बेखबर इश्क! - भाग 18 Sahnila Firdosh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेखबर इश्क! - भाग 18

विवेक के पूरी बात सुनने के बाद इशांक ने पलट कर कनिषा को एक नजर देखा,उससे काफी दूर खड़ी वो लगातार हर्षित को घूर रही थी,विवेक की नजरों को पीछा करते हुए इशांक ने देखा.... कनिषा और हर्षित एक दूसरे को ऐसे घूर रहे थे...जैसे दोनो आंखो से ही गोली चला रहे हों,,एक लंबी सांस को भरते हुए इशांक ने विवेक के हाथ से पेन लिया और खुद में ही बड़बड़ाया...."क्या बचपना है, पता नही मैं तुम्हारी बात क्यों माना रहा हूं!"

इशांक का ध्यान कहीं और देख विवेक ने कनीषा को पास आने का इशारा किया और बोला...."आपको भी साइन करना होगा!"

"हम्म्म कहां करना होगा, मिस रेवीका के असिस्टेंट ने तो कहा था की सिर्फ मिस्टर सीईओ के ही साइन लगेगा!"... कनिषा ने कहा,जिस पर बहाना देते हुए विवेक ने तुरंत जवाब दिया...."आपको चुनते हुए मैने कुछ शर्ते रखी थी, आप उन्हे तोड़ ना दे, इसलिए आपको भी साइन करना होगा।।....."कहते हुए विवेक ने पेपर को ऐसे पकड़ा की उस पर लिखा "कॉन्ट्रकैट मैरेज" उसके हथेली के नीचे दब गया।।

"पहले आप मिस कनिषा!"....

"ओके"....कहते हुए कनिषा ने अपने बैग से पेन निकाला और अगले ही पल उस पर साइन कर दिया,उसके साइन होते ही विवेक ने इशांक की ओर देखा और पलकों को झपका कर साइन करने के लिए प्रेशर डालने लगा,जिस पर कुछ हेजिटेट करते हुए ही सही लेकिन इशांक ने भी पेपर पर साइन कर दिया।।

साइन लेने के तुरंत बाद कनिषा ने सभी को धन्यवाद किया और पेपर जमा करने के लिए विवेक से मांगने लगी,जिस पर विवेक ने कहा....."मैं ही चेक करता हूं,आप जा सा सकती हो,महीने की पहली तारीख को ज्वाइन कर लेना!"

"ओके,अब मैं चलती हूं,आपका शुक्रिया मिस्टर विवेक"....इतना कह कनिषा ने अपना बैग संभला और उसे कंधे से लटकाते हुए वहां से चली गई।।

उसके जाते ही हर्षित ने इशांक की ओर पेपर बढ़ाया और कहा....."पेपर तो मैंने बना दिया,लेकिन साइन करने के लिए लड़की कहा से लायेंगे?"

"तुम दोनो मिल कर यही सवाल पूछते रहोगे या किसी लड़की का इंतजाम करोगे??"....इशांक कर्कश भाव से बोला,ओर दोनो को कटाक्ष निगाहों से एक नजर देख अपने चेयर पर बैठ गया,अपनी बताई शर्तों को पढ़ने के लिया इशांक ने जैसे ही अपनी नजरे पेपर की ओर घुमाई उस पर कनिषा की छोटी सी फोटो दिखाई देने लगी,थोड़ा और नीचे जाने पर उसे यकीन हो गया की ये कॉन्ट्रैक्ट पेपर नही,बल्कि कनीषा का रिज्यूम और ज्वाइनिंग लेटर है।।

"ये क्या है?".... इशांक ने पेपर को तेजी से पलटते हुए कहा।।

"क्या हुआ सर,कुछ गलत है कॉन्ट्रैक्ट में?".....हर्षित आगे आते हुए बोला,वहीं विवेक ने चुपके से अपने हाथ में लिए कॉन्ट्रैक्ट पेपर को ईशांक के टेबल पर एक और रख दिया।।

"तुमने मुझे कौन से पेपर दिए हैं,देने से पहले चेक भी नही किया क्या?क्या मैं तुम दोनो के लिए मजाक हूं,या फिर मेरी सिच्चवेशन का मजाक बना रहे हो?"...टेबल पर अपने हथेलियों को पटकने से पहले इशांक झल्लाते हुए खड़ा हुआ।।

इशांक की आंखो में गुस्से को तैयार देख हर्षित तेजी से लपका और उसके आगे से पेपर उठाते हुए देखने लगा...."ये तो उसी लड़की का रिज्यूम और ज्वाइनिंग लेटर है,जिस पर वो अभी अभी साइन कर के"....कहते हुए अचानक उसका दिमाग वहां पहुंच गया, जब ऑफिस के एंट्रेंस पर उसकी टक्कर कनिषा से हुई थी और दोनो के हाथ से पेपर नीचे गिर गया था,इसका साफ मतलब यही था की दोनो ने एक दूसरे का पेपर उठा लिया था,अपने माथे को पीटते हुए हर्षित ने पेपर्स को वापस टेबल पर रखा और हकलाई से आवाज में विवेक से बोला...."वो पेपर जिस पर इशांक सर और उस लड़की ने साइन किया,वो दिखना जरा!"

"क्यों...क्या हुआ?"...विवेक ने अनजाने अंदाज में पूछा और बनावटी रूप से अपनी भौंहैं उछाल दी,पेपर लेकर हर्षित की ओर बढ़ाते हुए उसने फिर कहा...."अब ये मत कहना की कनिषा और तुम्हारा पेपर एक्सचेंज हो गया!"

"क्या?"....अपने चेयर के आगे खड़ा इशांक चौंक भी पता उससे पहले ही हर्षित सिर पर हाथ रखे सामने के चेयर पर बैठ गया....."ये क्या मुसीबत है...वो साइन किया हुआ पेपर ही कॉन्ट्रैक्ट मैरेज का पेपर है!"

उसकी बात पर गौर किए बिना इशांक तेजी से विवेक की ओर चला और उसके हाथ से पेपर छीनते हुए उस पर लिखे शब्दों को पढ़ने लगा,,कुछ जो सेकंड में उसे समझ आ गया की उसके लीगल मैरेज कॉन्ट्रैक्ट पर जिस लड़की ने साइन किया है वो कोई और नही बल्कि कनिषा है,अपने और उसके साइन पर दो मिनट तक देखते रहने के बाद अनायास ही वो कानफोड़ू आवाज के साथ चिल्लाया......"अब मेरे साथ इतना बुरा नही हो सकता,मैं पागल हो जाऊंगा!"

"सर!आप रिलैक्स हो जाइए,हम दूसरा पेपर बनवा लेंगे!"....उसके अनियंत्रित तरीके से बढ़ते गुस्से को भाप कर विवेक ने शांत करने की कोशिश की,तभी चेयर पर बैठे,सिर पकड़े हर्षित ने हारी सी आवाज में कहा....."नही बनवा सकते!"

आहिस्ते से इशांक के हाथ से पेपर लेते हुए विवेक ने पूछा...."क्यों?हम इसे फाड़ कर फेंक देते है और दूसरा बनवा लेते हैं!"

"इस पर कोट के लीगल टीम ने अपना मोहर लगाया था,कल गणेश पूजा है, तो कोट बंद ही रहेगा,परसो शनिवार है तो... हॉफ डे ही काम होगा,उसमे भी ये साइन करवाना पॉसिबल ही नही है,और उसके अगले दिन रविवार हैं,इसलिए उस रोज भी कोई चांस नही है,अगर हमने कल शाम तक इस पेपर को विक्रम को नही दिखाया तो अपने आप ही सब कुछ आदित्या मेहरा के नाम पर हो जायेगा!"......हर्षित ने कहा जिस पर इशांक का गुस्सा और अधिक भड़क गया,,अपने सामने रखे कुर्सी पर जोरदार लात मरते हुए वो हर्षित के सामने झुका और चिल्लाया....."तो तुमने मुझे बर्बाद करने का सारा इंतजाम कर रखा है,तुम जानते हो की क्या कह रहे हो,मेहरा से हाथ मिला लिया है क्या?ये पेपर उस लड़की के पास कैसे गया??"

"सर,आते हुए हम दोनो टकरा गया थे,और शायद उसकी वक्त हमारे पेपर्स बदल गए होंगे,मैं क्यों मेहरा से हाथ मिलाऊंगा?".....

"शट अप,,अभी से दो घंटे का वक्त देता हूं तुम दोनो को,किसी भी तरह इस मुसीबत से बाहर निकलने का प्लान बना कर लाओ,इतनी दूर आने के बाद मैं मेहरा से हार नही सकता!".....इशांक फिर से चिल्लाया और अगले ही पल दरवाजे की ओर बढ़ उसे खोल कर विवेक और हर्षित की ओर घूरने लगा।।

उसके गुस्से से भरे इशारे को समझ विवेक और हर्षित ने अपना सिर नीचे किया और चुप चाप केबिन से निकल गए,उनके पीछे इशांक ने बड़ी हो जोरदार धक्के के साथ दरवाजे को बंद किया,और दरवाजे के ठीक बगल में रखे एक आधे अधूरे रोबोट को नीचे फर्श पर पटक दिया....."मैं नही हार सकता,किसी भी हाल में मुझे मेहरा की प्रॉपर्टी में घुसना ही होगा,लेकिन मैं उस बत्तमीज लड़की को कभी अपनी दुल्हन नही बनने दूंगा,एक साल तो दूर की बात है,एक सेकंड के लिए मैं उसे अपनी पत्नी के रूप में नहीं देख सकता।।