अधूरा जंगल एक रहस्य_भाग-२ Abhishek Chaturvedi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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अधूरा जंगल एक रहस्य_भाग-२

इस भाग में जारी है.......

जंगल का खेल

तीनों दोस्तों ने महसूस किया कि वे एक अजीब और भयावह खेल में फंस चुके हैं। निधि के हाथ में चिपकी हुई गुड़िया ने अब उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया था। जितना वे गुड़िया को छोड़ने की कोशिश करते, वह उतना ही निधि की उंगलियों से चिपकती जाती। अब वे समझ चुके थे कि इस जंगल में कुछ ऐसा है जो उनके साथ खेल रहा है, और यह खेल उनके जीवन से जुड़ा हुआ था।

वे जंगल के भीतर और गहराई में जाने लगे, इस उम्मीद में कि शायद उन्हें कोई रास्ता मिल जाए। लेकिन जितना वे आगे बढ़ते, जंगल उतना ही घना और डरावना होता जाता। उन्हें आसपास की हवा में एक भारीपन महसूस होने लगा, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने पूरा वातावरण अपने नियंत्रण में ले लिया हो।

चलते-चलते उन्हें एक पुराना और जर्जर हवेली दिखाई दी, जो पेड़ों और झाड़ियों से घिरी हुई थी। हवेली का दरवाजा खड़खड़ा रहा था, जैसे उसे कोई अदृश्य शक्ति खोलने की कोशिश कर रही हो। दरवाजे के ऊपर एक पुरानी तख्ती लगी थी, जिस पर धुंधले अक्षरों में लिखा था: "दर्पणों का घर"। 

मोहित ने दरवाजे की ओर इशारा करते हुए कहा, "हमें अंदर जाना चाहिए। शायद यहाँ हमें कुछ सुराग मिले कि यह सब क्या हो रहा है।"

अरुण ने हिचकिचाते हुए हामी भरी, और तीनों ने धीरे-धीरे उस हवेली के अंदर प्रवेश किया। हवेली के अंदर का माहौल बहुत ही अजीब और भयानक था। चारों ओर बड़े-बड़े दर्पण लगे थे, जिनमें उनका प्रतिबिंब विकृत और भयावह दिखाई दे रहा था। हर दर्पण में उनकी अलग-अलग शक्लें थीं, और वे उनकी आंखों में गहरी नफरत और दु:ख दिखा रही थीं। 

अचानक, एक दर्पण के भीतर से एक परछाई निकली और निधि के सामने आकर खड़ी हो गई। वह परछाई बिल्कुल निधि जैसी दिख रही थी, लेकिन उसकी आँखें लाल थीं और चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी। उसने निधि की ओर देखकर कहा, "तुम्हारे पास जो गुड़िया है, वह इस खेल की कुंजी है। यह तुम्हें यहां से बाहर निकाल सकती है, लेकिन अगर तुमने इसे गलत तरीके से इस्तेमाल किया, तो तुम्हारी आत्मा हमेशा के लिए इस जंगल में कैद हो जाएगी।"

निधि ने डरते हुए पूछा, "तुम कौन हो? और यह सब क्या हो रहा है?"

परछाई ने हँसते हुए जवाब दिया, "मैं वही हूँ, जो तुम्हारे अंदर छिपी हुई है। मैं तुम्हारा दूसरा चेहरा हूँ—तुम्हारे डर, तुम्हारी कमजोरियाँ, तुम्हारी गलतियाँ। यह जंगल तुमसे खेल रहा है, लेकिन अंततः तुम ही अपने भाग्य का निर्धारण करोगी।"

इतना कहकर परछाई दर्पण में वापस समा गई। अचानक, हवेली की दीवारों से अजीब आवाजें आने लगीं—जैसे कोई औरत जोर-जोर से रो रही हो, या कोई बच्चा हंस रहा हो। तीनों ने महसूस किया कि इस हवेली में कुछ बहुत बुरा हो चुका है, और अब यह उनके साथ भी हो सकता है।

अचानक, हवेली का दरवाजा जोर से बंद हो गया, और हर दर्पण के भीतर से भयानक आकृतियाँ निकलने लगीं। वे आकृतियाँ उन पर हमला करने के लिए बढ़ने लगीं। अरुण ने चिल्लाकर कहा, "हमें यहाँ से बाहर निकलना होगा!"

मोहित ने देखा कि हवेली की एक खिड़की थोड़ी खुली हुई थी। वह तेजी से उस खिड़की की ओर भागा, लेकिन जैसे ही उसने खिड़की को खोलने की कोशिश की, उसे महसूस हुआ कि वह अब बाहर नहीं, बल्कि किसी और जगह पर देख रहा था। खिड़की के बाहर का दृश्य बदल चुका था—वह अब जंगल नहीं, बल्कि एक अंधकारमय समुद्र था, जिसमें बड़े-बड़े लहरें उठ रही थीं और उनमें कुछ डरावनी आकृतियाँ दिखाई दे रही थीं।

अरुण ने जल्दी से निधि की ओर देखा और कहा, "उस गुड़िया को देखो! शायद उसमें ही कोई सुराग हो।"

निधि ने गुड़िया को ध्यान से देखा, और उसके पैरों के नीचे एक छोटा सा कागज का टुकड़ा निकला। कागज पर एक मंत्र लिखा हुआ था, लेकिन वह भाषा इतनी प्राचीन और अजीब थी कि उसे समझना मुश्किल था। लेकिन जैसे ही निधि ने उस मंत्र को पढ़ना शुरू किया, हवेली के भीतर की सारी आवाजें अचानक बंद हो गईं, और एक तेज़ रोशनी चारों ओर फैल गई।

उस रोशनी ने हवेली के सारे दर्पणों को चकनाचूर कर दिया, और सारी डरावनी आकृतियाँ गायब हो गईं। हवेली का दरवाजा धीरे-धीरे खुलने लगा, और बाहर की ठंडी हवा अंदर आने लगी। तीनों दोस्तों ने समझ लिया कि यह मंत्र ही उनकी मुक्ति का साधन था, लेकिन वे अब भी नहीं समझ पा रहे थे कि यह सब कैसे हो रहा था और क्यों।

जब वे हवेली से बाहर निकले, तो उन्हें महसूस हुआ कि जंगल अब और भी ज्यादा घना और डरावना हो चुका है। हर पेड़, हर झाड़ी, और यहाँ तक कि हवा भी अब और ज्यादा अजीब लग रही थी। 

लेकिन यह खेल अब भी खत्म नहीं हुआ था। यह तो केवल शुरुआत थी। 

जैसे ही उन्होंने आगे बढ़ने की कोशिश की, अचानक उन्हें महसूस हुआ कि उनके पैरों के नीचे की जमीन हिलने लगी है। जमीन के नीचे से गहरी आवाजें आने लगीं, जैसे कोई जीवित चीज वहाँ छिपी हो। और तभी, एक बड़ा सा दरार खुल गया, और वे तीनों उसमें गिरने लगे।

अगले पल, वे खुद को एक गहरे कुएँ में पाए। कुएँ की दीवारें खून से सनी हुई थीं, और नीचे से एक अजीब सी गंध आ रही थी। वे अब एक नई दुविधा में थे—इस बार न तो कोई रास्ता था, न ही कोई प्रकाश। केवल अंधकार और मृत्यु का भय था। 

इस कुएँ से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। वे समझ गए थे कि "अधूरा जंगल" के इस खेल में उनकी ज़िन्दगी की डोर अब उस गुड़िया के हाथों में थी, जो निधि के पास थी। 

एक अजीब सी शक्ति अगले भाग में जानें.....
भाग 3: गुड़िया की शक्ति

(अगले भाग में...)