नक़ल या अक्ल - 68 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 68

68

किडनी

 

किशोर अस्तपताल गया तो उसने देखा कि बृजमोहन और पार्वती हॉस्पिटल की वार्ड के बाहर बैठे हुए हैं,  वह हड़बड़ाता हुआ आया और बोला,

 

क्या हुआ बापू जी?

 

दो तीन दिन पहले उल्टियाँ आ रही थी, हमें लगा कि कोई खुशखबरी है। मगर जब हालत ज़्यादा ख़राब हो गई  तो  डॉक्टर के पास ले आए।  डॉक्टर ने कहा, हॉस्पिटल में एडमिट करवाओ। अब डॉक्टर उसकी जाँच  पड़ताल कर रहें हैं। तभी उन्हें  डॉक्टर में  अपने केबिन में  बुलाया।

 

डॉक्टर सब ठीक तो है? किशोर ने चिंता जाहिर की।

 

मेरी  मानिये  आप इन्हें दिल्ली के शांतनु अस्पताल में लेकर जाए।

 

कोई खतरे की बात है, क्या?

 

वहाँ बड़े बड़े डॉक्टर है, वह सही बात बता पाएंगे, मुझे इनके गुर्दो में कुछ दिक्कत लग रही है। किशोर और उसके माता-पिता के चेहरे का रंग उड़ गया। डॉक्टर ने उनको सांत्वना देते हुए कहा, “जल्दी करें, सही समय पर ईलाज  मिल जायेगा तो सब ठीक हो जायेगा।“ किशोर ने राजू ट्रेवल को फोन करकर  वैन वही मँगवा ली। राधा को अपने सीने से लगाए वह उसे शांतनु अस्पताल ले गया, वह एक सरकारी  अस्तपताल है, वहाँ कितने मरीज़ डॉक्टर के इंतज़ार में बैठे हैं लेकिन राधा के डॉक्टर की जान पहचान थी इसलिए ज़्यादा देर नहीं लगी और उसे एडमिट कर लिया गया।

 

किशोर ने अपने माँ बापू को राधा की हालत के बारे में  बताते हुए कहा कि  वह कुछ दिन अस्पताल  ही रहने वाला है। लक्ष्मण प्रसाद ने यह बात सरला को बताई  तो वह बोली, “ईलाज  का खर्चा उसके माँ बापू  करें, हमारा कोई मतलब नहीं है।“

 

वो सरकारी अस्पताल है। सिर्फ  दवाइयों  का खर्चा है।

 

जो भी है, हमसे कोई उम्मीद न रखें। सरला  मुँह बनाते हुए बोली।

 

सोनाली  जब वापिस घर जाने लगी तो समीर अपनी गाड़ी लेकर आ गया। उसने सोनाली को अपने साथ चलने के लिए कहा तो उसने एक नज़र  निहाल को देखा तो उसने मुँह फेर लिया तो उसने समीर को बोला,  “हाँ चलो !! और वह उसकी गाड़ी में बैठ गई। रास्ते में समीर उससे कल की पार्टी की बात करने लगा तो उसने उसे डाँट  दिया, “तुम भी शराब पीकर बहुत बदतमीज़ी  कर रहें थें। मैं तुम्हारी  गाड़ी में इसलिए बैठी  हूँ कि तुम्हें बता सको कि अब से हमारी दोस्ती खत्म, समझे!!! “अब गाड़ी रोको, मेरा घर आ गया।“ “सोना मेरी बात तो सुनो।“ वह गाड़ी से उतरकार जाने लगी तो उसने सोना का रास्ता रोक लिया, “देखो  सोना !!कल के लिए मैं शर्मिंदा हूँ पर मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।“ उसने समीर को घूरते हुए कहा, “मैं नहीं करती।“यह कहकर, वह वहाँ से निकल निकल गई और समीर का मुंह उतर गया।

 

राधा के कई टेस्ट करने के बाद, डॉक्टर ने उसे अपने कमरे में बुलाया, उसके साथ साथ राधा के माँ बापू  भी अंदर गए।

 

मिस्टर किशोर, राधा के दोनों गुर्दे यानी  किडनी खराब हो चुकी है। यह सुनकर उनके पैरो तले  ज़मीन खिसक गई।

 

हमारी राधा बच तो जाएगी। बृजमोहन ने हाथ जोड़ लिए ।

 

अगर इन्हें कोई किडनी दे दे तो यह बच सकती है। एक किडनी से भी शरीर चल सकता है।

 

आपका बड़ा सा अस्पताल  है, कोई किडनी तो होगी।

 

आप पहले आते, एक किडनी डोनर था हमारे पास !! क्या पहले राधा को बुखार और उल्टियां नहीं हुई  थीं?

 

हुई थी, मगर डॉक्टर ने निमोनिया की दवाई दे दी, उससे वह ठीक हो गयी।

 

यही तो. आपको तभी चेकआप करवाना चाहिए था, वे  दोनों अब झेंप गए। 

 

डॉक्टर आप मेरी किडनी ले लीजिए। किशोर जल्दी से बोला ।

 

ले तो लो, लेकिन .....

 

लेकिन क्या ? डॉक्टर ।

 

किडनी का मैच होना भी बहुत ज़रूरी  है। इस बात की गारंटी  नहीं है कि किडनी  मैच  हो जाएगी। अब बृजमोहन और पार्वती ने भी  कहा कि एक बार उनकी किडनी की भी जाँच  कर लें।

 

“ठीक है, कर लेते हैं।“ अब उन्होंने एक डॉक्टर को बुलाकर, उन तीनों की किडनी राधा से मैच करने के लिए कहा।

 

निर्मला रसोई में  खाना बना रही है, उसके बापू बड़ी  धीरे धीरे किसी से बात कर रहें हैं। जब  वह अपने कमरे में  जाकर बात करने लगें तो निर्मला भी दरवाजे की ओट से उनकी बातें सुनने लगी।

 

सुनो !! दामाद जी तुम अपने पूरे  परिवार  को लेकर आ जाओ और निर्मला को यहाँ से ले जाओ।

 

ठीक है, बापू  जी। मैं अपने छोटे भाई और माँ पिता के साथ परसो निर्मला को लेने आ रहा हूँ।

 

ठीक है बेटा, परसो तुम्हारा इंतज़ार रहेगा।

 

निर्मला को उनकी  बातों  से समझ  आ गया कि  परसो सुनील अपने  पूरे  परिवार  के साथ उसे लेने आ रहा है। वह जल्दी से रसोई में  गई  और गैस  बंद कर बिरजू से मिलने घर से बाहर  निकल गई। ‘अब मैं अपने ही बाप को बोझ लगने लग गई  हूँ कि  वह मुझे कूड़े की तरह कई  भी फेंकने को तैयार  है।‘

 

रात किशोर और राधा के माँ बाप ने अस्तपताल में बिताई। वे लोग तो फिर भी सो गए, मगर किशोर राधा का हाथ पकड़े  उसके बिस्तर के पास बैठा रहा।

दवाई  के असर के कारण  राधा तो गहरी नींद में  सोई  हुई  है ।

 

सुबह कोचिंग में शांतनु सर ने बताया कि इंटरनेट पर एडमिट कार्ड आ गए हैं। इस दफा निहाल ने खुद ही अपना एडमिट कार्ड निकाला और संभालकर अपने पास रख लिया। क्लॉस में सोना कोने वाली सीट पर बैठी हुई है तो नंदन उसके पास आया और उससे बोला, “पीछे क्यों बैठी हो, आगे आ जाओ। नहीं, मैं यही ठीक हूँ। यह सुनकर नंदन वापिस निहाल के साथ आकर बैठ गया।

 

रिमझिम के सेमेस्टर के पेपर शुरू होने वाले हैं। वह उसकी तैयारी में व्यस्त है। उसे लाइब्रेरी में पढ़ता देखकर विशाल  भी उसके पास आकर बैठ गया। उसने मुस्क़ुराते  हुए पूछा, “पेपर के बाद, हम सब घूमने चलेंगे? तुम मना मत करना । रिमझिम ने भी मुस्कुराते  हुए जवाब  दिया, “ठीक है, चलूँगी।“

 

सुबह नाश्ते के बाद, राधा को दवाई दी गई और फिर किशोर और राधा के माता पिता को डॉक्टर ने अपने केबिन में  बुलाया, राधा ने जाते हुए किशोर का  हाथ पकड़कर  पूछा, “मुझे क्या हुआ है?”

 

कुछ  नहीं तू बहुत जल्दी ठीक हो जाएगी।

 

मुझसे झूठ मत बोल, उसकी आँखों  में  आँसू  आ गए। 

 

उसने उसके आँसू पोंछते  हुए कहा, “झूठ  नहीं बोल रहा, बस तेरे गुर्दे ठीक होंगे और कोई बात नहीं है।“

 

अब तीनो डॉक्टर के केबिन में गए तो उन्होंने बताया कि  आपमें  से किसी की भी किडनी  मैच  नहीं करती।

 

“तो इसका मतलब ? राधा ठीक नहीं होगी।“  बृजमोहन ने चिंतित स्वर में पूछा।

अगर राधा को किडनी न मिली तो उसका बचना मुश्किल है। डॉक्टर की यह बात सुनकर किशोर की आँखों में आँसू आ गए। उसे लगा कि लोग तो उसे राधा से अलग नहीं कर पाए, मगर अब भगवान राधा को उससे छीनने में लगे हैं।