बेखबर इश्क! - भाग 12 Sahnila Firdosh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेखबर इश्क! - भाग 12

"अच्छा,तो तुम मुझे पागल समझते हो,अच्छे से जानती हूं तुम जैसे अमीर खानदान के बिगड़ैल लड़को को,मौका मिलते ही एडवांटेज लेने लगते हो,.... चिल्लाते हुए कनिषा ने इशांक की ओर अपनी तर्जनी उंगली दिखाई और फिर संछिप्त बोली....."इसके लिए माफी मांगो मुझसे!!"

"किस बात की?".... इशांक अकड़ने भी अकड़ते हुए पूछा।।

"तुमने मुझे टच किया था,इस बात की माफ़ी!"....कहते हुए कनिषा ने अपनी आंखे गुरेड़ी।।

दूसरी ओर इशांक ने उसे चोट लगने से बचाया था,साथ ही उसने उसके चेहरे को बर्बाद होने से भी रोका था,इन सब के लिए शुक्रिया कहना छोड़, कनिषा उल्टा उससे माफ़ी मंगवाने की कोशिश कर रही थी,ऐसे में इशांक ने तल्खी से अपनी भौंहैं उठाई और बिना कुछ कहे मुड़ कर जाने लगा,उसकी समझ में कनिषा बेहद बिगड़ी हुई बत्तमीज किस्म की लड़की थी,जो सिवाए लोगों से उलझने के अलावा कुछ नही कर सकती थी,इसलिए उसने अपनी एनर्जी उस पर बर्बाद नही की,जाते जाते भव्या से बोला...."लेट्स गो भव्या!"

"येस भाई!"..... भव्या ने कनीषा की ओर मुस्कुराती नजरों से देख कहा और उसे अपना अंगूठा दिखाते हुए भागी।।

बिना माफी मांगे इशांक के जाने से,कनिषा जो अब इतने लोगों के बीच अब ख़ुद को शर्मिंदा महसूस करने लगी थी,अचानक उसे वो बाते याद आने लगी,जो हॉल में एंट्री करते हुए उसने लड़कियों के मुंह से सुना था,इशांक के लिए मन में गुस्सा होने के कारण वो बिना सोचे समझे ही चिल्लाई....."भरी महफिल में एलिजिबल बैचलर की हरकतें ऐसी हैं,तो इनकी तन्हाइयां कैसी होती होंगी,ये जो दावा करते है,कि इनका किसी लड़की से कोई रिश्ता नहीं है,वो असल में नंबर वन के परवर्ड (ठरकी) होते हैं,और क्या लगता होंगा इन्हे अपनी रंगीन रातें और जिंदगी छुपाने के लिए बस एक फोन कॉल,या पैसे से भरा एक बैग??"


कनिषा और इशांक के बात चीत से पहले ही शांत हो चुकी लोगों की भूनभूनहट तब एक बार फिर शुरू हो गई,जब कनिषा बिना सोचे समझे बस इशांक के बारे में कहती चली गई,इधर इशांक भी उसके इल्जाम सुन रुक चुका था,पलट कर सीधे उसकी निडर आंखो में देखते हुए,इशांक कुछ कहने के लिए अपने होंठ खोलता,उससे पहले ही उसकी नजरें लोगों के फोन पर पड़ी,जिनसे वो वीडियो बनाते हुए,एक दूसरे से बाते किए जा रहे थे,चुंकी वो न्यूज संशेषण नही बनना चाहता था,इसलिए उसने भव्या की कलाई पकड़ी और कनिषा के खिलाफ बिना एक भी शब्द कहे वहां से चला गया।।

कनिषा जो हॉल के बीचों बीच खड़ी थी,अब सभी लोगों के फोन कैमरा की नई टारगेट बन चुकी थी,इसलिए वो भी काफी जल्दी में वहां से दौड़ते हुए भाग गई,बाहर निकल उसने दूर से ही इशांक को अपने दोनो हाथो के सहारे कार के बोनट पर झुका हुआ देखा,जिसके पास खड़ी भव्या ने जैसे ही कुछ कहा,गुस्से से इशांक ने अपने हाथों को बोनट पर पटक दिया और दूसरे ही पल अपनी कार में बैठ वहां से निकल गया।।

"कितना बत्तमिज है,उस लड़की को बीच सड़क पर छोड़ कर चला गया,तेवर तो ऐसे है...जैसे कहीं का जहापना हो,एक तो मुझे इंटेंशली टच किया और ऊपर से माफी भी  नही मांगी,,अगर एक पल भी यहां और रुकता तो इस पर  हैरेसमेंट का केस कर देती,,पर कोई बात नही आखिरी पंच लाइन तो मैंने ही मारी थी, इसका मतलब है की मैं जीत गई,, हां बिल्कुल.... मैं ही जीती हूं!"....खुद से ही बाते करते हुए कनिषा रोड के किनारे चलती गई,तभी उसे एक ऑटो दिखा और उसने अपने हाथ आगे कर दिए,ऑटो रुकने पर उसने अपने हॉस्टल का एड्रेस दिया और बैठ गई।।

हॉस्टल पहुंच,जब वो अपने कमरे में गई,वहां एक बेड पर उसकी दोस्त सौम्या लेटी हुई थी, उसकी दाहिनी कलाई पर पट्टी लगी हुई थी,और चेहरा बिल्कुल पीला नहर आ रहा था,, आहट सुन जब उसने आंखे खोली,कनिषा के कपड़ो पर कीचड़ और सकल पर बारह बजा हुआ देख कमजोर आवाज में पूछने लगी....."कनिषा...अब क्या कर के आई है? कहां गई थी??"

"कहीं नही,तू आराम कर!"...जवाब देते हुए, कनिशा ने अपने लिए एक जोड़े कपड़े उठाए और टावल लेकर नहाने चली गई,जब तक वो नहा कर लौटी सौम्या नींद से सो गई थी,,चुंकी सौम्या बीमार थी,इसलिए विकेंड होने के बावजूद भी कनिषा ने अपनी मोटी मोटी किताबे उठाई और उन्हें लेकर स्टडी टेबल पर बैठ,पढ़ने लगी,हालंकि उसके दिमाग में किताब की लाइंस छोड़ इशांक की अकड़ से भरे शब्द ही घूम रहे थे,जिसके कारण अचानक उसे गुस्सा आ गया और उसने हाथ में लिए पेन को उठा कर किताब में सीधा गाड़ दिया...."उसकी हिम्मत कैसे हुई,मुझसे बिना सॉरी कहे जाने की!"

जैसे ही वो चिल्लाई सौम्या की आंख खुल गई,और हड़बड़ाते हुए उसने कहा...."कनीषा तुम ठीक हो?"

कनिषा जो उसके सुसाइड अटैंप से काफी नाराज थी,उसने कोई जवाब नही दिया और उठ कर कमरे से जाने लगी,तभी सौम्या ने फिर से कहा...."कब तक नाराज रहोगी,वादा करती हूं की अब किसी लड़के के चक्कर में पड़ कर खुद को खतरे में नही डालूंगी, इस बार माफ कर दो!"

"मुझे अभी बात नही करनी,,दो महीने बाद कैंपस सलेक्शन है,तो जब तक रूम पर हो उसकी तैयारी करो,और इससे ज्यादा मुझे तुमसे तब तक कोई बात नही करना,जब तक मेरा गुस्सा शांत नहीं हो जाता!".....इतना कह कनिषा अपने बेड पर चढ़ी और कंबल तान कर सो गई।।।

सौम्या आगे कुछ कह ना पाई और ना ही अब उसके साथ बात करने वाला कोई था,इसलिए उसने अपने तकिए के नीचे से फोन निकाला और फेसबुक ओपन कर वीडियो स्क्रॉल करने लगी,,तभी उनके कॉलेज ग्रुप चैट में किसी ने कनीषा की और वो वीडियो शेयर की जिनमे वो इशांक से बहस कर रही थी।।।

जितनी तेजी से ये वीडियो कनिषा के कॉलेज ग्रुप तक पहुंचा उतनी ही तेजी से इशांक के ऑफिस और न्यूज चैनल में भी दिखाया जाने लगा,दो तीन घंटे के अंदर ही वो वीडियो हर तरफ जंगल में लगी आग की तरह फ़ैल गई।।

लोगों के अजीब अजीब कॉमेंट को पढ़ते हुए इशांक के असिस्टेंट ने जब इसके बारे में इशांक से पूछा, इशांक ने सिवाए उसे गुस्से से घूरने के अलावा कोई जवाब नही दिया,फिर भी असिस्टेंट ने उससे पूछना जारी रखा....."सर!ये लड़की कौन है??आखिर अपने इसके साथ ऐसा क्या किया जो उतना भड़की हुई है,वीडियो में??"

"तुम्हारा दिमाग खराब है,मैं इसके साथ क्या करूंगा,ये एक मेंटल लड़की है,जिसकी हॉबी सभी से लड़ना है!".... इशांक ने बेअदबी से कहा और अपने रोबोट के वायर को जोड़ने में व्यस्त हो गया,जिस पर असिस्टेंट ने फिर पूछा...."क्या?आप मुझे ठीक तरह से समझाएंगे??"

"तुम मेरे बॉस हो??"....इशांक ने अपने चलते हाथों को रोक कर पूछा।

"नही सर!".....

"तो मेरे सिर पर खड़े हो कर सवाल क्यों पूछ रहे हो,निकलो यहां से...मुझे उस यूजलेस मुंहफट लड़की के बारे में एक भी शब्द सुनाई नही देना चाहिए,पूरे ऑफिस में अगर किसी ने इसके बारे में बात की तो उसका टर्मनेशन लेटर उसके टेबल होगा,इस बारे में सब को इनफॉर्म कर दो!".....


"सर आपको नही लागत आप ज्यादा कर रहे है, आपने कांड किया है, तो लोग बाते तो करेंगे,क्या आप सब की जबान काटेंगे?"..... असिस्टेंट ने बिना झिझक के,हमेशा की तरह बेफिक्र हो कर कहा,कुछ ही समय से वो इशांक के साथ काम कर रहा था,लेकिन उसके दोस्ताना बर्ताव के कारण इशांक से उसका रिश्ता प्रोफेशनल से कब पर्सनल हो गया उन्हे पता भी नही चला, इशांक की जिंदगी में असिस्टेंट विवेक ने हमेशा एक सच्चे दोस्त का रोल अदा किया था,कोई भी बुरी परिस्थिति ऐसी नही थी,जिसमे उसने इशांक को अकेला छोड़ दिया हो,शायद यही कारण था की इशांक भी उसके साथ बाकियों से उलट,अच्छे से पेश आता था।।

लेकिन जैसा की इस वक्त वो कनिषा की वजह से काफी बुरे मूड में था,इसलिए विवेक के सवालों पर परेशान होते हुए उसने थोड़ी कर्कशता से कहा....."जाओ यहां से।।"

इशांक कहता रहा,लेकिन विवेक पर इसका कोई असर ना हुआ, वीडियो में कनिषा की बाते सुनते हुए वो पहले तो काफी देर तक हंसा और फिर गले को साफ करते हुए बोला....."कितनी भड़की हुई है, आई जस्ट लव हर एंगर,अच्छा अपनी बात छोड़िए,ये बताइए की ये इस दूल्हे की फ्री में बैंड क्यों बजा रही है, इनकी बाते ठीक से रिकॉर्ड नही हुई है,काश.... मैं भी आपके साथ चलता,लाइव शो मिस कर दिया!"

"लगता है तुम ऐसे नही जाओगे,क्या मैं तुम्हे आज नौकरी से निकाल दूं,फिर सारी जिंदगी इसी वीडियो को देख कर हंसते रहना!"..... इशांक ने जब ये कहा वो अपने काम में ऐसे मशगूल था,जैसे कोई चींटी जाड़े के दिनो के लिए अपने लिए खाना इकठ्ठा करने में लगी रहती है।।

"आप फिर से मोस्ट सर्च में आ गए है,,कॉमेंट में किसी ने आपकी बुराई नही की है,लेकिन उस लड़की के लिए अच्छी बाते नही लिखी गई हैं,पता नही देखेगी तो क्या करेगी,लोग उसे "मेसली फाइटर(तुछ लड़ाकू)" नाम दे रहे हैं,,ये कितना वियर्ड है,लोग उसे पहली झलक से कैसे जज कर सकते है...... विवेक गंभरता पूर्ण कह ही रहा था की तभी इशांक ने उसे टोका....."जो जिस उपाधि के लायक होता है,उसे वही मिलता है, नाउ गो बैक टू योर वर्क!"

"हां जा ही रहा हूं!"....विवेक ने अपने हाथ में लिए टैबलेट को बंद किया और हाथ नीचे कर जाने लगा,दरवाजे तक पहुंच उसे कुछ याद जिससे वो पीछे पलटा और बोला...."सर दो महीने बाद दूसरी आईटी कंपनीयां कैंपस सलेक्शन के लिए जा रही है,क्या हम इसमें हिस्सा लेने वाले है?"

"हां!मैने पहले ही सब कुछ रेडी कर लिया है,हम सिर्फ दो कॉलेज से ही स्टूडेंट सेलेक्ट करेंगे,वो भी मात्र दो दो....नई जनरेशन नए आइडिया लाते है,इसलिए दो टॉप कॉलेज का नाम निकालो और वहां से टैलेंट ढूंढ के लाओ,उनके इंटरव्यू के लिए तुम जाओगे,क्योंकि सलेक्शन के दिनो मे मै जापान जा रहा हूं,मैं उनका इंटरव्यू बाद में लूंगा,अपने तरीके से,चार इंटर्न में से इस आर टी कंपनी में सिर्फ एक रहेगा,इसलिए उन चारो को ये बात अच्छे से समझा देना,अगर इस शर्त पर वो यहां आना चाहे तो.... आर टी कंपनी उनका स्वागत करेगी!".....इशांक ने कभी अपने कंप्यूटर पर तो कभी अपने सामने रखे रोबोट को देखते हुए विश्रंभता से कहा।।

अंत में उसकी बात खत्म हुई तो विवेक ने भी अपना सिर सहमति में हिलाया और जाने से पहले दरवाजा लगा दिया।।।
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अपने हाई रैंक को लेकर पहले से ही कॉलेज में चर्चित कनिषा,,इशांक के साथ अपने झड़प को लेकर अब और अधिक चर्चे में आ गई थी,,कुछ उसे बुरा कहते,तो वहीं कुछ उसके फैन बन गए थे,हालंकि वो परेशान दोनो ग्रुप के लोगो से थी,उसके जूनियर जो उससे हर वक्त चिपके रहते,उनकी वजह से वो ठीक से पढ़ नही पाती और वो जो उसे पसंद नही करते थे,अजीब तरह से घूरते और पीठ पीछे बाते बनाते,जिसके कारण वो मेंटली डिस्टर्ब हो जाती।।।

उसकी जिंदगी में इशांक नाम का तूफान धीरे धीरे शान्त हुआ,तो इंट्रशिप के लिए टेस्ट एग्जाम और इंटरव्यू का तनाव शुरू हो गया,,शुरू से ही कॉलेज की टॉपर रहने के कारण और अच्छे परफोर्मेंस से,उसने जिस भी कंपनी के लिए इंटरव्यू दिया,उन सब में सेलेक्ट हो गई।।

जब उसने कॉलेज में एडमिशन लिया था,तभी सोच लिया था की वो इंडिया की बेस्ट आईटी कंपनी "रोबोटिक टेकनॉल्जी"(आरटी) में अपने लिए एक सीट चुनेगी,और आज जब उसके पास ढेरो सारे ऑप्शन थे,वो जानती थी की उसे क्या चुनना है,बिना ओवरथिंग किए उसने आरटी कंपनी में इंटर्नशिप का फैसला किया,और उसने उनकी सारी कंडीशन भी मान ली।।
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अपने उन चार दिन पुराने यादों से कनिषा तब बाहर निकली,जब उसके कानो में हॉस्पिटल में चलने वाली मशीनों की आवाज पड़ी,,आंखो को धीरे से खोलने पर उसने अपने दोनो कोहनी में तेज दर्द का एहसास किया,जिस पर अपने सिर के पूरे भार को टिकाए वो सो गई थी,दोनो हाथो को झिटकते हुए उसने उसने अपनी पीठ सीधी की तभी कमरे में संस्कार दाखिल हुआ और वही चमकदार मुस्कान लिए हुए बोला...."हेलो प्रिटी गर्ल,तुम यहां कैसे?क्या इनकी रिलेटिव तुम हो,जिसने हॉस्पिटल बिल पे किया है!"

कनिषा जो बस अभी अभी नींद से निकली थी,उसने एक लंबी उबासी भरी और हामी भर दिया,जिसे देख संस्कार ने फिर कहा...."ओह लगता है ये तुम्हारे डैड है,, बाई लक मैं ही इनका अटेंडिंग डॉक्टर हूं,क्या तुमने कुछ खाया था,ड्रिप के बाद??"

"मुझ पर वक्त बर्बाद मत करो,,मेरे डैड को चेक करो,मुझे बताओ की इनका ऑपरेशन कब फिक्स किया है,मैं पैसों का इंतजाम कर दूंगी!"..... कहते हुए कनिषा के आंखो में आंसू आ गए।।

"अब हम दोनो एक दुसरे को जानते है,तो पैसों की कोई बात नही"......कहते कहते अचानक संस्कार खामोश हो गया...."पैसे"....मन ही मन दुहरते हुए उसके दिमाग में इशांक की इज्जत बर्बाद करने का एक अच्छा प्लान आया और पूरी तरह अपनी बात बदलते हुए उसने कहा....."जब तक तुम पैसे का इंतजाम नही कर लेती,ऑपरेशन नही हो पाएगा,अगर मैं अपनी दोस्ती के नाते फ्री में ऑपरेशन करने को तैयार भी हो जाता हूं,तब भी हॉस्पिटल स्टाफ, अनिस्थिसिया डॉक्टर और असिस्टेंट डॉक्टर को फीस तो देने ही पड़ेंगे,क्या तुम्हे पैसे जमा करने में कोई प्रोब्लम आ रही है?"

"नही,तुम डेट फिक्स कर के मुझे बता दो,मैं पैसों का कुछ ना कुछ कर लूंगी"...... कनिषा अविश्वास भाव लिए बोली।।।

"ठीक है,मैं टाइम शेड्यूल करता हूं,तुम्हे फीस पता है ना?"......संस्कार ने जान बूझ कर फीस की बातों पर प्रेसराइज किया,ताकि कनीषा उससे कुछ कहे,लेकिन कनिषा ने अपने मुंह से एक भी शब्द ना निकला और रात में आने का बोल वहां से चली गई।।

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दूसरी ओर इशांक अपने डैड को लेकर घर की ओर जा रहा था,तभी उसके डैड ने साफ और सीधे तरीके से उससे पूछा....."कनिषा और आपने सहमति के साथ शादी की है,,तो वो इससे इतनी नाखुश क्यों है,और अचानक आपने शादी का फैसला क्यों लिया!"

अपने डैड के नरजगी को कम हुआ देख, इशांक को कुछ राहत मिली,हालंकि उसने जवाब देने के बजाए उनसे कहा....."स्ट्रेस लेना आपके सेहत के लिए ठीक नहीं,इसलिए इन सब बातो से मैं आपको दूर रखना चाहता हूं, आई होप की आप समझ रहे हैं,डैड!"

इशांक का अनस्टिस्फाई जवाब सुन उसके डैड ने आगे कोई सवाल ना किया और चुप चाप खिड़की के बाहर झांकने लगे,वहीं इशांक तेजी से पीछे छोड़ती सड़क पर घूरते हुए उन लम्हों में खो गया,जब जापान में अपनी मीटिंग से लौटते हुए,उसे वकील ने कॉल किया और बताया की,जिस संपति के हिस्सदारी के लिया वो क्लेम कर रहा है,उस संपति पर उसके सौतेले पिता ने शर्तें लगा दी है,जिसमे उसे तीन दिन के भीतर शादी कर लेना है,वरना ये महीना खत्म होते ही वो हमेशा के लिए संपति से अपना दावादारी खो देगा।।


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