओ, अब कल आना
माधव को भी पता था कि सुधा बोल तो सही रही थी तो उसने कुछ सोचते हुए लंबी सांस छोड़ी और मीरा से बोला...... ठीक है तो फिर कल मिलते हैं और हा कल तुम मुझे अपनी कुछ साइन लैंगवेज सिखाना..ताकि मैं तुम्हारी बात अच्छे से समझ सकूं और हम ढेर सारी बात कर सकें .....ये सुनकर मीरा ने हा में सर हिलाया और मुस्कुराते हुए माधव को बाय करने लगी........माधव भी वहा से चला गया ......
तो सुधा ने मीरा से कहा.... तुम जयादा हंस हंस के बातें नहीं करतीं इससे। ऐसा मत किया करो लड़के गलत ही सोच लेते हैं ....और ये तो मुझे अजीब लगता है.... सुधा की बात सुनके मीरा ने इशारे में ही सुधा से कहा.... अजीब क्या लगता है सही तो लगता है मुझसे बात करने के लिए बेचारा साईन लैंगवेज सीख गया 1 महीना .....अपने बिजी समय में से 2 घंटे रेस्टिंग टाइम में वो मिलने आता है......अजीब वो नहीं तुम हो गई हो...... मीरा ने हल्के से सुधा के माथे पर हाथ मारते हुए कहा......मीरा की ईशारो में की गई बात का जवाब में सुधा ने कहा... हा हा अब मैं तो अजीब ही लगूंगी। अब तुम्हें कोई दुसरा दोस्त जो मिल गया है ........सुधा की इस नादानी भरी बात पर मीरा ने बस मुस्कुराते हुए सुधा को गले लगाया और इशारे में बोली ........ अरे बस बस चलो अब देर हो रही है क्लास के लिए.......
अगले दिन माधव कॉलेज के अंदर आया तब उसको सामने से मीरा आती नजर आई उसने हरे रंग का अनारकली सूट पहना था बाल खुले कानो में झुमके। सिंपल बहुत प्यारी लग रही थी .....उसको देख माधव दोडकर उसके पास गया चलते-चलते अचानक ही मीरा के सामने खड़ा हो गया .. मीरा जल्दी जल्दी चलती जा रही थी उसने माधव पर ध्यान नहीं दिया और वो माधव से जा टकराई .....वो लड़खड़ाई और जैसे ही पीछे गिरने को हुई तो माधव ने उसको कमर से पकड़ लिया...मीरा ने डर से अपनी आंखें बंद कर लीं थी... मीरा ने धीरे से अपनी एक आँख खोली और फिर दूसरी आँख खोली। उसने महसूस किया कि वो निचे नहीं गिरी थी ...उसने देखा तो वहा माधव था उसने उसे पकड़ा हुआ था और मुस्कुरा के देख रहा था..
..तभी माधव मुस्कुराते हुए बोला... चिंता मत करो कुछ नहीं हुआ और मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा .......कहते हुए धीरे से मीरा को सहारा एक देकर खड़ा किया......वही मीरा के पीछे सुधा भी आ रही थी जब मीरा झटके से पीछे हुए तो मीरा का हाथ सुधा को लगा और सुधा नीचे सीधी जमीन पर जा गिरी .......और वो ध्यान से मीरा और माधव को देख रही थी.......तब वो खड़ी हुई और गुस्से से माधव से बोली...ए तुम्हें इस तरह से अचानक सामने आने की क्या जरुरत थी मीरा गिर जाती उसको चोट लग जाती तो... उसकी बात जवाब देते हुए माधव ने कहा.... अरे मेरे होते हुए मीरा को कुछ नहीं हो सकता ......तभी सुधा ने कहा... मीरा को तो तुमने बचा लिया लेकिन उसके साथ मैं भी तो चल रही थी मुझे तो चोट लग गई ना....तो माधव ने रिलैक्स होते हुए कहा ......तो ठीक है लेकिन मीरा को नहीं लगनी चाहिए .मुझे और किसी से कुछ लेना नहीं .......उसकी इस बात पर सुधा बस माधव को घूरने लगी .........
मीरा ने माधव को देखा। .... माधव अपनी ट्रेनिंग यूनीफॉर्म में था। आज उसने नॉर्मल कपडे नहीं पहने थे ....उसको यूनीफॉर्म में देख मीरा ने माधव से इशारे में ही पूछा....... तुम आज यूनीफॉर्म में आज तुमने कपड़े नहीं बदले क्या?......
तो माधव ने मीरा से मुस्कुराकर कहा...अरे वो क्या है ना कि मेरे पास दिन में सिर्फ 2 घंटे होते हैं तुम्हारे साथ बिताने के लिए....इस तरह मैंने सोचा कपड़े बदलने में टाइम वैस्ट् होगा इसलिए मैं बिना चेंज किए ही यहां आ गया .......माधव की बात सुनके मीरा हेरान हो गई तभी उसके दिमाग में एक बात आई उसने माधव से इशारे में पूछा .......तो फिर क्या तुमने खाना खाया है ?.......मीरा की बात सुनते ही माधव के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई और वो बोला...नहीं वो क्या है कि तुमसे मिलने की इतनी जल्दी थी कि मैं खाना खाना ही भूल गया...माधव अपने सर पिछे एक हाथ से खुजाते हुए बोला.....
उसकी बात सुनके मीरा ने अपने सर पर एक हाथ मार लिया ......और इशारों में बोली... ये क्या बात हुई मिलने की इतनी जल्दी कि खाना खाना ही भूल गया। अरे आर्मी में हो खाने पीने का ध्यान रखना चाहिए ना अब चलो ......मीरा ने माधव का हाथ पकड़ा ..जैसे ही मीरा ने माधव का हाथ पकड़ा माधव के शरीर में जैसा करंट सा दोड गया हो उसके चेहरे पर अपने आप ही मुस्कान आ गई...उसके गाल लाल हो गए थे और उसके कदम खुदबख़ुद ही मीरा के कदमों के पीछे चलने लगे...पीछे-पीछे सुधा भी चलने लगी...
थोड़ी देर बाद वो लोग कॉलेज की कैंटीन में आ गए मीरा माधव को टेबल के पास ले गई और उसको कुर्सी पर बैठा दिया ......माधव बस मीरा को देखे जा रहा था...मीरा ने सुधा को इशारे में कहा कि वो कुछ खाने के लिए ले आये मीरा का इशारा समझते हुए सुधा कैंटीन के काउंटर से कुछ खाने के लिए चली गई .....कुछ देर में सुधा खाने की प्लेट ले जिसमें काफी सारी चीजें थी खाने की प्लेट मीरा ने प्लेट को माधव की तरफ ख़िस्काया और इशारे से कहा.... माधव ये खा लो ......
मीरा का ये जेस्चर देख के माधव के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई और उसने खाने की प्लेट से एक निवाला बनाया और मीरा की तरफ बढ़ा दिया .......ये देख मीरा ने अपनी दोनों आइब्रो चढ़ाई और माधव का हाथ पीछे करते हुए इशारे में ही बोली.......खाने की जरुरत तुम्हे है तुम खाओ मैं खाना खा चुकी हूँ....
मीरा की बात को समझते हुए माधव ने मीरा से कहा... वो तो ठीक है लेकिन तुम्हें ऐसा मना नहीं करना चाहिए.....मेरा मतलब है मुझे नहीं खाने को मना नहीं करना चाहिए अन्न का अपमान होता है .......माधव के मुँह से ये सुन मीरा हेरान हो गई। उसने अपनी मुस्कुराहट छुपाते हुए माधव के हाथ से वो निवाला लिया और अपने मुँह में रख लिया.... और इशारे में बोली... लो अब खा लिया अब तुम खाओ .........ये देख माधव के चेहरे पर मुस्कान आ गई... उसने मुस्कुराते हुए अपनी नजर घुमाई तो वहा सुधा बैठी थी। उसको देख के माधव की मुस्कान एक झटके में गायब हो गई ..
......तभी माधव ने एक और निवाला बनाया और सुधा की तरफ बढ़ाया ये देख सुधा ने अपना मुँह खोल दिया। लेकिन तभी माधव बोला...मुंह क्या खोल रही हो हाथ दिए हैं ना भगवान ने हाथ में लो और खा लो। वर्ना बोलोगी कि मुझसे पूछा ही नहीं माधव ने।
.......सुधा माधव की बात सुनके चिड़ गई ...क्यूकी अगर सुधा निवाला खाने से मना करती तो भी माधव उसको अन्न का अपमान करने के लिए ज्ञान देता। और अब उसने मना भी नहीं किया तभी माधव ने उसको बात सुना दी .........सुधा ने माधव के हाथ से वो निवला लिया और खा लिया और माधव को घूरते हुए देखने लगी माधव ने खाना खत्म किया तभी वहां कुछ लड़के और लड़कियों का ग्रुप आया और मीरा से कहने लगा ........
हाए मीरा!......मीरा ने भी उन्हें हाए किया ....तभी उनमें से एक लड़के ने मीरा से कहा...मीरा क्या तुम फ्री हो, हमें तुमसे कुछ काम था....उसने माधव की तरफ देखा और सोचा कि शायद मीरा बिजी होगी उसे शायद कोई मिलने आया था .......
तभी मीरा ने मुस्कुराके इशारे में ही अपना सर ना में हिला दिया .....तो अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उस लड़के ने कहा......मीरा तुम क्या हमारे लिए गिटार प्ले करोगी वो क्या है की हमें अपने म्यूजिक कंसर्ट के लिए प्रैक्टिस करनी है लेकिन आज हमारा गिटारिस्ट आया नहीं है तुम बहुत अच्छा गिटार बजाती हो, प्लिस आज हमारी हेल्प कर दो, दो दिन में हमारा परफॉर्मेंस है .......उस लड़के की बात सुन के मीरा मुस्कुराई और उसके हाथ से गिटार अपने हाथ में ले ली .....वो लड़के मीरा के क्लासमेट थे....इसलिए मीरा उनकी मदद के लिए मान गई ......मीरा ने इशारे में अपना एक थम्ब दिखा दिया वो अपनी प्रैक्टिस वाली जगह पर जाने लगे। मीरा भी चलने लगी तभी मीरा ने माधव को अपने साथ आने का इशारा किया ...
.वो लोग उस जगह पहुंच गए. सब लड़के लड़कियो ने अपनी अपनी जगह पे जाके बैठ गए मीरा भी एक कुर्सी पर जाके गिटार पर अपनी पोजीशन लेली...उन लोगो ने मीरा को समझाया की म्यूजिक ट्रैक कुछ देर के डिस्कसन के बाद सब शांत हो गए...मीरा ने भी अपनी आंखे बंद की और सोचते हुए गिटार पर अपनी उंगली फेरने लगी ........जैसे जैसे मीरा गिटार अपनी उंगली फिरा रही थी वैसे वैसे ही माधव के एक्सप्रेशन चेंज हो रहे थे... उसके चेहरे पर हेरानी के भाव आते जा रहे थे .....सब उसके परफोमेन्स् को एन्जॉय कर रहे थे......परफॉरमेंस ख़तम हुआ और पूरा कमरा तालियों को गडगडाहत से गूंज उठा............माधव हेरानी से मीरा को देखा जा रहा था ..........