इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें......….................🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
राजकुमार लाल पहाड़ी से उत्तर दिशा की ओर उतरने लगा । थोड़ी देर बाद राजकुमार लाल पहाड़ी से उतरकर जलाशय के नजदीक पहुंच गया । जो सागरिका का निवास स्थान था।
राजकुमार जब जलाशय के पहुंचा था । तब जलाशय के पानी का रंग लाल था । राजकुमार जलाशय में तभी प्रवेश कर सकता था जब जलाशय के पानी रंग नीला हो ।
राजकुमार जलाशय के किनारे बैठकर पानी को नीले रंग में बदलने का इंतजार करने लगा । राजकुमार को बैठे काफी देर हो गए लेकिन पानी का रंग नही बदला ।
तभी अचानक राजकुमार के दिमाग में एक खुरापात उठी । राजकुमार ने एक पत्थर उठाया और पानी मे मार दिया । पानी मे पत्थर पड़ते ही अचानक पानी का रंग हरे रंग में बदलने लगा और पानी मे आग जलने लगी।
राजकुमार यह देखकर आश्चर्य चकित हो गया । राजकुमार ने फिर दोबारा पत्थर नही मारा । उसने सोचा शायद पानी का रंग बदलने का समय हो गया था तभी पानी का रंग बदल गया और आग लगना शायद हरे रंग की गुणवत्त्ता होगी ।
राजकुमार फिर से पानी का रंग बदलने का इंतजार करने लगा । लेकिन काफी देर हो गयी पानी का रंग नही बदला तो राजकुमार ने फिर से एक पत्थर उठाया और जलाशय में फेंक दिया।
पत्थर पड़ते ही जलाशय का रंग फिर से बदल गया । इस बार पानी का रंग काला था और उस काले पानी से जहरीला धुंआ निकल रहा था । राजकुमार को समझने में देर नही लगी कि पानी को खतरा महसूस होने पर अपना रंग बदलता है ।
बिना देर किए राजकुमार ने फिर एक पत्थर उठाया और पानी में फेंक दिया । पानी का रंग फिर से बदल गया इस बार पानी पीला रंग का था और तेजाब की तरह उबल रहा था।
इसी तरह राजकुमार पानी मे तब तक पत्थर फेंकता रहा जब तक पानी का रंग नीला नही हो गया । पानी का रंग नीला होते ही राजकुमार ने आप को सुरक्षा कवच में ढक लिया और ऐसी शक्ति का इस्तेमाल किया जिससे वह पानी मे सांस ले सके ।
राजकुमार जलाशय में प्रवेश कर गया । राजकुमार जलाशय के अंदर का दृश्य देखा तो चौंक गया । बाहर से बड़ा सा दिखने वाला जलाशय के अंदर एक महल था । राजकुमार महल के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा ।
राजकुमार अभी दो कदम ही बढ़ा था की उसे अपने पीछे किसी के आने की हलचल सुनाई दी । राजकुमार तुरन्त अपने म्यान से तलवार निकाल ली और अपने पीछे पलटा ।
राजकुमार धरमवीर ने देखा कि एक विशाल सा मगरमच्छ उस पर हमला करने के लिए उसकी तरफ बढ़ रहा था । राजकुमार ने अपने मन सोचा इससे तलवार से नही जीता सकता है कोई और तरीका सोचना होगा ।
तब तक मगरमच्छ राजकुमार के और करीब आ गया । राजकुमार ने तुरन्त अपने जादुई शक्ति से अपने शरीर को मगरमच्छ के शरीर से तीन गुना बड़ा कर लिया । और मगरमच्छ ने जैसे ही राजकुमार पर हमला किया वैसे ही राजकुमार ने मगरमच्छ को अपने हाथों से पकड़ कर दबाने लगा ।
मगरमच्छ को अपने शरीर पर दबाव महसूस हुया । वह राजकुमार के पकड़ से छूटने के लिए तिलमिलाने लगा । लेकिन राजकुमार ने मगरमच्छ को नही छोड़ा । मगरमच्छ दर्द से चिल्लाने लगा ।
और गिड़गड़ाते हुए राजकुमार से बोला - " कृपया मुझे छोड़ दीजिए जो आप कहेंगे वह मैं सब करूँगा । "
राजकुमार मगरमच्छ को इंसानी आवाज में बोलते देख कर बोला - " ठीक है , मैं तुम्हे छोड़ दूंगा लेकिन ये बताओ तुमने मुझ पर हमला क्यो किया ? "
मगरमच्छ बोला - " मैं इस जलाशय का रक्षक हूँ । इस जलाशय में सागरिका के पास जाने का रास्ता है । और इस जलाशय में कोई भी अनजान व्यक्ति नही आ सकता है ।तुम मेरे लिए अनजान हो , इस लिए मैंने तुम पर हमला किया ।"
राजकुमार मगरमच्छ की बात सुनने के बाद उसको छोड़ दिया और अपनी असली रूप में आ गया । इसके बाद मगरमच्छ से राजकुमार बोला - " मुझे सागरिका तक जाने का रास्ता बताओ मुझे उससे मिलना है ? "
राजकुमार की बात सुनकर मगरमच्छ चौंका ,और राजकुमार से बोला - " तुम सागरिका को कैसे जानते हो और उनसे क्यों मिलना चाहते हो ? "
राजकुमार अपने बारे में और यँहा तक कैसे पहुँचा ? सागरिका से क्यो मिलना चाहता है ? सब कुछ बता दिया । उसके बाद मगरमच्छ से बोला - " लेकिन तुम सागरिका का नाम सुनकर क्यो चौके ? "
मगरमच्छ बोला - " सागरिका मेरी बहन है मैं यँहा पर रहकर उसकी रक्षा करता हूँ । मैं अपने पास तुम्हे एक रंगीन धागा देता हूँ । इसे सागरिका को दिखा देना और मेरे और अपने मिलने के बारे में बता देना । वह तुमसे कोई झगड़ा नही करेगी और उससे जो जानना चाहते हो वह सब बता देगी । "
इतना कहने के बाद मगरमच्छ ने राजकुमार को एक रंगीन धागा दिया । और बोला - " चलो मैं तुम्हे सागरिका के निवास स्थान के बाहर छोड़ देता हूँ । तुम मेरी पीठ पर सवार हो जाओ ।"
राजकुमार मगरमच्छ की पीठ पर सवार हो गया । मगरमच्छ जलाशय के गहरे पानी मे जाने लगा । कुछ देर तक चलने के बाद मगरमच्छ राजकुमार को जलाशय के एक हिस्से में छोड़ दिया , और बोला - " इस जगह पर हर आधे घण्टे में एक नीली बतख आती है । तुम उसी का पीछा करना सागरिका तक पहुंच जाओगे । "
मगरमच्छ राजकुमार को इतना बताने के बाद वँहा से चला गया । राजकुमार उसी जगह खड़े होकर नीली बतख का इंतजार करने लगा । लगभग आधे घण्टे बाद एक नीली बत्तख उस जगह पर राजकुमार को आते हुईं दिखाई दी ।
राजकुमार अपने आप को अदृश्य कर लिया ताकि उसे नीली बतख देख न पाए । राजकुमार नीली बतख के पीछे चल दिया । नीली बतख कई रास्तो से गुजरते हुए एक महल के करीब पहुंच गई ।
धीरे धीरे नीली बतख अपना रूप बदलने लगी और एक स्त्री के रूप में आ गई । वह स्त्री अपने पीछे पलटी और राजकुमार से बोली - " तुम जो भी हो मेरे सामने आ जाओ वरना मैं तुम्हे मार दूँगी । "
राजकुमार बिना एक पल की देर किए बिना तुरन्त उस स्त्री के सामने आ गया । और आश्चर्य चकित होते हुए पूछा - " तुमने मुझे अदृश्य रूप में कैसे पहचान लिया और तुम कौन हो जो पहले बतख थी ? "
स्त्री बोली - " तुम अदृश्य जरुर थे लेकिन तुम्हारे चलने से पानी मे जो हलचल मच रही थी उसकी वजह से मैं समझ गयी कि कोई अदृश्य मानव मेरा पीछा कर रहा है । अब मैं अपने क्षेत्र में मुझे अब कोई दिक्कत नही है इसलिए मैं अपने असली रूप में आ गयी । अब तुम बताओ कौन हो ? "
राजकुमार बोला - "पहले तुम बताओ , तुम कौन हो ? "
स्त्री बोली - " मेरा नाम सागरिका है अब बताओ तुम कौन हो और यँहा पर क्यो आये हो ? "
राजकुमार अपने बारे और यँहा तक पहुंचने जो जो हुया सब कुछ बता दिया । और मगरमच्छ के द्वारा दिया गया रंगीन धागा सागरिका को दे दिया ।
रंगीन धागा लेने के बाद सागरिका जोर जोर से हँसने लगी और राजकुमार से बोली - " मगरमच्छ ने तुम्हे बेवकूफ बनाया है वह मेरा कोई भाई नही है वह तुमसे बचने के लिए मेरे नाम का उपयोग किया है। और तुम मेरे पास डंकिनी का पता जानने आये हो , अगर अपनी जान की सलामती चाहते हो तो यँहा से लौट जाओ नही तो मैं तुम्हे मार दूँगी । "
राजकुमार सागरिका की बात सुनकर बोला - " मुझे लगा मेरे बारे में सब जानने के बाद तुम मान जाओगी लेकिन तुम्हारे बातों से यही लगता है कि तुम अपने आप नही मानोगी । मुझे अपना तरीका अपनाना ही होगा । "
राजकुमार के इतना कहते ही सागरिका ने तुरन्त राजकुमार के ऊपर एक जल किरण छोड़ दी । जल किरण राजकुमार के जा लगी । जल किरण लगते ही राजकुमार थोड़ा सा घायल हो गया ।
सागरिका राजकुमार को घायल होते देखकर हँसने लगी । और फिर से राजकुमार के ऊपर के जल किरण से हमला किया लेकिन इस बार राजकुमार बच गया ।
राजकुमार सागरिका से बोला - " सागरिका रुक जाओ वरना मुझे मजबूरन तुम्हे सूर्य के किरणों तक ले जाना होगा और सूर्य के किरणों के सामने तुम्हारी कोई भी शक्ति काम नही करती है । "
राजकुमार के मुंह से अपनी कमजोरी सुनकर सागरिका थोड़ा सा घबरा गई । और बोली - " तुम मेरी कमजोरी जानते हो इसका मतलब ये नही की मैं मान जाऊंगी । मुझे तो तभी सूर्य किरण के पास ले जाओगो जब मुझे पकड़ पाओगे ।"
इतना कहने के बाद सागरिका फिर से नीले बतख में बदल गयी और अपनी शक्ति से सैकड़ो नीले बतख प्रकट कर लिए और उनमें घुल मिल गयी ।
सैकड़ो नीले बतख एक आठ बोले - " राजकुमार मैं हूँ सागरिका मुझे सूर्य की किरण में ले चलो । "
राजकुमार असमंजस में आ गया कि वह इनमें से असली सागरिका को कैसे पहचाने ? राजकुमार उपाय सोचने लगा ।तभी राजकुमार ने अपने जादुई शक्ति सभी नीली बतखों को धीरे धीरे हवा में उड़ाने लगा ।
और कुछ देर में सभी नीली बतखे जलाशय के बाहर हवा में उड़ रही थी । उन बतखों के जैसे जैसे सूर्य की किरणें पड़ती वह वैसे वैसे ही हवा में गायब हो जाती । धीरे धीरे सभी नीली बतखे गायब हो गई केवल एक नीली बतख बची जो सूर्य के किरणे की वजह से झुलस गई और किरणों से बचने के छटपटा रही थी । राजकुमार तुरंत समझ गया कि यही सागरिका है ।
सागरिका दर्द से कराहते हुए राजकुमार से बोली - " जो तुम पूछोगे वह मैं सब बताऊंगी लेकिन पहले मुझे सूर्य की किरणों से बचा के जलाशय में दुबारा उतार दो । "
राजकुमार सागरिका के दर्द को देखकर जलाशय में उतार दिया । जलाशय में उतरते ही सागरिका को राहत मिली । सागरिका राजकुमार को कहने का मौका ही नही दिया। खुद ही राजकुमार से बोली - " जब तुम इस जलाशय से बाहर जाओगे तो पूर्व दिशा में दस कोस चलने पर एक जंगल मिलेगा । उस जंगल के बीच मे डंकिनी का निवास है । "
राजकुमार डंकिनी का पता जानने के बाद सागरिका से बोला - " अगर तुम यह सब पहले बता देते तो मुझे यह सब न करना पड़ता ।"
इतना कहने के बाद राजकुमार जलाशय से बाहर निकला और पूर्व दिशा की ओर डंकिनी की खोज में निकल पड़ा ।
क्रमशः..............💐💐💐💐💐💐💐💐
यह भाग आप सबको पढ़कर कैसा लगा यह अपनी सुंदर समीक्षा देकर जरूर बताये । और अगला भाग जैसे ही प्रकाशित करूँ इसका नोटिफिकेशन आप तक पहुंच जाए इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें ।
विक्रान्त कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️