बेखबर इश्क! - भाग 20 Sahnila Firdosh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेखबर इश्क! - भाग 20

कॉलेज क्लास शुरू होने से पहले कनिषा जब कैंटिंग की और चल रही थी,उसके दिमाग में इशांक की शादी वाली बाते चक्कर काट रही थी,अपने होंठो को बिचकाते हुए वो हर दो मिनट पर अपने चेहरे पर आ रहे बालों को उंगली में फंसा कर पीछे धकेल देती,तभी उसकी रूममेंट सौम्या वहां आ धमकी और एकाएक कनिषा का हाथ पकड़ते हुए बोली......"तो क्या कह रहा था...तेरा कल का हसबेंड?"

"यार मजे मत ले,पहले ही उसने दिमाग खराब कर रखा है,कह रहा था....अगर मैं नही मानी तो भी मुझसे शादी कर के रहेगा,कोई मजाक है क्या"..... कनिषा झलझाट से एक कुर्सी को खिंचते हुए बैठी।।

सौम्या भी एक कुर्सी को फर्श पर रगड़ते हुए खींच कर कनिषा के पास लाई और बैठते हुए बोली....."बिना देखे तूने ही पेपर साइन किया था ना,तो गलती तेरी भी है।

"गलती मेरी कैसे हो गई? मैं अपनी फूटी किस्मत की कसम खा कर कहती हूं.... उसने जान बूझ कर मुझसे कॉन्ट्रैक्ट पर साइन लिया है।।".....

"अगर ऐसा है तो वो तुमसे शादी कर के रहेगा!".....

सौम्या की निराश करने वाली बात से कनिषा ने उसे लगभग खा जाने वाली नजरों से घूरा और अगले ही पल अपने ही सिर के बाल नोचते हुए चिल्लाई.....
"अह्हंह,अब मै करूं?.... शहर छोड़ के चली जाऊं क्या?या टकली हो कर सन्यास ले लूं!"

कनिषा अपनी बात पूरी भी ना कर सकी थी की अचानक उसके कानो में कॉलेज के वॉचमैन की आवाज आई...."मिस कनिषा!आपसे मिलने बाहर कोई आया है!"

"मुझसे"....हैरानी से कनिषा अपनी जगह पर सीट से उठ खड़ी हुई,और प्रशन भाव से वॉचमैन की ओर देखने लगी,तभी उसे अपने डैड का ख्याल आया,जो महीने के अंत में एक बार उससे मिलने जरूर आया करते थे,अपना बैग और फोन उठाते हुए उसके चेहरे पर अलग सी चमक छा गई,अपने हाथ को हवा में लहराते हुए उसने सामने बैठी सौम्या से कहा....."क्लास चली जाना,मेरा इंतजार मत करना,मैं थोड़ी नेक्स्ट क्लास तक आ जाऊंगी!"

ऐसा कहते हुए वो बिजली के रफ्तार से भी अधिक तेजी से कॉलेज कैंपस की ओर भागी,आखिर में दौड़ते हुए जब वो कॉलेज के गेट के बाहर निकली,आंखो पर धूप चमकने के कारण उसने अपनी हथेली को उठा कर माथे और चेहरे के बीच रख लिया,सड़क पर दूर दूर नजर दौड़ने पर भी जब उसे डैड नही दिखे,वो वॉचमैन से पूछने के लिए पलटी,तभी उसे अपनी कलाई पर किसी की पकड़ महसूस हुई,चौंकते हुए उसने अपना सिर दूसरी ओर मोड़ती,उससे पहेल ही उसके पूरे शरीर पर एक ओर से खिंचाव महसूस होंने लगा,सामने चलते सख्श के सिर पर सेट के बाल और ब्रांडेड सूट के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था।।

अब तक कनिषा काफी घबरा गई थी,इसलिए अचानक उसकी हथेली ठंडी होने लगी,अपने कलई को उससे छुड़ाने के लिए कसमसाते हुए कनिषा पीछे पलट कर वॉचमैन को मदद के लिए चिल्ला रही रही,लेकिन वॉचमैन ने उसकी ओर देखा तक नहीं,जिससे कनिषा एक पल में समझ गई की, जिस इंसान द्वारा वो इस वक्त खींची जा रही है,वॉचमैन उससे मिला हुआ है,अपने दूसरे हाथ के नाखून को उस शख्स के हाथ पर गड़ाते हुए कनिषा चिल्लाई......"कहां ले जा रहे हो मुझे,आखिर हो कौन तुम,और क्या चाहते हो? प्लीज मुझे जाने दो,कहीं तुम बच्चा चोर तो नही होना??"

कनिषा मात्र इतना ही बोल पाई होगी,की उस सख्स की भारी भरकम उसके कानो में पड़ी...."खुद को बच्ची समझती हो क्या?तुम तो एक डिजास्टर हो!"

"अगर बच्चा चोर नही हो तो,किडनी निकाल कर बेचने वाले हो क्या?देखो मेरी किडनी महंगी नही बिकेंगी!".....कहते कहते अचानक कनिषा ध्यान उस शख्स के आवाज और उसके बॉडी से आती परफ्यूम की खुशबू पर गई, उस खुश्बू और आवाज से कनिषा के दिमाग में पहला नाम इशांक का आया,जिसके कारण उसके मुंह से शब्द निकलने की बंद हो गए,हाथ पांव ठंडे पड़ने लगे,उसके हथेली पर ठंडे पसीने की बूंद को इशांक अपनी हथेली पर आसानी से महसूस कर रहा था,वो चिपचपा सा एहसास उसे मन को घृणित करने लग,इसलिए कनिषा का ख्याल किए बिना, उसने अपनी चलने की स्पीड बढ़ा दी।।

दूसरी ओर कनिषा के दिमाग में एक साथ इतनी सारी बातें और नए नए ख्याल घूम रही थी,की... वो खुद को संभाल ना पाई और अचानक से लड़खड़ा कर इशांक के मजबूत पीठ पर गिर गई,उसकी इस हरकत से इशांक ने अपने कदम रोके और उसे अपने पीठ से हल्का धकेलते हुए पीछे मुड़ गया....."किसी भी हालत में मुझे आज ये शादी करनी ही है,इसलिए चुप चाप अपनी गलती का हरजाना भुगतो,वैसे भी मैं तुम्हे इस नाटक का इतनी बड़ी रकम दूंगा की सारी जिंदगी ऐशों आराम से जी पाओगी।।"

अपने शब्दो को खत्म करने से पहले इशांक की नजर कनिषा की मासूम आंखों के आंसुओं पर पड़ चुकी थी,जो उसके पलकों पर ऐसे अटकी थी,मानो उसके द्वारा कहा जाने वाला अगला शब्द उसे टूट के बिखरने पर मजबूर कर देगा,उसने आज तक अपने आस पास कई ऐसी लड़कियों को देखा था....जो उसके नाम, रुतबे और गुड लुक्स की वजह से रिलेशनशिप में आना चाहती थी,,लेकिन आज पहली बार वो किसी ऐसी लड़की से मिला था...जिसे ना तो उसके पैसे से मतलब था और ना ही उसके ऊंचे मुकाम से,भले ही पहली मुलाकात में उसे कनिषा बिगड़ैल और बत्तमीज लगी थी,लेकिन इस वक्त वो कनिषा के बहते आंसुओं के साथ पिघल गया,,ना जाने क्यों उसकी पकड़ उसके हाथ से ढीली होती गई और आखिर में उसने पूरी तरह उसे आजाद कर दिया।।

वो जनता था की...विक्रम के सामने फेरे ना लेने पर इतने सालों का उसका बदला अधूरा रह जायेगा,,यहां तक आने के बाद भी वो विक्रम से हार जाएगा,फिर भी ना जाने क्यों वो कनिषा के मन के खिलाफ जाने से खुद को रोक रहा था,,उसकी आंखो में भरे आंसु को लगभग दस सेकंड तक देखते रहने के बाद,अचानक उसने वापस उसका हाथ पकड़ा और खींचते हुए बोला....."मैं तुम्हे दुनिया से छुपा कर रखूंगा,कोई भी नही जान पाएगा की तुम मेरी पत्नी हो,ये सिर्फ एक साल की बात है,तुम्हारे आंसू मेरे बरसों को नफरत के आगे कुछ भी नही है।।"

"आप कहां ले रहे है मुझे,, मिस्टर सीईओ... मैं शादी नही करूंगी आपसे!".....हाथ छूटने से कनिषा जो थोड़े समय के लिए राहत में आई थी, आचनक खींचे जाने से घबरा गई,खुद को इशांक से छुड़ाने के लिए जोर लगाते हुए वो चिल्ला रही ही रही थी,अगले पल ही वहां एक ब्लैक कार रुकी,दरवजा खुलते ही इशांक ने बेतरतीबी से कनिषा को अंदर सीट पर धकेला और धम्म से दरवाजा बंद कर दिया।।

अंदर से दरवाजे और शीशे पर हाथ मरते हुए कनिषा बिना रुके चिल्ला रही थी,जिस पर गौर ना करते हुए इशांक ने सामने ड्राइविंग सीट पर बैठे हट्टे कट्टे इंसान की ओर झुंका और बोला......"इसे सीधे बंगले पर ले जाना,जब तक मैं वहां ना आऊं,ये लड़की वहां से भागनी नही चाहिए।"

"ओके सर हम ध्यान रखेंगे!"..... कार स्टार्ट करते हुए इशांक के बॉडीगार्ड ने उसे आश्वस्त किया,तभी कनिषा पीछे आगे की ओर झूंकी कर एकाएक बॉडीगार्ड के सिर का बाल पकड़ते हुए चिल्लाई...."अगर कार को एक स्टेप भी आगे बढ़ाया तो तुम्हे गजनी का आमिर खान बना दूंगी!"

"आआआआआ,,, सर्रेरर!"....सिर से बाल खींचने पर बॉडीगार्ड चिल्लाने लगा, अंदर का नजारा देख इशांक ने अपनी नेक टाइ ढीली की ओर गहरी गहरी सांस भरते हुए   बॉडीगार्ड से दरवाजा खोलने को बोला।।

अपना सिर आगे की ओर खींचते हुए बॉडीगार्ड ने दरवाजे से लॉक हटाया,जिसके अगले पल ही इशांक पीछे की सीट पर बैठ गया,और कनिषा के नाम पर जोर देते हुए बोला...."कनिषा छोड़ा उसे,तमाशा मत करो!"

"तमाशा तो आपने बना दिया है मेरा,मैं इसे गंजा कर के रहूंगा!"...अपने शरीर के पूरे बल को लगाते हुए कनिषा ने दांत पीसते हुए कहा,जब से वो उससे मिला था,उसे कनिषा सिर्फ बचकानी हरकते करते हुए ही दिखी थी, जो उसके लिए सहन से बाहर होता जा रहा था,पहले ही वो शादी को लेकर काफी परेशान था,ऐसे में कनिषा की बचकानी हरकतों से देर होता देख,,उसे गुस्सा आने लगा,जिसके कारण परिणाम सोचे बिना वो अपनी जगह से उठा और खुद को कनिषा के शरीर पर झुंकाते हुए उसके दोनो हाथ पकड़ लिए।।