आई कैन सी यू - 21 Aisha Diwan द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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आई कैन सी यू - 21

कहानी में अब तक हम ने पढ़ा की लूसी ने एक बेचैनी की शिद्दत वाली रात गुजारी फिर वह वर्षा को गहरी नींद सोते देख सुबह सुबह ही तैयार हो कर हॉस्पिटल चली गई जहां रोवन एडमिट था। रविवार की सुबह थी इस लिए इतनी चहल पहल नहीं थी जितनी बाकी के छह दिनों में होती है। 
लूसी ने रिसेप्शनिस्ट से रोवन के कमरे का नंबर पूछा और उस तरफ जाने लगी। उसे रोवन के कमरे में जाने में बेहद हिचकिचाहट हो रही थी ये सोच कर के ना जाने उनका कैसा रवैया होगा। जैसे जैसे कमरे की ओर कदम बढ़ा रही थी वैसे वैसे दिल की धड़कन तेज़ हो रही थी। 
दरवाज़े के सामने खड़ी हुई ही थी के रूमी जम्हाई लेती हुई बाहर आई। अपने सामने लूसी को देख कर बोली :" ओह लूसी!...अच्छा किया तुम आ गई! होश आते ही मामा ने तुम्हारे बारे में पूछा था!... जाओ तुम उनसे मिल लो मैं चाय ले कर आती हूं!"

    " रूमी!... कमरे में कोई और भी है क्या?"
लूसी ने अटकते हुए पूछा।

रूमी :" नानी है बस!"

रोवन ने होश आने के बाद चाकू लगने की क्या वजह बताई होगी ये सोच कर लूसी सहमी हुई सी अंदर गई। मां पास वाले बिस्तर पर बैठी थी और रोवन बेड में टेक लगाए बैठा था। हाथ में कैन्नुला लगा हुआ था जिस से मेडिसिन स्लाइन के ज़रिए दी जा रही थी। दोनों मां बेटे में किसी विषय पर बात चल रही थी। लूसी को अंदर आते देख मां के चहरे में चमक आ गई। फौरन उठी और उसके पास आ कर बोली :" मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी!.... सौ साल जिओ!.... आजाओ बैठो यहां!"

उसे प्यार से कलाई पकड़ कर रोवन के सामने बैठा दिया और खुद ये कह कर बाहर चली गई के तुम दोनों बात करो मैं डॉक्टर से मिल कर के आती हूं।"

लूसी उन्हेें कुछ कह नहीं पाई और हिचकते हुए नज़रे झुका कर रोवन से बोली :" I'm really sorry sir!.... ये सब मेरी वजह से हो गया! पर मैं वादा करती हूं इसके बाद मैं ऐसा कुछ होने नहीं दूंगी! उस से पहले आपको मुझे बताना होगा वो कौन है? आप जानते हैं उसे, है ना?"

रोवन ने एक गहरी सांस ली और मायूस आंखों से देखते हुए कहा :" कोशिशें करना बंद करो और खुद को दूर करो इन मुसीबत से!.... तुम्हें यहां से जाना होगा! अपने सिटी में कोई कॉलेज सेलेक्ट करो और एक एप्लीकेशन लिखो!मैं तुम्हारे एप्लीकेशन पर साइन कर के तुन्हें दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर कर दूंगा!.....जितनी जल्दी हो सके यहां से चली जाओ!"

लूसी के मन में अचानक आग सी भड़क उठी। उसे इस बात का एहसास न था के रोवन के ऐसा कहने से उसे इतना बुरा क्यों लग रहा है। उसने रोनी सूरत बना कर कहा :" मैं कैसे चली जाऊं!... आपको भी पता है की मैं ही एक लौती वो लड़की हूं जो उस से लड़ कर उसे हरा सकती है!.... मैं नहीं जा सकती क्या पता वो मेरे पीछे मेरे शहर तक आ जाए! मुसीबत से डर कर भागना किसी परेशानी का हल नहीं होता!"

रोवन कड़क कर बोला :" are you out of your mind?...इसमें तुम मर सकती हो!..... ज़िद तब तक ही अच्छी होती है जब तक वह ज़िद जान पर न बन आई हो!...इतनी बड़ी हो गई हो कुछ तो मैच्योर हो जाओ! बच्चो की तरह एक बात पर अड़ गई हो!...मैं किसी और गिल्टी के साथ नहीं जी सकता। तुम यहां से जा रही हो and that's my last warning! वरना मुझे तुम्हें रस्टीकेट करना पड़ेगा।"

उसके डांटने से लूसी सहम गई और कुछ पल गुस्से में उसे घूरती रही। उसके दिल पर जैसे उसने घुसे मारे हों उसे उसके अल्फाज़ से बहुत तकलीफ़ हुई और आंखों में आंसू डबडबाने लगे। उसने कुछ कहा नहीं वो नाराज़गी में उठी और तेज़ कदमों से चल कर बाहर आ गई। बाहर आ कर देखा तो रोवन की मां वेटिंग रूम में बैठी हैं। उन्होंने लूसी को देखते ही अपने पास बुलाया। लूसी ने अपने आप को ठीक ठाक दिखाते हुए उनके पास जा कर खड़ी हुई। उन्होंने पास बैठने का इशारा करते हुए कहा :" यहां बैठो तुम से कुछ बात करनी है!"

लूसी ने किसी तरह अपने बेचैन हुए दिल को संभाला और उनके पास शांत हो कर बैठी। मां ने मायूसी से कहा :" तुम ने मेरे बेटे के बारे में कुछ अफवाएं सुनी होगी लेकिन सच तो हम ने अपने सीने में दबाए रखा है जो धीरे धीरे मेरी सांसें छिनती जा रही है। मेरी बड़ी बेटी होने के बाद मुझे दूसरा बच्चा नहीं हो रहा था। कई साल गुज़र गए लेकिन मेरा दूसरा बच्चा नहीं हुआ। हम ने बहुत इलाज करवाया, कई मन्नतें मांगी और न जाने कहां कहां जा कर दुवाएं मांगी के एक औलाद और हो जाए!.... हमारी दुवाएं कबूल हुई और बेटी के पैदा होने के पंद्रह साल बाद मेरा रोवन पैदा हुआ। सब बहुत अच्छा चल रहा था। हम अपनी ज़िंदगी में खुश थे। जब रोवन पच्चीस साल हुआ तब हम ने उसके शादी के लिए एक लड़की चुनी। उसने शादी के लिए रजामंदी दे दी लेकिन न जाने किस मनहूस की नज़र मेरे बच्चे को लगी है। शादी के रात रोवन के अपनी पत्नी से मिलने से पहले ही वो मर गई!... जब वो कमरे में गया तो देखा फर्श पर खून की नदियां बह गई है। लड़की का सर बुरी तरह फट गया था। वो हताश हो कर कमरे से बाहर भाग आया और हम सब को बताया। इसके पापा ने लड़की के घर वालों को इसकी खबर दी तो उन लोगों ने रोवन पर सारा इल्ज़ाम डाल दिया। पुलिस आई और मेरे बच्चे को हथकड़ी पहना कर ले गई। इस हादसे के बाद उसके पापा को हार्ट अटैक आ गया और वो किसी तरह बच गए लेकिन डॉक्टर ने कहा कि अगर दूसरी बार अटैक आया तो नहीं बचेंगे!....खैर सभी जांच पड़ताल में रोवन बेकुसूर साबित हुआ और मौत की वजह दिमागी हालत का ठीक न होना बताया गया। इसके पापा की अक्सर तबियत खराब रहती थी। इस हादसे के बाद भी रोवन से शादी करने के लिए कई सारी लड़कियां तैयार थीं। लेकिन रोवन डर गया था। हमारे ज़िद करने पर वो फिर से शादी करने के लिए तैयार हो गया। एक साल बाद हम ने उसकी दूसरी शादी कराई लेकिन कोहराम तब मच गया जब फिर से हुबहू वैसा ही हुआ। फिर से सब कुछ दोहराया गया। पुलिस आई उसी तरह रोवन को हथकड़ी पहना कर ले गई। मेरे बच्चे की आंखें दो खामोश नदियों की तरह बह रही थीं और उसके आंसु मेरे दिल में तेज़ाब बन कर उतर रहे थे। पुलिस इन्वेस्टिगेशन (investigation) में सब कुछ पिछले केस जैसा ही सामने आया। रोवन को फिर से क्लीन चिट दे दी गई। इसके पापा अब ठीक नही रहते थे। हम ने कितने ख्वाब सजाए थे के बहु आयेगी, पोते पोतियां होंगे, बेटा बाप के कंधो का बोझ संभाल लेगा लेकिन बेटे पर तो जैसे कभी न खत्म होने वाला ग्रहण लग गया हो और एक दिन इसके पापा की सांसें भी ज़िंदगी के बंधन से आज़ाद हो गई और मैं अकेली रह गई। हमारा घर बुरी तरह बिखर गया। रोवन उसके पापा के जगह कॉलेज में ही रहने लगा क्यों के उसे घर में घुटन होती थी। वो अपने पापा की मौत का ज़िम्मेदार भी खुद को ही समझता है। घर पर अकेली कैसे रहती इस लिए मैं बेटी के पास रहने लगी। रोवन ने साफ कह दिया के वो कभी किसी से प्यार या शादी नही कर सकता क्यों के उसे श्राप मिला है लेकिन यह नहीं बताया के किस ने श्राप दिया और क्यों!... बस घुट घुट कर जीने लगा। कल जब मैं ने तुम्हें उसके साथ देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने सदियों से चली आ रही काली अंधेरी रात में एक सूरज को देखा जो मेरे चांद जैसे बेटे को अपनी ऊर्जा दे रही थी। इन असहाय आंखों को शक हो गया के तुम में कोई खास बात है। मैं सुबह से रोवन को इस बात पर राज़ी करने में लगी थी के वो मुझे तुम्हारे बारे में बताए! उसने मुझे बताया के तुम सच में खास हो! तुम ने उसके आसपास एक बुरी आत्मा या चुड़ैल को देखा है और उस से तुम्हारी लड़ाई भी हुई है। वो तुम्हारे दिमाग के साथ नहीं खेल सकती जैसे बाकी लड़कियों के साथ खेल कर उसे मार दिया। तुम भूतों को देख सकती हो ये राज़ मैं राज़ ही रखूंगी लेकिन तुम से एक विनती है! मेरे बच्चे को उस मनहूस से आज़ादी दिलाओ! तुम ही वो खास लड़की हो जो उसकी दुल्हन बन सकती है!... मैं बस उसे एक बार हंसते हुए ज़िंदगी जीते देखना चाहती हूं! मैने इन पांच सालों में उसे दिल से हंसता हुआ नही देखा। उसकी हंसी बन जाओ बेटा!.... अगर तुम हां कहो तो हम तुम्हारे घर में बात करेंगे!"

रोवन की दुखभरी कहानी सुन कर लूसी के आंखों से आंसु बह रहे थे क्यों के मां भी बताते हुए कई बार रो पड़ीं थी। लेकिन उसे बिलकुल भी इस बात का अंदाज़ा नहीं था के  मां उसे शादी के लिए पूछेंगी। वो हक्का बक्का हो कर बस उन्हें आंखे फाड़ फाड़ कर देखती रह गई। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)