सनम बेवफा - 1 Kishanlal Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सनम बेवफा - 1

यह क्या कर रहे हो
विशाल ने हाथ पकड़कर रीता को अपनी तरफ खींचा तो रीता बोली थी।
"प्यार
"नही"रीता ,विशाल का इशारा समझते हुए बोली,"यह अभी नही।ये शादी के बाद
विशाल दिल्ली का रहने वाला था।उसका दोस्त था राघव।विशाल अक्सर राघव के घर जाता रहता था।एक दिन वह उसके घर गया तो ड्राइग रुम में एक अजनबी युवती को देखकर चोंका था
आप कौन
रीता कोई उत्तर दे पाती उससे पहले रानू चली आयी।रानू राघव की बहन थी।वह बोली
यह रीता है।मेरे अंकल के रिश्तेदार है
पहली बार आयी हैं क्या
हां दिल्ली पहली बार आयी हैं।गणतंत्र दिवस कि परेड देखने के लिव अपनी माँ के साथ आई है
गुड
और गणतंत्र दिवस की परेड देखने गए तब विशाल भी उनके साथ गया था।इस साल की परेड खास थी।खास इस मामले में की इस साल की परेड महिला केंद्रित थी।मातृशक्ति या दूसरे शब्दों मे नारी शक्ति का प्रदर्शन था।या वंदन था।
परेड में औरते।परेड का नेतृत्व औरते कर रही थी।झांकी में भी औरते थी।करतब भी औरते ही दिखा रही थी।हर कार्य औरतों के हाथों में था।और परेड का समापन भी यानी आकाश में जहाज भी औरते ही उड़ा रही थी।
रीता की माँ एक दिन रानू की माँ से बोली
रीता के लिए कोई लड़का बता
अभी तो रीता पढ़ रही है
"हा"रीता की माँ सालू बोली,"एम सी ए का अंतिम साल है
"लड़का तो है।"रानू की माँ दीपा ने कहा था
कौन
विशाल।अपनी जाति का भी है औऱ उसकी पुणे में नौकरी भी लग गयी है
और दोनों परिवारों में बात हुई औऱ रिश्ता पक्का कर दिया गया।रिश्ते के बाद रीता मा के साथ कानपुर वापस आ गयी।
विशाल पुणे चला गया था।रीता की एम सी ए होते ही पुणे में नौकरी लग गयी।रीता भी पुणे पहुंच गई थी।रिश्ता हो चुका था।वह विशाल के साथ लिव इन मे रहने लगी।
कम्पनी कि चार दिन की छुट्टी थी।विशाल बोला
अर्लीमून को चलते हैं
"कहा चलोगे?"रीता ने पूछा था
तुम बताओ
"कश्मीर चलते हैं,"रीता बोली,"सुना है 370 हटने के बाद बहुत बदल गया है कश्मीर
और वे एक दिन श्रीनगर जा पहुंचे थे
उन्होंने होटल में रूम ले लिया था।सबसे पहले वह डल झील पहुंचे थे।शिकारा में सैर करते हुए रीता शिकारे वाले से बोली
क्या 370 हटने के बाद कश्मीर बदल गया है
"ये आप सारे शिकारे डल झील में तैरते हुए देख रहे हैं।पहले कभी एक्का दुक्का डल पर तैरता नजर आ जाता थ,"शिकारे वाला पर्यटकों की तरफ इशारा करते हुए बोला" पहले चारो तरफ मायूसी और वीरानी छाई रहती थी।अब सब गुलज़ार ह4
फिर तो धंधा अच्छा चलता होगा
मेरा ही नही सभी का।अब पूरी साल पर्यटकों के आने का सिलसिला लगा रहता है
और वह वहां से पहलगाम चले गए थे।जो बात शिकारे वाले ने बताई थी।वैसी ही प्रतिक्रिया टेक्सी वाले कि भी थी।उन्हें भी घाटी गुलजार नजर आ रही थी।रात को वे होटल में लौट आये थे।
"तुम भी कैसी बाते कर रही हो।हमारी सगाई ही चुकी है।शादी भी हमारी होनी है।फिर क्या फर्क पड़ता है हमारा शारीरिक मिल न शादी से पहले हो या बाद में
"नही विशाल।यह ठीक नही है।हमारी शादी हो जाने दो फिर मैं तुम्हे नही रोकूंगी
तुम्हे मुझ पर विश्वास नही है
विशाल ने उसे समझाने का भरसक प्रयास किया।पर व्यर्थ