नक़ल या अक्ल - 7 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 7

7

स्वांग

 

कजल को पता ही नहीं चला कि  कब निहाल ने उसकी बात सुन ली और सुनकर  उस लगा  जैसे किसी ने उसको आईना दिखाया हो। नंदन उसे सांत्वना देकर  वहाँ से चला  गया। उसके जाने के बाद उसका परिवार  भी दिलासे देने लगा,  “कोई बात नहीं नन्हें,  इस बार नहीं तो अगली बार  सही। माँ ने उसके सिर पर  प्यार से  हाथ रखकर  कहा तो वहीँ बापू ने भी यही बात  दोहराई कि पहले “सेहत  ज़रूरी है,  बाकी सब तो बाद में  हो ही जायेगा।“ उसने किसी की बात का कोई ज़वाब नहीं दिया। 

 

रात को खाना खाने  के बाद सभी सोने चले गए,  नन्हें  लाठी की मदद से छत पर आया,  हालाकि उसे यह करते वक्त दर्द तो बहुत हुआ,  मगर उसे आराम से ज़्यादा तन्हाई की ज़रूरत है। वह वहाँ बिछी चारपाई पर लेट गया,  आज उसकी आँखों में नींद नहीं है। आज उसका ध्यान चाँद से ज़्यादा तारों पर है। उसे आज आसमान में अपनी उम्मीद का टूटा हुआ तारा नज़र आ रहा है। इस पेपर के लिए मैं कबसे पढ़ रहा हूँ और अब यह दिन आया  तो मेरे साथ यह हो गया। जब तक इंसान बेबस नहीं होता,  उसे ज़िन्दगी का समझ ही नहीं आता,  आज मेरी  हालत भी कुछ ऐसी ही है। उसने तड़पते हुए एक करवट  लीं और कितनी देर तक विचारों का बवंडर उसके मन में उफ़ान लेता रहा और इन्हीं के बीच उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।

 

 

अगली सुबह सोनाली किताबों से घिरी बैठी है,  उसे भी कही न कहीं नन्हें के पेपर ने दे  पाने का दुःख  हो रहा है। मगर वह कर भी क्या सकती है। तभी रिमझिम ने उसके कमरे में  प्रवेश किया,  उसके हाथ में  भी किताबें है,  मगर वह पुलिस की नहीं, बैंक में निकली क्लर्क की नौकरी के लिए तैयारी कर रही  है।  उसने सोना को मायूस देखा तो उससे पूछने लगी,  “क्या हुआ, सब ठीक तो है?” “ हाँ सब ठीक है, मैं सोच रही थी कि कैसे एक पल में  ज़िन्दगी हमारे साथ क्या  से क्या कर देती है ।“ “तू  नन्हें की बात कर रहीं है?” “ हम्म !! हाँ बुरा तो मुझे भी लग  रहा है,  मगर कर भी क्या सकते हैं।“

 

वही दूसरी  और राजवीर और उसके दोस्त ख़ुश नज़र आ रहें हैं। “बेचारा नन्हें,  अब पेपर तो गया!!” यह कहकर राजवीर ज़ोर से हँसा।  “राज ! एक बात बता,  कहीं  कहीं तूने ही तो उस राजवीर की टाँग नहीं तुड़वाई। हरिहर ने मुस्कुराते हुए पूंछा। राजवीर ने उस एक लात  मारते हुए जवाब दिया,  “बकवास बंद कर,  यह न हो कि मैं  तेरी टाँग  तोड़  दूँ।“ हरिहर खिसया गया। अब राजवीर भी दोस्तों से घिरा पढ़ाई करने की एक नाकाम सी कोशिश करने लगा। पेपर तो उसे भी निकालना है, मगर  इतनी पढ़ाई उससे नहीं होती,  यह बात उसे भी  पता है।

 

राधा  के बापू  निहाल का  हालचाल पूछने आए तो उन्होंने उन्हें बताया कि राधा को निमोनिया हो गया है। किशोर ने सुना तो उसे उस दिन नदी  में छुपने वाली बात  याद  आ  गई।  उसका दिल राधा को देखने के लिए तड़प  उठा। उसने बड़ी हिम्मत करकर बृजमोहन को कहा,  “आप  बुरा न माने तो मैं  राधा को एक बार  आपके घर आकर  देख लूँ।“ “नहीं दामाद जी,  हमारे यहाँ, दामाद का शादी से पहले आना अच्छा  शगुन नहीं माना जाता,  दवाई दे रहें हैं, कुछ दिनों में  ठीक हो जाएगी।“ उनकी बात  सुनकर  उसकी त्योरियाँ  चढ़  गई। “पता नहीं, यह  बुड्ढा किस  दुनिया से आया है।“ निहाल ने उसके  चेहरे के हाव भाव  पढ़ लिए। निहाल  को पता  है  कि  भले ही यह शादी कोई प्रेम विवाह नहीं है,  मगर उसका भाई किशोर राधा से बहुत प्रेम करता है। उनके जाने के बाद,  किशोर ने मन  ही मन  कहा कि “राधा से मिलने का कोई  न कोई इंतजाम  तो कर ही लूँगा।“

 

 

शाम का समय है,  निहाल  नदी  के पास  बने  एक पेड़ के नीचे बैठा,  पढ़ाई कर रहा है कि  तभी सोनाली भी हाथ में किताबें लिए वहीं आ जाती है।  “नन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा,  थोड़ी मदद कर दोंगे।“  “क्यों नहीं?”  उसने अब सोनाली को उसके पूछे गए सवाल बताना  शुरू कर दिया।  सोनाली भी बड़े ध्यान से समझ रही  है।  अब सवाल  समझाने के बाद,  उसने उसकी तरफ देखते हुए कहा,

 

सोना! खूब मन लगाकर पढ़ाई करना ताकि इस पेपर में पास हो जाओ।

 

हम्म !! पढ़ तो रही  हूँ।  वैसे तुम्हारा पैर कैसा है?  उसने उसके प्लास्टर लगे पैर की तरफ देखते हुए पूछा।

 

जो भी है, तुम्हारे सामने है। उसने  गहरी साँस छोड़ते हुए कहा। 

 

मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा है कि तुम पेपर नहीं दे पाओगे।

 

उसने अब उसकी आँखों  में  झाँकते हुए कहा,  “मैं हार मानने वालों में से नहीं हूँ ।  मैं अपने सपनों के साथ  समझौता नहीं कर  सकता।“  सोना अब उसकी तरफ सवालियाँ नज़रों  से देखने लगी कि तभी वहाँ पर सोमेश भी आकर बैठ गया और पूछने लगा,  “भैया!! क्या आप पेपर देने जाओंगे?  “बिल्कुल  जाऊँगा।“ अब सोनाली भी उसे हैरानी से देखने लगी। मगर वह उसे मुस्कुराता हुआ ही देखता जा रहा है।

 

पर  कैसे ??

 

मुझे नहीं पता,  मगर मेरे पास अभी भी बीस दिन है,  कोई न कोई बंदोबस हो ही जायेगा।

 

सोच लो।

 

पुलिस की नौकरी में शरीर भी ठीक  होना चाहिए।  सिर्फ पेपर पास करने से कुछ नहीं होता।  सोना ने उसे घूरा।

 

तुम्हें मेरी फ़िक्र करते देख, अच्छा लग रहा है।  वह मुस्कुराया तो वह सकपका गई।

 

हम एक ही गॉंव के है,  इसलिए थोड़ी बहुत फ़िक्र करना तो बनता है।  सोनाली ने नज़रे चुरा लीं।

 

 

गॉंव के दर्ज़ी की दुकान पर खड़ा किशोर वहाँ लटके एक लहँगा चोली को देख रहा है। फिर वह उसे कुछ पैसे पकड़ाकर, लहंगा चोली यह कहकर ले गया कि अम्मा ने मँगवाया है। मगर  वह ख़ुद लहँगा चोली डाले,  राधा के घर की तरफ चलता जा रहा है।  उसे डर भी लग रहा कि कहीं उसकी इस बचकानी हरकत का राधा के परिवार को पता चल गया तो उसकी खैर नहीं !! मगर अपने अंजाम से अनजान राधा से मिलने की तड़प, उसे निडर बनने पर मजबूर कर रही है।  अब वह राधा के घर के नज़दीक  पहुँचा तो उसने अपना मुँह दुप्पटे से ढक लिया। मगर अब वह सोच रहा है कि ‘अंदर किस बहाने से घुसे, आख़िर उसकी आवाज़  तो मरदाना ही है।‘  तभी उसे कोई पीछे से आवाज़ लगाता है,  “किशोर! यह सब क्या है???”  अपना नाम सुनकर उसे लगा कि ‘लो पहले ही सारी पोल  खुल गई।‘