अधूरा जंगल एक रहस्य_भाग-५ Abhishek Chaturvedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • जंगल - भाग 1

    "चलो " राहुल ने कहा... "बैठो, अगर तुम आयी हो, तो मेमसाहब अजल...

  • दीपोत्सव

    प्रभु श्री राम,सीता जी और लक्ष्मण जी अपने वनवास में आजकल दंड...

  • बैरी पिया.... - 47

    शिविका जाने लगी तो om prakash ne उसका हाथ पकड़ लिया ।" अरे क...

  • राइज ऑफ ज्ञानम

    ज्ञानम (प्रेरणादायक एवं स्वास्थ्य ज्ञान)उपवास करने और मन्दिर...

  • नक़ल या अक्ल - 74

    74 पेपर चोरी   डॉक्टर अभी उन्हें कुछ कहना ही चाहता है कि तभी...

श्रेणी
शेयर करे

अधूरा जंगल एक रहस्य_भाग-५

अधूरे जंगल का अन्तिम रहस्य....


जंगल से बाहर आने के बाद, तीनों दोस्त एक घोर थकान से जूझ रहे थे। उनका शरीर मानो टूट चुका था, और उनका मन अधूरे जंगल के उन भयानक दृश्यों से उबर नहीं पा रहा था। उन्होंने सोचा कि शायद वे अब सुरक्षित हैं, लेकिन उनके अंदर एक डर अब भी बाकी था—क्या यह सचमुच खत्म हो गया था?


निधि ने गुड़िया को गौर से देखा। वह अब बिल्कुल सामान्य लग रही थी, लेकिन निधि के दिल में एक बेचैनी थी। उसे ऐसा लग रहा था कि इस गुड़िया में अब भी कुछ ऐसा है, जो वह समझ नहीं पा रही है। मोहित और अरुण ने भी महसूस किया कि इस गुड़िया को साथ रखना सुरक्षित नहीं है।


"हमें इस गुड़िया से छुटकारा पाना चाहिए," मोहित ने सुझाव दिया। "यह अब भी हमारे लिए खतरा हो सकती है।"


निधि ने कुछ देर सोचा, फिर उसने सहमति में सिर हिलाया। उन्होंने शहर के एक पुराने मंदिर का रुख किया, जहाँ पुरानी और रहस्यमय चीज़ों को रखने की व्यवस्था थी। वहाँ पहुँचकर उन्होंने मंदिर के पुजारी से संपर्क किया और उन्हें सब कुछ बता दिया। 


पुजारी ने गुड़िया को ध्यान से देखा और कहा, "यह कोई साधारण गुड़िया नहीं है। इसमें उस जंगल की आत्माओं की शक्ति है, जो हमेशा के लिए सोई रहनी चाहिए। इसे यहाँ रखने से वह शक्ति नियंत्रित हो सकती है। लेकिन याद रखो, तुम्हें इसे कभी भी दोबारा नहीं देखना चाहिए।"


पुजारी ने गुड़िया को मंदिर के गर्भगृह में ले जाकर एक बंद बक्से में रखा और उसे मंत्रों से सील कर दिया। तीनों दोस्तों ने राहत की सांस ली, लेकिन उनके अंदर अब भी एक डर था—क्या वे सचमुच इससे मुक्त हो गए थे?


समय बीतता गया। कुछ महीने बाद, अरुण, मोहित, और निधि ने अपनी जिंदगी को फिर से सामान्य करने की कोशिश की। वे अब भी अधूरे जंगल के उस अनुभव को भुला नहीं पाए थे, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का साथ देकर अपने डर पर काबू पाने की कोशिश की।


एक दिन, निधि अपने घर के दरवाजे पर एक अजीब सी दस्तक सुनती है। जब उसने दरवाजा खोला, तो उसके सामने एक छोटी सी बच्ची खड़ी थी। बच्ची के हाथ में वही गुड़िया थी, जिसे उन्होंने मंदिर में छोड़ दिया था। 


निधि का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने बच्ची से पूछा, "तुम्हें यह गुड़िया कहाँ से मिली?"


बच्ची ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह गुड़िया मुझे जंगल में मिली। वहाँ कोई इसे छोड़कर चला गया था। मुझे यह बहुत प्यारी लगी, तो मैं इसे घर ले आई। लेकिन अब यह गुड़िया बोलने लगी है। उसने कहा कि वह आपको जानती है।"


निधि का शरीर ठंडा पड़ गया। उसने जल्दी से बच्ची से गुड़िया ले ली और उसे भीतर ले गई। गुड़िया की आँखें फिर से चमकने लगीं, और उसके चेहरे पर वही शैतानी मुस्कान वापस आ गई थी।


निधि ने महसूस किया कि अधूरे जंगल का खेल अब भी जारी था। जो कुछ भी उन्होंने देखा और अनुभव किया, वह सब खत्म नहीं हुआ था। गुड़िया अब भी जीवित थी, और उसका रहस्य अब भी अनसुलझा था। 


तीनों दोस्तों ने महसूस किया कि अब उन्हें एक बार फिर उस भयानक जंगल का सामना करना पड़ेगा, और इस बार उन्हें इस खेल का अंत करना होगा। उन्हें समझ आ गया कि अधूरा जंगल उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा, जब तक कि वे इस शापित गुड़िया का रहस्य पूरी तरह से उजागर नहीं कर देते।


उन्होंने फिर से जंगल का रुख किया, लेकिन इस बार वे तैयार थे। अब वे जानते थे कि उन्हें किससे लड़ना है और कैसे लड़ना है। लेकिन क्या वे इस बार उस भयानक शक्ति को हमेशा के लिए खत्म कर पाएंगे, या फिर अधूरा जंगल उन्हें फिर से निगल लेगा?


अधूरे जंगल का अन्तिम संघर्ष

(अगले भाग में…)