नक़ल या अक्ल - 67 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 67

67

बीमार

 

अब इंस्पेक्टर ने निहाल को घूरते  हुए कहा कि “क्यों रे !! तुझे ज़्यादा  चर्बी  चढ़ी  थीं।“ उसने कोई ज़वाब  नहीं दिया पर इंस्पेक्टर ने सबको देखते हुए बोलना ज़ारी रखा, “वैसे तुम सब लोग इंस्पेक्टर बनने की तैयारी कर रहें हो और हरकते तुम्हारी गुंडों जैसी है, इससे अच्छा तो वापिस अपने गॉंव  जाओ, और खेतीबाड़ी देखो। अब सबने मुँह नीचे कर लिया। “अपने माँ बाप को फ़ोन करकर बुलाओ, अभी के अभी ।“ यह सुनकर सबको मानो जैसे साँप  सूंघ गया। निहाल ने हाथ  जोड़कर कहा,

 

सर, माता पिता को मत बुलाए, अगली बार से ऐसी हकरत नहीं होगी।

 

क्यों न बुलाओ!! उन्हें भी तो पता चले कि उनकी औलादें क्या गुल खिला रहीं है।

 

अब राजवीर भी बोल पड़ा, “सर अगली बार ऐसा कुछ नहीं होगा। तभी समीर ने इंस्पेक्टर को देखकर   कहा कि वह उसे फ़ोन करने दें, उसने उसे अनुमति दे दी, फिर उसने किसी को कॉल किया और फ़ोन इंस्पेक्टर को पकड़ा  दिया।  इंस्पेक्टर ने कुछ  देर बात की और फिर समीर अजय, विजय, रघु और सोनाली को जाने दिया गया। सोनाली ने कहा कि वह रिमझिम के बिना नहीं जाएगी तो वे सब उसे छोड़कर  वहाँ  से चले गए। अब नन्हें  को भी कुछ याद आया, उसने अपने दोस्त कमलेश को कॉल  लगाया उसने भी इंस्पेक्टर से बात की और उन चारों भी जाने दिया गया।

 

स्टेशन  से बाहर  निकलते ही निहाल ने नंदन को कहा, “इन्हें  घर छोड़  आ।।“

 

 

यह सब तुम्हारी  वजह से हुआ है। सोनाली ने चिल्लाकर कहा तो निहाल को भी बहुत तेज़ गुस्सा आ गया।

 

सोनाली  अपना मुँह बंद रखो, मुझे पता चल चुका  है कि  मेरी  क्या गलती थीं। मुझे तुम जैसी लड़की पर भरोसा ही नहीं करना चाहिए  था।

 

तुम जैसी से क्या मतलब  है? उसकी की गुस्से में त्योरियाँ  चढ़ गई।

 

तुम्हारी  जैसी गिरगिट  की तरह रंग बदलने वाली। तुम्हारा  बस चलता तो तुम उस समीर के साथ हमबिस्तर  तक हो जाती।

 

निहाल !!! उसने ज़ोर से चाटा  उसके मुँह  पर मार दिया। यह रिमझिम और नंदन भी हैरान है ।

 

मुझे तुम्हें अपना दोस्त कहते हुए शर्म आ रही है। सोना की पलके  भीग गई।

 

“और मुझे तो इस बात पर और शर्म आ रही है कि  मैंने तुम जैसी लड़की से कभी प्यार भी किया था। आज के बाद मुझे अपनी शक्ल  मत दिखाना।“ अब वह तेज़ी से सड़क पर चलने लगा। सोनाली  चिल्लाकर बोली,  “मैं तो तुमसे प्यार ही नहीं करती।“ यह कहते हुए उसकी आँख  से आँसू  बह रहें हैं।

 

नंदन ने उनको उनके कमरे तक छोड़ने के लिए एक ऑटो किया, मगर तब  वहाँ  पर विशाल  आ गया।

 

विशाल तुम यहाँ ? उसने हैरानी से पूछा।

 

जब लड़ाई हुई मैं क्लब में ही था,  मेरे पापा की जान पहचान  है, मैं इंस्पेक्टर  की उनसे बात करवाता हूँ।

 

नहीं,  उसकी ज़रूरत  नहीं है। हम जाने दिया गया है।

 

चलो!! तुम्हें घर छोड़ देता हूँ। रिमझिम ने नंदन को घर जाने के लिए कहा और खुद सोनाली को लेकर उसकी गाड़ी में बैठ गई। सोनाली का मन कर रहा है कि वह फूटफूट कर रोए, मगर उसने खुद को संभाल रखा है।

 

नन्हें पागलों की तरह चलकर, जब थक गया तो सड़क के एक किनारे पर बैठ गया। उसे आज के बारे में  सोचकर सोनाली से नफरत हो रही है। ठीक दो बजे के करीब वह अपने कमरे में  वापिस आया तो देखा कि नंदन सो रहा है। वह भी चुपचाप बिस्तर पर लेट गया और उसने आँखे बंद कर ली और अत्यधिक थकावट के कारण वह सो गया।

 

सुबह का सवेरा अपने समय पर हुआ, सोनाली तो तबीयत का बहाना बनाकर कोचिंग ही नहीं गई। राजवीर समीर और उनके दोस्त भी नहीं आये। सिर्फ निहाल और नंदन आये थे, सब उनसे कल की पार्टी  में हुई लड़ाई के बारे में जानना चाहते थें। मगर उसने सबको यह कहकर पीछे कर दिया कि रात गई, बात गई। नंदन ने भी निहाल का अनुसरण किया।

 

क्लॉस में पहुँचते ही सुधांशु सर ने क्लॉस में प्रवेश किया और बोलना शुरू किया,

 

आप सभी स्टूडेंट्स को पता चल गया होगा कि अगले हफ्ते आपके एग्जाम होने निश्चित हुए है और जिन लोंगो को नहीं पता तो उन्हें मैं बता रहा हूँ कि अगले हफ्ते यानी एतवार को आपका पेपर होगा।

 

सर, यह जल्दी नहीं है? एक स्टूडेंट  ने कहा।

 

बेटा!! यह यही समय पर है, पहले ही तुम्हारे पेपर लीक होने की वजह से काफी नुकसान हो चुका है।  अब तो दुआ करो कि सब अच्छे से निपट जाए। अब उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया।

 

सारा दिन नन्हें ने किताबों के संग बिताया तो रात को भी किताबों से घिरे निहाल ने नंदन के हाथों में दूध पकड़ाते हुए कहा,

 

मुझे पता है कि तू अंदर ही अंदर परेशां हो रहा है।

 

ऐसा कुछ नहीं है।

 

ऐसा ही है, वरना इतना पागलों की तरह मैंने तुझे कभी पढ़ते नहीं देखा।

 

क्यों एग्जाम नहीं है??? उसकी नज़रें अब भी किताबों में है।

 

नन्हें भाई बात करने से मन हल्का हो जाता है। अब नन्हें ने किताबे  एक तरफ की और दूध  पीने  लगा।

 

तुझे सोनाली को ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।

 

उसकी हरकते देखीं थीं। उसने ग़ुस्से में  कहा।

 

उसने कैसी  भी हरकत  की हो, मगर किसी लड़की के बारे में  ऐसे बोलना ठीक नहीं है और यार वो अपनी सोना है, वह भोली है, मासूम  है। उसे अभी अच्छे बुरे की समझ नहीं है।

 

बस बहुत हो गया। उसने दूध का गिलास एक तरफ रखा और गुस्से में  बोला, मुझे सोना से कोई मतलब नहीं है। मुझे बस यह पेपर पास करकर अपने बापू की ज़मीन छुड़ानी है, वो अपनी ज़िन्दगी  में  कुछ  भी करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।  यह कहते हुए वह कमरे से निकल गया।

 

सोनाली को भी रिमझिम से समझया तो उसने भी उसे यही जवाब दिया कि उसे इस बारे में कोई बात नहीं  करनी  है । अब वह किताबें लेकर बैठ गई।

 

अगले दिन समीर और राजवीर की मित्र मण्डली कोचिंग में आई तो उन्हें देखकर बाकी स्टूडेंट्स तरह तरह की बातें करने लगे। कुछ बच्चे तो सोनाली को गलत ठहरा रहें हैं तो कुछ समीर  और राजवीर को आवारा कह रहे हैं । सोनाली ने महसूस किया कि अब तो नंदा और माधुरी ने भी उससे बात करनी बंद कर दी तो अकेले ही वह एक कोना पकड़कर  बैठ गई। नंदन उस देखकर मुस्कुराया तो निहाल ने उसे एक नज़र  देखना भी गंवारा नहीं समझा। कुछ स्टूडेंट्स निहाल को घेरकर  उससे सवाल  पूछ रहें हैं, वह भी उन्हें बताने में मग्न है। राजवीर उसके पास आया तो उसने पहल ही कह दिया,

 

अगर पढ़ने आये हो तो ठीक है, वरना  यहाँ से जा सकते  हो।

 

क्या  सोना !! पढ़ने ही आया हूँ यार !!! अब दोनों पढ़ने बैठ गए। रघु भी वही आ गया और तीनों एक विषय  पर चर्चा करने लगे।

 

किशोर को बृजमोहन ने फ़ोन करके कहा कि “राधा गॉव से बाहर जो अस्तपताल है, उसमे एडमिट है।“ “पर क्यों?” उसकी आवाज में चिंता है। “पहले तुम आ जाओ, फिर बताता हूँ।“ यह सुनकर किशोर अपना सारा काम छोड़कर वहाँ की ओर भागा।