नरभक्षी आदमी - भाग 1 Abhishek Chaturvedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नरभक्षी आदमी - भाग 1

नरभक्षी आदमी (उपन्यास)




           घना जंगल, जहाँ सूरज की किरणें भी मुश्किल से पहुँचती थीं, वहाँ एक रहस्यमयी और भयावह कहानी जन्म ले चुकी थी। इस जंगल के भीतर एक छोटा सा गाँव बसा था, जिसका नाम था 'काली वन'। यहाँ के लोग एक अजीब-सी खामोशी और डर के साए में जीते थे। किसी को पता नहीं था कि यह डर किससे था, लेकिन सब जानते थे कि कोई अदृश्य खतरा उनके चारों ओर मंडरा रहा था।

गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि जंगल के भीतर कहीं बहुत गहरे, एक गुफा है जहाँ "नरभक्षी आदमी" का वास है। उसका असली नाम क्या था, कोई नहीं जानता था, लेकिन वह इतना शक्तिशाली और खतरनाक था कि कोई भी व्यक्ति, जिसने उसे देखा, फिर कभी वापस नहीं लौटा। लोग कहते थे कि वह आदमी एक श्रापित आत्मा था, जिसे अमरता का वरदान तो मिला, लेकिन उसकी भूख कभी शांत नहीं होती थी। उसकी भूख साधारण नहीं थी—उसे इंसानी मांस की भूख थी।

शुरुआत में यह सिर्फ कहानियाँ मानी जाती थीं, लेकिन कुछ समय बाद गाँव के लोग अचानक से गायब होने लगे। हर अमावस्या की रात, कोई न कोई आदमी, औरत या बच्चा रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाता। लोग डर के मारे रात होते ही अपने घरों में बंद हो जाते थे और गाँव का कोई भी इंसान रात में बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता था।

एक दिन, गाँव का एक युवक, अर्जुन, जिसने इन कहानियों को सिर्फ अंधविश्वास समझा था, ने यह फैसला किया कि वह इस रहस्य का पता लगाएगा। उसने अपने साथ कुछ दोस्तों को भी ले लिया और वे लोग अमावस्या की रात को जंगल के भीतर उस नरभक्षी आदमी की गुफा की तलाश में निकल पड़े।

जैसे-जैसे वे जंगल के भीतर घुसते गए, एक अजीब-सी सर्दी और भारीपन महसूस होने लगा। हवा में एक अजीब-सी गंध थी, जैसे कि किसी सड़ी हुई चीज की। अर्जुन और उसके दोस्तों ने आपस में हिम्मत बढ़ाई और आगे बढ़ते रहे। 

कुछ समय बाद, उन्हें एक गहरी गुफा का मुंह दिखाई दिया। वहाँ एक ठंडी और भारी हवा बाहर निकल रही थी। अर्जुन ने अपने दोस्तों के साथ गुफा के भीतर कदम रखा। गुफा के भीतर घना अंधकार था और एक अजीब-सी नमी महसूस हो रही थी। अचानक, अर्जुन ने महसूस किया कि जैसे कोई उनकी ओर देख रहा हो। वह पीछे मुड़ा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। फिर एक भयानक आवाज़ गूँजी, मानो कोई गहरे भीतर से चिल्ला रहा हो।

उन्हें एहसास हुआ कि वे फँस चुके थे। आवाज़ें और तेज़ हो गईं, और जैसे-जैसे वे गुफा के भीतर बढ़ते गए, एक भयानक दृश्य उनके सामने आया। वहाँ गुफा के अंदर, असंख्य कंकाल बिखरे हुए थे—कुछ हाल ही के, और कुछ कई साल पुराने। 

अचानक, गुफा के अंदर की दीवारों से खून टपकने लगा। अर्जुन और उसके दोस्तों ने डर के मारे भागने की कोशिश की, लेकिन गुफा का मुंह अचानक बंद हो गया। तभी, एक भयानक काया उनके सामने उभरी—वह नरभक्षी आदमी था। उसकी आँखों में एक अजीब-सा पागलपन था और उसके मुंह से खून टपक रहा था। 

वह आदमी अर्जुन की ओर बढ़ा, और अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा—वह आदमी कभी इंसान था, लेकिन अब वह एक जिंदा मृतक बन चुका था। उसकी आत्मा को कभी शांति नहीं मिली थी और वह इस दर्दनाक भूख का शिकार हो गया था।

अर्जुन ने अपनी आखिरी सांस ली और वहीँ उसकी चीखों से गूंजता हुआ जंगल एक बार फिर खामोश हो गया। गाँव में फिर कभी किसी ने उन लोगों को नहीं देखा, लेकिन उनके गायब होने के बाद गाँव के लोग जानते थे कि 'काली वन' की अमावस्या की रात अब और भी ज्यादा खतरनाक हो गई थी।

अब वह नरभक्षी आदमी अकेला नहीं था। अर्जुन और उसके दोस्त भी उसी श्राप का हिस्सा बन चुके थे, और हर अमावस्या की रात, वे नए शिकार की तलाश में निकलते थे। 'काली वन' अब बस एक गाँव नहीं था, वह मौत का इंतजार करता हुआ एक जिंदा जंगल बन चुका था।

कहते हैं, आज भी उस गाँव में अमावस्या की रात कोई इंसान बाहर नहीं निकलता, क्योंकि उन्हें पता है कि अंधकार के भीतर कुछ भयानक इंतजार कर रहा है—एक भूखा और अमर नरभक्षी आदमी।




अब अगले भाग में देखें क्या होता है और 
                                              भयानक सच्चाई का सामना

अर्जुन........