यह कहानी है मयंक और राधिका की, जो पूरी तरह से अलग दुनिया से आते हैं लेकिन फिर भी उनकी ज़िंदगी की राहें आपस में टकरा जाती हैं।
मयंक एक प्रतिष्ठित डॉक्टर था। वह बड़े शहर के एक नामी अस्पताल में काम करता था और अपनी मेहनत और लगन से बहुत कम उम्र में ही सफलता के शिखर पर पहुंच गया था। मयंक को अपने काम से बेइंतेहा लगाव था, लेकिन उसकी जिंदगी में प्यार के लिए जगह नहीं थी।
वहीं, राधिका एक तेज-तर्रार और साहसी आईएएस अफसर थी। उसने अपने सपनों को हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की थी और आज वह अपने जिले की सबसे सशक्त और प्रभावशाली अधिकारी मानी जाती थी। राधिका की दिलचस्पी सिर्फ अपने काम में थी। वह न्याय और ईमानदारी के रास्ते पर चलती थी।
एक दिन, मयंक को एक गांव में मेडिकल कैंप आयोजित करने का मौका मिला। यह गांव उसी जिले में था जहां राधिका तैनात थी। संयोगवश, उसी कैंप का उद्घाटन करने के लिए राधिका भी आई थी। मयंक को देखकर राधिका को महसूस हुआ कि उन्होंने उसे कहीं देखा है, लेकिन वह यकीन नहीं कर पाई।
मयंक, अपने मरीजों की जांच में इतना खोया हुआ था कि उसे राधिका की मौजूदगी का एहसास नहीं हुआ। लेकिन जब उद्घाटन के दौरान राधिका ने मयंक से हाथ मिलाया, तब उनके बीच कुछ अलग ही एहसास जाग उठा। मयंक की आँखों में ईमानदारी और सेवा की भावना थी, और राधिका ने उसी पल में महसूस किया कि वह इंसान खास है।
कैंप के बाद राधिका और मयंक की मुलाकातें बढ़ने लगीं। मयंक अपने काम के प्रति उतना ही जुनूनी था जितनी राधिका अपने प्रशासनिक कार्यों के प्रति। दोनों की सोच, मेहनत और समर्पण ने उन्हें एक-दूसरे के करीब ला दिया।
एक दिन राधिका ने मयंक से कहा, "तुम्हारी तरह मैं भी लोगों की सेवा करना चाहती हूँ, लेकिन तुम्हारा तरीका मुझसे बहुत अलग है।"
मयंक ने मुस्कुराते हुए कहा, "सेवा का रास्ता चाहे अलग हो, लेकिन मकसद तो एक ही है - लोगों की भलाई। यही तो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है।"
उनकी बातें और मुलाकातें धीरे-धीरे गहरे भावनात्मक संबंध में बदलने लगीं। दोनों ने एक-दूसरे को अच्छे से समझना शुरू कर दिया। मयंक की शांति और धैर्य ने राधिका को संतुलन दिया, और राधिका की ऊर्जा और दृढ़ निश्चय ने मयंक की जिंदगी में नई रोशनी लाई।
कुछ महीनों बाद, मयंक ने राधिका को एक सुंदर शाम को शहर के एक पुराने बगीचे में बुलाया। वहां पर फूलों की महक और हल्की-हल्की हवा चल रही थी। मयंक ने हिम्मत जुटाकर राधिका से कहा, "राधिका, मैंने ज़िंदगी में बहुत कुछ पाया है, लेकिन तुम्हारे बिना मेरी ज़िंदगी अधूरी लगती है। क्या तुम मेरे साथ ज़िंदगी बिताना चाहोगी?"
राधिका की आँखों में खुशी और भावनाओं का तूफान था। उसने धीरे से मयंक का हाथ पकड़ते हुए कहा, "मैंने भी अपने जीवन में बहुत कुछ पाया है, लेकिन तुम्हारे साथ होने से मेरी ज़िंदगी संपूर्ण हो जाती है। हाँ, मयंक, मैं तुम्हारे साथ ज़िंदगी बिताना चाहती हूँ।"
इस तरह मयंक और राधिका का प्रेम कहानी शुरू हुई। डॉक्टर और आईएएस अधिकारी की इस जोड़ी ने समाज में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए एक-दूसरे के साथ ज़िंदगी के हर पल का आनंद लिया। उनका प्यार उनकी सेवा और समर्पण के साथ गहराता गया, और वे दोनों एक आदर्श जोड़ी के रूप में सबके लिए मिसाल बन गए।
मयंक और राधिका की कहानी ने यह साबित कर दिया कि जब दो दिल सेवा और समर्पण की भावना से भरे होते हैं, तो प्यार अपने आप ही उनके जीवन का हिस्सा बन जाता है।