शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 17 Kaushik Dave द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 17

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल "( पार्ट -१७)

माँ को प्यारी बेटी, पिता को समझने वाली बेटी, 

दुनिया की सारी रस्में बेटी निभाती है, 

आदि व्याधि उपाधि में, बेटी ही काम आती है, 

तुम दोनों कुलों को उजागर करने वाली 

माता-पिता की सयानी बेटी हो 
सारे जीवन चक्र के पीछे बेटियां होती है 
....


शुभम अपनी बेटी प्रांजल के साथ फोन पर बातचीत करती है।
बात बात में बताती है कि पापा आप शादी कर लो। पीछली अवस्था में आप को सहारा मिल जायेगा।
और मेरी पहली पसंद रूपा आंटी है।

अब आगे....
यह सुनकर शुभम के मुख पर रोनक आ गई। सोचने लगा कि शायद रूपा इसी बारे में बातचीत करना चाहती होगी। शायद प्रांजल ने रूपा को शादी के लिए समझाया होगा। लेकिन इस उम्र में शादी करना अच्छा नहीं है। प्रांजल शादी करके चली जाएगी। लोग बोलेंगे कि संतानों की शादी की उम्र है और पिताजी रंगरेलियां के लिए शादी करने को तैयार हो गये होंगे।

शुभम:-' बेटा, मैं इस उम्र में शादी नहीं करना चाहता। एक समय था जब रूपा और मैं एक दूसरे से प्यार करते थे। लेकिन वो कालेज के जमाने की बातें हैं। तेरी मम्मी से शादी करने के बाद मैंने इस बारे में सोचा नहीं है।'

प्रांजल:-' पापा, मेरी बातें ध्यान से सुनिए और गौर करें। देखो आप परितोष की वज़ह से शादी करना नहीं चाहते तो मैं आपको बता दूं कि मैं ने परितोष के साथ इस बारे में बातचीत की थी। उसको एतराज नहीं है। परितोष को भी रूपा आंटी पसंद है। एक मम्मा की तरह हमें प्यार करती है। रूपा आंटी भी कुंवारी हैं। मेरा कहना यह है कि अगर आपको रूपा आंटी आज भी पसंद हैं, तो उनसे शादी कर लो और तुम्हें चिंता नहीं होगी। मुझे रूपा आंटी का स्वभाव पसंद है, एक अच्छी मां की तरह ट्रीट करती है। आंटी भी आपको चाहती है इसलिए तो आप के लिए अकेली जिंदगी जी रही है। शायद वह आपका इंतजार कर रही होगी। आप कब अपने दिल की बातें बतायेंगे। आप शादी कर लो तो मुझे कोई एतराज़ नहीं है। मेरी पहली पसंद रूपा आंटी है।"

डॉक्टर शुभम:-" मैं रूपा के साथ कॉलेज में था। तब से हम दोस्त हैं। आज भी हम बातचीत करते हैं और जरूरत पड़ने पर मिलते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं इस उम्र में उससे शादी करूंगा?मैं एक विधुर हूं और रूपा अविवाहित है। अब यह मेरे लिए संभव नहीं है।"

प्रांजल:-"  क्यों संभव नहीं है? एक बेटी अपने पिता की शादी कराने के लिए तैयार है,जो पिता अपनी पहली पसंद के साथ शादी कर नहीं पाये थे।। वह भी उसके पसंदीदा चरित्र के साथ। आपको मेरी बात माननी होगी। मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से आकर बात करूंगा। आपकी जो भी समस्या होगी हम उसका समाधान करेंगे। .तो फिर तुम तैयार हो जाओ!''

डॉक्टर शुभम:- "मैंने इस बारे में नहीं सोचा है।"

प्रांजल:-" तो सोचो। अब सोचना हम बच्चों का काम है। आप अपने मन की बातें हमसे शेयर नहीं करते। आप बातचीत करते हैं लेकिन एक पाप की तरह। आपके दिल में कई दर्द छुपे है। मुझे मालूम है कि आप रूपा आंटी से ज्यादा बातें शेयर करते हैं।और करना ही चाहिए क्योंकि वही है जो आपके दिल को अच्छी तरह से समझती है।मुझे तुमसे एक बात कहना भूल गई हूं ।मेरे साथ मेरी एक फ्रेंड भी आ रही है। हम एक-दूसरे की को अपने मन की बातें साझा करते हैं। मन की बातों के लिए एक हमदर्द साथी की जरूरत होती है।"

शुभम:-' तुम बहुत समझदार हो गई हो लेकिन यह तो बताओ तुम्हारी फ्रेंड लेडिज है या जेन्ट्स। इस उम्र में अक्सर लड़कियां प्रेम पात्र खोजतीं रहती है।'

प्रांजल:-' पापा,अब भी आप नहीं समझें। एक बच्चे की तरह हैं। वो मेरी सखी है सखा नहीं। सो लड़की ही मेरी फ्रेंड है। यदि अच्छा लड़का खोजा होता तो मैं आपको तुरंत फोन करके बता देती। मेरी सखी मेरे साथ हमारे घर आने वाली है। वह समझदार है और आपको भी शादी के बारे में बातचीत करेगी और कहेंगी कि अंकल आप आंटी से शादी कर लो। मैंने आपकी और रूपा आंटी की लवस्टोरी बताईं थी। पापा, मुझे माफ़ करना। मैंने सही किया है या नहीं वो मुझे पता नहीं लेकिन मेरी जिम्मेदारी है कि आप को शादी के लिए मानसिक रूप से तैयार कर दूं।'

डॉक्टर शुभम:- "बेटा, तुम अपने दोस्त को सब कुछ बताती हो? मगर घर की कुछ निजी बातें नहीं बताई जातीं। तुम्हारी दोस्त आएगी तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। जब तुम आओगी तब हम इस बारे में चर्चा करेंगे। लेकिन उसका नाम क्या है?" तुम्हारी दोस्त? वह कहाँ है? अगर आप किसी को दोस्त बनाते हैं तो उसके बारे में जानना जरूरी है। दुनिया में किसी पर भी भरोसा करने से पहले बहुत सोचना जरूरी है।"

प्रांजल:-"पापा, मैं सारी बातें शेयर नहीं करती। मुझे यह भी पता है कि घर की निजी बातें सामने नहीं आनी चाहिए। मेरी दोस्त का स्वभाव बहुत अच्छा है। मेरी दोस्त का नाम दिव्य कल्याणम है। मैं उसे अच्छी तरहसे जानती हूं। हमारे घर पर सिर्फ एक दिन के लिए ही  आयेंगी।शहर में ही उनकी एक मौसी का घर है, उन्हें वहां चार-पांच दिन रुकने वाली है।”
( आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे