बेखबर इश्क! - भाग 22 Sahnila Firdosh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेखबर इश्क! - भाग 22


दूसरी ओर कनिषा को मुड़ता देख इशांक को लगा जैसे वो खुद को किसी कमरे या पास के ही किचन में बंद कर लेगी,जिसके कारण उसे वहां से निकालने में शादी करने का समय भी निकल जायेगा,इसलिए उसने हॉल में खड़े दो आदमियों को ऑर्डर देते हुए कहा....."पकड़ो उसे!"

इशांक का ऑर्डर सुन वो दो शख्स प्रतिक्रिया करते,उससे पहले ही कनिषा ने अपने भागने की गति को तेज कर लिया,लेकिन वो अंदर से इतनी डरी हुई थी,की....भागते हुए उसे सोफे का पिछला हिस्सा नजर ही नही आया और वो एकदम से उससे टकरा कर नीचे गिर गई,नीचे फर्श पर गिरते हुए उसे अपने कोहनी और घुटनो में चोट तो लगी,पर उसे वहीं पास में एक इंसेक्ट स्प्रे मिल गया,जिसे बिना देरी किए उसने हाथ में पकड़ा और उठ कर सोफे पर खड़ी हो गई।।

इंसेक्ट स्प्रे को किसी बंदूक की तरह सामने किए वो चिल्लाई....."अगर किसी ने मेरे पास आने की हिम्मत की तो उसके मुंह पर ये स्प्रे मार मार कर इक्षाधारी कॉकरोच बना दूंगी,"....हालांकि उसके इस धमकी पर इशांक के आदमियों ने कोई ध्यान नही दिया और दोनो बाजुओं को फैलाए आगे बढ़ते रहे,,उन्हे पास आता देख कनिषा ने फिर से उन्हें वॉर्न किया,लेकिन जब वो नही माने,,बिना कुछ सोचे उसने दोनो के चेहरे पर बारी बारी से स्प्रे छिड़क दिया, स्प्रे में मौजूद जहरीली लिक्विड जैसे ही उन दो आदमियों के आंखो में पड़ी,,उनकी आंखे बुरी तरह से जलने लगी,,जिससे वो दोनो हॉल में इधर उधर भागने लगे,खुद को प्रोटेक्ट कर लेने के बाद कनिषा सोफे से उतरने ही वाली थी की तभी उसके पैर से... टीवी के रिमोट का ऑन बटन प्रेस हो गया,जिससे टीवी ऑन हुआ और अगले ही पल उसमे न्यूज शुरू हो गया।।

न्यूज किसी बड़ी कम्पनी के बारे में चल रही थी,जिसके श्येर्स बिजनस मार्केट में इतने गिर चुके थे,की उसे बैंकक्रप्ट तक करार दिया जाने लगा था,और तो और उस कंपनी के ओनर "राजवीर रेड्डी" को टैक्स ना भरने की जुर्म में जेल भी ले जाने की न्यूज चल रही थी....हालंकि कनिषा इस वक्त इतने तनाव में थी की उसने उस न्यूज पर कोई ध्यान नही दिया और सोफे से उतर कर सामने के सफेद रंग से रंगे,बड़े से दरवाजे की ओर दौड़ने लगी,,दरवाजे तक पहुंच जब उसने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और इसके नॉब को घुमा कर खोलने लगी,तभी किसी ने उसके कलाई पर सख्ती से अपने हाथ जमा दिए और अपनी उंगलियों पर जोर डालते हुए उसकी कलाई को बेरहमी से दबाने लगा....

उस दवाब के दर्द से कनिषा के मुंह से आह निकल गई,वो अपने होंठो को दांतों के नीचे दबाए उस ओर ही मुड़ी, जहां इशांक अजीब तरह से उसे घूरते हुए खड़ा था,हमेशा की तरह वही गुस्सा और नफरत की कड़वाहट चेहरे पर ओढ़े उसने कर्कश भाव से कुछ भी कहने से पहले कनिषा की कलाई को हवा में उठा कर,तुरंत ही उसे बंद दरवाजे के विपरीत दबा दिया,जिस पर कनिषा ने द्वेषपूर्ण मुंह बना लिया और उसे दुत्कारते हुए बोली....."मेरे हाथों को छोड़ दो इशांक देवसिंह,कैसे मर्द हो तुम,जो एक कमजोर सी लड़की पर अपनी ताकत दिखा रहे हो??"

पहले से ही गुस्से से धधकता इशांक उसकी बातों से और अधिक भड़क गया,और अनजाने में ही उसने उसकी कलाई को दरवाजे पर इतनी ताकत के साथ दबाने लगा की उससे उठने वाला दर्द कनिषा की आंखो में आंसू भर गए,उस पर भी इशांक ने कोई तरस ना दिखाई और घर में मौजूद सभी लोगों की परवाह किए बिना चिल्लाया.....
"मुझे आजमाने की कोशिश मत करो... कनिषा रेड्डी,वरना पछताने के सिवा तुम्हारे पास कुछ भी हासिल नहीं होगा!".....इतना कहते हुए इशांक की नजर कनिषा के गिरते आंसुओ की ओर गई,जो उसके गालों से होते हुए गले और फिर सीने की ओर लुढ़क रही थी।।


इधर कनिषा का ध्यान टीवी में चल रहे न्यूज के उस हिस्से पर खींच गया, जब न्यूज़ एंकर ने उसके पिता राजवीर रेड्डी का नाम लिया और उसकी डूबती कंपनी के बारे में बताने लगा,अचानक से उसने "डैड" कह के पुकारा तो... इशांक ने अपनी आंखे खोल दी और उसके आंसुओं से अपनी नजरें हटा कर,उसकी आंखों में झांकने लगा।।

इशांक भी समझ न पाया की कैसे एक लड़की के आंसुओ ने उसकी पकड़ को ढीला करने पर मजबूर कर दिया,और दूसरे ही पल वो उससे पूरी तरह अलग हो गया,लेकिन कनिषा अब भी वहीं खड़ी टीवी में बड़े ही ध्यान से घूर रही थी,जितना वो उस न्यूज को सुनती,उतना ही उसके भाव गंभीर और उदासी में लिपटते जाते।।

इधर इशांक के स्टेप डैड विक्रम मेहरा और उनकी पत्नी मीरा मेहरा जो की इशांक की सगी मां थी,वो भव्या के साथ घर के एंट्रेस तक आ चुके थे,लेकिन जैसा की इशांक नही चाहता था की वो अपने कदम उसके घर के दहलीज के अंदर लाए,इसलिए उसने उन्हे वहीं रोकते हुए बेरुखी तरीके से कहा....."रीमा मेहरा वही रुक जाओ!"

इशांक के चिल्लाने से रीमा और विक्रम के पैर उसी जगह ठिठक गए,हालंकि साथ में आई भव्या ने अपने कदम नहीं रोके और दौड़ते हुए अपने भाई के गले से जा लगी...."भाई! आई मिस यू सो मच!"

जैसा की इशांक काफी तनाव में था,उसने भव्या का सिर सहलाने के अलावा उससे कोई बात नही की और अपने असिसिटेंट को देख कनिषा की ओर इशारा करते  हुए बोला....."भव्या और इनको अंदर ले जाओ,मुझे कुछ बहुत इंपार्टेंट डील करना है!!"

"जी सर!"....असिस्टेंट ने तुरंत जवाब दिया और भव्या की ओर बढ़ते हुए अदब से बोला...."चले प्रिंसेस??"

असिस्टेंट के साथ जाने की बात पर भव्या राजी तो ना हुई,उल्टा उसने आनाकानी शुरू कर दी और अपने भाई इशांक के सीने पर सिर टिका कर,चिपके हुए पैरों को जमीन पर पटकते हुए नाक बजाने लगी....."इशांक भईया!मुझे नही जाना...मुझे पता है,आप मम्मी से अच्छे से बात नही करेंगे,इसलिए...मैं यहीं रहना चाहती हूं,,और आपको ऐसा करने से रोकना चाहती हूं!!"

"कोई जिद्द नही,जैसा मैंने कहा है,वैसा ही होगा,,विवेक तुम इन्हें अंदर ले कर जाओ!"....ऐसा कह इशांक ने जैसे ही भव्या को अपने आप से अलग किया,दरवाजे से लगी कनिषा ने अपने हाथ में लिए इंसेक्ट स्प्रे को छोड़ दिया,और अगले ही पल किसी टूटे तारे ही तरह जमीन पर गिर गई।।

गिरने की आवाज पर पास खड़ी भव्या,विवेक और इशांक उस ओर मुड़े तो देखा, कनिषा अजीब स्थिति में बैठी फर्श को ही घूर रही है,जब से इशांक उसे उठा कर अपने मेंशन लाया था,तब से वो इतनी परेशान और उदासी में डूबी हुई कभी नजर नहीं आई थी,यहां तक की कुछ लम्हे पहले तक वो इधर से उधर भागती हुई,सब की नाक में दम कर रही थी,और अब अचानक उसे क्या हुआ था,जो वो इस कदर हारे मन से बैठ गई?....इस बारे में सोचते हुए इशांक ने भव्या से अपना हाथ छुड़ाया और कनिषा की ओर बढ़ गया,,उसके सामने खड़े होने के बाद वो उससे कुछ पूछ पात उससे पहले ही कनिषा ने रूधली सी आवाज में धीमे से कहा......"शादी करने पर मैं जो चाहूंगी...वो देंगे आप??"